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Tag: राजीव डोगरा “विमल”

दीप
कविता

दीप

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सुनो! दीपों का त्यौहार आ रहा है कुछ रोशनी अपने अंदर भी कर लेना। सुना है ! अंधकार बहुत है तुम्हारे अंदर भी तभी दिखता नहीं तुम्हें औरों का व्यक्तित्व। मगर दिख जाता है सत्य की रोशनी में औरों को तुम्हारा अहम। क्या मिट जाएगा? इस बार दीपों की रोशनी में तुम्हारा ज़िदी अहम। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
नासमझ इश्क
कविता

नासमझ इश्क

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हम ढूढ़ते रह गए उनको हर निग़ाह में, पर वो तो खो ही गए ओर किसी की बाहों में। हम ने तो हमेशा उनसे इक़रार ही किया था पर वो ही हर बार इन्कार ही करते रह गए। हमने तो खो दिए हर लफ्ज़ उनको मनाने में पर उन्होंने तोड़ दिया हर अल्फ़ाज़ हमे भुलाने में। हमारा तो बीत ही गया जीवन उनसे इश्क़ निभाने में पर उन्होंने गुज़ार ही दिया हर लम्हा हमें सताने में। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्...
कृष्ण पथ
कविता

कृष्ण पथ

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** प्रेम पथ पर मुझे भी चलना है चल कान्हा मुझे भी अब तेरे संग चलना है। रंग जाऊं तेरे रंग में सांवरिया ऐसा प्रेम अब मुझे भी तुमसे करना है। मिट जाए अब मन की हर अभिलाष मुझे भी तेरे संग ऐसा योग नाद करना है। अपने पराये का भेद मुझे भी अब नहीं करना है सुनकर तुमसे गीता का ज्ञान अब महा ध्यान करना है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
गुनाह
कविता

गुनाह

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** ये जो गुनाह हुआ मोहब्बत का ऐसे तो नही हुआ होगा किसी से तो इश्क़ हुआ होगा। तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का। कुछ तो चाहत होगी दिल में कुछ तो अपनापन होगा मन में तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का। कुछ तो सोचा होगा दिल से कुछ तो चाहा होगा मन से तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का। कुछ तो रूह में हुआ होगा कुछ तो सुकू में खलल हुआ होगा तभी गुनाह हुआ होगा मोहब्बत का। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाच...
बेचारा आवारा
कविता

बेचारा आवारा

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** थक कर बैठ गया हूँ थोड़े विराम के लिए मगर सोच मत लेना कि मैं जीवन से हार गया हूँ। बदलते रहते हैं जीवन के पड़ाव मगर सोच मत लेना मैं दूसरों के सहारे हो गया हूँ। बदलते हुए जमाने के साथ थोड़ा बदल सा गया हूँ मगर सोच मत लेना कि अब मैं आवारा हो गया। गुमसुम सा रहता हूँ गुमनाम लोगों के बीच मगर सोच मत लेना कि अब मैं बेचारा हो गया। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा...
वो लड़की हूँ
कविता

वो लड़की हूँ

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हाँ मैं एक लडक़ी हूँ हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ जो अपनी हो तो चार दीवारी में कैद रखतें हो। किसी ओर की हो तो चार दीवारी में भी नज़रे गड़ाए रखतें हों। हाँ मैं एक लडक़ी हूँ हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ जो अपनी हो तो घर की इज्जत समझते हो। किसी ओर की हो तो सरेआम चार लोगों के बीच उसकी इज्जत उछालते हो। हाँ मैं एक लडक़ी हूँ हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ जो अपनी हो तो प्यार,मोहब्बत से दूर रखते हो किसी ओर की हो तो मोहब्बत के नाम से उसके जिस्म की ख्वाहिश करते हो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
कितने क्यों मौन हो
कविता

कितने क्यों मौन हो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कितने क्यों मौन हो क्या आती नही अभिव्यक्ति ? या फिर जाती नही अब भी अहम भक्ति ? छोड़ दो न छंदों अलंकारों को कम से कम करो न आत्म अभिव्यक्ति। या फिर जाती नहीं अब भी शकी अभिव्यक्ति ? हिंदू हिंदुस्तान की शान है थोड़ा तो सम्मान रख लो आता नहीं रस तो भाव ही अभिव्यक्त कर लो या फिर आती नहीं भाव की अभिव्यक्ति भी? परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी र...
खुदगर्जी
कविता

खुदगर्जी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** गिर रही है न ये जो आसमा से तड़फती बूंदे कभी तुम इनसे मज़ा लेते हो तो कभी ये डुबकर तुम्हारे अस्तित्व को मज़ा लेती है। बह रही है न ये नदियाँ कभी खुद बहती है अपनी ही मस्ती में तो कभी तूफ़ान बन तुम को बहा ले जाती है समुंदर में। बर्फ से ढके है न जो ये पर्वत कभी तुम इनका आरोहण करते हो तो कभी ये दबा देते हैं तुम्हारी जिद्दी शख्सियत को। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सक...
आम सी लड़की
कविता

आम सी लड़की

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सुन कर मोहब्बत के अधूरे किस्से सहम जाती है आम सी लड़की। अजनबी लोगों को देख घबराकर छुप जाती है आम सी लड़की। माँ के आंचल को, पापा के कंधे को अपनी ढाल समझती हैं आम सी लड़की। इश्क़ तो दूर उसके नाम से भी डर जाती है आम सी लड़की। इश्क़ लिखती है, इश्क़ पढ़ती है मगर इश्क़ करने से डरती है आम सी लड़की। मिलती नहीं, दिखती नहीं कहीं भी आजकल आम सी लड़की। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के ...
हुआ सवेरा एक
बाल कविताएं

हुआ सवेरा एक

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हुआ सवेरा एक है मिटा अंधेरा अनेक है, जीवन की लालिमा छाई बुराई की कालिमा भगाई, नन्हें मुन्ने फूलों ने सुबह ही रौनक लगाई, पंछियों के चहचहाहट ने हर बुरी नजर भगाई, नील गगन में उड़ती रंग बिरंगी चिड़ियों ने सबके चेहरे पर सुबह ही मुस्कुराहट लाई। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविता...
अतिरिक्त
कविता

अतिरिक्त

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम चेहरे की मुस्कुराहट पर मत जाओ बहुत गम होते हैं सीने में दफन। तुम झूठी वफाओं में मत आओ बहुत ख़्वाब होते हैं आधे अधूरे से। तुम इन सिमटी हुई निगाहों पर मत जाओ बहुत कुछ बिखरा हुआ होता है छुपी हुई निगाहें में। तुम टूटे हुए ह्रदय पर मत जाओ बहुत शेष होता है प्रेम ओरों के लिए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
आनंदमई
कविता

आनंदमई

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** इश्क, प्रेम, मोहब्बत ये सब शब्द अधूरे है एक बार तुम आ जाओ तो ये शब्द खुद-ब-खुद पूरे है। एहसास, वफा, दिल्लगी ये सब शब्द अधूरे है एक बार तुम छू लो मेरी रूह को ये शब्द खुद-ब-खुद पूरे है। अनुरक्ति, प्रीति, भक्ति ये सब शब्द अधूरे है एक बार तुम सिमट जाऊं मेरे अंतर्मन में ये शब्द खुद-ब-खुद पूरे है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कव...
मतलबी
कविता

मतलबी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैंने जहां देखा, मैंने तहा देखा। लोग मुझसे जुड़े बस मतलब के लिए, न मेरे विचारों के लिए न मेरे लिए। जो भी मुझसे मुस्काया किसी न किसी, मतलब के लिए फरेब के लिए। न की अपनेपन के लिए हसीन आंखों ने मुझे भी तका पर न प्रेम के लिए न वफ़ा के लिए बस एक चलते-फिरते हमसफर के लिए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प...
रहने दो
कविता

रहने दो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कुछ ख्वाहिशें अधूरी है तो रहने दो। मोहब्बत की तरफ पाव नहीं जाते तो रहने दो। अपनापन दिखा कर भी कोई अपना नहीं बनता तो रहने दो। मंदिरों मस्जिदों में घूम कर भी हृदय नेक पाक नहीं होता तो रहने दो। दिलों जान से मोहब्बत करने के बाद भी तुमसे किसी को इश्क नहीं होता तो रहने दो। दिल्लगी के बाद भी कोई दिलदार नहीं बनता तो रहने दो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्...
ममतामय आंचल में
कविता

ममतामय आंचल में

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** माँ! ममतामय आंचल में फिर से मुझे छुपा लो बहुत डर लगता है मुझे दुनिया के घने अंधकार में। माँ! फिर से अपने प्यार भरे अहसासों के दीप मुझ में आकर जला दो। माँ! खो न जाऊँ कहीं दुनिया की इस भीड़ में माँ! फिर से हाथ थाम मेरा कदम से कदम मिला मुझे चलना सीखा दो। माँ! डरा सहमा सा रहता हूं मतबलखौर लोगों की भीड़ में माँ! अपना ममतामय आंचल उड़ा मुझे फिर से अपनी प्यार भरी लोरी गा सुला दो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय...
वजह तुम हो
कविता

वजह तुम हो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मेरे चेहरे की रौनक की वजह तुम हो। मेरे लबों पर आई मुस्कुराहट की वजह तुम हो। मेरे दिल की हसरत की वजह तुम हो। मेरे मन में आए एहसासों की वजह तुम हो। मेरे गालों में आई रंगत की वजह तुम हो। मेरे ह्रदय में आये जज्बातों की वजह तुम हो। मेरे होठों पर गुनगुनाते गीतों की वजह तुम हो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
अथाह अनुभूति
कविता

अथाह अनुभूति

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हजारों तंत्र हो मुझ में हजारों मंत्र हो मुझ में मैं फिर भी लीन रहू तुझ में। न ज्ञान का अहंकार हो मुझ में न आज्ञान का भंडार हो मुझ में मैं फिर भी लीन रहू तुझ में। योग का भंडार हो मुझ में तत्व का महाज्ञान हो मुझ में मैं फिर भी लीन रहू तुझ में। न जीत का एहसास हो मुझ में न हार का ह्रास हो मुझ में मैं फिर भी लीन रहू तुझ में। न जीवन की चाह हो मुझ में न मृत्यु की राह हो मुझ में मैं फिर भी लीन रहू तुझ में। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
अभी
कविता

अभी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** बिखर चुका है बहुत कुछ मगर कुछ यादें समेटना बाकी है अभी। बहुत गम है जिंदगी में मगर चेहरे पर मुस्कुराहट बाकी है अभी। खत्म हो चला है भले जीवन का सफर मगर फिर भी कुछ करने के इरादे बाकी है अभी। बहुत जान चुका हूं जीवन-मृत्यु का भेद बस खुद को जाना-पहचाना बाकी है अभी। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाश...
चहुँ ओर
कविता

चहुँ ओर

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम सृष्टि के कण-कण में हो। तुम मानव के मन-मन में हो। तुम बीतते वक्त के क्षण-क्षण में हो। तुम सोचते-विचारते जन-जन में हो। तुम बनती बिगड़ती परिकल्पना के पल-पल में। तुम अनंत व्योम के चमकते सितारे-सितारे में हो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में ट...
उड़ान
कविता

उड़ान

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सुन मेरे मन के परिंदे आगे ही तू बढ़ता चल। न सोच तू इन राहों का बस आगे ही निकलता चल। न सोच तू राहगीरों का वो भी खुद पंथ पे मिल जाएंगे। न सोच तू इन हवाओं का ये भी एक दिन बह जाएंगी। न सोच तू इन तूफानों का ये भी एक दिन थम जाएंगे। न सोच तू इस अंनत व्योम को इसको भी एक दिन तुम छू जाओगे। न डर तू अनजान राहों से ये भी एक दिन परिचित हो जाएंगे। सुन मेरे मन के परिंदे बस तू आगे बढ़ता चल अपनी उड़ान यूँ ही तू भरता चल। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ...
शेष है
कविता

शेष है

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मृत्यु का पता नहीं मगर श्रेष्ठ जीवन अभी शेष है। नफ़रत का पता नहीं मगर मोहब्बत की अभिलाषा अभी शेष है। आत्मसमर्पण का पता नहीं मगर आत्मबलिदान का बोध अभी शेष है। मन में पनपते क्रोध का पता नहीं मगर ह्रदय के आँचल में शांति अभी शेष है। आत्मग्लानि का पता नहीं मगर आत्म साक्षातकार का बोध अभी शेष है। जीवन में लगी ठोकरओं का पता नहीं मगर खड़े होकर मार्ग पर चलना अभी शेष है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचि...
दर्द होता है तो होने दो
कविता

दर्द होता है तो होने दो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** दर्द होता है सीने में तो होने दो। देकर मोहब्बत भी कोई करता है नफरत तो करने दो। देखकर दूसरों के जीवन में उल्लास कोई मरता है तो मरने दो। देकर मान-सम्मान भी कोई गिरता है नजरों से तो गिरने दो। देकर प्रेम, लगाव और एहसास भी कोई जीवन से जाता है तो जाने दो। ईमानदारी सच्चाई की राह पर चलते हुए कोई छोड़कर जाता है तो जाने दो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय...
बदलाव
कविता

बदलाव

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हालात मत पूछिए बदलते रहते हैं। समय मत पूछिए गुजरता रहता है। मोहब्बत मत कीजिए होती रहती है। दिल्लगी मत कीजिए दिलदार औरो से भी दिल लगाते रहते हैं। परिस्थिति मत देखिए स्थिति बदलती रहती है। हमसफर जल्दी मत बनाइए हमराही बदलते रहते हैं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
कोई पता नहीं
कविता

कोई पता नहीं

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** अपने थे या बेगाने कोई पता नहीं। गम देगे या खुशियां कोई पता नहीं। मुस्कुरा कर गए या रुलाकर गए कोई पता नहीं। हंसते हुए रुला गए या रुलाते हुए हंसा गए कोई पता नहीं। बेनाम का नाम कर गए या फिर बदनाम कर गए कोई पता नहीं। अपनापन दे गए या बेगाना कर गए कोई पता नहीं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित क...
मुकाम ए दौर
कविता

मुकाम ए दौर

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मत सोच ऐ शातिर अगर हार गया मैं तेरी खातिर। मुक़ाम-ऐ-दौर अभी बाकी है। आसमां को अपने हौसलों से थर-थराना तो अभी बाकी है। मत देख बहते हुए मेरे अश्कों को अश्क-ऐ-दरियाँ में नाँव बना अभी पार लांघना बाकी है। मत देख मेरे बिखरे लफ्ज़ो को इन्हें आगो़श में लेकर अभी अल्फ़ाज बनाना बाकी है। मत दिखा कि मुझसे भी बड़े बड़े अदीब हैं यहाँ इन सब को आदाब में लेकर अपना मुरीद बनना अभी बाकी है। मत बता कि मेरा अफ़सना भी अधूरा है अभी मुक़ाम-ऐ-पन्नों में नए अल्फ़ाज जोड़ आवाज़ह बटोरना अभी बाकी है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...