Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: शैलेष कुमार कुचया

सोशल मीडिया वाला प्यार
कविता

सोशल मीडिया वाला प्यार

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** ऑनलाइन मुलाकात फिर नंबर मिला, बात हुई ढेरो फिर मिलने की जगी आस......! बारिस का दौर मिलने की चाह, तड़प थी इतनी नजरो को था उनका इंतजार......! चाय पकौड़े छोड़कर मोहब्बत की भूख, चढ़ा जो नशा हमे उतरता वो कहा जल्दी......! प्यार हो जाये तो बारिस और ठंड लगती अच्छी, वो दिन भी आया जब चलकर वो आयी......! काश बारिस भी आती तो मोहब्बत हमारी निखर जाती, खैर मिलकर कुछ उसने और सब कुछ हमने कहा......! नही थी आगे और बात की जरूरत, देखकर उसकी उम्र हमे निकलना ही सही लगा......! फिर पहुँचे दोस्तो की महफ़िल दर्द हमारा बाहर आया बिन देखे मोहब्बत न करना, जिसको कहाँ था बाबू-सोना वो निकली मोहल्ले की एक अम्मा......!! परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रक...
पुरानी बातें पुरानी यादें…!
कविता

पुरानी बातें पुरानी यादें…!

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** भूल जाऊँ उसे कैसे याद हर पल आती है, मोहब्बत की है सब कुछ भूल कर उससे।। याद है वो दिन पहली मुलाकात का, मिले थे जब दो अजनबी बरसात में।। भूल गए वो गालियाँ जहाँ आना जाना हुआ, मिलते है कभी तो कोसते है वो हमें हम उन्हें।। घूमना फिरना उनके साथ अब यादे उनके साथ, जब से हुए जुदा सिर्फ नाम है याद।। कुछ याद आता है पुराना ख्वाब तो, पी लेते है। भूलने की खातिर उन्हें फिर याद कर लेते है।। पुरानी बातें पुरानी यादों में अब कोई दम नही, नया हमसफर नई राह में जब से चले हम।। बीत गया वो कल जो हमने देखा था, जो साथ मिला नया हम कोहिनूर हो गए।। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है...
मेला बचपन वाला
कविता

मेला बचपन वाला

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** बचपन वाला मेला याद आता है पैदल चल कर जाना नदियों को देखना दिल को भाता था... झूला-झूलना तब खास था बचपन की यादो में मेला सबको याद है... गक्कड़ भरता का स्वाद माँ के हाथों का लाजवाब गुड़ की जलेबी... टिक्की, भल्ले का स्वाद गन्ना लाना छील-छील कर दिनभर खाना अब बस यादों में याद है... धूल का मेला में फवार था लेकिन मस्तियां का अंबार था माँ भी कपड़े, कॉकरी जनरल स्टोर्स में व्यस्त... हम भी दोस्तो के साथ मौत का कुआँ जादू में हाथी को गायब करना आर्केस्टा, कव्वाली, नोटंकी का शोर ऐसे ना जाने कितने प्रोग्राम थे... बचपन मे हमारे मेला ही त्यौहार था खिलौने की वैरायटी और नई-नई गाड़ी आंखों को सुकून देते थे... जहाँ लगता था मेला अब वहाँ बिल्डिंगे है तनी हर जगह के मेला की एक अपनी पहचान है... लेकिन बच्चे अ...
लाडो सुनो हमारी…
कविता

लाडो सुनो हमारी…

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** डेटिंग वाले एप्प पर मुलाकाते हो रही लड़कियों को फँसाने पैसों से सेटिंग हो रही...... झूठा प्यार का नाटक होता है सात जन्मों का वादा होता है...... माँ बाप से झगड़ते है घर छोड़ भाग आते है लिव इन मे ये रहते है इसे ही आजादी कहते है...... दिखावटी जो प्यार था अब सामने आता है....... हर रोज घुट-घुट कर मरना लेकिन जीना पड़ता है फिर वो दिन भी आता है जब प्यार में श्रद्धा मारी जाती है 35टुकड़ो में फ्रिज में रखी जाती है.... बहन बेटी अब किसी आफताब की बातों में नही आयेगी मां-बाप की बातें मानेंगे तो कोई अब श्रद्धा नहीं मारी जाएगी.... परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विध...
नेताओ का त्यौहार
कविता

नेताओ का त्यौहार

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** नेताओ के दिन आ गए देखो अब चुनाव आ गए... गली मोहल्ला साफ मिलेगा गरीब के घर भी अनाज मिलेगा सारे काम ये निपटा देंगे विवाह बेटियों का करवा देंगे नेताओ के दिन आ गए देखो अब चुनाव आ गए... बिना गारंटी लोन मिलेगा युवाओ को रोजगार मिलेगा देखो अब चुनाव होंगा घोषणाओं का अंबार होगा नेताओ के दिन आ गए देखो अब चुनाव आ गए... वोटर अब ठगा जाएगा दारू साड़ी मुफ्त मिलेंगा जात धर्म पर बाटेंगे फिर वोट मांगने आएंगे नेताओ के दिन आ गए देखो अब चुनाव आ गए... कच्चे पक्के कर्मचारी भी बातो में आ जाएगे बड़ी-बड़ी घोषणाओं से लालच में आ जाएगे नेताओ के दिन आ गए देखो अब चुनाव आ गए... सरकार बनाना जैसे भी हो सरकार गिराना आसान हो गया खरीद फरोख्त आम हो गया लोकतंत्र भी बाजार हो गया नेताओ के दिन आ गए देखो अब चुनाव आ गए...... जनता...
सोनपपड़ी सा प्यार
कविता

सोनपपड़ी सा प्यार

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** ऐसा था, प्यार हमारा तब मोबाइल थे नही, खत जो लिखे पहुँचे ही नही। गए जब हम उनकी गली, मिले तब भी नही वो हमें। एक दिन फिर आया न्यौता, पता चला वो ब्याह कर चल दिए। मोहब्बत हमारी अधूरी रह गयी, क्या-क्या लिखा खत में बात अब पुरानी हो गयी। आज कल बाबू-सोना क्या-क्या खाया-पिया, घूमना -फिरना, मूवी, शॉपिंग आकर्षण के मुख्य केन्द्र है मन भर जाए तो ब्रेकअप आम है। प्यार आज कल दीवाली की सोनपपड़ी सा हो गया, जैसे अब लैला के साथ मजनूं आम हो गया। जब से मोबाइल आया प्यार का दायरा बढ़ गया अब बातो ही बातों में चांद पर घुमा लाते है, एक हम थे जो सिर्फ नजरे ही मिला पाए।। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रक...
सूरज लाल, जनता बेहाल
कविता

सूरज लाल, जनता बेहाल

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** पेड़ इत्ते थे पहले की धूप का पता ही नही चलता था तालाबो में नहा लिया करते थे जब लगती थी गर्मी कूलर तो नाम बस सुना था पंखा ही गर्मी कटा दिया करता था। लेकिन आज ऐ सी भी फैल है ५० डिग्री टेम्प्रेचर में सूरज लाल है पेड़ सारे काट दिया नए नए फर्नीचर बनाने को पानी खुद बोतल वाला खरीदकर पी रहे वो पेड़ो को कहा पिलाएंगे। नई पीढ़ी को हम क्या दे जाएंगे बेल, आम, नींबू रबड़ी वाली आइस क्रीम या फिर कहानियो में ही नाम सारे सुन पाएंगे यदि प्रकृति को बचाना है पेड़ अभी से लगाना है बच्चो को भी यही सिखाना है पानी हमे बचाना है।। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह ...
हाँ में बनियाँ हूँ
कविता

हाँ में बनियाँ हूँ

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** विरोधियो को तो छोड़ो सरकारों ने भी बनियो को गलत निगाह से देखा है कहने को तो में सेठ हूँ फिर क्यों इतना लाचार हूँ आये दिन छापो से घुट घुट के बनियो को जीते देखा है चंदा के नाम पर नेताओ को पैर पकड़ते देखा है छोटा मोटा गुंडा भी धमकी दे जाता है थाने जाओ तो वहां भी लूटा जाता है आखिर कब मिलेगी बनियो को अपनो से ही आजादी व्यापार कोई खेल नही समझो हमारी परेशानी बिन खाये दुकान जाते है दिनभर दिमाग का दही करवाते है मेहनत वाली इज्जत की रोटी खाते है हमने ना गलत राह पकड़ी है बच्चो को भी यही सिखाते है फिर भी मुश्किल में हो मुल्क तो सबसे पहले हाथ बढ़ाते है हाँ में बनियाँ हूँ गर्व से कहना आता है जिसने स्कूल कॉलेज धर्मशाला बनवाई है सबसे पहले टैक्स देकर देश की अगवाई की है एकता से जीना आ गया जिस दिन हमे एक नया इतिहास लिख देंग...
माँ
कविता

माँ

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** घूम लो चाहे सारी दुनिया सुकून तो भी नही मिलेगा सर रख लो दो पल गोद मे माँ के आराम मिलेगा।। हर ईलाज की यहाँ दवा है जब करे ना कोई गोली असर आना माँ की गोद मे आराम मिलेगा।। जब दिखे ना कोई रास्ता उलझन में रहे मन दे ना कोई रिश्ता साथ आना माँ की गोद मे आराम मिलेगा।। छप्पन भोग खाके भी बोध नही होगा बासी रोटी मिल जाये हाथ से माँ के तो पेट मे आराम मिलेगा।। थक हार कर आया रखा जो कदम चौखट पर देखते ही माँ को सच कहता हूँ दोस्तो थकान से आराम मिलेगा।। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ शिक्षा : स्नातक भाषा : हिंदी, बुंदेली विशेष : स...
हम और सर्दी
कविता

हम और सर्दी

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** ठंडी हवा ठंडा मौसम प्रिय की याद दिलाती है रजाई में मोबाइल चलाना चैटिंग की पुरानी याद सताती है।। चले आये अब कहाँ सर्दी में घर मे छुप जाते है दोस्तो के संग चाय पीना कड़ाके की ठंड में याद बहुत आती है।। ठंड की ढेरो कहानी है बचपन मे बिन नहाये स्कूल जाना और टीचर को धूप में क्लास लगाने की फ्री सलाह दे डालना।। अब तो बस इत्ती सी कहानी है चार दोस्त मिलकर कचड़ा जला देते है ओर चार पड़ोसी ओर आ जाते है सेक के सब अपने हाथ सरकार को बुरा कहते है।। ठंड है चली जाएगी मुश्किल वक्त भी कहा टिकता है मफलर स्वेटर पहनो सर्दी का मजा ले लो।। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधु...
विसर्जन
कविता

विसर्जन

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** अपने अंदर के अहंकार का जलन द्वेष और कड़वाहट का सकुनी जैसे रिस्तेदारो का विसर्जन करना जरूरी है। चोर नेताओ का फर्जी पत्रकारो का नई पीढ़ी को बर्बाद करती बोतल,गांजा,ओर स्मेक का विसर्जन बहुत जरूरी है। जात-पात के सरनेमो का धर्म के ठेकेदारों का निर्भया के दोषियों का विसर्जन अब जरूरी है नई पीढ़ी को अब समझना है करना गलत चीजों का विसर्जन है तभी होगा देश मेरा खुशहाल ओर तभी बनेगा मेरा देश महान।। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ शिक्षा : स्नातक भाषा : हिंदी, बुंदेली विशेष : स्वरचित रचना, विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है, इनका संबंध स्वउ...
मैं स्त्री हूँ…
कविता

मैं स्त्री हूँ…

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** स्त्री हूँ सब सह लुंगी बस इतना वचन दे देना डांट देना हजार दफा सुनो जी....... इतना कर देना उपकार लाल चुनरियां में तुम्हारे साथ मनाऊँ जीवन भर करवा चौथ का ये त्यौहार !! नही जाऊंगी देहरी लांघ बिना पूछे कही मेरे तुम ही हो हमसफर सुनो जी....... इतना कर देना उपकार लाल बिंदी मैं मनाऊँ जीवन भर करवा चौथ का ये त्यौहार !! दिन रात भाग दौड़ कर कर लुंगी मैं सब कार्य सुनो जी....... इतना कर देना उपकार मंगल सूत्र पहन मैं मनाऊँ जीवन भर करवा चौथ का ये त्यौहार !! भूखे प्यासे रहकर करूँगी मैं सारे व्रत और त्यौहार सुनो जी....... इतना कर देना उपकार लाल चूड़ियों में मनाऊँ मैं जीवन भर करवा चौथ का ये त्यौहार !! नही माँगूँगी नई साड़ी कभी स्त्री हूँ सब सह लुंगी सुनो जी....... इतना कर देना उपकार पायल बिछिया पहन मैं मनाऊँ ...
नवरात्रि आई रे
भजन, स्तुति

नवरात्रि आई रे

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** दरबार सजा है माता का सिंह पर सवार होके आई माता रानी भीड़ लगी है मंदिर में माता की पूजा करलो माता विनती सबकी सुन लो नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई जगह जगह माता है विराजे माँ के दर्शन कर लो नर नारी सब भोग लगावे हलुआ पूरी माता को खिलावे नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई माता प्यारी प्यारी दुःखो को हरने वाली माता का जो व्रत रखता है माता के प्रतिदिन दर्शन करता है। उसकी झोली कभी ना होती खाली नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई माता सबकी पूरी मुरादे कर दो सुखी सारे संसार कर दो जगह जगह भंडारे होवे कन्या भोज लोग करावे नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए वि...
सफर बापू का ….
कविता

सफर बापू का ….

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** करम चंद और पुतली बाई के यहाँ जन्मा बालक वो मोहन गांधी था.... शुरू से ही देशभक्ति भरपूर भरी थी, विदेश गए बेरिस्टर बन लौटे हिंदुस्तान से प्यार था..... देश को एकजुट किया, नमक कानून तोड़ दिया.... सत्य अहिंसा के बूते आजाद हिंदुस्तान किया, फिरंगी के जुल्मो का उनने व्रत से जवाब दिया.... सबको लेके चलते थे वो, तभी तो बापू नाम मिला.... ऐनक छड़ी और खादी जिनकी पहचान हुई, अपना कार्य स्वयं करो बापू ने सिखलाया है.... भारत की आजादी की अब में असल कहानी बताता हूँ बापू के अहिंसा से और क्रांतिकारियो की ताकत की वो जुगलबंदी काम आई गोरो भारत छोड़ो सुनकर ही गुलामी जाती दी दिखलाई दी..... परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर...
सिद्धि विनायक
कविता

सिद्धि विनायक

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** जय जय जय गणपति बप्पा तुम्ही हो सबके पालन कर्ता, सिद्ध सबके काज कराते मूस की सवारी करते ..!! जय जय जय गणपति बप्पा तुम्ही हो सबके पालनकर्ता ..!! मात-पिता के आप सेवक बुद्धि के आप हो प्रेरक, लड्डू को जो भोग लगावे रिद्धि-सिद्धि संग पधारे ..!! जय जय जय गणपति बप्पा तुम्ही हो सबके पालनकर्ता ..!! घर-घर मे पूजन होवे बप्पा की सब जय जय गावे, पिता महादेव और माता पार्वती संग पधारो जल्दी मेरे अविनाशी ..!! जय जय जय गणपति बप्पा तुम्ही हो सबके पालनकर्ता ..!! प्रथम आपका पूजन होवे बाद आपके इष्ट बुलावे, जो भी द्वार तुम्हारे आता खाली हाथ कभी ना जाता जय जय जय गणपति बप्पा तुम्ही हो सबके पालनकर्ता ..!! देवलोक के तुम सरताज सुन ले गजानन मेरी पुकार, मनोकामना पूर्ण करो दुःखो से नैया पार करो ..!! जय जय जय गणपति बप्पा त...
हमारी पाठशाला
कविता

हमारी पाठशाला

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** स्कूल के वो दिन याद आते है हाफ पैंट पहनकर स्कूल जाना, सफेद शर्ट पर टाई लगाना छोटे बड़े गुरुजी कहकर बुलाना.. लघुशंका के लिए दोस्त साथ चल देना लंच टाइम का इन्तजार करना राष्ट्रीय शोक की छुट्टी की खुशी १५ अगस्त और २६ जनवरी के लड्डू.. होमवर्क न करके लाना फिर कॉपी गुमने का बहाना, सचमुच बहुत याद आते है दुबारा स्कूल मुझे जाना है.. ठंड में सोते रहना लेट होने पर पेट दर्द का बहाना, इंग्लिश ओर मैथ का वो डर आज के गम से बहुत कम था.. परीक्षा के पहले वाला डर रिजल्ट का इंतजार करना, अब सब मामूली लगता है दुनियादारी से स्कूल जाना अच्छा लगता है.. बारिश में भीगते हुए स्कूल जाना और आकर सर्दी हो जाना, आज के पीड़ा से कम था सचमुच स्कूल का टाइम मस्त था.. टूशन की वो मस्तिया स्कूल के बाहर खट्टा-मीठा चूर्ण खाना, आज के प...
निर्धनता
कविता

निर्धनता

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** गरीबी में गरीब बेहाल कोरोना ने किया लाचार, कमाने कहाँ जाए बाजार यही है, गरीब का हाल !!.. कमाते थे जो हाथ हजारो अब घर बैठ गए है, राशन पानी सारा खत्म सरकार की तरफ मुँह देख रहे !!.. सब्जी भाजी बेचकर पेट पाला बच्चो को किताब कॉपी दिलाया, बेटी का ब्याह भी एक साड़ी में किया हर गरीब की यही है, आत्मकथा !!.. आओ हम सब शपथ खाये कोई भी खाली पेट न सोएं, नही मारेंगे उसका हक गरीब भी है, समाज का अंग !!.. परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ शिक्षा : स्नातक भाषा : हिंदी, बुंदेली विशेष : स्वरचित रचना, विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है, इनका संबंध स...
जीवनसंगिनी
कविता

जीवनसंगिनी

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** साथ तुम्हारा देता है मन को बड़ा सुकून, दूर मत होना कभी मेरी जीवन संगिनी.....!! कह नही पाया जो बात दोस्तो से, उन्हें तुमने लफ्जो से समझ कर हल कर दिया.......!! दुःख में भी साथ थी परछाई की तरह, सच कहूँ तो जीवन का सार तुम्ही हो.....!! बच्चो को बड़ा किया दिया माँ का प्यार ऑफिस भी गई, साथ मे संभाला किचिन का सारा काम......!! पूजा,व्रत ढेर रखे दिया ना खुद पर ध्यान, परिवार कि खातिर छोडा ना कोई मंदिर का द्वार..…!! कपल डे पर यही करता हूं पुकार, सात जन्मों तक बंधा रहे हमारा इस जनम का प्यार....!!!! परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस...
गुरु की महिमा
कविता

गुरु की महिमा

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** मिट्टी को जो भगवान बना दे, मूर्ख को जो विद्धवान बना दे, ग्वार को जो इंसान बना दे, ऐसे गुरु को प्रणाम, जो मन की जाने सारी बात। गुरु वही जो मन को शांति दे, गुरु वही जो धर्म से जोड़ दे, गुरु वही जो सत्कर्म का रास्ता दिखाए, ऐसे गुरु को प्रणाम, जो मन की जाने सारी बात। जिसे माया का लोभ नही, सच जिसकी जुबान में हो, सादा जीवन उच्च विचार, ऐसे गुरु को प्रणाम, जो मन की जाने सारी बात। गुरु हो तात्या टोपे सा, जिसने साधारण कन्या को, भारत का कान्तिवीर बना दिया, ऐसे गुरु को प्रणाम, जो मन की जाने सारी बात। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ शिक...
भारत की बेटी
कविता

भारत की बेटी

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** मैं भारत की बेटी हूँ, मत करो मुझपर अत्याचार। सदा ही वीरो के नाम से लोगो ने भारत को जाना है। घिनोनी हरकतों से कलंक मत लगाओ भारत को। लक्ष्मी बाई जैसी नारी हुई, जान देश पर वार दी। मैं भारत की बेटी हूँ, मत करो मुझ पर अत्याचार। मातृभूमि को जब सर आँखों पर रखते हो तो, एक बेटी पर क्यो पाप करते हो। मैं भारत की बेटी हूँ, मत करो मुझपर अत्याचार। जिस भारत की अहिंसा पहचान थी, यहां क्यो मोमबतियां लोगो ने थामी है। मैं भारत की बेटी हूँ, मत करो मुझपर अत्याचार। बागी भी हुए यहां पर, लेकिन उन्होंने बेटी, बहू को इज्जत दी, तुम ना बनो हैवान। मैं भारत की बेटी हूँ, मत करो मुझपर अत्याचार। बेटी यहां की बर्दी पहन, रहती है,सदा तैयार देश पर कब हो जाऊँ क़ुर्बान। मैं भारत की बेटी हूं, मत करो मुझपर अत्याचार। विश्व मे...
चाय पर चर्चा
कविता

चाय पर चर्चा

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** शुरू चाय से बात करे, आओ सब आज बात करे। मित्र सारे चौराहे पर ठहरे, चाय के नाम से समय निकालें। गिले शिकवे मिटा देगी, अपनो से मिला देगी। चाय पर बुलाकर देखो, मित्र ढेरो बना देगी। ऑफिस की थकान सारी, एक कप चाय मिटा देगी। गर्मी, जाड़े, बरसात में, सदाबहार कहलाती चाय। रिश्ते की शुरुवात भी, एक कप चाय से होगी। कितने पेय बाजार में आये, चाय से टक्कर नही ले पाए। सुबह-सुबह आती है,याद, मन को बहुत भाती है,चाय। घूंट-घूंट का मजा लीजिये, दोस्तो के साथ पीकर देखिये। परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी,ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ शिक्षा : स्नातक भाषा : हिंदी, बुंदेली विशेष : स्व...