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Tag: रुखसाना बानो

दौर ए ज़िन्दगी
कविता

दौर ए ज़िन्दगी

रुखसाना बानो अहरौरा, चुनार, (मिर्ज़ापुर) ******************** एक दौर वो भी था ज़िन्दगी का, बातों की कीमत समझते थे लोग। हाँ में हाँ कम मिलाते थे लोग, शाम होते ही चौपले सजाते थे लोग। चलता था दौर गुफ्तगू का, अपनी-अपनी उलझन सुलझाते थे लोग। मुलाक़ातों का सिलसिला था, पड़ोसी के घर आते-जाते थे लोग। दुःख हो या सुख हो, शादी हो या मय्यत, मिलकर रस्म निभाते थे लोग। गिले-शिकवे भी बहुत होते थे, बाद नाराज़गी के हँसकर गले लगाते थे लोग। घृणा, द्वेष तो था कल भी, प्रेम से ईर्ष्या की आग बुझाते थे लोग। लो आया दौर तरक्क़ी का, स्वार्थ में दूसरों को गिराने लगे हैं लोग। महफिले तो बहुत सजती हैं आज भी, अब गले कम लगाते हैं लोग। बस हाथ ही तो अब मिलते हैं, नफरत के दिए दिल में जलाते हैं लोग। रिश्ता कितना भी हो करीब का, अब बहुत दूर का बताते हैं लोग। परिचय :-  रुखसान...
अदाकारा नहीं है वो
कविता

अदाकारा नहीं है वो

रुखसाना बानो अहरौरा, चुनार, (मिर्ज़ापुर) ******************** अदाकारा नहीं है वो फिर भी, उसे हर किरदार निभाने पड़ते हैं। माँ के रूप में है ममता का अम्बार, बेटी के रूप में है वो सम्मान। ज़रूरत से ज़िम्मेदारी तक, वन्दनवार सजाने पड़ते हैं। अदाकारा नहीं है वो फिर भी, उसे हर किरदार निभाने पड़ते हैं।। बहन के रूप में है वो अभिमान, पत्नी के रूप में है वो स्वाभिमान। विश्वास से लेकर वफादारी तक, हर रिश्ते पिरोने पड़ते हैं। अदाकारा नहीं है वो फिर भी, उसे हर किरदार निभाने पड़ते हैं।। संगी, साथी और मित्र क्या नाम दे उसे, हर क़दम पर जिसने संभाला है हमें। अँधेरे बनकर रौशनी की किरण, उजालों के दिए जलाने पड़ते हैं। अदाकारा नहीं है वो फिर भी, उसे हर क़िरदार निभाने पड़ते हैं।। परिचय :-  रुखसाना बानो विद्यालय : कम्पोजिट विद्यालय अहरौरा निवासी : अहरौरा, चुनार, (मिर्ज़ापुर)। घ...