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Tag: विशाल कुमार महतो

दो वक़्त की रोटी
कविता

दो वक़्त की रोटी

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** किसानों की मेहनत भी क्या खूब रंग बिखेरती है, लहू पसीना बनकर उनके रगों से जब निकलती हैं,, किसानों की मेहनत भी क्या खूब रंग बिखेरती है, लहू पसीना बनकर उनके रगों से जब निकलती हैं,, जब नंगे बदन किसानों की उस कड़ी धूप में तपती है, तब जाकर इन महलों में दो वक्त की रोटी बनती है ।। दो वक्त की रोटी बनती हैं ।। करके मेहनत खेतों में, वो फसलें भी खूब उगाते है, बंजर भूमि जो सोया है, उसको उपजाऊ बनाते हैं। खेतों से अन्न ले जाकर, हर शहर मे वो पहुँचाते है, इसीलिए इस जग में वो एक अन्न दाता कहलाते है। उनकी ही तो श्रेय से हर घर दीप-दीवाली मनती है तब जाकर इन महलों में दो वक्त की रोटी बनती है ।। दो वक्त की रोटी बनती हैं ।। खेतों में जब जब फसलें उपजाऊ हो जाती है, अन्नदाता के मन मे खूब खुशियां लहलहाती है । हुवे भोर तो खेतों में कोयल भी ...
स्वाभिमान मरते देखा
कविता

स्वाभिमान मरते देखा

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** इस दुनिया लोगों को हमनें, पीठ पीछे बुराई बकते देखा। ना जाने कैसा दौर आ गया, जहाँ विश्वास भी ढहते देखा। खुद की दुःख का परवाह नही, दुसरो की सुख से जलते देखा। यहाँ अभिमान को बढ़ते देखा, और स्वाभिमान को मरते देखा। यहाँ खुशियों के हकदार सभी, पर दुःख में कोई साथ नही। पैसों की बात है हर जगह, और प्रेम की बात कही नहीं। इस मीठे मन में हमने, बुरे ख्वाब ख्याल को पलते देखा, यहाँ अभिमान को बढ़ते देखा, और स्वाभिमान को मरते देखा। पूरी दुनिया जीत जाएंगे, हम अपने संस्कार से। और जीता हुआ भी हार जाएंगे, बस थोड़ी सी अहंकार से। जिसने की छोटी सी चूक, हमने उसको हाथ मलते देखा, यहाँ अभिमान को बढ़ते देखा, और स्वाभिमान को मरते देखा। परिचय :- विशाल कुमार महतो निवासी : राजापुर (गोपालगंज) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक ...
हिन्दी तेरी शब्दों की मिठास
कविता

हिन्दी तेरी शब्दों की मिठास

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** पढ़ना, लिखना, सुनना तुझको ये विश्वास हमारी हैं, गीत, गजल में तुझे ही गाऊँ अब ये प्रयास हमारी हैं जो अल्फाज़ो में जान भरे वो एक आस तुम्हारी हैं, हे हिन्दी तेरे शब्दों की वो मिठास कितनी प्यारी हैं । वो मिठास कितनी प्यारी हैं ।। इस जग में बोल-चाल की भाषाए तो अनेक हैं, कोई सुना, कोई समझा, कोई कहा एक से एक हैं, न जाने क्या खाश बात है तेरी ही एक भाषा में तुहि अच्छी, तूही सुंदर, और तुही सबसे नेक है । तुझको ही हम समझते रहे, ये अभ्यास हमारी है, हे हिन्दी तेरे शब्दों की वो मिठास कितनी प्यारी हैं । वो मिठास कितनी प्यारी हैं ।। क्या कहु इस हिन्दी को ये हिन्दी बहुत महान है, मातृ भाषा, राष्ट्र भाषा, और भारत की शान है । ये प्यारी और हमारी हिन्दी हम सबकी तो जान हैं, इस हिन्दी के उपकार हम सबको मिली पहचान हैं। तुहि एक ऐसी भाषा है, जिससे हर आस हमारी है...
गुरुवर के चरणों की छाँव
कविता

गुरुवर के चरणों की छाँव

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** बुद्धि, विवेक और भाषा ज्ञान की सबकुछ हमें सिखाया है, मंजिल की सीढ़ी चढ़ने का एक मुक्ति-मार्ग दिखलाया है, शिक्षा की उस वट-वृक्ष की, मजबूत शाखा और डाली है, हे गुरुवर आपके चरणों की वो छाव कितनी निराली है।। दिए हुए उस ज्ञान की दीपक, हरपल तन-मन मे जलते हैं, गुरुजनों का ज्ञान पाकर ही, इस जग में आगे बढ़ते है। कर संघर्ष जीवन मे, अपने सदा ही अच्छा करते हैं, और जो न तरे सौ तीर्थ से, वो गुरु के ज्ञान से तरते है। मानव के तन में शब्दों की शक्ति गुरु ने ही तो डाली है, हे गुरुवर आपके चरणों की वो छाव कितनी निराली है।। बिना गुरु कृपा के जग में कितने शिष्य अधूरे है, हुवे ज्ञानी सदा वही, जो गुरु आदेश से जुड़े हैं। गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु, गुरु ही रूप करुणे है, कुछ काम जीवन मे पूरे हैं, कुछ गुरु बिना ही अधूरे है, गुरू की ज्ञान सूरज की रौशनी और किर...
जो गुजरे पल
छंद

जो गुजरे पल

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** कभी सोचे जो गुजरे पल तो मन उदास होता है मतलबी ये जमाना है, कोई ना खाश होता है भरोसा टूट जाए तो ये मन निराश होता हैं। धोखा वही से मिलता हैं, जहाँ विश्वास होता है। पता चलता नही है अब कौन कब खास होता है, छोड़ेंगे साथ नही तेरा, बहुत बकवास होता है। छुपी है जो सच्चाई वो न अब बर्दाश होता है, हजारों दोस्त बनते है जब पैसा पास होता है। सच्चाई मुँह पे बोलना, मेरी वर्षों की आदत है इसी की राह पर शायद मेरी जीवन सलामत है, जो समझे ही मुझको जीवन मे मेरा होकर के मुझे बुरा कहने का तो उन्हें पूरा इजाजत है। परिचय :- विशाल कुमार महतो निवासी : राजापुर (गोपालगंज) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित...
बरसात में भी कागज कमाने है।
कविता

बरसात में भी कागज कमाने है।

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** घटाएं आ गई, आसमा छा गई, और दिन भी आये सुहाने हैं, घटाएं आ गई, आसमा छा गई, और दिन भी आये सुहाने हैं, और एक पापा है, साहब जिन्हें आज भी इस बरसात में कागज कमाने है। घर आकर बच्चों को जब पापा ने खाना खिलाया होगा, हम बच्चों को क्या पता, पापा ने आज किस हाल में कमाया होगा। बच्चों के सपने पूरे हो, और रहने के लिए सुंदर घर भी बनाने है, बच्चों के सपने पूरे हो, और रहने के लिए सुंदर घर भी बनाने है, और एक पापा है, साहब जिन्हें आज भी इस बरसात में कागज कमाने है। आज फिर किसी ठीकेदार के आगे, पापा ने हाथ फैलाया होगा । पूरे दिन अपने लहू को जिसने, पसीने के रूप में बहाया होगा । बच्चों के लिए सुंदर कपड़े, और ढ़ेर सारे खिलौने लाने हैं, बच्चों के लिए सुंदर कपड़े, और ढ़ेर सारे खिलौने लाने हैं, और एक पापा है, साहब जिन्हें आज भी इस बरसात में कागज कमाने है। उन्हीं...
दोस्ती रिश्ता और दोस्त फरिश्ता
कविता

दोस्ती रिश्ता और दोस्त फरिश्ता

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** मुशीबत की क्या औकात रहे, दोस्त खड़ा जब अपने साथ रहे, मुशीबत की क्या औकात रहे, दोस्त खड़ा जब अपने साथ रहे, बड़े नादान वो लोग जिन्हें, जिन्हें दोस्त में दुनिया दिखता नहीं, दोस्ती से बड़ी कोई रिश्ता नहीं औऱ दोस्त से बड़ा कोई फरिश्ता नहीं, जब दोस्त की दोस्ती, अपनी रंग दिखलाती हैं, हो जाये दोस्ती बेमिसाल, देख दुनिया दंग रह जाती हैं, एक सच्चे दोस्त की छाया, अपनी दोस्ती पे पड़ जाती हैं, तब ना जाने क्यों उन रिश्तों में, आत्मविश्वास बढ़ जाती है, दोस्ती हैं कलम-स्याही की, जो बिन स्याही कुछ लिखता नही दोस्ती से बड़ी कोई रिश्ता नहीं औऱ दोस्त से बड़ा कोई फरिश्ता नहीं, दोस्ती थी राम-सुग्रीव की, दोस्ती थी कृष्ण सुदामा की, युगों युगों तक बनी रही, क्या कहूं अब उस दोस्ताना की, करो दोस्ती, निभाओ दोस्ती, कभी बात न सुनो जमाना की, संग में सदा ही दोस्त रहे, कुछ खा...
राखी पे क्यों नही आये भईया
कविता

राखी पे क्यों नही आये भईया

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** यह कविता समर्पित है। देश के दो लाल (जवान) शहिद किशन लाल, और शहीद देव कुमार, जी को रक्षाबंधन के ठीक कुछ ही दिन पहले शहादत को समर्पित हो गए। इन्हें शत शत नमन है। 🙏🙏 दिलों में दीप खुशियों की जलाए बैठी थी,,, आएगा मेरा भईया आस लगाए बैठी थी,, पागल सी बनके बहना लोग से पूछे बार बार,, राखी पे क्यों ना आये, मेरे भईया अबकी बार।। फूलों की थाली हाथों में सजाएं बैठी थी,, चंदन, मिठाई, राखी सब लियाए बैठी थी,, बहन का भी अब सब्र का बांध टूट रहा था,, आँखों की आंसू बनके दरिया फुट रहा था,, क्यों भूल गया है तू अब माँ-बाबुल का दुलार राखी पे क्यों ना आये, मेरे भईया अबकी बार।। आँगन बैठी रोये बहना भाई के लिए श्रद्धा से राखी लाई हूँ कलाई के लिए सुनो ना भईया मुझे तुम इतना सताओ ना कर लूंगी थोड़ा इंतजार जल्दी से आओ ना ना चाहिए हमें मोतियों की माला और हार,, राखी ...
राखी अब आने वाला है
कविता

राखी अब आने वाला है

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** बंधेगा अब रिश्तों डोर, गलियों में भी होगा शोर, भाई-बहन में होगी खुशियां, चारो ओर चारो ओर हर भाई-बहन के चेहरों पे खुशियों को लाने वाला है, धागे में सिमटे स्नेह प्यार भईया को जताने वाला है , सुन भाई मेरे, सुन भाई मेरे अब राखी आने वाला है। अब राखी आने वाला है। कभी गुस्सा कभी प्यार, कभी भईया की बुराई करें। कभी झगड़ा, कभी लड़ाई करें फिर भी बहना कि रक्षा भाई करें। इस धागे में प्यार अपार है, ये बात बताने वाला है सुन भाई मेरे, सुन भाई मेरे अब राखी आने वाला है। अब राखी आने वाला है। माथे पर तिलक लगायेगी, भईया को मिठाई खिलायेगी। जब राखी कलाई में बांधेगी, फिर उपहार भईया से मांगेगी। राखी का फर्ज भी प्यारा भईया भी निभाने वाला है, सुन भाई मेरे, सुन भाई मेरे अब राखी आने वाला है। अब राखी आने वाला है। परिचय :- विशाल कुमार महतो निवासी : राजापुर (...
भारत माँ के वीर
कविता

भारत माँ के वीर

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** हे भारत के वीरों तुम भारत की लाज बचाए रखना, जो लाल हुए कुर्बान उनकी यादों के दिये जलाए रखना। इस जग के नीले अम्बर में, तिरंगे को लहराए रखना, भारत माँ के श्री चरणों मे अपना शीष झुकाएं रखना। आप भारत के रखवाले हो, सबसे बड़का दिलवाले हो। कुछ फूल चमन पर डाले हो, वतन की शान संभाले हो। है विनती सीने में अपने, संघर्ष के दीप जलाएं रखना भारत माँ के श्री चरणों मे अपना शीष झुकाएं रखना। जब आप सीमा पर जागते हो, तो पूरी देश चैन से सोती है। जब करते रक्षा हम सबकी, तभी दीप-दशहरा होती है। तुमसे ही है देश मेरा, इस देश को तुम सजाए रखना, भारत माँ के श्री चरणों मे अपना शीष झुकाएं रखना। वीर भगत सिंह को याद करो, संघर्ष भरी फरियाद करो। जो दिखाए आँख अब वतन को, उस दुश्मन को बर्बाद करो। दुश्मन की दिल-दिमाग, तुम अपनी ख़ौफ मचाए रखना, भारत माँ के श्री चरणों मे अपना...
बातें हिंदुस्तान की
छंद

बातें हिंदुस्तान की

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** अच्छा तो बताता हूँ मैं बातें हिंदुस्तान की, होनी चाहियें पूजा अपने देश के जवान की, हुई जो लड़ाई तो सीमा पर सीना तान कर, करते हैं रक्षा जो भारत माँ की शान की, सभी हिन्दुस्तानी सुनो, देश की कहानी सुनो, आओ हम भी मिलके अपने फर्ज को निभाते हैं। चलो एक दीप उनके नाम पे जलाते है, जो देश की सेवा में अपनी जान को लुटाते हैं। कुछ दिन पहले खबर एक आई थी, गलवान वाली घाटी में तो हुई एक लड़ाई थी, सेना ने भी अपनी ताकत दिखलाई थी, दुश्मनों को धूल इस वतन की चटाई थी। सभी हिन्दुस्तानी सुनो, देश की कहानी सुनो, आओ हम भी मिलके अपने फर्ज को निभाते हैं। चलो एक दीप उनके नाम पे जलाते है, जो लौट के वापस अपने घर नही आते हैं। सेवा की कीमत अपने लहू से चुकाते हैं, माँ का आँचल छोड़ बहुत दूर चले जाते है, देके अपनी जान इस वतन को बचाते हैं, ओढ़के तिरंगा घर वापस चले आते है...
रोको मत आगे बढ़ने दो
कविता

रोको मत आगे बढ़ने दो

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** कुछ पाना है कुछ करना है, बस उसी राह पर चलना है। चलते चलते जब गिरना है, तो उठकर खुद संभलना है। मंजिल की सीढ़ी चढ़ता हूँ, तूम चढ़ने दो, अब चढ़ने दो, रोको मत आगे बढ़ने दो, रोको मत आगे बढ़ने दो। अब ऐसी राह पर जाऊंगा ना बुजदिल मैं कहलाऊंगा। रख हौसला बढूंगा आगे, मंजिल खुद पा जाऊंगा। मैं अपने भविष्य को पढ़ रहा हूँ, अब पढ़ने दो, तुम पढ़ने दो, रोको मत आगे बढ़ने दो, रोको मत आगे बढ़ने दो। ना कहना है, ना सहना है नाही कोई और बहाना है। ना रुकना है ना झुकना है, जो ठानी है, वो पानी है । कुछ लोग भी हमसे जलते हैं, अब जलने दो, तुम जलने दो, रोको मत आगे बढ़ने दो, रोको मत आगे बढ़ने दो   परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिं...
जीवन का खेला बहुत ही अलबेला है
कविता

जीवन का खेला बहुत ही अलबेला है

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** प्यारे-प्यारे लोगों का लगता इस जग में मेला है, देख तमाशा जीवन का, ये खेला ही अलबेला है। ये खेला ही अलबेला हैं। शदियों की बात पुरानी है, ना मानो तो ये कहानी है । मिला है जो कुछ भी हमकों, सब अपनो की मेहरबानी है। पहन मुखवटा धर्म का, सबने किया झमेला है, देख तमाशा जीवन का, ये खेला ही अलबेला है। ये खेला ही अलबेला हैं। दोष नहीं है वेद पुराण की, जब कमी हुई गुणगान की। ये गजब लीला भगवान की, क्यों कद्र नहीं इंसान की। दूर होगा अब अंधियारा कैसे, इस जग का दीपक अकेला हैं। देख तमाशा जीवन का, ये खेला ही अलबेला है। ये खेला ही अलबेला हैं। अपनी कीमत खुद से पूछो, पानी की कीमत प्यासे से। बन जाओगे शिकार कभी, बच के रहना झूठी झांसे से। कंकड़, पत्थर रास्ते में आये, मंजिल तक आते ढेला है। देख तमाशा जीवन का, ये खेला ही अलबेला है। ये खेला ही अलबेला हैं। &nbs...
ये वक़्त गुजर जाएगा
कविता

ये वक़्त गुजर जाएगा

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** उदास ना हो ये मुसाफिर के धीरे-धीरे सब सवंर जाएगा। चिंता ना कर इस बुरे वक़्त की ये भी कल गुजर जाएगा। सुख-दुःख तो मेहमान है, आते और जाते रहेंगे। हँसते रहना तुम सदा, रुलाने वाले रुलाते रहेंगे। कर मेहनत हासिल हो मंजिल चेहरे का रंग निखर जाएगा। चिंता ना कर इस बुरे वक़्त की ये भी कल गुजर जाएगा। खुश रहना तू हर घड़ी, दुःख से बहुत ही दूर है तू कर परख पहचान अपनी, हीरे से बढ़ कोहिनूर हैं तू भूल जा इन गुजरे पल को, आने वाला कल बेहतर जाएगा। चिंता ना कर इस बुरे वक़्त की ये भी कल गुजर जाएगा। करके मेहनत इस जग में, ऊँचा नाम कामना तूम चेहरे पे खुशियां हो और मेहनत की रोटी खाना तुम अच्छे कर्म करोगे तब चेहरे का रंग निखर जाएगा। चिंता ना कर इस बुरे वक़्त की ये भी कल गुजर जाएगा।   परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज) आप भी अपनी क...
एक एहसास ऐसा भी
कविता

एक एहसास ऐसा भी

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** क्या देंगे साथ जीवन भर, जो पल भर में उब जाते है। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं। आशा नही अब आश की, और कद्र नही विश्वास की, कीमत पानी की नही, बल्कि कीमत होती हैं प्यास की जीना मरना ये सब तो महफूज बाते हैं। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं। खुशियों की दामन छोड़कर, रिश्तों का बंधन तोड़कर, अब तो बताइये, क्या मिला अपनों की संगत छोड़कर जीने मरने की कसमें तो खूब खाते हैं। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं। क्या देंगे साथ जीवन भर, जो पल भर में उब जाते है। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं।   परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अप...
कलम, आज उनकी जय बोल
कविता

कलम, आज उनकी जय बोल

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** भारत है अपना बहुत महान, जन्में है यहाँ पे वीर, ये उन वीरों की कहानी है, जिन्होंने दी कुर्बानी है। जो चढ़ गए हँसकर फाँसी पर, बिना किये गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल कलम, आज उनकी जय बोल माँ के आँचल में रहने वाले, आँचल से ही दूर गए भारत की रक्षा करने में, माँ बहनों के सिंदूर गए बिना रुके करते है सेवा, जैसे रुके न कभी चक्र वो गोल कलम, आज उनकी जय बोल कलम, आज उनकी जय बोल याद करो उन वीरों को जिन्होंने जान गावाई थी, देकर अपने प्राण, लहू की नदियां जब बहाई थी। दुश्मनों की छाती पर चढ़कर, जब वीरों ने बजाई ढोल, कलम, आज उनकी जय बोल कलम, आज उनकी जय बोल   परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक ...
कैसे पढ़ेगा गरीब का बच्चा
कविता

कैसे पढ़ेगा गरीब का बच्चा

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** अरे अब क्या अच्छा हो रहा है, जो इतनी बड़ाई हो रही हैं, अरे अब क्या अच्छा हो रहा है, जो इतनी बड़ाई हो रही हैं, और कैसे पढ़ेगा अब गरीब का बच्चा जब ऑनलाइन पढ़ाई हो रही हैं। सुना है भारत देश को डीजिटल अब बनाया जा रहा है, शिक्षा पे हक समान है, सबको यह बताया जा रहा है। पढ़ेगा तो बढ़ेगा इंडिया सबको यह समझाया जा रहा है, गरीबी मिटाने के नाम पर गरीब को ही मिटाया जा रहा है। धर्म बना है संकट अब हर बात पर लड़ाई हो रही हैं, और कैसे पढ़ेगा अब गरीब का बच्चा जब ऑनलाइन पढ़ाई हो रही हैं। जरा देखलो उन गरीबों को सरकार पे विश्वास है, क्या पढ़ेगा उनका बच्चा साधन न जिनके पास है। जमाना डिजिटल टीवी का है और बात भी ये है सही, और उनका क्या होगा जिनके घर टीवी हैं ही नही। बात रखेंगे जब हम सामने बड़ी देर से अब सुनवाई हो रही हैं, और कैसे पढ़ेगा अब गरीब का बच्चा जब ऑनलाइन प...
पिता के लिए
कविता

पिता के लिए

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** जो बिन दिखाए रोता है, आंसू छुपाये रोता है, और सारी उम्र तुझे अपनी दिमाग मे ढोता है। जो बिन दिखाए रोता है, आंसू छुपाये रोता है, और सारी उम्र तुझे अपनी दिमाग मे ढोता है। वो कोई और नही महोदय सिर्फ एक पिता होता है। अपनी परिवार को खुश देखकर जो खुशियों से फुल जाता है । और मेरी एक मुस्कान पर, अपने लाखो गम वो भूल जाता हैं। जो खुद बनकर रेशम तुझको मोती समान पिरोता है, वो कोई और नही महोदय सिर्फ एक पिता होता है। मुझे कामयाब बनाने के लिए, जो मेहनत दिन रात करता है। और उसके बारे में क्या लिखूं, जो खुद भूखे रहकर मेरा पेट भरता है। मुझे देकर रौशनी जो खुद अंधेरे में सोता है, वो कोई और नही महोदय सिर्फ एक पिता होता है। क्या झगड़ा क्या विवाद है, बस इतना ही अब याद हैं। उसकी हर डांट मेरे लिए, एक बहुत बड़ी आशीर्वाद हैं। तेरी ही कहानी में जिसका तो हर किस्स...
कामयाबी का मंजर
कविता

कामयाबी का मंजर

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** क्यों हार हुई उस गलती को तुम फिर से अपने अंदर देखो, ना इधर देखो, ना उधर देखो सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो सोचो क्यों आगे बढ़ती है, लहरों से नौका लड़ती है। तब जाकर नौका उस, दरिया को पार करती हैं। भूल जाओ सब को बस खुशियों का समंदर देखो, ना इधर देखो, ना उधर देखो सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो मंजिल की करो तालाश तुम, खुद पर रखलो विश्वास तुम। कभी आये जीवन में मुश्किल तो, ना होना कभी निराश तुम, तुम जीतोगे हर मुश्किल से, बस अपने आप मे सिकंदर देखो। ना इधर देखो, ना उधर देखो सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो सुख दुःख तो मेहमान हैं, जीवन मे सदा ही आते हैं कभी देते है जी भर खुशियां, कभी सबको यही रुलाते है। क्यों हार हुई उस गलती को तुम फिर से अपने अंदर देखो, ना इधर देखो, ना उधर देखो सिर्फ भविष्य में कामयाबी का मंजर देखो ...
माँ तो बस माँ होती हैं
कविता

माँ तो बस माँ होती हैं

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** जो रखती आँचल के छाव तले, जन्न्त हो जिसके पाँव तले, अब ये मत पूछ वो क्या होती है, माँ तो बस माँ होती हैं.... तुझे कोई जो, दुःख सताये है, उसकी आँखों से आंसू आये है। हाथ पकड़कर चलना, बोलना जिसने तुमको सिखलाये है। कभी उसकी प्रेम न बयां होती हैं, माँ तो बस माँ होती है.... क्यों उसको तुम रुलाता है, क्यो उसको तुम सताता है, मन ही मन वो मुस्काती है, जब तुझको गले लगाती है। उसकी क्रोध में भी सब दया होती हैं, माँ तो बस माँ होती है.... उस जग जननी की प्राण तो, तेरे ही अंदर बस्ती है, तुहि उसकी दुनिया है, और तुहि उसकी हस्ती है। दुःख हर ले तेरी जीवन की, उसकी आँचल में वो हवा होती हैं, माँ तो बस माँ होती है.... सुना है बहुत न्यारी हैं, जिसने तुमको दुलारी है हर दुःख पर वो तो भारी हैं, इस जग में सबसे प्यारी हैं। दवा से बढ़कर भी तो उसकी आशीर्वाद और दु...
चिट्ठियां तेरे नाम की
कविता

चिट्ठियां तेरे नाम की

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** आंखों की आँसू सुख गई, अब सिसकियां नही आती, तू याद नही करती और मुझे हिचकियाँ नही आती। लिखने को लिखी कई चिट्ठियां तेरे नाम की, पर तु जहाँ हैं, वहाँ कोई चिट्ठियां नहीं जाती। अगर तू बन जाय मंजिल, तो हम तेरे सफर बनेंगे सुख में तेरे साथ हैं, और दुःख का भी हमसफर बनेगें। जो बह जाय लहरों के संग वो वापस कभी मिट्टियां नही आती, पर तु जहाँ हैं, वहाँ कोई चिट्ठियां नहीं जाती। कभी सोचा ना था बदलोगे और इतना कैसे बदल गए, कहते थे साथ न छोड़ेंगे, और छोड़के क्यों तुम चले गए। जिस लब की बाते गूंजती थी, उस लब से अब तो सीटियां नही आती पर तु जहाँ हैं, वहाँ कोई चिट्ठियां नहीं जाती। कैसे तुम्हें बताए हम, इस दिल सुनाए हम तेरे बिना तन्हा तन्हा कैसे ये पल बिताए हम दिल दर्द होठो से कभी बयां नहीं कि जाती पर तु जहाँ हैं, वहाँ कोई चिट्ठियां नहीं जाती।   ...
डॉ प्रियंका रेड्डी की पुकार
कविता

डॉ प्रियंका रेड्डी की पुकार

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** बड़े प्यार से पापा ने डॉक्टर मुझे बनाया था मेरे माँ ने मुझे अच्छे संस्कार सिखलाया था। वो चार मैं अकेली थी, चीखी और चिलाई थी, लेकिन उन दरिंदों को जरा रहम ना आई थी। याद है मैं एक डॉक्टर थी, लाखो की जान बचाई थी। पर न जाने बुरे वक्त पे मुझे न कोई बचाया था बड़े प्यार से पापा ने डॉक्टर मुझे बनाया था मेरे माँ ने मुझे अच्छे संस्कार सिखलाया था। देख अब मानव के तन से मानवता ही चली गई, कांप गईं मेरी रूह भी आग में जिंदा जली गई। जब उन दरिंदों ने मेरे जिन्दे शरीर पे आग दिए, हम तो वह तड़प-तड़प कर अपने प्राण त्याग दिए। छोटी सी उम्र में माँ-बाबुल का जग में मान बढ़ाया था बड़े प्यार से पापा ने डॉक्टर मुझे बनाया था मेरे माँ ने मुझे अच्छे संस्कार सिखलाया था। करना जब इंसाफ तुम तब न्याय का पर्दा हटा देना, बिना सोचे समझे उनको फांसी पर लटका देना। तोड़ देना अब त...
क्यों भूल जाते हो, “पालनहार” को
कविता

क्यों भूल जाते हो, “पालनहार” को

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** जिनके नाम का इस जगत में देख हुवा उजाला है , क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है । जिन्होंने तुमको पाला है।। भले ही आगे बढ़ जायेगा दुनिया के व्यापार में , नहीं मिलेगी वो खुशी जो मिलती इनके प्यार में । कुछ नही मिलने वाला इस कलयुग के बाजार में , आज़ा फिर से लौटकर उन खुशियों के संसार में । छोड़ दिया वो दामन कैसे जो जनन्त से निराला है , क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है । जिन्होंने तुमको पाला है।। जैसे जैसे तू बड़ा हुवा, उनका भी सपना खड़ा, लेकिन वो सपना टूट गया , जब साथ तुम्हरा छूट गया ढूढं रहे हो जो तुम वो अब आएगा ना हाथ मे , भूल गये वो दिन कैसे जो गुजरे उनके साथ में दर दर ठोकर खाओगे वो दिन अब आने वाला है । क्यो उनकों भूल जाते हो जिन्होंने तुमको पाला है । जिन्होंने तुमको पाला है।। तेरी खुशी देखकर जिन्होंने दुःख झे...
“माँ – बाप” के चरणों की खुशी
कविता

“माँ – बाप” के चरणों की खुशी

********** विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) जिस तरह ये रोज - रोज सारी कलियां खिलती है, बहुत खुशी माँ-बाप के चरणों मे मुझे मिलती हैं। ईश्वर से भी बढ़कर करता इन दोनों का सेवा मैं, तभी तो रोज पाता हूँ आशीर्वाद का मेवा मैं। हम बच्चों के खातिर देखो ,कितने दुःख उठाये है, कदर उनकी सदा ,जो इस दुनिया को दिखाये है। मानो मेरी बात सभी तुम हाथ जोड़कर विनती है बहुत खुशी माँ-बाप के चरणों मे मुझको मिलती हैं। तुम सोचो माँ-बाप ने तुमसे, कितना आस लगाया है, हाथ पकड़कर चलना जिसने, इस जग में सिखाया है। पूछ लेना उनलोगों से जिन्होंने ठोकर खाया है, माँ-बाप को छोड़ कोई, दूजा काम न आया है। मानो मेरी बात सभी तुम हाथ जोड़कर विनती है बहुत खुशी माँ-बाप के चरणों मे मुझको मिलती हैं। सुन मुसाफिर तू कही जो इनका दिल दुःखायेगा, भटकेगा इस जग में और दर-दर ठोकर खायेगा। ये फरेबी दुनिया जिस दिन, तुमको खूद बदनाम करेगी, माँ-बाप क...