कलुष-कल्मष हृदय से
रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि
कोलार रोड, भोपाल (म.प्र.)
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यदि कलुष-कल्मष हृदय से त्यागना है.
हो अगर संकल्प दृढ़ सम्भावना है.
राष्ट्र का गौरव बढ़े हो नाम जग में,
मन-हृदय में शुभ्र मंगल कामना है.
स्वर्ण चिड़िया था कभी भारत हमारा,
चमचमायेगा पुन: प्रस्तावना है.
मोह-मत्सर दम्भ-लालच त्यागकर अब,
सत्य का दामन सभी को थामना है.
नित्य कर चिंतन-मनन निज दोष देखें,
इंद्रियाँ संयम-नियम से माँजना है.
पाठ पूजा हो न हो सेवा जरूरी,
कर्मनिष्ठा प्रेम ही तो साधना है.
देश में हो एकता मिलकर रहें हम,
'रवि' परम प्रभु से यही बस प्रार्थना है.
परिचय :- रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि'
निवासी : कोलार रोड, भोपाल (म•प्र•)
* २००५ से सक्रिय लेखन।
* २०१० से फेसबुक पर विभिन्न साहित्यिक मंचों पर प्रतिदिन लेखन।
* विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित।
* लगभग १० साझा संकलनों मे...