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Tag: रूपेश कुमार

आया रक्षा बंधन
कविता

आया रक्षा बंधन

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** आया जी आया रक्षा बंधन का त्यौहार, भाई-बहनों का का प्यार का त्यौहार, जीवन के जन्मों-जन्मों का साथ देती, बहना भाई के जीवन को रक्षा करती, संसार के हर दुखों से भाई की भलाई करती, जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन की रक्षा करती हैं, हर संकट मे हौसला बढ़ाती भाई को, प्यार दुलार भाई पर लुटाती हमेशा, जीने की हजारों-हजार साल तक कामना करती, भाई की हर दुखों को हर लेती, उनकीं सुखी रहने की कामना करती, अपना अमृत सागर सुख चैन लुटाती, बहना-भाई की एक शान होती है, जीवन मे हर परिस्थियों से भाई को बचाती है, ममता की चादर ओढाती है, ममता की मूरत से सजाती है ! परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्...
यादें जीवन की
कविता

यादें जीवन की

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** (अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या पर) इतनी-सी क्या देर हो गई तुझे, तुम्हें आए कितना दिन हुआ, ऐसे कोई थोड़े जाता है भला क्या, ये जिंदगी कोई खेल थोड़े है, चौतीस यैवन देख चुके तुम, क्या इतना ही ज्यादा हो गई, इस छोटी-सी जिंदगी मे, जीवन क्यों मजबूर हूई, अभी सारा जीवन बाकी था, शुरुआत तो अब हुई थी, दूसरे की हौसला देने वाले, स्वयं क्यूँ तू हार गए तुम, इस नश्वर दुनिया मे तुम, मौत को क्यूँ दोस्त बना लिए तुम, अभी और अधियारा आता भी, इतनें मे क्यूँ हार गए तुम, जीने का सलीका सिखाने वाले, स्वयं सलीका भुल गए तुम, युवा जीवन के पायदान पे चढ़ते, दुनिया से क्यूँ रूठ गए तुम, सबके चेहरे पे हँसी लाने वाले, स्वयं डिप्रेशन मे चले गए तुम, इस बेखुदी दुनिया मे, जीवन से हार गए तुम ! परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी...
मै भारत माँ का बेटा हूँ
कविता

मै भारत माँ का बेटा हूँ

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** मै भारत माँ का बेटा हूँ, भारत माँ मेरी माता है, भारत माँ का लाल हूँ , भारत माँ का सोना हूँ, मै भारत माँ का बेटा हूँ, भारत माँ मेरी आँशु है , भारत माँ की छांव में, हर दिन सुकून पाता हूँ, मै माँ का बेटा हूँ, भारती की मै आशियाने मे, हर दिन-रात भटकता हूँ, भारत माँ आन-बान-शान है मेरी, मै भारत माँ का बेटा हूँ, भारत माँ को पुजता हु मै, भारत माँ की राह चलता हूँ मै, भारत माँ आरजू है मेरी, मै भारत माँ का बेटा हूँ, मेरी भारत माँ विश्व की सिरमौर है, जिसे सारी दुनिया मे पूजा जाता, जहाँ राम की पूजा होती, सभी अल्लाह को पुकारते है, गुरुनानक देव जन्म लिए, मै भारत माँ का बेटा हूँ, जहाँ जैन धर्म की उत्पति हुई, महावीर यहाँ पैदा हुये, बुद्ध ये जन्म भूमि हुई, मै भारत माँ का बेटा हूँ, जहाँ रफी साहब राम का गीत सुनाते, प्रेमचंद्र बच्चो को ईदगाह सुनाते,...
मेरा सपना सच हो जायें
कविता

मेरा सपना सच हो जायें

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** काश मेरा सपना सच हो जायें, जीवन के बहुमुल्य समय सत्य हो जायें, सबको अपना लक्ष्य प्राप्त हो जायें, मन को छू लेने वाली कोई बात हो जायें, काश मेरा सपना सच हो जायें, विज्ञान की प्रगति से दुनिया को आलोकित किया जायें, भौतिकी, रसायन , जीव की जीवनदान मिल जायें, मनुष्यों मे जग-ज्योत जलाया जायें, काश मेरा सपना सच हो जायें, साहित्य से समाज का ज्योत जलाया जायें, राजनीतिक की स्तंभ को रोशनी दिखाया जायें, जीवन के दृव्य-दृष्टि को नई पहचान दिलाया जायें, काश मेरा सपना सच हो जायें, मौत के मुह से कैसे बचा जायें, साँसो के साँस से कैसे बचा जायें, नवजीवन को नव नवल नई नयन मिला जायें, काश मेरा सपना सच हो जायें, जीवन मे प्यार को प्यार मिला जायें, आँखो से ओझल होकर दुनिया मिला जायें, आरजू - गुस्त्जू से याद मिला जायें, काश मेरा सपना सच हो जायें, जीवन मे गणि...
एक दिया जलाएंगे
कविता

एक दिया जलाएंगे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** भारत को कोरोना मुक्त बनाएंगे, हम भारत वासी हर घर मे दिया जलाएंगे, हर भारत वासियो को सलामत रखना सिखायेंगे, हर क्षण को देश के नाम जीवन देंगे, हम सभी सामाजिक दूरियों का पालन करेंगे, जीवन को महामारी से स्वयं एव समाज को बचाएंगे, समाज मे जागरुकता एव ज्ञान का दिपक जलाएंगे, बिमारियों से सभी से दूर भगायेंगे, विश्व मे अपना भारत का नाम ऊचाँ करायेंगे, कोरोना से जीत कर हम विश्व को दिखलायेंगे, हम सभी भारत के सेना, पुलिस, डॉक्टर साथ-साथ हाथ बढ़ाएँगे, जीवन को कोरोना मुक्त स्वयं एव समाज से करायेंगे, घर मे रहकर लॉक डाउन का पालन जी-जान से करेंगे, ना घर से निकलेंगे और ना समाज को घर से निकलने देंगे ! . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्य...
इंतजार
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इंतजार

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** मैने, वर्षो से तुम्हारे इंतजार मे, क्या से क्या हो गया, लेकिन तुमको मालुम नही, तुम जो हो, मेरी मासूमियत का, मेरी समझ से, परे नही हो, मै जनता था, तुम मेरी हो नही सकती हो, मगर तुम्हरा इंतजार, मुझे वर्षो से, था और रहेगा, तुम जानती हो, मै तुम्हे मानता हो, मेरी साँसों, मेरी याद्दो मे, सिर्फ तुम ही तुम हो, मगर तुम्हारी याद मुझे, हमेशा तड़पाती है, काश ये दुनिया, इतना खुशनसीब ना होती, ना मै होता ना तुम होती, ना तड़प होती, ना आरजू होती, और ना गुस्तजु होती, जो ख्वाब दिल मे है, वो दिल ही मे दफन हो जाती, ना जमी होता, ना आसमां होता, ना रात होता, ना दिन होता, होता तो सिर्फ, हमारी-तुम्हारी दिलो का, बेजुबान रिश्ता! . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड...
सिर्फ लाल
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सिर्फ लाल

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** मेरी माँ ने एक बार कहा था, बेटे जहा गणतंत्र का झंडा, फहराया जाये, २६ जनवरी को, वहां ! उस जश्न मे मत जाना, उस झण्डे के नीचे मत जाना, ये सफेदपोश, उस झण्डे को दागदार कर दिये है, हर साल इसकी छाया मे, इसके साथ बलात्कार करते है, जर्जर बना दिये है इसे, अब टूटने ही वाली है -यह आजादी ! सुनो बेटे ! यह सुनो बेटे ! सुनो- यह गीत किसी कवि का है - "बाहर न जाओ सैया, यह हिन्दुस्तान हमारा, रहने को घर नही है, सारा जहां हमारा है", रेडियो पर सुनते ही यह गीत, मै ठठा कर हंसा था, और माँ से कसम लिया था- जब तक मै मुखौटे नोचकर, इनका असली रूप/तुम्हारे सामने, नही रखूँगा, लानत होगी मेरी जवानी की, धिक्कार होगा मेरे खून का, इस झण्डे को, अब बिल्कुल लाल करना होगा माँ, तुम मुझमे साहस भरो, लाल क्रांति का आहवान दे रही है माँ, ताकि तिरंगे के नीचे कोई रंग न हो, कोई रंगरे...
जिन्दगी
कविता

जिन्दगी

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** जिन्दगी के पन्नों में, ना जाने कब क्या हो, कही मौत का पता नहीं, कही जान का अता नहीं। सिर्फ रह जाती हैं, नीलाम्बर सी याद्दे, इन यादों का एहसास, ना जाने कब दफन हो जाएँ। वक्त के साथ चलो, जिंदगी के मेलों मे, मधुर वाणी के अमृत की, जीवन चरिचार्थ हुईं। . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशित पुस्तक - मेरी कलम रो रही है कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त ! आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हि...
नव वर्ष मे
कविता

नव वर्ष मे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** नव वर्ष मे, नव रुप मे, नव नवल मे, नव कमल मे, नव रंग मे, नव तरंग मे, नव उदय मे, नव राग मे, नव गीत मे, नव प्रीत मे, नव उमंग मे, नव उज्जवल मे, नव नभ मे, नव सुर्य मे, नव रीति मे, नव नीति मे, नव जीत मे, नव प्रवाह मे, नव दिशा मे, नव दर्पण मे, नव ज्योति मे, नव पूजा मे, नव देश मे, नव काल मे, नव साल मे, नव चेतन मे, नव गीत मे, नव छंद मे, नव कविता मे, नव कहानी मे, नव जीवन मे, नव प्रसंग मे, नव स्नेह मे, नव प्रेम मे, नव शब्द मे, नव ज्ञान मे, नव संगीत मे, नव ताल मे, नव उम्मीद मे, नव सौगात मे, नव आश मे, नव साँस मे, नव अवसर मे, नव चाह मे, नव स्फूर्ति मे, नव थकावट मे, नव पथ मे, नव पहचान मे, नव धर्म मे, नव जात मे, नव सोच मे, नव संकल्प मे, नव नूतन वर्ष मे, नव उपहार मे, नव सुबह मे, छांव में, नव वर्ष की, नव क्षण मे, नव रोशनी की, नव उल्लास मे, नव म...
नया साल नई उमंगे
कविता

नया साल नई उमंगे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** नया साल आया, नई उमंगे लाया, नई रोशनी और नया प्रकाश लाया, नई खुशियों से भरपूर नई दुनिया लाया, नये युग मे, नई विचार छायां, नया साल मे, नई उमंगे लाया, नई खेत मे, नया फसल उगाया, नई जिंदगी मे, नया जोश भर लाया, नई गीत मे, नया संगीत मिलाया, नया साल मे, नई उमंगे लाया, नये रिस्ते और नये नाते जोड़ा, नई सुबह मे, नया शाम लाया, नई ज्ञान का, नया भंडार लाया, नया साल मे, नई उमंगे लाया, नई आरजू और नई गुस्त्जू लाया, नई दिल मे, नया प्यार बसाया, नई रास्ते और नया मंच लाया, नया साल मे, नई उमंगे लाया .... . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, स...
काल की बहती हवा मे
कविता

काल की बहती हवा मे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** काल की बहती हवा मे, एक सच्चा बेटा जा रहा है, भारत माता की वो सन्तान, जिसके लिए दुनिया रो रही है! काल की बहती हवा मे, अमर गीत गा रहा है, जिस मातृभूमि ने, पैदा कि वो रो रही है! काल की बहती हवा म , तारे तिलमिला रहे है, जिसकी रोशनी से अटल, अजर अमर हो गये है, काल की बहती हवा मे, पेङ पौधे सूख रहे है, जिसकी छाँव मे अटल, कविता की रचना कर रहे थे, . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशित पुस्तक - मेरी कलम रो रही है कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त ! आप भी अपनी कविता...
सुबह की पहली किरण
कविता

सुबह की पहली किरण

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** सुबह की पहली किरण, हमे नई रोशनी है दिखती, जीवन की नई रास्ता है दिखती, मन और तन मे नई जोश जगाती, जीवन को नई उजाला दिखलाती, मन को उमंगो से भर जाती, सुबह की पहली किरण, नई लक्ष्य दिखाती, नई रंग और नई रुप दिखाती, नई कल्पनाओ से हमे अवगत कराती, नई अस्तित्व में नये आयाम लाती, नई पीढ़ी को नया ज्ञान देती, सुबह की पहली किरण, नई प्यार और आशीर्वाद देती, हमे जीवन सिखने का अवसर प्रदान कराती, दिल और हृदय को मेल कराती, नई दुनिया और दुनियादारी सिखाती, नई रोशनी और नई दिपक से उजाले कराती, सुबह की पहली किरण, मेरी अरमानो को नई अनुभूतियाँ देती, नई खुशियाँ और नई हस्तियाँ पैदा कराती, जीवन के राहो से मेरे काँटो को हटाती, मेरी मातृभूमि की रक्षा कराती, मेरी मंजिलो से हमे अवगत कराती, सुबह की पहली किरण, नई पशुओ और नई पंक्षियो का गान सुनाती, जीवन के सुनापन को म...
वो बचपन की याद फिर आयी
कविता

वो बचपन की याद फिर आयी

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी, ज़हाँ चिड़ियों की की चहचाहात रही चांदनी, खेतो मे खिलखिलाती रही रोशनी, भँवरो मे मुस्कुराहट भरी है, वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी! सूर्य की किरणे चमकता ही रहता है, पेड़ो मे फल लदा ही रहता है, चिड़ियों मे गुज गुजता ही रहता है, मन मे सांस चलता ही रहता है, वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी! नैनो मे मैना चहकता ही रहता है, मेहनत मे रंग आती ही रहती है, हर जगह हरियाली बढती ही रहती है, वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी! ज़हाँ पूरा देश शांति ही शांति है , नेताओं के सर पे खादी की टोपी है, विद्यार्थी का जीवन रोशन होता है, वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी! . लेखक परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिट...
फिर ये नजर हो न हो
कविता

फिर ये नजर हो न हो

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** फिर ये नजर हो न हो, मै और मेरी तनहाई, नजर आएगी, तुम तेरा मुस्कुराता, चेहरा यू खिलखिलाता, नाम तेरा पूजते रहूं, फिर ये नजर हो न हो! जिंदगी की खेल में, फूलों के मेल में, कलियों के साथ, गुलाबो के हाथ, तू मुझे सम्मान दो, या मुझे उफान दो, मै मिलेगा फिर तुमसे, फिर ये नजर हो न हो! रात की बात में, दिन की याद में, दोस्तो के साथ में, हसीनाओं के हाथ में, आंख की आशुओ में, दिल की धड़कन में, याद आ जाए तुम, फिर ये नजर हो न हो! . लेखक परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशित पुस्तक - ...
रोशनी बन जगमगाओ
कविता

रोशनी बन जगमगाओ

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे मे, रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे मे, दिलो का मिलना दिवाली का ये पैगाम, दुरिया दिल का मीटाओ इस अंधेरे मे ! अजननी है भटक न ज़ाए कही मंजिल, रास्ता उसको सुझाओ इस अंधेरे मे, ज़िन्दगी का सफर है मुश्किल इसलिए, कोई हमसफर हमदम बनाओ इस अंधेरे मे ! हाथ को न हाथ सुझे आज का ये दौर, रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे मे, अंध विश्वासो के इस मन्दिर मजारो मे, सत्य की शमा ज़लाओ इस अंधेरे मे ! रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे मे....! लेखक परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशि...
मां तू जग में महान
कविता

मां तू जग में महान

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** मां अम्बे तू गौरी, तेरे ही रूप अनेक, तू तीनों लोको में प्रसिद्ध , सबकी इक्शा पूर्ण करने वाली, नव नामों से तू पुकारी जाती, प्रथम तू शील तपस्या से परिपूर्ण, शैलपुत्री से जानी जाती, दूसरी ब्रहा जी की स्वरूप प्राप्त, ब्रह्मचारिणी से प्रसिद्ध हुई, तीसरी तू चन्द्र घंटा में स्थित, चंद्रघंटा से चरीचार्थ हुई, संसार जिनके उदर में स्थित हो, उस देवी के चौथे रूप कूष्माण्डा से जानी जाती, मां शक्ति से उत्पन्न , सनतकुमर के नाम से, पाचवी रूप को स्कंदमाता से प्रसिद्ध हुई, महर्षि कात्यायन के आश्रम से प्रकट हुई, मां के छठे रूप को कात्यायनी कहते है, सब दुष्टों को संहार करने वाली काल के रात्रि, मां के सातवें रूप को कालरात्रि कहते है, महान गौरवपूर्ण तपस्या द्वारा प्राप्त, मां के आठवीं रूप को महागौरी कहते है, तीनों लोको में सबको मोक्ष प्रदान करने वाली, मां के ...
मां की दुआ
कविता

मां की दुआ

********** रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) मां की दुआओ से खुशियां भर जाती है, मां बिना जन्म की कल्पना नहीं होती है, मां दुनिया अनमोल होती है, मां बिन जीवन है अधूरा, मां ममता की मूरत होती है, जिसमे स्वर्ग और दुनिया दिखती है, मां धरती और चांद में दिखती है, मां तारे और ग्रहों में दिखती है, मां दिन कि सूरज होती है, मां रोशनी की मूरत होती है, मां के चरणों में जन्नत मिलती है, मां के जीवन से आशा , विश्वास मिलती है, मां विद्या का रूप होती है, मां जीवन की धूप होती है, . लेखक परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशित पुस्तक - मेरी ...
हिंदी मेरी भाषा
कविता

हिंदी मेरी भाषा

********** रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) हिंदी मेरी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! . हिंदी के हम कर्मयोगी, हिंदी मेरी पहचान, हिंदी मेरी जन्मभूमि, हिंदी हमारी मान, हम हिंदी कि सेवा करते है, हम जान उसी पे लुटाते है, . हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी हमारी जान! . है वतन हम हिंदुस्ता के, भारत मेरी शान, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी हमारी एकता, हिंदी में हम बस्ते है, हिंदी मेरी माता, . हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान! . हिंदी मेरी वाणी , हिंदी मेरा गीत , ग़ज़ल, हिंदी के हम राही, हिंदी के हम सूत्रधार, हिंदी मेरी विश्व गुर , हिंदी मेरी धरती माता, . हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान! . लेखक परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियो...
चंद्रयमय हुआ चंद्रयान – २
कविता

चंद्रयमय हुआ चंद्रयान – २

********** रचयिता : रूपेश कुमार चंद्रयमय हुआ चंद्रयान - २, भारत का सिरमौर हुआ चांद पर, दुनिया में सबसे पहले  झण्डा फहराया चांद पर, सब उनकी जयघोष करता दुनिया में, . श्वेत चांद आज तिरंगे में लहरा, दुनिया जिसकी जयगान करता आज, भारत मां के लाल वैज्ञानिकों ने, भारतमाता का मान सम्मान बढ़ाया! . गर्व है भारत मां क, चांद से चंद्रयान मिलने, जीवन और जल को खोजने, और गया है मिट्टी , तत्त्वों को, झीलों और मौसम के बारे में, जीवन का अस्तित्व पता लगाने! . दुनिया को सिरमौर बनाने, भारत मां दूत बनकर, गया है चंद्रयान -२, दुनिया में एक नया इतिहास रचने . लेखक परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार स...
साहित्य और समाज
कविता

साहित्य और समाज

********** रचयिता : रूपेश कुमार हम सभी जानते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है ! साहित्य के बिना समाज की कल्पना करना निरर्थक है ! साहित्य से ही समाज का निर्माण होता है एवं समाज की कुरीतियों का विनाश न  होता अगर साहित्य न होता , तो समाज की कुरीति राजनीतिक कुरीति का विनाश भी नहीं होता ! साहित्य समाज को रास्ता दिखाता है किस रास्ते से समाज को चलना चाहिए ! राजनीतिक को भी गिरने से साहित्य ही बचाता है वरना साहित्य नहीं होता तो आज की राजनीतिक और कचरा हो गई होती ! साहित्य के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है ! वर्तमान में समाज में जितने  कुरीतियां हो रही है वह साहित्य के अनदेखा मे ही हो रहा है समाज से ही साहित्य का उदय होता है और साहित्य से ही समाज का उदय होता क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण है मेरी कविता ~~~ समाज को साहित्य का मिला है सहारा , भला उनको कचड़े से बचाओगे कब तक ? जो मिलते हृध्य...