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Tag: राजकमल चतुर्वेदी “पागल पंडित”

चिंता
कविता

चिंता

राजकमल चतुर्वेदी "पागल पंडित" भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** क्यूं व्यर्थ में चिंता करता है ऐ पंडित पल का भरोसा नही ओर कल की बात करता है। है मिथ्या स्वप्नों का ये जगत ऐ पंडित तू अपने को इसका स्वामी समझता है।। मत बन मूर्ख इस माया के चक्कर मे ऐ पंडित ये माया है तुझे भी छल लेगी, इसने सबको छला है।।। बस फर्क इतना है, एक बंद आँखों का सपना है, और एक खुली आँखों का सपना है। परिचय :-  राजकमल चतुर्वेदी "पागल पंडित" निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...