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Tag: रेखा दवे “विशाखा”

अमृत
कविता

अमृत

रेखा दवे "विशाखा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अमृत अगर पाना है, तो विष भी पीना ही है l धन्य धरा हो जाती है, जब जन पुरुषार्थी आते है l माना जीवन दुःसहय है, नहीं वह विष से कम है l नीलकंठ बन बढ़ना है, कठिन को सरल बनाना है l l तपता सोना, तपता लोहा, तपता सूरज देव है l तप तप कर ही ऋषि मुनि ने, पाया जीवन का धैय है l l अमृत अमृत अगर पाना है, तो विष भी पीना ही है l धन्य धरा हो जाती है, जब जन पुरुषार्थी आते है l माना जीवन दुःसहय है, नहीं वह विष से कम है l नीलकंठ बन बढ़ना है, कठिन को सरल बनाना है l l तपता सोना, तपता लोहा, तपता सूरज देव है l तप तप कर ही ऋषि मुनि ने, पाया जीवन का धैय है l l परिचय :- श्रीमती रेखा दवे "विशाखा" शिक्षा : एम.कॉम. (लेखांकन) एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं अर्थ शास्त्र) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में : श्री मा...
संकल्प
कविता

संकल्प

रेखा दवे "विशाखा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आद्य मन के भाव समर्पित l कृतज्ञता से करें अर्पित l संकल्पित हो हिंदी दिवस पर, करें वंदना अति हर्षित l माँ के रक्त से तन है सिंचित, वाणी से वर्त्तन पोषित l संकल्पित हो हिंदी दिवस पर करें वंदना अति हर्षित l स्वर से वर्ण है श्रृंगारित, हिंदी पल्लव (रस, छंद, अलंकार) से सुरभित l संकल्पित हो हिंदी दिवस पर, करें वंदना अति हर्षित l द्यू लोक से उत्तर धरा पर, व्यक्त हुई यह वाणी है l संकल्पित हो हिंदी दिवस पर, करें वंदना अति हर्षित l भारत गौरव गाथा की, परिचायक हिंदी भाषा है l भाषा भारती मात हमारी, हम ही उत्तराधिकारी l संकल्पित हो हिंदी दिवस पर, करें वंदना अति हर्षित l परिचय :- श्रीमती रेखा दवे "विशाखा" शिक्षा : एम.कॉम. (लेखांकन) एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं अर्थ शास्त्र) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में : श्री माधव पुष्प सेवा ...
सत्कर्म
कविता

सत्कर्म

रेखा दवे "विशाखा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** द्वन्द भरे इस जीवन में, कुछ पाया, कुछ ना पाया। जो पाया वह प्रसाद बना, ना पाया वह अवसाद बना। द्वन्द भरे इस जीवन में, कुछ पाया, कुछ ना पाया। कभी राग मिला, कभी विराग मिला। कभी जीत मिली, कभी हार मिली। जब जीत मिली तब प्रीति मिली। जब हार मिली, तब रिक्त रही। जब रिक्त रही, तब सत्कर्मो कि सुध मिली। जब सुध मिली, तब दृढ हुई। दृढ़ हुई, संकल्प लिए। संकल्प लिए, कटिबद्ध हुई। सत्कर्म को स्वीकार किया। स्वीकार किया, सत्कर्म किये। यही जीवन का आधार बने। आधार बने, अविराम रहे। अविराम रहे, अनुराग बढ़े। अनुराग बढ़े, आनंद मिले। आनंद जीवन का ध्येय बने। द्वन्द भरे इस जीवन में, कुछ पाया, कुछ ना पाया। परिचय :- श्रीमती रेखा दवे "विशाखा" शिक्षा : एम.कॉम. (लेखांकन) एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं अर्थ शास्त्र) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में : श्री माधव ...
बंधन
कविता

बंधन

रेखा दवे "विशाखा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बंधन तो बंधन होते है। संबंधों का वंदन है। माँ का मान बढाती है। उस वीर वधू का वंदन है। संस्कारों कि पहनकर माला, जोड़ा दो परिवारों को। अपने स्नेह से सिंचित कर, सुरभित किया घर आँगन को। मेहंदी हाथों में सजी है, नयन स्वप्न लीन है। स्वयं को श्रंगारित करती, वीर की प्रतीक्षारत रहती। वीर वधू का वंदन है। उस वीर वधू का वंदन है। माँ का मान बढाती है। उस वीर वधू का वंदन है। परिचय :- श्रीमती रेखा दवे "विशाखा" शिक्षा : एम.कॉम. (लेखांकन) एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं अर्थ शास्त्र) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में : श्री माधव पुष्प सेवा समिति कि सामाजिक कार्यकर्ता एवं श्री अरविन्द सोसायटी कि सदस्य व श्री अरविन्द समग्र शिक्षा अनुसन्धान केंद्र के अन्तर्गत नव विहान शिक्षा अकादमी कि पूर्व संचालिका। रूचि : अध्ययन, सृजन, श्री अरविन्द शिक्षा क...
समर्पण
कविता

समर्पण

रेखा दवे "विशाखा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** माँ भवानी तेरी पुत्री, मान तेरा बढ़ायेगी। भाल सिंदूर चढ़ाकर के, शत्रु का संहार करेगी। आज किया सुहाग समर्पित, करूँ कल आत्मज अर्पित। कर्तव्य कर्म से हो मन हर्षित, श्रद्धा, निष्ठा हो द्विगुणित। कर के कंगन से अस्त्र बनाकर, ध्वस्त करूँ आतंक के घर। तेरे मान के बलिदानों पर, समर्थशील सबला बनकर। तुझे रक्त तिलक करुँ । तेरा ही प्रतिबिम्ब बनूँ। आततायी का मरण करुँ। सर्वस्व तुझे समर्पित करूँ। परिचय :- श्रीमती रेखा दवे "विशाखा" शिक्षा : एम.कॉम. (लेखांकन) एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं अर्थ शास्त्र) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में : श्री माधव पुष्प सेवा समिति कि सामाजिक कार्यकर्ता एवं श्री अरविन्द सोसायटी कि सदस्य व श्री अरविन्द समग्र शिक्षा अनुसन्धान केंद्र के अन्तर्गत नव विहान शिक्षा अकादमी कि पूर्व संचालिका। रूचि : अध्ययन, सृजन, श्र...
प्रीत की पाती
कविता

प्रीत की पाती

रेखा दवे "विशाखा" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तुमसे परिणय कर मैंने, धन्य किया जीवन अपना। ओ बाला तुम अपने आँगन, पल प्रति पल प्रसन्न रहना। जब कभी स्मरण हो मेरा, नमन माँ को करना तुम। जिसने मुझे बड़ा किया, उनसे प्रेरणा लेना तुम। ओ बाला तुम अपने आँगन पल प्रति पल प्रसन्न रहना। जब कभी स्मरण हो मेरा, बालक को गले लगाना तुम। धीर वीरों सी वीरता, उसको भी सिखलाना तुम। ओ बाला तुम अपने आँगन पल प्रति पल प्रसन्न रहना तुम मेरे नयनो की ज्योति, तुम ही मेरी समर्थ शक्ति। मात-पिता की हितकारी, अपने बच्चों की अनुरागी। तुमसे परिणय कर मैंने, धन्य किया जीवन अपना। ओ बाला तुम अपने आँगन पल प्रति पल प्रसन्न रहना। परिचय :- श्रीमती रेखा दवे "विशाखा" शिक्षा : एम.कॉम. (लेखांकन) एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं अर्थ शास्त्र) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान में : श्री माधव पुष्प सेवा समिति कि सामाजिक कार...