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Tag: वंदना गोपाल शर्मा “शैली”

मां के लिए … बेटियां कभी पराई नहीं होती…
आलेख

मां के लिए … बेटियां कभी पराई नहीं होती…

वंदना गोपाल शर्मा "शैली" भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** मां कभी धूप सी... तो कभी छांव सी होती है... मां के लिए बेटियां कभी पराई नहीं होती है! बहुत डांटती थी मां बचपन में, तब धूप सी लगती थी! जैसे धूप का विटामिन ई मजबूती प्रदान करता है, सहनशीलता भी बढ़ाता है और ज्यादा लाड़ बिगाड़ता है मानों शुगर बढ़ाता है। अधिकांशतः मांएं कहती है- "बिटिया...! तुम्हें दूसरे घर जाना है, समायोजन भी सीखना है, कभी तुम्हारे लिए रसोईघर में सब्जी न बचे तो आचार या दही से खा लेना पर शोर न मचाना बच्चों की तरह... मेरे सामने सब चलेगा पर वहां नहीं, क्योंकि मैं जन्मदात्री हूं और सासुमां धर्म की मां होगी।" वगैरह-वगैरह...! कितना सीखाती थी मां। बचपन में कभी एहसास नहीं हुआ कि मुझे अकेला छोड़ा हो, जरूर मेरे जन्म पर भी सबसे पहले मां ही खुश हुई होगी, हम भाई-बहनों की परवरिश और प्यार में कभी भेदभाव नही कीया। वो हमारी छ...