Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: विकास सोलंकी

रोटी के नाम
दोहा

रोटी के नाम

विकास सोलंकी खगड़िया (बिहार) ******************** डिजिटल के इस दौर में, लाख करें अपलोड । गूगल से होता नहीं, रोटी डाउनलोड ।। रोटी मिलती है नहीं, हम मुफलिस को एक । जनम दिवस के नाम पर, काट रहे वो केक ।। होते होते हो गई, रोटी ज्यों ही गोल । तपते ताबे पर चढ़ा, अनगढ़ सा भूगोल।। युद्ध अमन की कामना, जब भी करते खास । दुहराना पड़ता सदा, रोटी का इतिहास ।। देना पड़ता सूर्य को, सच में तब धिक्कार । पा लेता है चाँद जब, रोटी का आकार।। परिचय :-विकास सोलंकी निवासी : खगड़िया (बिहार)) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रक...
क्या नहीं है मुझमें
ग़ज़ल

क्या नहीं है मुझमें

विकास सोलंकी खगड़िया (बिहार) ******************** देखो क्या-क्या नहीं है मुझमें सब कुछ तुझसा नहीं है मुझमें। मिट्टी पानी वही आग हवा केवल आसमा नहीं है मुझमें। आती - जाती बहारें तो हैं कोई ठहरा नहीं है मुझमें। आईना देख के लगता है सब पहले सा नहीं है मुझमें। दुनिया से अब छुपाऊं क्या मैं कुछ भी ऐसा नहीं है मुझमें। इतना खाली हुआ सोलंकी कुछ आज बचा नहीं है मुझमें। परिचय :-विकास सोलंकी निवासी : खगड़िया (बिहार)) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करक...