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मेरे पापा
कविता, बाल कविताएं

मेरे पापा

रीति सिन्हा हाजीपुर ******************** कहो अगर गुड़िया लाने को, ले आते वो पूरी दुकान। मेरे लिए जादूगर है वो और मैं हूँ उनकी जान। सुबह में काम पर जल्दी जाते रात को देर से लौट के आते। खून पसीना करके एक, घर को क्या वो खूब चलाते। सारे सपने भूल के अपने, सपनों से बढ़कर है अपने। वही तो हैं घर का रखवाला, उन्हीं ने तो घर को सँभाला। अपने दर्द का जिक्र न करते, परिवार की फिक्र हैं करते। मुझे जरा सी चोट लगे तो, पापा कच्ची नींद में सोते। माँ की आँखें बरबस रोती, पिता अश्रु को पी जाता है। माँ का नेह सभी को दिखता, पिता भी तो छुपकर रोता है। परिचय :-  रीति सिन्हा निवासी :  हाजीपुर शिक्षा : संत पाॅल्स हाई स्कूल कक्षा - 6 घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...