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Tag: श्रीमति सीमा मिश्रा

प्रेम
कविता

प्रेम

श्रीमति सीमा मिश्रा सागर मध्यप्रदेश ******************** प्रेम तुमसे क्या कहूँ! और कितना कहूँ न कह पाऊगी पूरा, जितना कहूँ! प्रेम की गागर कहूँ या प्रेम का सागर कहूँ ! रचे बसे हो आत्मा में, या फिर आत्मा ही कहूँ! प्रेम तुमसे क्या कहूँ............!! तुम्हें अपना सखा कहूँ, या अपना सगा कहूँ! चित्त में बसी चितवन कहूँ, या चितचोर मै कहूँ! प्रेम तुमसे क्या कहूँ............!! सांसो की पतवार कहूँ, या पतवार का माछी कहूँ! आंखों में समाया चांद कहूँ, या धड़कनों का साज कहूँ! प्रेम तुमसे क्या कहूँ..........!! निश्छल सी प्रीत कहूँ, या प्रीत की कोई रीत कहूँ! रामचरित की चौपाई कहूँ, या गीता सा ज्ञान कहूँ! न कह पाऊगी पूरा, चाहे जितना कहूँ! प्रेम तुमसे क्या कहूँ.........!! मन में प्रज्वलित चाहत की पवित्र ज़्योत कहूँ, या मुझमें बसा बेइंतहा इंतजार मै कहूँ दूर रहके भी हरपल ...