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Tag: रीतु देवी “प्रज्ञा”

हुनर
कविता

हुनर

रीतु देवी "प्रज्ञा" दरभंगा (बिहार) ******************** हुनर के बाजार में मेरे सीखने की चाह की उड़ायी जाती है हंसी। रहूं खुश रख सकूं दूसरों को खुश चाहे जितनी जतन करनी पड़े मुझे। देख मेरी लगनशीलता टीका टिप्पणी होती बहुत पर परवाह करती न कभी। न बननी मुझे कठपुतली बनना है सच्चा नागरिक हुनर के बाजार में उड़ायी जाती है हंसी। कहती हूं दिल की बातें चाहे माध्यम हो कोई खेलती हूं मिट्टी से भी सीखना चाहती कला हिम्मत की डरू नहीं,लड़खड़ाऊं नहीं। बस चलती रहूं अनवरत हुनर के बाजार में उड़ायी जाती है हंसी। हो मुझमें देशप्रेम न करूं धोखा सीख कर कोई हुनर हुनर के इस बाजार में उड़ायी जाती है हंसी। परिचय  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्र...
उड़ी रे पतंग
कविता

उड़ी रे पतंग

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी रे। हुए डोर पर सवार, उड़ी रे।। इठलाती, बलखाती है झूमती संग पवन हंसी ठिठौली है करती। उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी रे। हुए डोर पर सवार, उड़ी रे।। पहन चटकीले रंग के परिधान, बनाती उड़ी हसीन रंगीन निशान। उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी रे। हुए डोर पर सवार, उड़ी रे।। लायी है मस्ती का आलम छांटी है काले घनेरे बादल। उड़ी रे पतंग, मेरी उड़ी रे। हुए डोर पर सवार, उड़ी रे।। परिचय  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवा...
क्षण फुरसत के है नहीं
कविता

क्षण फुरसत के है नहीं

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** विषय :- आधुनिक परिवेश में भागता इंसान धन, वैभव पीछे भाग रहा है इंसान सभी पल दो पल भी क्षण फुरसत के है नहीं जब देखो आँखें बुनते रहते हैं स्वप्न सिसकती आहें खो रहे हैं अपनत्व तरसे बच्चे पाने को ममता भरी माँ के आँचल का प्यार दिन, महीने हैं गुजर जाते दे न पाते पिता अपना असीम दुलार वृद्ध चक्षु खोजते हैं रहते शीतल वटवृक्ष छाया हृदय है शून्य सभी हर तरफ बढ गए तार वृक्ष साया अकेलापन समा रहा है जिंदगी में रौनक रही नहीं अब बंदगी में ईर्ष्या, द्वेष का जाल बिछा है चहुँ दिशा फंसाती ही रही है सदैव काली निशा समझ न पाता फिर भी चैन की नींदिया न ले पाता कभी। धन, वैभव पीछे भाग रहा इंसान सभी पल दो पल भी क्षण फुरसत के है नहीं। परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी ...
चुप क्यों हो?
कविता

चुप क्यों हो?

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** चुप क्यों हो माँ? क्या विवशता है माँ? करता है सदा अन्याय इह लोक तुम्हारे साथ कर दिया जाता कभी बेटी भ्रूण हत्या लगने नहीं दिया जाता अरमानों के पंख कभी सहती जाती व्यथा सभी चुप क्यों हो माँ? प्रतिकार करो शक्ति स्वरूपा सहमी रहती तेरी गुड़िया देख दानवों क्रूर क्रिया तपती राह है असहनीय अस्तित्व रहा है असुरक्षित किया जा रहा जीवन अंत खिलाकर जहरीली पुड़िया क्यों चुप हो माँ? क्या शक्ति तुम्हारी नश्वर हो गयी है माँ? माँ तुम्हीं हो महिषासुरमर्दिनी तुम्हीं हो रक्तबीज संहारिणी सकल लोक कल्याणी संतान रक्षार्थ कर सदा सुख दायिनी चुप क्यों हो माँ वेदना के सागर से अब तो निकलो माँ रहती असहाय गाय समान सहती रहती सभी अपमान बन रह गयी हो कठपुतली हुंकार भरो माँ खोलकर जुल्मों की पोटली क्या तुम्हारा खुद पर कुछ भी अधिकार नहीं क्या तुम इज्जत की मानव समाज में अधिका...
आत्मविश्वास
लघुकथा

आत्मविश्वास

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** किसान दीनालाल के खेत में रबी की फसल पक गयी है। कोरोनावायरस के कारण पूरे राष्ट्र में लाकडाउन लगा है। एक सच्चे देशभक्त होने के कारण मजदूरों को फसल काटने के लिए नहीं कह रहे हैं। फसल कटाई के लिए बहुत चिंतित है। "दादाजी आप सवेरे-सवेरे क्यों चिंतित हैं? आपके चेहरे पर बारह बज रहे हैं।" उनका बारह वर्ष का पोता रोहन पूछा। "खेत में रबी की फसलें सूख गयी है। अगर इसको यूं ही कुछ दिन छोड़ देंगे तो सारी मेहनत पर पानी फेर जाएगी। क्या करूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मजदूरों से कटवा नहीं सकता। मैंनें कभी फसल काटी नहीं है। "दीनालाल उदासी स्वर में बोले। "ओहो दादा जी! रोहन के रहते हुए आप क्यों चिंतित हो जाते हैं। चलिए खेत, हमलोग स्वयं फसलें काटकर ले आएं। मैंनें मजदूर चाचा जी सबको फसल काटते ध्यान से देखता रहता। "राहुल आत्मविश्वास के साथ बोला। "पर रोहन त...
कांपे मेरा हिया
कविता

कांपे मेरा हिया

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** मेरे पिया हैं दूर प्रदेश, फैल रहा कोरोना वायरस संपूर्ण देश। थर-थर कांपे मेरा हिया, लागे न कहीं मेरा जिया। हो गयी है उनसे मेरी अनबन, बजा न सकती मोबाइल घंटी टनटन, जा रे कागा , कहना उनसे मेरी बात किसी से मत मिलाए हाथ। साबुन से धो बारम्बार हाथ रखें साफ, भारतीय परंपरा का सर्वत्र करें जाप, गुनगुने पानी का करें सेवन, निषेधात्मक उपाय अपना रहे चेतन। अपने सिर ले न अधिक कार्य भार, मुझे है उनसे प्यार बेशुमार।   परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@g...
रंग भरी पिचकारी लेकर
गीत

रंग भरी पिचकारी लेकर

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** फूल सजाकर इन अंगों में, सजनी लगे सजीली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो।। मीठी लगती तेरी बोली, तू है सबकी हमजोली। रसिक भाव की बनी स्वामिनी, मन मति की निश्छल भोली।। संग सहेली झूमझूम कर, लगती छैल ,छबीली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो।। आयी है तू लेकर टोली, मस्ती की होगी होली। हर मनसूबे अब हों पूरे, खा लें हम भांग नशीली।। इठलाती सदा हंँसी देकर, लगती बड़ी हठीली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो।। खुशियों से भर दो तुम झोली, आँखों से मारो गोली। तुम हो जाओ मेरे प्रियतम, आज सजे सपने डोली।। हाथ अपने सारंगी लेकर, गाती बड़ी सुरीली हो। रंग भरी पिचकारी लेकर, लगती बड़ी रसीली हो।।   परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी ...
नारी
कविता

नारी

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** नारी तू महान है, तुझ से ही जहान है। तू है शक्ति स्वरूपा, तेरी ममतामयी रूप है अनूठा। तू ही है पतित पावनी भारती, करें तुझे ही भक्त नित्य आरती। तुझसे होती दिन के आलोक नवल, तू ही है धीर, वीर, गम्भीर, अचल तू ही है पावन सरिता की धारा, निश्चल प्यार लुटाती जीवन भर सारा। तू ही लाती आलय नवीन किरण, होने न देती किसी को कभी शिकन। तू ही करती सबका निस्वार्थ सेवा, इच्छा न हो पाने की थोड़ी भी मेवा। नारी तू महान है, तुझ से ही जहान है।   परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके ह...
बचपन के दिन
कविता

बचपन के दिन

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** बचपन के थे दिन सुहाने, गीत गाते थे हम मस्ताने, भेदभाव का नहीं था नामो-निशान मोह-माया से थे हम अनजाने। चंदा मामा लगते प्यारे नित्य शाम को बाट निहारे मन भाती थी पूनम रौशनी रात्रि भी खेलते भाई-बहन सारे। झट चढ जाते पेड़ों पर, नजर रहते मीठी सेबों पर, अपना-पराया का नहीं था ज्ञान विश्वास करते श्रेष्ठजनों के नेहों पर। हम भींगा करते छम-छम बूंद में, हम खोए रहते भीनी-भीनी सुगंध में, चंचलता रहता तन मे हरदम परियों को देखा करते गहरी नींद में। बचपन के थे दिन सुहाने , हर गम से थे बेगाने , मौज ही मौज था जीवन में माँ की आँचल तले थे खजाने   परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर...
बुढापे की लाठी
लघुकथा

बुढापे की लाठी

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** शंभु जी और उनकी पत्नी बहुत खुश है। उनका बेटा संजय उनके दिए संस्कारों तले बड़ा हुआ है। परिवार में भी सबका सम्मान करता है। समाज, देश का सच्चे नागरिक की तरह सभी जरूरतमंदों की सहायता करता है। जिला अधिक्षक होते हुए भी शंभू जी की बीमारी की खबर सुनकर घर आया है। "पापा आपकी तबियत कैसी है? आप और माँ मेरे साथ चलिए।" संजय बोला। "मैं स्वस्थ हूँ। तुम चिन्ता मत करो। तुम अपनी ड्यूटी पर ध्यान दो। हमलोग यहाँ बिल्कुल ठीक हैं।" शंभू जी बोले। "नहीं पापा, अब आप लोग यहाँ नहीं रहेंगे। यहाँ आप लोगों का ध्यान रखने वाला कोई नहीं है। आप लोग मेरे साथ रहेंगे ...........मुझे खुशी मिलेगी। "संजय बोला। दोनों खुशी-खुशी संजय के साथ चल दिए। मन ही मन संजय को ढेरों आशीष दे रहे हैं। वह उनके अपेक्षा पर खड़ा उतरकर बुढापे की लाठी बना है।   परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका...
जागो बेटी
कविता

जागो बेटी

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** जागो बेटी, उठाओ हथियार, दरिदों का करो संहार। याद करो रानी लक्ष्मीबाई की कहानी, चुप्पी तोड़ो, व्यक्त करो व्यथा जुबानी लड़ना तुम्हारा अधिकार है अस्मत खातिर, भटक रहे हैं अनेकानेक देह क्रेता-विक्रेता शातिर। डस लो जिस्मफरोशी को नागिन रूप धर, मृत्यु लोक पहुँचा फाँसी झूला झूलाकर, माँ अम्बे का हाथ है सदा तेरे शिश पर, रण चंडी की अवतार लेकर राक्षसों नाश कर।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने...
ये मेरा आसमाँ
कविता

ये मेरा आसमाँ

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** ये मेरी धरती, ये मेरा आसमाँ पर्यावरण बचाकर रखें सुरक्षित सारा जहाँ। स्वचछता का मूल मंत्र हो सबकी जुबान, प्रदूषण फैला न, दे सबको जीवन दान। धरा बनाए सुंदर सा उद्यान, उड़े सुंगधित खुशबू नीला आसमाँ। कदम-कदम तरू की हरियाली हो जिस पथ ओर चलूँ विकासवाली हो मिले प्राण रक्षक तत्व, हो जाए जीवन आसान ये मेरी धरती, ये मेरा आसमाँ।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०...
स्वर्ग
कहानी

स्वर्ग

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** प्रत्युष अपने माँ -पिताजी के साथ गंगिया गाँव में रहता है। उसके पिताजी गाँव के ही मध्य विद्यालय के शिक्षक हैं। वह अपने माँ-पिताजी का दुलारा लाल है। प्रत्युष बचपन से ही शरारती एवं मनमौजी है। वह अपने माँ-पिताजी के बातों पर ध्यान नहीं देता है। बिना बताए घर से कहीं भी चला जाता है। "बेटा कहीं जाते हो,तो मुझे बोल दो।" उसकी माँ समझाती है। "मैं कहीं भी जाऊँ, आप इससे मतलब नहीं रखे।" प्रत्युष अपनी माँ की बातों पर ध्यान नहीं देता है। उल्टे गुस्सा कर दो-चार बातें अपनी माँ को सुना देता है। उसकी माँ अपने लाल के रूखे व्यवहार से चिंतित है। उसके माँ-पिताजी आपस में अक्सर बात करते हैं, "प्रत्युष का व्यवहार ठीक नहीं है। वह हमारे बुढापे का लाठी बनेगा कि नहीं?" धीरे-धीरे समय का पहिया आगे बढता जा रहा है। प्रत्युष अभियंता बन गया है। उसकीशादी सुन्दर और सुशी...
भूल मत जाना …
गीत

भूल मत जाना …

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** भूल मत जाना बहना को भैया, छोड़ बाबुल घर, चहकने चली आँगन सैंया। राखी की डोर याद रखना सदा दिल से निकाल कर मत देना सजा बहना की सुध-बुध लेते रहना कभी-कभी दुआ है ईश्वर से खुशी मिले तुम्हें सभी। भूल मत जाना बहना को भैया, रक्षा करना हरदम मेरी डूबती नैया। एक ही आरजू करती है बहना प्यारी स्नेह की वर्षा करते रहना शीश पर हमारी खो मत जाना धन की अंधी गलियों में बँध कर रहना अनोखे भाई-बहन रिश्तों में भूल मत जाना बहना को भैया, छोड़ बाबुल घर चहकने चली आँगन सैंया।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कह...
लकीर
कविता

लकीर

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** हाथ की लकीर बदल दीजिए छठ मैया, बीच मजधार से पार लगा दीजिए मेरी नैया। रैन दिवस बहते हैं मेरे अश्रुधारा, आप ही है मेरी जीवन की सच्ची सहारा। लगन लगी है आपके चरणों की हरण कीजिए सब मेरे कष्टों की रहूँ मैया आपकी उपासक जन्म -जन्म तक, नव लकीर बना दीजिए आशीष खुशियों की वर्षों तलक, जय, जय छठ मैया हमारी है अनुपम, लकीरों की गाथा बदल बरसा दीजिए पुष्प सुन्दरम   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने...
नदी
कविता

नदी

********** रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) कलकल बहती है निरंतर नदी, पावन नव संदेशा दे होती अग्रसर नदी। स्वार्थहीन दिशा में बहती रहती, अपने तट स्वर्ण फसल दे निहाल करती रहती। कराती रहती पूजनीया मधुर संगीत श्रवण, मनोकामनाएं पूर्ण कर लेते करके तट किनारे अर्चन। सिख लेकर नेक राह बढाए कदम, अपनी जिंदगी सेवाभाव में अर्पित करें हम। रखें पवित्रता का ख्याल इसकी हरदम, हाथ में हाथ मिला न होने दे जीवनदायी अक्षुण्णता कम।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु ...
जंगल
कविता

जंगल

********** रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) माँ भवानी आकर अस्मत बचाओ मेरी, दुनिया के जंगल है हैवानियतों से भरी। थरथर कांपे तन हमेशा, नींद उड़ी नयनों से हर राह लगता विरान सा जिया न लागे तेरी इस लोक में माँ रूद्राण गले लगा लो सुता की फुहार बरसा दो अपने ममता की जीवन की नैया पतवार है तेरे हाथों, रक्षा करों माँ दानवों माथों। माँ जगदम्बा कर जोरि करती हूँ पुकार, दिव्य ज्योत फैला जंगल बीच करो हुंकार। माँ भवानी आकर अस्मत बचाओ मेरी, दुनिया के जंगल है हैवानियत से भरी।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
बचपन
कविता

बचपन

********** रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) कभी दौड़ना बागों में प्यारी रंगीली तितलियों पीछे, स्वछंद मदमस्त हो खेलते, नीले आसमान तले हर मौसम होते अजीज लुत्फ प्रफुल्लित मन उठाते, दिल को भाता हर चीज बहारें रंगीन करते रहते। अपना पराया का समझ नहीं घर-घर प्यार बरसाते ही बसती है ईश्वर की मूरत, मुस्काते सभी देख भोली सूरत।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपन...
पराया
कविता

पराया

********** रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) लाडली तेरे आँगन की मैं तेरे आँचल की पराया धन नहीं पराया शब्द से होती हृदयाघात, जीवनपर्यंत दूँगी आप सबका साथ। मैं तेरे बगिया की मनमोहक पुष्प भूल न यूँ जाना, विदा कर पराया घर हृदयावास मुझे भी बसाना। मेरा भी अस्तित्व है बाबुल अँगना, मैंने भी देखा है स्वर्णिम सपना।   लेखीका परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर...
मुँह में आया पानी
कविता

मुँह में आया पानी

********** रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) देख रसगुल्ला मुँह में आया पानी, रसगुल्ले का रसास्वादन कर रही थी मक्खी रानी। मुँह से लाड़ टपक रहा था,जीभ न मेरी मानी बड़ी मुश्किल से खुद को संभाली, समोसे देख मुँह में आ गया पानी पर्स को टटोला मैंने,सिर्फ था नोट दस रूपया कदम बढायी दुकान की ओर गिरी धम्म से रसगुल्ले रस पर रूपया जा उड़ा मूछटण्डे के धोती पर शर्माती, मुस्कुराती करके इशारा, खड़ी हो गयी उसके सामने मूँछे ताने उसने दिया रूपया मान मनौती करने पर श्यामलाल ने दिया समोसा, रसगुल्ला बैठ बेंच निहारती रही समोसा, रसगुल्ला तभी न जाने कहाँ से आ गए बंदर मामा छट से खाकर समोसा, रसगुल्ला चिढाया बहुत मुझे बंदर मामा।   लेखीका परिचय :-  नाम - रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशि...