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चांदी का गांव, सोने की सड़क
कविता

चांदी का गांव, सोने की सड़क

लाल बच्चन पासवान, करचौलिया, मुजफ्फरपुर ******************** चांदी का गांव, सोने की सड़क, चलेगा मनुज अकेला बेधड़क। नदी को नापा बना लिया पुल लकड़ी लोहा पत्थर का पुल, धूम्रगाड़ी पर चढ़ नाव गया भूल तीव्र चाल से ठहराव गया भूल, मंजिल से पूर्व खाई देख अकबक। पड़ोसी से ज्यादा परदेशी साथी जानवर होते थे जीवन का साथी, मुर्गा कुत्ता गदहा घोड़ा ऊंट हाथी हाथी मेरा साथी या साथी मेरा हाथी, सबको भगाकर घर किया चकाचक। बारूद भरी दुनिया में बारूद खायेगा जिसे जन्तु नकारे, वो खुद खायेगा, शेष जीव भगाकर चैन कहां पायेगा जैसा करेगा, वैसा ही पायेगा, स्वर्ग-सी धरती बनेगी नरक। परिचय :-  लाल बच्चन पासवान, शिक्षक सम्प्रति : शिक्षक निवासी : करचौलिया, मीनापुर, मुजफ्फरपुर प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने प...