जीवन का खेल
रुमा राजपूत
पटियाला पंजाब
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कुछ खोना है,
कुछ पाना है।
जीवन का खेल,
पुराना है।
जब तक सांस,
चलेगी हम में,
हम को चलते,
ही जाना है।
यह झूठ का,
ज़माना है।
यहां सच्च को,
दबाया जाता है।
जब तक सच्च,
बोले तो हम को,
मार ही खाना है।
कुछ खोना है,
कुछ पाना है।
जीवन का खेल,
पुराना है।
यह मुकाबला का,
ज़माना है।
यहां हारना और,
जीतना है।
जब तक सांस,
चलेगी हम को,
संघर्ष करते रहना है।
कुछ खोना है,
कुछ पाना है।
जीवन का खेल,
पुराना है।
यहां कुछ ऐसे,
प्राणी मिलते हैं।
जो प्रेम भाव,
से रहते हैं।
जब तक प्रेम,
भाव रहेगा।
नफ़रत खत्म,
होते जाना है।
कुछ खोना है,
कुछ पाना है।
जीवन का खेल,
पुराना है।
जब तक सांस,
चलेगी हम में,
हम को चलते,
ही जाना है।
परिचय :- रुमा राजपूत
निवासी : पटियाला पंजाब
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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