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वरिष्ठ कवि रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’ को हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान
साहित्यिक

वरिष्ठ कवि रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’ को हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान

इंदौर। रविवार दिनांक ९ फरवरी २०२० को इन्दौर साहित्य सागर संस्था द्वारा फूटी कोठी पर वरिष्ठ कवि श्री शरद जोशी की अध्यक्षता, हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक व अध्यक्ष श्री पवन मकवाना के मुख्य आतिथ्य तथा वरिष्ठ कवि श्री चंचल रीझवानी, ओंकारलाल गहलोत, श्री नरेन्द्र मांगलिक और साहित्यकार डॉ. दीपमाला गुप्ता के विशेष आतिथ्य में अविस्मरणीय मासिक काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सर्व श्री हरमोहन नेमा, मनोहरलाल वर्मा 'मधुर', मनोहरलाल अग्रवाल 'मथुर', श्याम बागोरा,शिवेन्द्र जोशी, उमेश महालकरी, रामहरि राठौर 'विनम्र', रमेश धवन, मोहम्मद चाँद खां, नयन राठी, श्रीमती मंगला मिश्रा, श्रीमती कुसुम मंडलोई आदि अनेक रचनाकारों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ सुनाई। कुछ कवियों का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस अवसर पर श्री मकवाना ने वरिष्ठ कवि रशीद अहमद शेख़ 'रशीद' को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० प्रदान कर ...
आज़ादी पर मुक्तक
मुक्तक

आज़ादी पर मुक्तक

=========================== रचयिता : रशीद अहमद शेख युगों-युगों तक ज़ुल्म किया बर्बादी ने। सहा बहुत कुछ भारत की आबादी ने। आ पंहुचा पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस, तब अपना आशीष दिया आज़ादी ने। ये ज़मीं आज़ाद है अब ये गगन आज़ाद है। हम सभी आज़ाद हैं, अपना चमन आज़ाद है। गुल भी अब आज़ाद है, बुलबुल भी अब आज़ाद है, बाग़बां आज़ाद है, अपना चमन आज़ाद है। धरा अधिक स्वतंत्र अब, गगन अधिक स्वतंत्र है। स्वतंत्र पथ हुए सभी, पथिक-पथिक स्वतंत्र है। स्वतंत्र हैं रहन-सहन, कथन,चलन, निजीकरण, स्वतंत्र राष्ट्र में प्रत्येक नागरिक स्वतंत्र है। लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्...
रक्षाबंधन पर दोहे
दोहा

रक्षाबंधन पर दोहे

=========================== रचयिता : रशीद अहमद शेख श्रावण मे फिर आ गया, राखी का त्यौहार। मन में भगिनी के जगा, निज भ्राता का प्यार। सावन की बौछार में, आया पावन पर्व। करासीन राखी सुखद, शोभित हुई सगर्व। तन्वंगी कृशकायिनी, है राखी की डोर। पर इसकी संसार में, चर्चा है चहुँ ओर। रक्षाबंधन से जुड़ा, भ्राता-भगिनी स्नेह। इस बंधन में आत्मा, इस बंधन में देह। भाई राह निहारता, बहना मिले तुरंत। स्नेह-सूत्र कर पर सजे, उपजे हर्ष अनंत। लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक...
हरेक वेद में वही – वही पुराण में है
कविता

हरेक वेद में वही – वही पुराण में है

=========================== रचयिता : रशीद अहमद शेख लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि। प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं। विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। ...
नाव चली
कविता

नाव चली

================================================ रचयिता : रशीद अहमद शेख हौले-हौले संभल संभल कर नाव चली! मौसम के सांचे में ढल कर नाव चली! रंग-ढंग परिदृश्य बदलते रहे सभी सीमाओं से निकल निकल कर नाव चली! पतवारों ने समय-समय पर साथ दिया लहरों की छाती पर पल कर नाव चली! तूफानों ने कसर नहीं छोड़ी कुछ भी जीवन पथ पर फिसल फिसलकर नाव चली मंज़िल की चाहत में था उत्साह बहुत लहरों के संग उछल उछल कर नाव चली! पल-पल 'कलकल- कलकल' कहती रही नदी प्रेमातुर को मगर विकल कर नाव चली! पथ पर आड़े आई हवा 'रशीद' अगर अपने तेवर बदल बदल कर नाव चली! लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, क...
स्कूल जाती बच्चियाँ
कविता

स्कूल जाती बच्चियाँ

================================================ रचयिता : रशीद अहमद शेख उदासी अपनी छिपाती बच्चियाँ! हौले-हौले मुस्कुराती बच्चियाँ! गीत कोई गुनगुनाती बच्चियाँ! प्रफुल्लित स्कूल जाती बच्चियाँ! बोझ बस्तों का उठाती बच्चियाँ! ज्ञान-पथ पर पग बढ़ाती बच्चियाँ! सुनहरे सपने सजाती बच्चियाँ! प्रफुल्लित स्कूल जाती बच्चियाँ! प्रश्न का उत्तर बताती बच्चियाँ! समस्या का हल सुझाती बच्चियाँ! प्रखर प्रतिभा से लुभाती बच्चियाँ! प्रफुल्लित स्कूल जाती बच्चियाँ! स्नेह अपनों पर लुटाती बच्चियाँ! भूमिका जमकर निभाती बच्चियाँ! सुमन आशा के खिलाती बच्चियाँ! प्रफुल्लित स्कूल जाती बच्चियाँ! सितारों सी झिलमिलाती बच्चियाँ! चन्द्रमा सी चमचमाती बच्चियाँ! धूप जैसी खिलखिलाती बच्चियाँ! प्रफुल्लित स्कूल जाती बच्चियाँ! रूप परियों का चुराती बच्चियाँ! ढंग गुड़ियों सा दिखाती बच्चियाँ! प्रशंसा हो तो लजाती बच्चि...
पिताजी आप याद आए
कविता

पिताजी आप याद आए

================================================ रचयिता : रशीद अहमद शेख घनी जब धूप गहराई परीक्षा की घड़ी आई कली आशा की मुरझाई समय ने जब सितम ढाए! पिताजी आप याद आए! लगी जब पांव में ठोकर उठा फिर रुआंसा होकर हुआ अवबोध कुछ खोकर प्रसंग मानस ने दुहराए! पिताजी आप याद आए! अकेला पड़ गया मैं जब विरोधी बन गए जब सब सजल आँखें हुईं डबडब पलक ने अश्रु छलकाए! पिताजी आप याद आए! आपके प्रेरणा-अक्षर सभी उत्साहवर्द्धक स्वर हैं अंकित आजतक उर पर चुनौती जब भी मुस्काए! पिताजी आप याद आए!   लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचा...
तो ईद हो
कविता

तो ईद हो

================================================ रचयिता : रशीद अहमद शेख पुण्य का विस्तार हो तो ईद हो! हर्ष का संचार हो तो ईद हो! हो सुलभ जन-जन को भोजन वस्त्र-वंचित हो नहीं तन कोई पथशायी नहीं हो, सबके हों अपने निकेतन आर्थिक आधार हो तो ईद हो! हर्ष का संचार हो तो ईद हो! संतुलित अभिव्यक्तियां हों नियंत्रित आसक्तियां हों शुभ समर्पित शक्तियां हों, चाहे ऊँची भित्तियां हों भावना का द्वार हो तो ईद हो! हर्ष का संचार हो तो ईद हो! अहिंसक धारा विषम है कहीं भय है, कहीं भ्रम है मांग शस्त्रों की अधिक है, संधियों की चाह कम है पुष्प का व्यापार हो तो ईद हो! हर्ष का संचार हो तो ईद हो!   लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी...
युगों के बाद कोई महावीर होता है!
कविता

युगों के बाद कोई महावीर होता है!

रचयिता : रशीद अहमद शेख =========================================================================================================== युगों के बाद कोई महावीर होता है! हर एक देश में हर युग में वीर होता है! युगों के बाद कोई महावीर होता है! जगत में छाती है जब-जब अधर्म की बदली! ज़मीं पे गिरती है रह-रह के ज़ुल्म की बिजली! जब आदमी को सताती है गुनाहों की उमस, अंधेरे दौर में आती है रोशनी उजली! जब आसमान की आंखों में नीर होता है! युगों के बाद ••••••••••••• महापुरुष तो ज़माने में आते-जाते हैं! भटकने वालों को रस्ता सही दिखाते हैं! प्रयत्न करते हैं कल्याण हेतु आजीवन, महान कर्म से इतिहास वे बनाते हैं! कभी-कभी ही कोई बेनज़ीर होता है! युगों के बाद •••••••••••••••• बस एक अवधि तक ही भूमि पाप ढोती है! फिर इसके बाद सिसकती है खूब रोती है! दशों दिशाओं में मचता है हाहाकार बहुत, मनुज को देख दुख...