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चुप्पी तोड़नी होगी
कविता

चुप्पी तोड़नी होगी

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* हमें चुप्पी तोड़नी होगी उन लोगों के लिए जो झोंक दिए जाते हैं सांप्रदायिकता की आग में, जिन्हें धर्म के नाम पर तो कभी भाषा के नाम पर कभी क्षेत्र के नाम पर लड़ाया जाता है . जो लगातार उपेक्षित हैं विकास की दौड़ में जो कैद है अंधविश्वास की जंजीरों में जिनकी आंखों में बंधी है अज्ञानता की पट्टियां जिनकी आंखों में गुम हो रहे हैं सपने जिनकी स्वपनहीन आंखों में भर दी गई है नफरतें हमें चुप्पी तोड़नी होगी उन लोगों की जो दबंगों के आगे चुप है उंची नीच की दीवारों में बंद है हमें चुप्पी तोड़नी होगी उन कन्या भ्रूण के लिए जो मार दी जाती हैं गर्भ में उन बेटियों बहू और माताओं के लिए जो हो रही है शिकार मानसिक-शारीरिक प्रताड़नाओं और अपने परायों से बलात्कार की हमें चुप्पी तोड़नी होगी सभ्यता संस्कृति ...
लेखनी मुझसे रूठ जाती है
कविता

लेखनी मुझसे रूठ जाती है

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* जब भी मैं लिखने बैठता कविता, लेखनी मुझसे रूठ जाती है, वह कहती मेरा पीछा छोड़ दो, मुझसे अपना नाता तोड़ दो, क्या तुम मुझे सौंदर्य में ढाल सकोगे, इस घुटन भरे माहौल से निकाल सकोगे, क्या तुम कुछ अलग लिख सकोगे, या तुम भी दुनिया की बुराइयों को, अपनी रचना में दोहराओगें? दहेज, भूख, बेकारी के शब्द में अब ना मुझको जकड़ना, हिंसा दंगों या अलगाव के चक्कर में ना पड़ना, नेताओं को बेनकाब करने में मेरा सहारा अब ना लेना, बुराइयां ना गिनाना अब बीड़ी सिगरेट या शराब की, उकता गई हूं अब मैं, बलात्कार हत्या या हो अपहरण, इन्हीं शब्दों ने किया है जैसे मेरे अस्तित्व का हरण। लेखनी बोलती रही, मुझे मालूम है तुम इंसानियत की दुहाई दोगे, इसलिए मैं पास होकर भी हूं पराई। अगर लिखना हो तो लिखो, प्रकृति की गोद में बैठ कर, ...
आज की नारी
कविता

आज की नारी

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* नारी शक्ति, नारी देवी, नारी पूजा है नारी कर्म की देवी, जिसका कर्म ही पूजा है नारी शक्ति, नारी भक्ति, नारी एक ज्वाला है, नारी गर है संग तो रब रखवाला है, नारी निर्मल इतनी जितना पावन नर्मदा का पानी है नारी सिर्फ दो शब्द नहीं खुद एक कहानी है . नारी जितनी सहनशील दुनिया में कोई नहीं सुन नारी की गाथा प्रकृति सदियों सोई नहीं कल्पना चावला, किरण बेदी, नहीं किसी से कम है इंदिरा का दम क्या किसी गौतम से कम है आज की नारी के कदमों में फौलाद सा दम है चाहे तो आजमा लो हौसला नहीं किसी से कम है हर परिवर्तन को नारी ने सबसे पहले स्वीकार किया अपने विवेक का परिचय दें हम सब को अंगीकार किया प्रगति पथ पर नारी गतिमान इस पर तुम विचार करो कमजोर आंकने वालों इस चुनौती को स्वीकार करो नारी का सम्मान करो नारी का सम्म...
वीर सिपाही
कविता

वीर सिपाही

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* जाने वाले वीर सिपाही, लौट के वापस आना तू। वादा जो किया है माता से, उसको भुल न जाना तू। जब याद तुम्हारी आयेगी, आंखो से पानी आयेगा। राखी लेकर रोए बहना, कौन उसे समझाएगा । मिलन की तमन्ना बच्चों की, उसको न भूल जाना तू। जाने वाले वीर सिपाही, लौट के वापस आना तू। आना पापा लौटकर, बेटी के आँसू कहते है। छोड़ कर जब से आप गये, टूटे टुटे से रहते हैं। लेकर तिरंगा हाथों मे, आगे बढ़ते जाना तू। जाने वाले वीर सिपाही, लौट के वापस आना तू। जाते जाते कह गये थे बच्चों से, खिलौना लाने को। खिलौना चाहे मत लाना, पर कह दो जल्दी आने को। जाने वाले वीर सिपाही, लौट के वापस आना तू। वादा जो किया है माता से, उसको भुल न जाना तू। पत्नी से भी कहा था होली पर आने को । रंग बिरंगी चूडियां चाहे न लाना, पर कह दोसजने सजाने को, ...
मैं अभी हारा नहीं
कविता

मैं अभी हारा नहीं

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* इतना भी नकारा नहीं हूँ, दीन बेचारा नहीँ हूँ, मै धधकती एक ज्वाला, भोर का तारा नहीँ हूँ, सोच लो, समझ लो, मै अभी हारा नहीँ हूई। तुम कहाँ पहचान पाएँ, हम कई बार आये, कभी ईसा तो कभी सुकरात बनकर बिष पिया और मुस्कराए, राख हो जायें जो जलकर, मै वो अंगारा नहीँ हूँ, सोच लो समझ लो, मै अभी हारा नहीँ हूई। मै महाराणा की हिम्मत, मै शिवाजी की वसीयत, मै भगतसिंह की हूँ छाया, बुद्ध गौतम की नसीहत, मै गर्जता एक सागर, रेंगती धारा नहीँ हूँ, सोच लो समझ लो, मै अभी हारा नही हूँ। फिर उठी गम की घटाएँ, फिर हुई बोझिल दिशाये, आसमां सर पर उठायें, फिर चली पागल हवाएँ, मै जीवन की इक हकीकत, व्यर्थ का नारा नहीँ हूँ, सोच लो, समझ लों मै अभी हारा नहीँ हूँ। परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगर...
जंग इसी को कहते हैं
कविता

जंग इसी को कहते हैं

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* मेरी बात पर गौर देकर कहना कुछ लोगों का है कहना मीडिया भी यही कहता और दिखाता है की सेना ने कई सालों से जंग नहीं देखी है। कोई इनकों लेकर आये और जम्मू कश्मीर तथा सीमांत का दौरा कराये जहां पर हजारों की गिनती मे सैनिक घायल होते है जो आंतकवादियो और देश द्रोहियों से लड़ते हैं। इनके परिवार गम के आसूं पीते है मुसीबत और तंगी की जिंदगी जीते हैं और दोस्तों आप कहां रहते हैं शायद जंग इसी को कहते हैं। आइये आपको सियाचिन की सैर कराये बर्फ से ढके हुए पर्वत व नदियाँ दिखाये जहाँ का तापमान माइनस ४० डिग्री सेल्सियस है क्या आप जानते हैं ? लेकिन हमारा सैनिक यहां पर निरंतर रहता है और दुश्मन की गोलियों को अपने सीने पर सहता है इनमें से आधे तो सर्दी का शिकार हो जाते है सीमा से अंदर न आ जाये दुश्मन इसलिए कई तो अपने हाथ या पैर गंवाते है शायद जं...
पत्थर और माटी
कविता

पत्थर और माटी

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************** पत्थर गिरा माटी पर माटी हो गई चूर पत्थर हुआ घमंड से भरपूर बोला अकड़ कर, देखा मेरा बल तुममें-मुझमें हैं कितना अंतर। माटी बोली सच कहा तुमनें पत्थर हैं बड़ा मुझमें और तुममें अंतर, मैं माटी तुम हो पत्थर, मैं देती जीवन जड़-चेतन कों, तुमसे मिलती केवल ठोकर, मैं खेतों में फसल ऊगाती, बागों में फू़ल महकाती, हरी-भरी धरती करती। पेड़-पौधे, फल-फूल, धरती का हर प्राणी, तुमसे होता आहत, रह जाते सब मन मारकर तुम देते केवल ठोकर, तुममें-मुझमें है अंतर मैं देती जीवन, तुम देते केवल ठोकर। परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगरे जन्म : २० फरवरी निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपन...