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अलविदा २०२०
कविता

अलविदा २०२०

रागिनी मित्तल कटनी, मध्य प्रदेश ******************** बड़ा बेचैन मन था, बड़ा बुरा हाल था। सब वर्षो में खराब बीता हुआ साल था। जनवरी निकली ठंड में, फरवरी में पढ़ाई का जोर, मार्च में हो गया कोरोना का धमाल था। सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था । अप्रैल-मई में लॉकडाउन लगा था, मरीजों से चिकित्सालय भरा था, कैसे बचाए इनको सब का यही ख्याल था। सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था। डॉक्टर, नर्स ने दिन-रात फर्ज निभाया, तब कई जानो में से कुछ को बचाया, कोई गुलशन तो बिल्कुल उजाड़ था। सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था। मजदूरों में घर वापसी की होड़ लगी थी, जून-जुलाई में पथिको की लाइन लगी थी, सबके सामने बस रोटी का सवाल था। सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था। शादी, पार्टी मिलना जुलना सब बंद था, अगस्त, सितंबर में इंसान नजर बंद था, हर एक घर में उठ रहा भूचाल था। सब वर्षों में खराब बीता हुआ साल था। अक्टूबर...
पिताजी का महत्व
कविता

पिताजी का महत्व

रागिनी मित्तल कटनी, मध्य प्रदेश ******************** पिता के साथ वो बाजार जाना। आगे-आगे उछल के थोड़ा जल्दी आना। हर चीज की तरफ उंगली दिखाना। पापा का चुपचाप दिलवाना। बाजार में हम खुद को समझते सम्राट थे। जब पिताजी थे तो बड़े ठाट बाट थे। पाठशाला में जब पिता के साथ जाते। अध्यापक जी मेरी शिकायत लगाते। आंखों ही आंखों में मुझको धमकाते। पर हम तब नहीं आंखें झुकाते। क्योंकि, पिता जो होते हमारे साथ थे। जब पिताजी थे तो बड़े ठाट-बाट थे। भाई बहनों में होती लड़ाई थी। मैं उससे कभी नहीं जीत पाई थी। वह मुझ को मार कर भाग जाता था। पापा से ना कहना वह धमकाता था। लगे ना लगे मैं तब तक रोती थी, जब तक ना आ जाएं पिता जी पास थे। जब पिताजी थे तो बड़े ठाट-बाट थे। थी नौकरी छोटी सी, फरमाइशें सबकी। पूरा करते थे फिर भी ख्वाइशें सबकी। कोशिश करते थे कोई रह ना जाए। इसीलिए स्कूल के साथ वो ट्यूशन पढ़ाएं। काम कर-कर उनके खस्त...