वो क्यों है?
शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
*******************
जो वर्तमान है,
वो क्यों है?
हम बने जिम्मेदार
कायरता तो जैसे
हमारे ख़ून में थी
और इन्तज़ार
करना हमारा जीवन था।
प्रार्थना पत्रों और
निवेदनों की भाषा
हमें घुट्टी में
पिलायी गयी थी
और मामूली लोगों के
प्रति थोड़ी दया और
कृपालुता ही
हमारी प्रगतिशीलता थी।
हमारी दुनियादारी को लोग
भलमनसाहत समझते थे।
संगदिली हमारी उतनी ही थी
जितनी कि तंगदिली।
अत्याचार और मूर्खता से
उतने भी दूर नहीं थे हम
जितना कि दिखाई देते
थे और दिखलाते थे।
जब ज़ुल्म की
बारिश हो रही हो
और कुछ भी बोलना
जान जोखिम में डालना हो
तो हम चालाकी से
अराजनीतिक हो जाते थे
या कला और सौन्दर्य
के अतिशय आग्रही,
या प्रेम, करुणा,
अहिंसा, मानवीय पीड़ा,
ख़ुद को बदलने आदि
की बातें करने लगते थे।
और लोग इसे हमारी
सादगी और भोलापन
समझते थे...