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Tag: श्रीमती मीना गोदरे ‘अवनि’

डरो नहीं
कविता

डरो नहीं

श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' इंदौर म. प्र. ******************** कोरोना जग में घूम रहा है हिंसक क्रूर छली कपटी को, डसने पल-पल घूर रहा है चुन चुन दुश्मन मार रहा है डरो नहीं अहिंसक भोले मानव तुम्हारे पास कभी न आएगा नहीं बिगाड़ा तुमने कुछ उसका क्यों तुमको को डसने आएगा बुद्धिमान है वह इंसानो से बिन बात नहीं कुछ करता है सहता रहा अन्याय बरसों तक ललकारा जब, पानी सरसे उतरा है। . परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन अन्य प्रशिक्षण - फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ्ट ब्यूटीशियन, बेकरी प्रशिक्षण आदि सामाज...
आया वसंत
कविता

आया वसंत

श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' इंदौर म. प्र. ******************** आया वसंत आया वसंत हम सब बसंत हो जाएं खिलें सुमन बिखरे सुगंध जीवन मकरंद हो जाए छेड़े मीठी तान कोयलिया हमारे गीत मधुर हो जाएं लिखे डालें अवनि वो बातें, जो बात अमर हो जाएं पूर्णमासी हो रात, चांदनी खुशियां बन बिछ जाएं दिनकर नभ में उजली धूप की नर्म चादरें बिछाए होले होले चले शीत, ग्रीष्म के तट पर हाथ मिलाएं मंनहारी मौसम में प्रीत के गीत बहुत याद आएं . परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन अन्य प्रशिक्षण - फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ...
खूबसूरत चेहरे
लघुकथा

खूबसूरत चेहरे

श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' इंदौर म. प्र. ******************** मूवी देखकर लौट रही दिव्या ने अपना टू-व्हीलर स्टार्ट करने के पहले दुपट्टे से मुंह इस तरह लपेटा कि बस उसकी आंखें ही शेष बची थीं उस पर गागिल चढ़ा लिया। मनीषा पीछे की सीट पर बैठते हुए बोली तुम भी यार... क्योंं पडी रहती हो इस झंझट में, मुझे देखो मैं तो कभी चेहरा नहीं ढ़क सकती, फिर भी क्या तुम्हें मेरे चेहरे की चमक कम दिखती है? "अभी अभी तू छपाक देखकर लौट रही है फिर भी ऐसे सवाल करती है" "मुझे किसी का डर नहीं न ही मैंने कोई ग़लत काम किया है" पर चेहरा तो खूबसूरत है, कहते हुए दिव्या ने गाड़ी बढ़ा दी। ओह..... तभी मै सोचूं खूबसूरत चेहरे आजकल दिखाई क्यों नहीं देते। . परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्श...
दीप बन जाएं
कविता

दीप बन जाएं

श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' इंदौर म. प्र. ******************** आओ हम आज दीप बन जाए आओ हम आज मिलके जल जाएं दीप से दीप हजारों जलते हैं साथ चलने की हम कसम खाएं बनके जुगनू अंधेरी रातों में ज़र्रा ज़र्रा में हम बिखर जाएं हो गए जो पतझड़ में गुमसुम उन चिरागों को रोशन कर डालें टूटकर जो बिखरे 'अवनि' पर उनके पंखों को आसमां दे दें बनकर कुंदन तिलक बन जाएं आओ जल जल के 'जल' बन जाए . लेखिका परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन अन्य प्रशिक्षण - फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ्ट ब्यूटीशियन, बेकरी प्रशिक्षण आद...
हिंदी की महिमा
कविता

हिंदी की महिमा

********** रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' संस्कृत की संतति है संस्कारों की यह धानी  इतिहास बताता है इसकी स्वर्णमयी कहानी . अलंकार से युक्त अप्सरा जब बन कर ये आती वशीकरण कर लेती इसकी शब्दावली निराली . वेदों और पुराणों की बनी यही  दृष्टा सृष्टा राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत ये राष्ट्रगीत की भाषा . हिंदी के हैं गीत निराले सारा जग है गाता युग परिवर्तन करने वाली यह है चिंतन धारा . ममता प्यार की मीठी सोंधी ,गंध इसी में आती संवाद कड़ी, मां की लोरी, यह दादी की कहानी . सूर तुलसी मीरा कबीर की यह है मधुर वाणी चुनौतियां आ जाएं, पर इसका नहीं कोई सानी . महिमा जो इसकी पहचाने बन जाए वो ज्ञानी लाज जिसे आती है वह है कैसा स्वाभिमानी . नदी किनारे बैठा प्यासा मांगे पानी पानी हिंद देश का हिंदी न जाने  वो कैसा हिंदुस्तानी . हर प्रदेश की बोली अपनी पाती रहे सम्मान पर अनिवार्य हो हिंदी पढ़ना सबको एक समान . हिंदी...
स्वर्ग भूमि काश्मीर – (धारा ३७० के पहले)
कविता

स्वर्ग भूमि काश्मीर – (धारा ३७० के पहले)

********** रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' काश्मीर ऋषियों के तप से, बना निराला है लेकिन घाटी के आंसू, अब बने आग का प्याला हैं, झेलम का पानी भी बरसों खून के आंसू रोया है काश्मीर के बागानों में अब, फूल बने अंगारे हैं जहां पंडितों के घर में रमजान पढ़ाई जाती हैं राज सिंहासन की कुर्सी पर, गद्दार बिठाए जाते हैं वो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते है दुश्मन से चुपके चुपके वो हाथ मिलाया करते हैं आतंकों से स्वर्ग भूमि सन्नाटों से घिर जाती है केसर की क्यारी में चलते बंदूकों के गोले हैं दुश्मन के कायर  मंसूबे जहां बार पीठ पर करते हैं गीदड़ भभकी से जो शेरों को ललकारा करते हैं लातों के भूत क्या कभी, बातों से माना करते हैं इसीलिए सपूत भारत के, घर में घुसकर मारा करते हैं जरा समझ लो पत्थरबाजों, देशद्रोही कहलाओगे इधर के हो ना पाओगे, उधर भी मारे जाओगे कस्तूरी थी  मृग में लेकिन, भूले भटक...
मित्र वही है
कविता

मित्र वही है

============================= रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' दर्द ह्रदय का जो बहला दे मित्र वही है राह कंटीली  सुगम बना दे मित्र वही है टूटे मन में उम्मीद जगा दे मित्र वही है बिना भेद के जो अपना ले मित्र वही है मरहम बन नासूर मिटा दे मित्र वही है खुशियां गम मेरे अपना ले मित्र वही है विश्वासों केसंग  जो न खेले मित्र वही है  विकट घडी़ मेंसंग खड़ा हो मित्र वहीहै प्रेम की ज्योति सदा जलाए मित्र वही है दिल का राजदार बन जाए मित्र वही है जीत हार में सदा संग हो मित्र वही है समझे जो हर बात मित्र की मित्र वही है न हो ईर्षा द्वेष न हो मलाल मित्र वही है रखें इस रिश्तै का सम्मान मित्र वही है लेखिका परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग साम...
ये क्या हुआ कब हुआ कैसे हुआ
कविता

ये क्या हुआ कब हुआ कैसे हुआ

============================= रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' भारत मां का मुकुट आज साफ हुआ पूर्ण स्वतंत्रता का आज शंखनाद हुआ टूट गए तोड़ने वालेऐसा चमत्कार हुआ बंधनों से आज कश्मीर आजाद हुआ वो स्वार्थी की चालों का  शिकार हुआ अपना होकर भी बरसों से पराया हुआ ढूंढता रहा मृग कस्तूरी को इधर-उधर हल पाया  जब आत्म विश्वास हुआ कितने ही वीर शहीद जिस पर कुर्बान हुए कितने हुए बेघर कितने बेजान हुए दहशतों के साए में, गुनाह बेशुमार हुए कश्मीर के सपने तबकहीं साकार हुए लेखिका परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन...