Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: शरद जोशी “शलभ”

समंदर को खल गई
ग़ज़ल

समंदर को खल गई

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** इतनी सी बात थी जो समंदर को खल गई। काग़ज़ की कश्ती कैसे भँवर से निकल गई।। पहले ये पीलापन तो नहीं था गुलाब में। लगता है अब ज़मीन की मिट्टी बदल गई।। अब पूरे तीस दिन की रियायत मिली उसे। फिर मेरी बात अगले महीने पे टल गई।। अशआर में बचे हैं मुहब्बत के हादसे। वरना मेरी कहानी मेरे साथ जल गई।। कल तक तो बेगुनाह समझते थे सब मुझे। क्यों राय आज सारे जहाँ की बदल गई।। मयख़ाने की डगर से जो मेरा गुज़र हुआ। वाइज़ की बात रह गई साक़ी की चल गई।। रंजो अलम हैं साथ ज़माने हुए "शलभ"। अब तो ये ज़िन्दगी इसी साँचे में ढल गई।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न साहि...
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का “अनूप सारस्वत सम्मान” एवं काव्य समारोह संपन्न।
साहित्यिक

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का “अनूप सारस्वत सम्मान” एवं काव्य समारोह संपन्न।

धार/नौगांव। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई धार के तत्वावधान में कविवर स्व. बाबू लाल परमार 'अनूप' नौगाँव धार की समृति में दिनांक १५ मार्च २०२२ को आयोजित तृतीय "अनूप सारस्वत सम्मान एवं काव्य समारोह" प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री नवीन माथुर "पंचोली" अमझेरा के मुख्य आतिथ्य, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक श्री पवन मकवाना इन्दौर की अध्यक्षता, रेनेसा यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष, दिव्योत्थान एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफ़ेयर सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. दीपमाला गुप्ता इन्दौर के विशिष्ट आतिथ्य में श्री गुजराती रामीमाली धर्मशाला नौगाँव के सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन, पूजन एवं माल्यार्पण से हुआ। सरस्वती वन्दना कवयित्री श्रीमती आभा "बेचैन" ने सस्वर प्रस्तुत की। तत्पश्चात अखिल भारतीय स...
दिल आजकल कहीँ न ये लगता तिरे बग़ैर।
ग़ज़ल

दिल आजकल कहीँ न ये लगता तिरे बग़ैर।

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** दिल आजकल कहीँ न ये लगता तिरे बग़ैर। आती नहीं है रास ये दुनिया तिरे बग़ैर।। तू तो गया है अपने सफ़र पर कहीं मगर। तबसे ही दिल मिरा नहीं धड़का तेरे बग़ैर।। हर लम्हा मुन्तज़िर है मिरा तेरे वास्ते। लगता नहीं है मुझको तो अच्छा तिरे बग़ैर।। तेरे बिना तो ज़िन्दगी होगी नहीं बसर। मरना मुहाल हो गया मेरा तेरे बग़ैर।। तू क्या गया कि टूट गई है मिरी उमीद। हर सिम्त हो गया है अँधेरा तेरे बग़ैर।। खाने को दौड़ती है ज़माने की हर ख़ुशी। किस-किस तरह से दिल को सँभाला तिरे बग़ैर।। अब तो बहार में भी ख़िज़ा की चुभन लगे। लगता 'शलभ' बसन्त भी फीका तिरे बग़ैर।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्...
जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे
ग़ज़ल

जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे हमें तदबीर लिखना है। हमारे हाथ से अपनी हमें तक़दीर लिखना है।। जिगर में दर्द, आँसू आँख में, है लब पे ख़ामोशी। हमारी ज़िन्दगी अब ग़म की है तस्वीर लिखना है।। निगाहें फेर ली जिसने समझ कर अजनबी मुझको। उसी के हक़ में अब मुझको तो इक तहरीर लिखना है।। वो मुस्लिम हैं मगर रब को कभी सिज्दा नहीं करते। उन्हीं के वास्ते मुफ़्ती को कुछ ताज़ीर लिखना है।। तुम्हें तो ख़्वाब में आना था आकर चल दिए लेकिन। हमारे ख़्वाब की हमको अभी ताबीर लिखना है।। मुहब्बत की ही दौलत है मिरे दिल के ख़ज़ाने में। तुम्हारे नाम अपनी आज ये जागीर लिखना है।। रहा करते "शलभ" जो यार की धुन में हमेशा गुम। हमें ऐसे ही दीवानों की अब तासीर लिखना है।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंद...
ग़ज़ल

है हथेली की लकीरों

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** है हथेली की लकीरों में इशारा कोई। जो है गर्दिश में लगे मेरा सितारा कोई।। यूँ तो हैं अपने हज़ारों ही तअर्रुफ़ लेकिन सारी दुनिया में नहीं तुमसा हमारा कोई।। रोकती है मिरी कश्ती को किसी की आवाज़ ऐसा लगता है यहाँ पर है किनारा कोई।। है इमारत में न गुंबद नहीं कोई दीवार ढूँढते फिरते कबूतर हैं सहारा कोई।। है हवाओं में कसक और फ़ज़ा भी नासाज़ मुन्तज़िर झील में रहता है शिकारा कोई।। हम कहें अपना किसे और करें किस पे यक़ीं। जान लेता है सदा जान से प्यारा कोई।। आग तो बुझ गई बाक़ी है "शलभ" फिर भीै धुआँ ग़ालिबन राख में बैठा है शरारा कोई।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्...
वो हमारी ज़िन्दगी में
ग़ज़ल

वो हमारी ज़िन्दगी में

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** वो हमारी ज़िन्दगी में इस तरह छाने लगे। दिल किया उनके हवाले वो हमें भाने लगे।। हमने मिलने के लिए उनको बुलाया था यहाँ। हम यहाँ आए अभी हैं और वो जाने लगे।। हो गई वाबस्तगी कुछ ऐसी है उनसे हमें वो तसव्वुर में हमारे हर घड़ी आने लगे।। भूल बैठे हैं हमें वो इक ज़रासी बात पर। एक हम हैं जो उन्हीं के गीत बस गाने लगे।। होसले जिनके कभी होते नहीं मज़बूत हैं। सिर्फ़ आहट से ही ऐसे लोग घबराने लगे।। शायरी का इल्म जिनको है नहीं कुछ भी मगर। वो ग़ज़ल पढ़ने के ख़ातिर मंच पर जाने लगे।। बढ़ गए आगे 'शलभ' कुछ लोग झूठी चाल से। बेइमानी से वो अब सम्मान भी पाने लगे।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान ...
ठोकरें खा के भी
ग़ज़ल

ठोकरें खा के भी

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** ठोकरें खा के भी जो लोग संभल जाते हैं। मुश्किलों से कई वो लोग निकल जाते हैं।। नूर की बूँद ज़माने में बही जाती है। उसके जलवों से ज़माने भी बदल जाते हैं।। प्यार मिल जाए मुकद्दर से किसी का जिनको। उनके दिल में कई अरमान मचल जाते हैं।। बादलों पर सवार होके ना आया करना। परी समझते हैं बच्चे भी बहल जाते हैं।। हौसले और इरादे नहीं पक्के जिनके। आहटें होते ही वो लोग दहल जाते हैं।। शाख पर पत्तियां निकली नया मौसम आया। अब तो मौसम की तरह लोग बदल जाते हैं।। दूर पर्वत पे "शलभ" देवता का डेरा है। उसके आगोश में पत्थर भी पिघल जाते हैं।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न साहित्य...
लगती है तुम्हें अपनी पर मेरी कहानी है
ग़ज़ल

लगती है तुम्हें अपनी पर मेरी कहानी है

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** लगती है तुम्हें अपनी पर मेरी कहानी है। हर ग़म पे मैं हँसता हूँ आदत ये पुरानी है।। कुछ यादें हैं धुँधली सी कुछ अश्क है दामन में। बस पास मुहब्बत की अब ये ही निशानी है।। दे मुझको हज़ारों ग़म बदले में ख़ुशी ले ले। मैं हार न मानूँगा मैंने भी ये ठानी है।। इस वक्त है फुरसत कम, फुरसत में सुनाउँगा। लम्बी है बहुत यारों ग़म की ये कहानी है। उम्मीद "शलभ" ग़ैरों से फिर कैसे करें हमतो जब उसकी हक़ीक़त को अपनों ने न जानी है परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ ध...
दीपावली
ग़ज़ल

दीपावली

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** आदतन इस हादसे पर भी बजा लें तालियाँ। अब उजालों को अँधेरे दे रहेे हैं गालियाँ।। सूर्यवंशी दीप करते जुगनुओं की चाकरी। गीत ग़ुम नेपथ्य में, मंचस्थ मुखरित गालियाँ।। पाप के कुछ पेड़ पुरखों ने उगाए थे कभी। छीन लेतीं पंछियों के प्राण जिनकी डालियाँ।। भर दिए आँसू दीयों में, मन गई दीपावली। मन बहुत भारी रहा हल्की हथेली थालियाँ।। दीप रखती थी हमारे द्वार भी जब ज़िंदगी। कौंधती है याद में अक्सर गई दिवालियाँ।। "शलभ" की ग़ज़लें कि जैसे चाँद के रूमाल पर। बुन रही है एक लड़की उँगलियों से जालियाँ।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौ...
ये मजबूरी हमारी है
ग़ज़ल

ये मजबूरी हमारी है

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** ये मजबूरी हमारी है, छुपाकर रख नहीं सकते चिरागों को हवाओ से, बचाकर रख नहीं सकते हज़ारों दर्द देता है, उसी से प्यार भी तो है निगाहों से उसे पलभर हटाकर रख नहीं सकते हमे ख़्वाहिश फ़लक की है, वहाँ भी देखना होगा हमेशा सामने ये सर, झुकाकर रख नहीं सकते अभी तक जो भी चाहा है, उसे पाकर रहे हैं हम ये बाहों को हमेशा यूं उठाकर रख नहीं सकते हक़ीक़त में अगर तू आ सके तो आ घड़ी भर को तेरी तस्वीर ही दिल से लगाकर रख नहीं सकते ये पानी और ये है आग संगम हो तो कैसा हो ग़म-ए-दिल को खुशी के संग मिलाकर रख नहीं सकते "शलभ" मालूम है दुनिया तबाह हो जाएगी अपनी ये सोए दर्द को पलभर जगा कर रख नहीं सकते परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वा...
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का आनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न
साहित्यिक

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का आनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न

कविता कवि के हृदय की पीड़ा है जो कि आह से शुरु होकर वाह पर विश्राम लेती है ...प्रतिमा सिंह धार। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जिला इकाई धार ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया। जिसमें मुख्य अतिथि श्री विजय तिवारी गजलकार अहमदाबाद, विशिष्ट अतिथि वीररस की कवयित्री प्रतिमा सिंह इंदौर तथा अध्यक्षता श्री त्रिपुरारि लाल शर्मा मालवा प्रातांध्यक्ष थे। कार्यक्रम की शुरुआत प्रतिमा सिंह इंदौर ने सरस्वती वंदना से की और अपनी कविता में कहा कि कविता, कवि के हृदय की पीड़ा है जो कि आह से शरु होकर वाह पर विश्राम लेती है। प्रवीण व्यास इंदौर ने अपनी कविता में महर्षि वाल्मीकि को याद करते हुए कहा कि मरा-मरा रट राम-राम कर संत महर्षि हो जाते हैं, रत्नाकर डाकू से जो वाल्मीकि बन जाते हैं। सरदारपुर के कवि अजय पाटीदार ने मां के चरणों में घनाक्षरी पढ़ा। मनावर के कवि राम शर्मा प...
कोई हमारा न हो सका
ग़ज़ल

कोई हमारा न हो सका

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** हमको कभी किसी का सहारा न हो सका।। दरिया ए इश्क में कई गोते लगा लिए अपने क़रीब कोई किनारा न हो सका।। मिलने की कोशिशें भी कई उनसे की मगर उनकी नज़र का कोई इशारा न हो सका कितना उनसे प्यार उन्हें कैसे हम कहें उनसे ज़ियादा कोई प्यारा न हो सका।। दिल में हमारे हर लम्हा उनका मुक़ाम है उनसा मुक़ीम कोई दुबारा न हो सका ग़र नहीं तो ज़िन्दगी जीना मुहाल है। उनके बिना"शलभ"का गुज़ारा न हो सका।। . परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्...
आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती एव कविवर स्व.महेश “राजा” स्मृति सम्मान समारोह सम्पन्न
साहित्यिक

आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती एव कविवर स्व.महेश “राजा” स्मृति सम्मान समारोह सम्पन्न

धार : अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई धार के तत्वावधान में रामायण रचयिता आदकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती के परम पुनीत अवसर पर दिनांक १३ अक्टूबर २०१९ को शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के विशाल सभागार में आयोजित कविवर महेश "राजा" धार स्मृति सम्मान समारोह वरिष्ठ कथाकार श्री निसार एहमद की अध्यक्षता, प्रसिद्ध साहित्यकार एवं मंचीय कवि श्री गिरेन्द्र सिंह भदौरिया "प्राण" के मुख्यआतिथ्य, तथा वरिष्ठ अभिभाषक श्री श्रीवल्लभ विजयवर्गीय धार, उस्ताद शायर श्री रशीद एहमद "रशीद" धारवी इन्दौर, ओजस्वी कवयित्री श्रीमती प्रतिमा तोमर इन्दौर के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कायर्क्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ शारदा के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन चित्रपर माल्यार्पण एवं कवयित्री एवं शायरा श्रीमती अनीता आनन्द के द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुआ। इस अवसर पर पधारी कवयित्री ...
ग़ज़ल
ग़ज़ल

ग़ज़ल

रचयिता : शरद जोशी "शलभ" ******************** सुनी तो है मगर देखी नहीं है। ख़ुशी इस राह से गुज़री नहीं है।। उजड़ती बसती रहती है ये दुनिया। किसी की ला फ़ना हस्ती नहीं है।। यहाँ है कौनसा दिल ग़म से ख़ाली जिगर किसका यहाँ ज़ख़्मी नहीं है।। मये कौसर से जो पैमाना भर दे। यहाँ ऐसा कोई साक़ी नहीँ है।। ग़रज़मन्दी समझ बैठे जिसे वो। हलीमी इस क़दर अच्छी नहीं है। "शलभ" ने ख़ुद ही ख़ुद्दारी सम्भाली। किसी की़मत अना बेची नहीं है।। . परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्यक्ष हैं व...
शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने
ग़ज़ल

शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने

********** रचयिता : शरद जोशी "शलभ" शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने।। रस्मे उल्फ़त को हमेशा ही निभाया हमने। वो तो राहों में अकेले ही चला करते थे। साथ उनको तो हमेशा ही चलाया हमने।। दूर रहने के बहाने तो उन्हें आते हैं। उनको नज़दीक हमेशा ही बुलाया हमने।। दिल दुखाया है उन्होंने तो हमारा अक्सर। दिल में उनको तो हमेशा ही बसाया हमने।। क्या करें उनसे शिक़ायत वो ग़ैर ही ठहरे। अपना उनको तो हमेशा ही बताया हमने।। अब इरादा है उन्हें उनके हाल पर छोड़ें। उनको पलकों पे  हमेंशा ही बिठाया हमने।। क्यूँ "शलभ" को वो मिटाने पे हुए आमादा। उनपे ख़ुद को तो हमेशा ही मिटाया हमने।। . परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार,...
ग़ज़ल
ग़ज़ल

ग़ज़ल

======================== रचयिता : शरद जोशी "शलभ" शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने।। रस्मे उल्फ़त को हमेशा ही निभाया हमने। वो तो राहों में अकेले ही चला करते थे। साथ उनको तो हमेशा ही चलाया हमने।। दूर रहने के बहाने तो उन्हें आते हैं। उनको नज़दीक हमेशा ही बुलाया हमने।। दिल दुखाया है उन्होंने तो हमारा अक्सर। दिल में उनको तो हमेशा ही बसाया हमने।। क्या करें उनसे शिक़ायत वो ग़ैर ही ठहरे। अपना उनको तो हमेशा ही बताया हमने।। अब इरादा है उन्हें उनके हाल पर छोड़ें। उनको पलकों पे हमेंशा ही बिठाया हमने।। क्यूँ "शलभ" को वो मिटाने पे हुए आमादा। उनपे ख़ुद को तो हमेशा ही मिटाया हमने।।   परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म....
ग़ज़ल
ग़ज़ल

ग़ज़ल

======================== रचयिता : शरद जोशी "शलभ" झूठे को भी वो हाल मेरा पूछता नहीं। भूले से भी कभी मैं उसे भूलता नहीं।। मैंने कभी किसी को न उसमें किया शरीक। क्या है मेरी नज़र में अगर वो ख़ुदा नहीं।। करने लगे तू उसकी अताओं का गर शुमार। तो ख़ुद ही कह उठेगा मुझे कुछ गिला नहीं।। वो तो वहीं मिलेगा वहीं पर मुक़ीम है। अपने ही दिल में तू उसे क्यूँ ढूँढता नहीं।। लब खोल कर तो हँसता "शलभ" हूँ सभी के साथ। दिल खोल कर ना जाने मैं कब से हँसा नहीं।।   परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद...
ग़ज़ल
ग़ज़ल

ग़ज़ल

======================== रचयिता : शरद जोशी "शलभ" उसको रूदाद सुनाने की ज़रूरत क्या है। इतनी हमदर्दी कमाने की ज़रुरत क्या है। जो किसी रस्म को जाने , न जो हमराह चले। राब्ता उससे बढ़ाने की ज़रुरत क्या है।। वो अगर दुनिया से डरता है तो घर में बैठे। उसको घर जा के मनाने की ज़रुरत क्या है।। मुश्किलें उलझने मजबूरियाँ क्या हैं उसकी। इसका अन्दाज़ लगाने की ज़रुरत क्या है।। लौट कर जाना है जब एक ही मंज़िल पे "शलभ" फिर किसी और ठिकाने की ज़रुरत क्या है।। परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प...