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Tag: शिवांकित तिवारी “शिवा”

सुन बापू .. तेरे देश में
कविता

सुन बापू .. तेरे देश में

शिवांकित तिवारी "शिवा" सतना मध्य प्रदेश ******************** सुन बापू .. तेरे देश में, आम आदमी आम नहीं हैं, ईश्वर,अल्लाह, राम नहीं हैं, सत्य,अहिंसा कहीं नहीं है, नियत हमारी सही नहीं है, बेटी हमरी सेफ नहीं है, नेता कहते रेप नहीं है, ठगते है ढोंगी जनता को, बाबाओं के भेष में, सुन बापू .. तेरे देश में, रोज़गार का नाम नहीं है, फसलों का भी दाम नहीं है, करने वाले लाखों है पर, मिलता उनको काम नहीं है, अंग्रेज़ी में बात कर रहे है, हिन्दी का अब ध्यान नहीं है, भाई - भाई करे लड़ाई, अब तो ईर्ष्या द्वेष में, सुन बापू .. तेरे देश में, अपराधी को जेल नहीं है, अपराधों पर नकेल नहीं है, नोचा,खरोंचा और जलाया, बेटी है कोई खेल नहीं है, गांधी जी के तीनों बन्दर, का आपस में मेल नहीं है, ख़ून चूस जनता का नेता, करते है ऐश विदेश में, सुन बापू .. तेरे देश में, जीवन में रफ़्तार नहीं है, अपनों में भी प्यार नहीं है...
मजदूर की व्यथा
कविता

मजदूर की व्यथा

शिवांकित तिवारी "शिवा" सतना मध्य प्रदेश ******************** पैदल चलकर नाप रहे ख़ुद सड़कों की लंबाई, भूखें प्यासे बच्चों के संग मज़बूरी में भाई, नंगे सूजे पैर जल रहे, बिना रुके दिन रात चल रहे, भूख की खातिर छोड़ा था घर, गांव छोड़ आये थे वो शहर, भूख के कारण अब उनकी है पेट से स्वयं लड़ाई, रक्तरंजित सड़के और पटरियां, चल रहें पैदल ही लेकर गठरियां, पटरियों पर है पड़ी रह गई भूख, रोटियां भी गई पटरियों पर सूख, पैदल चलते - चलते उनके पांव में फटी बिवाई, खून के आंसू रोते चलते, बच्चों को कंधों पर टांगे, सड़को को आंसू से धोते, घर को निकले सभी अभागे, घर पर बैठा आस लगाये बूढ़ा बाबा बूढ़ी माई, क्या करते शहरों में रहकर, चूल्हा कैसे उनका जलता, नहीं कोई रोजगार बचा जब, फिर पेट सभी का कैसे पलता, कोई भी सरकार नहीं कर पाई जख़्मों की भरपाई, नहीं कोई सरकार सहायक, सिस्टम से सबके सब हारे, बिखर गये सबके सपने ...
असली भगवान है सिर्फ़ “मां”
आलेख

असली भगवान है सिर्फ़ “मां”

शिवांकित तिवारी "शिवा" सतना मध्य प्रदेश ********************              इस सृष्टि की रचना करने के कारण हम सभी ईश्वर को सबसे बड़ा रचनाकार मानते है। उसी तरह मां भी इस धरा पर शिशु को नौ माह तक अपनी कोख में रख अथक पीड़ा सहन करने के उपरांत जन्म देती है अर्थात् शिशु की रचना करती है। इस प्रकार ईश्वर के कृत्य को आगे बढ़ाने में उसकी पूर्णतः सहभागिता होती है। इसीलिए मां को धरती पर ईश्वर का रूप कहते है। मां की कोख में रहने पर शिशु की पूरी संरचना होती ही है एवं जन्म के पश्चात भी मां उसकी ऐसी परवरिश करती है कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाये और अपने जीवन में सफलता हासिल करें। इस तरह मां सिर्फ जन्मदात्री ही नहीं अपितु उसकी पालनकर्ता भी है। मां के बिना संतान का जीवन पूर्णतया अधूरा, सूना और रुका हुआ होता है। वास्तविकता में मां हर किसी के जीवन में विशेष महत्व रखती है, इस एहसाह को शब्दों में बयां नही...
हिन्दी हमारी जीवनशैली एवं हमें हमारी मां की तरह प्यारी है
आलेख

हिन्दी हमारी जीवनशैली एवं हमें हमारी मां की तरह प्यारी है

शिवांकित तिवारी "शिवा" रीवा मध्य प्रदेश ******************** हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि यह हमारे अल्फाजों को समेट,हमारी बातों को सरलता एवं सुगमता से कहने का विशेष माध्यम हैं। हिन्दी बिल्कुल हमारी की तरह ही हमसे जुड़ाव रखती है और हम भी मां हिन्दी के बिना अपने अस्तित्व की कभी कल्पना नहीं कर सकते। क्योंकि मां के बिना बेटे की कल्पना बिल्कुल असम्भव है। जब भी हम हिन्दी भाषा में बात कर रहे होते है,तो हमें ऐसा प्रतीत होता है कि हम अपनी बोली में अपनेपन एवं आत्मीयता के भावों में बंधकर बात रहे है। हिन्दी का हमारी जीवनशैली में अहम योगदान है,क्योंकि और सभी भाषाओं का उपयोग हम अपने गांवों में,अपनी मांओं से या अन्यत्र लोंगो से नहीं कर सकते क्योंकि वो उतने पढ़े लिखे नहीं होते और ना ही वो हमारी और किसी भाषा के बारे में अच्छी तरह परिचित होते है,लेकिन हमारी हिन्दी भाषा से सब विशेष रूप से परिचित होते ...
हिन्दुस्तान है महान
कविता

हिन्दुस्तान है महान

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" शांति का प्रतीक धर्मप्रिय सत्यशील ऐसा देश है हमारा हिन्दुस्तान, सभी मिलजुल के रहे,दिल की बात खुल के कहें, मन में तनिक भी नहीं अभिमान, जात और पात की ना करे कोई बात कद्र करते हम सबके जज्बात की, दुख और सुख में भी खड़े रहते साथ ना करते हम चिंता  दिन और रात की, वीरों के बलिदान का,इस धरा महान का,करते हम सभी मिल सम्मान है, भारत मां के लाल,हाथ में लिये मशाल,दुश्मनों की हर चाल को करते नाकाम है, देश का किसान,जो देश की है शान,उगा अन्न देश को देता जीवनदान है, सिंह सम दहाड़ भर, घाटियां पहाड़ चढ़,खड़ा सीना तान के जवान है, मंदिरों में गीता ज्ञान,मस्जिदों में है कुरान,दोनों धर्मों का अलग-अलग स्थान है, हिंदु मुस्लिमों में प्यार,सदा रहता बरकरार,सबका ईश्वर    सर्वत्र ही समान है, मां-बाप की तालीम,थोड़ी कड़वी जैसे नीम,पर सीख उनकी आ...
वक़्त की ठोकर
कविता

वक़्त की ठोकर

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" वक़्त  की  ठोकर  का  शिकार  हुये  है, तबीयत ठीक है जिनकी अब वो बीमार हुये है, चट्टानों  से  मजबूत  हौसलें थे जिनके, वक़्त की मार से अब वो बेकार हुये है, हमारे  बीच  अब  तो  दोस्ती  जैसा  कुछ  नहीं  बचा, कुछ एहसानफरामोश और खुदगर्ज हमारे यार हुये है, इंसान यहां दोहरे किरदार निभा रहा, अब चोर यहां आज साहूकार  हुये है,   बाप को बात - बात पर अब आँख दिखा रहा है बेटा, आधुनिकता  की  चकाचौंध  में गायब संस्कार हुये है, लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.) है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश) में बसेरा है। आपने कक्षा १२ वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है...
लो अब मैं चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे
कविता

लो अब मैं चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" अजब सा नशा छाया है और खुमार हुआ है मुझे, लो अब  मैं  चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे, रात  भर  अब करवटें बदल कर सोने लगा हूं, हां अब उसका बनकर उसमें ही खोने लगा हूं, बेचैन रहती है  नज़रे  मेरी तुझे  देखने  की  खातिर, इश्क़-ए-सफ़र के सफ़र का हूं मैं बेपरवाह मुसाफ़िर, संवारने लगा खुद को जबसे तेरा दीदार हुआ है मुझे, लो  अब  मैं  चीख़कर  कहता  हूं प्यार  हुआ है मुझे, तेरी  तस्वीर अब मैं अपने  सीने से लगा कर रखता हूं, तेरी जुल्फें,आंखे और लबों को निहार कर निखरता हूं, अगर तू इश्क़-ए-दवा है तो अब बुख़ार हुआ है मुझे, लो अब  मैं  चीख़कर कहता हूं प्यार  हुआ  है  मुझे, लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ ...
कबीर सिंह
फिल्म

कबीर सिंह

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" फिल्म की वास्तविक कहानी:-शुरुआत से फिल्म एक सीन के साथ शुरू होती है जहां एक आदमी और औरत बिस्तर पर सो रहे हैं और पीछे से समुद्र की तेज़ लहरों की आवाज़ आ रही है। इन्हीं लहरों की आवाज़ के साथ हम कबीर सिंह की तूफानी ज़िंदगी में एंट्री लेते हैं। वो एक मेडिकल सर्जन है और फुटबॉल चैंपियन है। लेकिन अंदर ही अंदर कई समस्याओं से घुट रहा है जिनमें बेतहाशा गुस्सा एक है। कबीर सिंह की नज़रें जैसे ही प्रीति (कियारा आडवाणी) पर पड़ती हैं, वो बागी बन जाता है , ऐसा बागी जिसके पास अब एक मक़सद भी है। एक शरमाई सी सहमी सी लड़की, प्रीति भी कबीर को अपने दिल की बात बताती है लेकिन उनका रिश्ता ज़्यादा दिन तक नहीं चलता है। इसके बाद कबीर खुद को तबाही के रास्ते पर ले चलता है। शराब, नशा और सेक्स, हर चीज़ उसे उसके दुख से दूर ले जाने की कोशिश...