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Tag: श्रीमती मीना गोड़

आओ बच्चों
कविता

आओ बच्चों

========================================== रचयिता : श्रीमती मीना गोड़ "मीनू माणंक" आओ बच्चो, तुम आज की खुशहाली। आने वाले कल का भविष्य हो।। आस लगाए, तकती तुम्हैं धरती। प्रकृति है, देखो बाहें पसारे।। किया है हमने खिलवाड़ पर्यावरण से। तुम दो सम्मान धरती को हरियाली फैला के।। ओ नौनिहालों, फूलों से करो प्यार। पौधे तुम लगाओ, बारम्बार।। रूठ गई है जो चिरैया हमारी, देख, फल-फूल से लदी डाली वो भी लोट अएगी।। कल-कल करती बहेगीं, जब नदियाँ बूझेगी, तब प्यास धरती की।। मद-मस्त बादल, गरज कर शंखनाद बजाएगें। झूम कर बदली, रिमझिम बूंदों से घूंघरू की झनकार सुनाएगी।। इंद्रधनुषी ये चुनरी सतरंगी। जब चारों ओर छा जायेगी।। रंग-बिरंगें इन फूलों से। वसुंधरा, दुल्हन सी सज जायेगी।। आओ बच्चों, तुम आज की खुशहाली। आने वाले कल का भविष्य हो।।   लेखिका परिचय :-  नाम...