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मन में तूफान
कविता

मन में तूफान

********** रूपम आनंद तिवारी अटवा महादेवा मन में तूफान से क्यों है, हर शख्स परेशान से क्यों है? आँखों में ज्वार सा क्यों है, दिलो दिमाग सुनसान सा क्यों है? . शहर का हर चौक चौराहा जाम सा क्यों है, दौड़ता भागता इंसान से क्यों है? चीखता चिल्लाता हर इंसान क्यों है, औकात से ज्यादा बोझ उठाता इंसान क्यों है? . बचपन में ही बूढ़ों सा चाल क्यों है, शोरगुल में भी मन सुनसान सा क्यों है? कुछ पाने से पहले ही उसे खोने का डर क्यों है, न पाने पर खुला मौत का मुंह हैरान क्यों है? . चढ़ते हुए ऊंचाइयों पर गिरता हर इंसान क्यों है, गिरने पर फिर न उठने की चाह क्यों है? मंजिल पाने की चाह में कुछ खोने से डरता इंसान क्यों है, न पाने पर मौत के कुएं में कूदता इंसान क्यों है? . हर रूप है तेरे "रूपम" में, होके मेरे इतने करीब, फिर भी तू इतना अंजान सा क्यों है? मन में तूफान सा क्यों है, हर शख्स परेशान सा क...