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Tag: रामनारायण सोनी

पंख बदलने से
कविता

पंख बदलने से

रामनारायण सोनी इंदौर म.प्र. ******************** पंख बदलने से आकाश नही बदलता सूरज भी तो वही है जहाज बदलने से सागर नहीं बदलता जल भी तो वही है सूरत बदलने से सीरत नही बदलती आदमी भी तो वही है शरीर बदलने से चोला बदलता है रूह तो वही है   परिचय :-  रामनारायण सोनी साहित्यिक उपनाम - सहज जन्मतिथि - ०८/११/१९४८ जन्म स्थान - ग्राम मकोड़ी, जिला शाजापुर (म•प्र•) भाषा ज्ञान - हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत शिक्षा - बी. ई. इलेक्ट्रिकल कार्यक्षेत्र - सेवानिवृत यंत्री म.प्र.विद्युत मण्डल सामाजिक गतिविधि - समाजसेवा लेखन विधा - कविता, गीत, मुक्तक, आलेख आदि। प्रकाशन - दो गद्य और एक काव्य संग्रह तथा अब तक कई पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार - "तुलसी अलंकरण", "साहित्य मनीषि", "साहित्य साधना" व विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा कुछ सम्मान प्राप्त। विशेष उपलब्ध...
बाहर से हँसता हूँ
कविता

बाहर से हँसता हूँ

========================= रचयिता : रामनारायण सोनी दो पल को जागा फिर बरसों तक सोया हूँ आशा के पंखो पर सपनों को ढोया हूँ साँसों ने मोहलत दी उतना भर जी पाया कतरा भर पानी था सागर में खो आया आँसू का मोल यहाँ बालू से सस्ता है झूँठों की बस्ती में साँच हुआ खस्ता है फूलों की सेज सजी नीचे बस शूल धरे सूनी इस अमराई में गिद्धों के शोर भरे दोहरे इस चेहरे से दर्पण भी हार गया जीवन के उपवन को पाला क्यूँ मार गया सुर तो सब मीठे है कँपते उन तारों के पिटते हैं ढोल सभी गीत सजे प्यारों के जीवन की धारा संग तिनके सा बहता हूँ भीतर सौ ज्वाल लिये बाहर से हँसता हूँ   परिचय :- नाम - रामनारायण सोनी निवासी :-  इन्दौर शिक्षा :-  बीई इलेकिट्रकल प्रकाशित पुस्तकें :- "जीवन संजीवनी" "पिंजर प्रेम प्रकासिया", जिन्दगी के कैनवास लेखन :- गद्य, पद्य सेवानिवृत अधिकारी म प्र विद्युत मण्डल आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
यह नदी अभिशप्त सी है
कविता

यह नदी अभिशप्त सी है

========================= रचयिता : रामनारायण सोनी यह नदी अभिशप्त सी है जल नही बहता यहाँ यह लगभग सुप्त सी है घाट सब मरघट बड़़े है प्यास पीते जीव जन्तु धार, लहरें लुप्त सी है यह नदी अभिशप्त सी है पालती थी सभ्यताएँ धर्ममय और तीर्थमय हो संस्कृति विक्षिप्त सी है यह नदी अभिशप्त सी है खेत बनती थी उपजती तरबूज, खरबूज ककड़ियाँ अब रेत केवल तप्त सी है यह नदी अभिशप्त सी है प्राण उसके पी गई लोलुपी जन की पिपासा वासनाएँ लिप्त सी है यह नदी अभिशप्त सी है हम विकासों के कथानक तान कर सीना दिखाते सब शिराएँ रिक्त सी है यह नदी अभिशप्त सी है बस बाढ़ ही ढोती रहेगी शेष दिन निःश्वास होंगे जिन्दगी संक्षिप्त सी है यह नदी अभिशप्त सी है   परिचय :- नाम - रामनारायण सोनी निवासी :-  इन्दौर शिक्षा :-  बीई इलेकिट्रकल प्रकाशित पुस्तकें :- "जीवन संजीवनी" "पिंजर प्रेम प्रकासिया", जिन्दगी के कैनवास लेखन :- गद्य, पद्य ...