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Tag: श्वेतल नितिन बेथारिया

चलो तो सही
कविता

चलो तो सही

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** मत बैठना थक कर के वरना कहोगे मंजिल मिली ही नही अपने सपनों को पंख देकर उड़ान के अब तुम चलो तो सही। कौन भला क्या जीत पाया है यहाँ खुद के मन को यूं मार के रखो यकीन सब जीत जाओगे इक दिन सब कुछ हार के। हों यदि हौसले बुलंद तो क्या डरना किसी आंधी या तूफान से पर दिल न दुखे किसी का, खाली हाथ लौटना भी है जहाँन से। हो यदि मीठी जुबान तो मनुष्य का हर जगह गुणगान होता है वाणी ही बोध कराती सदा नेह का इससे ही सम्मान होता है। परिचय - श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी - अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र - मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच ...
जीना सीख लो
कविता

जीना सीख लो

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** जिंदगी बहुत छोटी है उसे हर हाल में जीना सीख लो, आयें कितने भी आंधी तूफान जिंदगी जीने का तरीका सीख लो। यदि कोई पास में हो तो उसकी आवाज में जीना सीख लो, रूठ गया हो यदि कोई उसके इस अंदाज में रहना सीख लो। जो कभी लौट के ना आने वाले हैं उसकी यादों में जीना सीख लो, हर वक्त नहीं रहता कोई साथ अपने आप में खुश रहना सीख लो। खुशी की लहरें कभी गम के साए सुख-दुख की कश्ती में तैरना सीख लो, जिंदगी बहुत छोटी है उसे हर हाल में जीना सीख लो। परिचय - श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी - अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र - मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्द...
रहती हूँ खोई-खोई
कविता

रहती हूँ खोई-खोई

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** क्यों बढ़ाते हो दूरियाँ जब तुम मे रहती हूँ खोई-खोई अपना बनाकर अपने को क्या ऐसे तड़पाता है कोई। जब तुम कभी समझना ही नही चाहते जज्बातों को तुम्ही बताओ फिर भला कैसे तुमको समझाए कोई। बार-बार तुम्हे मनाने वाला मुझसा नही मिलेगा कोई इसका एहसास तुम्हे तब होगा जब तुमसे रुठेगा कोई। थोड़ा सा वक्त दिया करो अपने रिश्ते को कभी-कभी फासले यदि बढ़ ही जायें उसकी नही फिर दवा कोई। दर्द सहते रहने की अब हो चुकी है अपनी आदत अब दर्द ना मिले तो दर्द होता है तुझे बताए कोई। परिचय - श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी - अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र - मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी ...
बेइंतेहा मोहब्बत
कविता

बेइंतेहा मोहब्बत

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** दिल है मेरा तुम्हारे लिए ही बेकरार दिल को मेरे सिर्फ तुम्हारा है इंतज़ार। नहीं कटते हैं पल-पल दिन और रात करा दो एक बार तुम अपना दीदार। कर बैठे हैं तुमसे ही हम बेइंतेहा प्यार अब कैसे यकीं दिलाऊं तुम को यार। सिर चढ़के बोल रहा मुझमे तेरा खुमार जनम-जनम के लिए चाहिए तेरा प्यार। आगोश में समेटो श्वेतल को जाने बहार करूंगी टूटकर मोहब्बत तुमसे बेशुमार। परिचय - श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी - अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र - मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाई...
मेरी दुनिया हो तुम
कविता

मेरी दुनिया हो तुम

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** तुम्हारे हर एक दर्द की दवा हो गई हूँ मैं तुम्हारे लिए फूल, शोला, शबनम हो गई हूँ मैं हर पल हूँ तुम्हारी ही हमसाया बनकर के मैं अलग होने की सोचते ही तनहा हो गई हूँ मैं! तुम बिन कैसे पल पल गुजरते हैं मुझसे पूछो तुमने भर लिया बाहों में कि पूरी हो गई हूँ मैं! तुम मेरी दुनिया मेरे संसार हो मेरे सनम एक तुम्हारी मोहब्बत में फना हो गई हूँ मैं! बुरे दौर में भी साथ निभाया मेरा मेरे हमदम तुम में खोई हूँ इतना खुद से रुसवा हो गई हूँ मैं! परिचय - श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी - अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र - मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, क...
बिटिया का जन्म
कविता

बिटिया का जन्म

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** दिन था चौबीस मार्च जब मेरी बेटी दुनिया में आयी डाक्टर, नर्स ने कहा बधाई हो बधाई लक्ष्मी है आयी ! बिटिया का चेहरा देख मैं अपनी प्रसव वेदना बिसराई बिटिया को नर्स ने हल्की थपकी देकर धीरे से रुलाई! सुन आवाज दादा-दादी नाना-नानी की आंखे भर आयी अपने चाचा, बुआ, मामी-मामा की नन्ही परी है आयी! नटखट चुलबुली शैतानी करके सबके मन को लुभाई पापा ने देखा लाडो का चेहरा, चेहरे में मुस्कान थी छाई! मीठी बातों का खजाना और प्रश्नों का भंडार है लायी छुन-छुन करती उसकी पायलिया सबका मन हर्षाई! जब भी थोड़ी सी डांटू मैं तो सहमी और घबराई मैं कभी भी रोऊं तो मेरे आसूं पोंछने पलक मेरी है आयी! परिचय :- श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी- अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
साथ हर कोई नहीं देता
कविता

साथ हर कोई नहीं देता

श्वेतल नितिन बेथारिया अमरावती (महाराष्ट्र) ******************** हकीकत को छिपा जाते हो हजार किस्से सुना जाते हो! कभी गुस्सा तो कभी प्यार यूँ नाज,नखरे उठा जाते हो! साथ हर कोई नहीं देता यहाँ उम्मीद सबसे लगा जाते हो! जो दिल ने चाहा हुआ कब फ़ज़ूल सपने सजा जाते हो! साथ जिसके हंसे जी भर के अब उसी को रुला जाते हो! परिचय :- श्वेतल नितिन बेथारिया निवासी- अमरावती (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३...