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रंगलो तन-मन रंग से
कविता

रंगलो तन-मन रंग से

वीरेंद्र दसौंधी खरगोन (मध्य प्रदेश) ******************** रंगलो तन-मन रंग से, देखो होली आई। रंग-बिरंगे रंग लिए, हँसी ठिठोली आई।। ढोल, मृदंग की थाप पर, नाचे गाये सारे। पिचकारीयो  से  बरसे,  रंगो की बौछारे।। लिए रंग हुरियारो की, देखो  टोली  आई। रंगलो तन-मन रंग से, देखो होली आई।। तेरे प्यार का हर रंग, रंगे मेरा तन-मन। प्रीत रंग ना छुटे कभी, चाहे करे सब जतन। सहेलियों को संग लिए, लो हमजोली आई। रंगलो  तन-मन  रंग से, देखो होली आई। बिसराकर मन राग-द्वेष, सबको गले लगाए। जाति, धर्म के भेद मिटा, एक रंग हो जाए। चंदन, गुलाल, कुमकुम की, देखों रोली आई। रंग लो तन-मन रंग से, देखो होली आई। कौना-कौना धरती का, लगता है सतरंगी। भक्ति के रंग में रंगा, झूम  रहा सतसंगी।। वीर लिए संग श्याम को, राधा भोली आई। रंग लो तन-मन रंग से, देखो होली आई।। परिचय :- वीरेंद्र दसौंधी निवासी : खरगोन (म...