प्यार किया मैने भी
शरद सिंह "शरद"
लखनऊ
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प्यार किया मैने भी सखी,
कजरारी आँखो बाले से,
घुँघराले बालों बाले से,
प्यार किया मैने भी सखी।
नित आता मेरे सपनो में,
मीठी मीठी बाते करता सपनो में,
मै उसके नयनों में खोती हूँ,
वह मेरे नयनों मे खोता है,
मै आँख मूंद लेती जब जब,
वह मुझे निहारा करता है,
ऐसे स्नेह सिग्ध मतबाले से,
प्यार किया मैने भी सखी।
वह सबके दिल को है चुराता,
वह चैन लूटता वह नीद चुराता,
पल मे आता पल मे जाता,
पर प्यार को वह समझ न पाता,
ऐसे नटखट और लुटेरे से,
प्यार किया मैने भी सखी।
कुछ पल रहा वह पास मेरे,
फिर दूर देश वह चला गया,
वादा करके आउँगा मै जल्दी,
वह अब तक लौट नही पाया,
ऐसे परदेशी निर्मोही से,
प्यार किया मैने भी सखी।
पर यादो मे वह हर पल रहता,
इस दिल मे बास उसी का है,
वह भी उदास होगा मुझ बिन,
यह भी अहसास मुझे रहता,
उस चितचोर मनभावन से,
प्यार किया मैने भी सखी
प्यार किया ....