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Tag: रीना सिंह गहरवार

शरद ऋतु
कविता

शरद ऋतु

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** बदलते मौसम संग प्रकृति नव निर्माण करती नव ऋतु का आगाज़ करती नव आशाओं का संचार करती। मंद होती रवि की तपन नव कलियों का ये आगमन नव पुष्पों का यों पृष्फुटन आगाज़ है अंजाम का नई सुबह का और शाम का। पल्लव भी मुस्काते हैं पुष्प जो अगडाते हैं विकसित हो खिल जाते हैं अति हर्षित मन मुस्काते हैं। सर्द सहमी रातों में ममता के अहसासों में तपन अग्नि की हाथों में सब संग हो जज़्बातों में। अकड़ी हुई सी रातें हैं सुबहें भी सर्द सिमटी सी कुहरे का आगाज़ है नव ऋतु का अहसास है। वो आया बचपन याद है उन लडकियों की तपन आबाद है शीत ऋतु और सिगड़ी का जलाना राहत का आगाज़ है। हाँ... ये नव ऋतु का आगाज़ है नव ऋतु का आगाज़ है। परिचय :- रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., ए...
जय किसान
कविता

जय किसान

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** जग निर्माता, भाग्य विधाता मतृ भूमि का लाल है वो वीर किसान। जिसकी छमता का गुण गाता सारा हिन्दुस्तान है वो वीर किसान। बंजर धरती को उपजाउ, लोहे को भी सोना करदे है माने ये विज्ञान ऐसा वीर किसान। उसके घर में चक्की रोती भूखी बूढ़ी औरत सोती फिर भी करता अन्नदान ऐसा वीर किसान। चाहे हो सतयुग, द्वापर या हो त्रेता, कलयुग धरती का प्राणी चाहे पहुँचे बादल पार पर भूख मिटाता बस वो इन्सान जो है वीर किसान जय किसान, जय हिन्दुस्तान परिचय :- रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मं...
मातृभूमि
कविता

मातृभूमि

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** है धन्य धरा ये मातृभूमि जिसके आंचल मे है विश्व पला। तृण-तृण नग-पग विशाल धरा, शीतल भू-जल जग जीत रहा, सागर पग पृच्छाल रहा, नग शीष धरा मुकुट पहनाय रहा, षड़ ऋतु शोभित गीतों की गुंजान यहाँ, रंग-बिरंगे पुष्पों से शोभित है ऋतुराज यहाँ, गंगा-यमुना की निर्मल धार यहाँ, ब्रहमपुत्र की झंकार यहाँ, इसकी रक्षा करने को, हो रहे नित नए आविष्कार यहाँ, कोटि-कोटि कर प्रणाम इसे, तन पुलकित मन हर्षाय रहा। है धन्य धरा ये मातृभूमि जिसके आंचल में है विश्व पला। . परिचय :- रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते...
वीरों की शहादत
कविता

वीरों की शहादत

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** सलामत शान वीरों कीऐ हिन्दुस्तान तुम रखना..., कफन बांधे खड़े हैं जो उन्हे बस याद तुम रखना। बन कर देश के प्रहरी..., अपना फर्ज निभाने को अपनी जान दे बैठे सब की जान बचाने को। खुद के परिवार को छोड़ा....., देश को ही घर समझ कर के नाते तोड़े अपनो से अपना फर्ज समझ कर के। भुला देना न उनकी कुर्बानी......, पियें जो खून के आँसू गंगाजल समझ कर के। सलामत शान वीरों की ऐ हिन्दुस्तान तुम रखना, कफन बांधे खड़े हैं जो उन्हे बस याद तुम रखना। . परिचय :- रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्...
सियासी दौर
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सियासी दौर

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** आज देश की हालत देखकर किस पर आरोप लगाऊँ मैं कोरोना जैसे वायरस पर या देश के सियासत दारों पर। ये वायरस तो फिर भी अल्पायु है खतरा तो उनसे है तो दीर्घजीवी बन बैठे। आज सियासत इनकी तो कल किसी और के घर की शोहरत है मन चाहे ढंग से राज किया न प्रेम देश से,न त्याग किया गध्दावर नेता बनकर फिर भी लम्बे समय तक राज किया। कभी मुगलो की हस्ती थी तो कभी अंग्रेजो की बस्ती थी। पर अब तो अपने ही भाई लूट रहे इनसे कौन बचाएगा। आज देश की हालत देखकर अब किस पर आरोप लगाऊँ मैं। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो...
नारी शक्ति
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नारी शक्ति

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ********************  देश विदेश की सैर कराती है वो फाइटर प्लेन चलाती चाहे हो जाना जल की तह तक या हो जाना नभ के पार नारी दुनिया देश चलाती फिर क्यों वो अबला कहलाती। क्या अचल अनल अग्नि की ज्वाला भी कभी अबला हो सकती... जो है खुद में सारा विश्व समाए कभी नही वो अबला हो सकती। माता, बहन, पत्नी जिसके हैं रूप अनेको फिर क्यों वह लूटी जाती... जो है सब की रक्षा करती क्यों वह खुद की रक्षा ना कर पाती... उठो, जागो, पहचानो खुद को तुम ही तो सर्व शक्ति कहलाती।। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंद...
आशिकी की खातिर
कविता

आशिकी की खातिर

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** सहती हूँ सब सितम उसके, बस इक आशिकी की खातिर। चाहती हूँ दीदार उसका बस इक दिल्लगी की खातिर। करती हूँ बस इंतजार उसका उल्फत की इक नज़र की खातिर। देखती हूँ उसका ए इश्के हुनर जिसमें कशिश और ज़ुल्म दोनो समाया। चाहती हूँ उसकी हर अदा को इस कदर की, उसकी बेरुखी में भी मुहब्बत आती है नज़र तभी तो............ सहती हूँ सब सितम उसके बस इक आशिकी की खातिर। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कह...
प्राइवेट नौकरी
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प्राइवेट नौकरी

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** नौकरी है ये साहब नौकरी, प्राइवेट नौकरी जरूरतों ने गुलाम बनाया साहब का, जरूरतों ने नवाब बनाया साहब को। नौकरी है ये साहब नौकरी, प्राइवेट नौकरी। हम भी थे कभी बंदे नवाब, पर..... जरूरतों ने गुलाम बनाया साहब का। यहां टैक्स पड़ता है देना गुफ्तगू का भी, न दिखने वाला पट्टा बांधा साहब ने गले में, नौकरी है ये साहब नौकरी, प्राइवेट नौकरी। पूछो न, की कितनी मशक्कत बनने को गुलाम, गुजारी सारी उमर स्कूलों और कालेजों में, बनने को गुलाम। की हासिल डिग्रीयां तमाम, बनने को गुलाम। सोचा था कर हासिल डिग्रियां तमाम, हम भी बनेंगे कभी बंदे नवाब, पर जरूरतों ने बनाया गुलाम साहब का। नौकरी है ये साहब नौकरी, प्राइवेट नौकरी..... . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि....
मंजिल पुकारती है
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मंजिल पुकारती है

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** अपनी मंजिलों को चाहो कुछ ऐसी मुहब्बत से पडे देना खुदा को पूरी शिद्दत से। न करो हुकूमत, न सहो हुकूमत रहो ज़िंदा पूरी शिद्दत से। न कोई हमराह है, न कोई रहगुजर चलो अकेले ही पूरी शिद्दत से। करो कुछ काम ऐसा हो नाज उसको अपने बंदों पर। परिश्रम के बीज डालो अश्रु जल सिंचित करो। करो जतन कुछ इस तरह सफल उद्देश्य हो हर तरफ। मंजिलें तुमको बुलाती हो द्रढ सजग आगे बढ़ो पूरी शिद्दत से। अपनी मंजिलों को चाहो कुछ ऐसी मुहब्बत से पडे देना खुदा को पूरी शिद्दत से। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित ...
सपनों का पंछी
कविता

सपनों का पंछी

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ******************** ख्वाब करना है वो पूरे, आँखों में अब तक जो थे अधूरे। पलकों की दबिश में, चाहतो ने जोर मारा, उड गई नीदें हमारी, चैन भी खोया हमारा। मंजिलें हमको बुलाती, डालने को है बसेरा। तोड़ दो सब बंधनो को, आगे खडा है नया सवेरा। करो कुछ ऐसे जतन, हो ख्वाब पूरे अपने अधूरे.... ख्वाब करना है वो पूरे, आँखों में अब तक जो थे अधूरे।। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप क...