Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: संगीता केस्वानी

विराम
कविता

विराम

========================== रचयिता : संगीता केस्वानी सदियों पुरानी रीत है बदली, एक तरफा ये जीत है बदली, है विराम मेरी बेबसी का, है लगाम तेरी नाइंसाफी का,, न पर्दे से इनकार है, ना संस्कारो से तक़रार है, अब अपने फैसलों का मुझे भी अधिकार है, रौंद सके मेरे जीवन को तुझे अब न ये इख्तियार है,, अब ना अश्क-ऐ-आबशार होगा, ना हर पल डर का विचार होगा, सुखी -नुष्चिन्त हर परिवार होगा, मेरे भी हक़ में ये बयार होगा,, सायरा, गुलशन इशरत,आफरीन, आतिया का संघर्ष रंग लाया, मजबूरी से मज़बूती की जंग का सुखद परिणाम आया,, ना हूँ केवल वोट-बैंक या ज़ाती मिलकीयत, अब जाके पाई मैंने भी अपनी अहमियत,, तुम सरताज तो मैं शरीके-हयात, पाख ये रिश्ता-ऐ-निकाह ना होगा तल्ख तलाक से तबाह, न तलाक-ऐ-बिददत, ना तलाक-ऐ-मुग़लज़ाह, कर पायेगा इस रूह-ऐ-पाख का रिश्ता तबाह, सो मेरी जीत मैं तुम्हारी जीत, और तुम्हारी जीत में मेरी शान।। लेखिका परिच...
कटू सत्य
कविता

कटू सत्य

========================== रचयिता : संगीता केस्वानी पिता का घर "मायका", पति का घर "ससुराल", मेरा घर है कहाँ?, भाई का घर भाभी ने लिया, बेटे का घर बहू ने लिया, मैं हूँ कहाँ?, जीजा करे बहन से आनाकानी, बिटिया के यहाँ दामाद को परेशानी, मेरी अहमियत किसने पहचानी, मंदिर में पुजारी का डेरा, आश्रम में भी ना मिले बसेरा, कहने को सब अपने, पर कौन यहां मेरा?? ये कैसी विडंबना........ सृष्टि की सिर्जनकर्ता का अपना कोई स्थायी पता ही नही?????? लेखिका परिचय :- संगीता केस्वानी आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www....
ख्वाब
कविता

ख्वाब

========================== रचयिता : संगीता केस्वानी  अजीब दास्तान है ख्वाबों की, हक़ीक़त से परे, फिर भी नज़रबंद रहते है, खोये सेहर के उजालों में, निशा में समाए रहते है, बदरंग इस दुनिया मे, रंगीन जिंदगियां सजाये रखते है, बिखरी खाली झोली में, उम्मीदों की रोशनी भरते है, दूर क्षितिज खड़ी मंजिलों को, कदमों से नही हौसलों से करीब कर जाते है, थकी हारी इन साँसों मैं, जीने की नई उमंग भर जाते है, यूं तेरे-मेरे ख्वाब मिलकर, हक़ीक़त का घरोंदा सज्जा जाते है।। लेखिका परिचय :- संगीता केस्वानी आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबा...
पिता
कविता

पिता

===================================================== रचयिता : संगीता केस्वानी निशब्द पर्दे की ओट से झांकते है पिता, नन्ही हथेलियाँ थाम बादलों के पार ले जाते है पिता, ना लोरी की थपकियों में, न रोटी के कोर में, ना इंतेज़ार की टकटकी में होते है पिता, की थाली के व्यंजनों को सजाने में व्यस्त होते है पिता, न आरती के दिये में, न रोली में, ना तावीज़ में होते है पिता, ना ममता में, ना वात्सल्य के स्पर्श में जुड़े होते है पिता, पहुंचाए मुझे अर्श पे इसके जिम्मेदार होते है पिता, तन कोख से जोड़े, लहू से सींचे है माँ, चिंता से परे, सोच -समझसे सींचे है पिता, ईंट-पत्थर के मकान की विशाल  अम्बर सी छत है पिता, गिद्दों की दुनिया में देखो सुरक्षा का वटवृक्ष है पिता, माना कठोर नारियल से होते है पिता, मगर नन्ही बिटिया के छूते ही भावुक होते है पिता, दामन में अश्कों को समेटे रहते है पिता, मगर बिटिय...