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Tag: रमाकान्त चौधरी

मन ये लगता नहीं अब तुम्हारे बिना …
कविता

मन ये लगता नहीं अब तुम्हारे बिना …

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** छोड़ कर काम सारे चले आइए, मन ये लगता नहीं अब तुम्हारे बिना। मन ये लगता नहीं अब तुम्हारे बिना ... बंद आंखें करूं तो दिखो तुम ही तुम, आंखें कब तक खुली बोलो रख पाऊंगा। झूठ बोलूं ये आदत में शामिल नहीं, प्यार की बात कब तक छुपाऊंगा मैं। लाख मुस्काऊं मैं नए कपडे पहन, कुछ भी जंचता नहीं अब तुम्हारे बिना। मन ये लगता नहीं अब तुम्हारे बिना ... देखकर दोस्त मुझको ये कहते सभी, इसकी हालत बिगड़ती चली जा रही। लग रहा आजकल ये भी पीने लगा, चमक इसकी उतरती चली जा रही। काम उल्टे सभी हो रहे आजकल, कोई टोके नहीं अब तुम्हारे बिना। मन ये लगता नहीं अब तुम्हारे बिना ... कल की घटना बताऊं मैं घर से चला, राह में एक लड़की से टकरा गया। उसने दी गलियां मुझको पीटा बहुत, वो बोली ये लड़का है पगला गया। उसको कैसे बताता मैं बेहोश था...
गीत प्यार के गाने वाले
कविता

गीत प्यार के गाने वाले

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** गीत प्यार के गाने वाले प्यार पे जान लुटाने वाले जाकर क्यों न आते हैं। रह जाती हैं बातें उनकी रह जाती हैं यादें उनकी साथ बिताए मीठे पल और आँखों में खारा जल। कुछ सपने अंजाने से कुछ जाने पहचाने से आँखों को स्वप्न दिखाने वाले सपने सच कर जाने वाले जाकर क्यों न आते हैं। हाथ से निकले जैसे पल यादें भी हो जाती ओझल हृदय प्रश्नों के घेरे में मिलता नही कोई भी हल। उलझ के बस रह जाता मन लगता सब नीरस यौवन प्रश्नों को सुलझाने वाले सच्ची राह दिखाने वाले जाकर क्यों न आते हैं। लगता कोई खता हो जैसे जीना एक सजा हो जैसे एकाकीपन साथ में होना रब की कोई रजा हो जैसे अधरों पर मुस्कान नही है खुद की भी पहचान नही है रोते दिल को हँसाने वाले गम को दूर भगाने वाले जाकर क्यों न आते हैं। पेड़ों के सूखे पत्ते स...
राम अयोध्या लौटे हैं
कविता

राम अयोध्या लौटे हैं

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** जो हाथ लगायेगा सीता को वह रावण मारा जायेगा। राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा। सदियों से शोषित पीड़ित जो वह स्वाभिमान पा जायेंगे। शोषण करने वालों पर कोड़े बरसाए जायेंगे। दीप जलेंगे खुशियों के गम के बादल छंट जायेंगे। जातिवाद और ऊंच नीच के सब गड्ढे पट जायेंगे। अब ना होगा जुल्म किसी पर जुल्मी मारा जायेगा। राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा। रिश्वतखोरी और दलाली अब ना होगी थानों पर। रोक लगेगी भारत भर के मक्कारों बेईमानों पर। बालाएं अब घूम सकेंगी मेलों में बाजारों में। दुष्कर्म नहीं हो पाएंगे अब ट्रेन बसों व कारों में। राहजनी और लूटपाट अब कोई नहीं कर पायेगा। राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा। हर मानव अब सच बोलेगा अब सतयुग फिर से लौटेगा । झूठ बोलने वाला कोई दूर-दूर तक ...
याद तुम्हारी मैं बन पाता
कविता

याद तुम्हारी मैं बन पाता

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** याद तुम्हारी मैं बन पाता। तो जीवन जीवन होता। मुझे बुलाती ख़्वाबों में तुम अपना मधुर मिलन होता। रोज मुझे तुम लिखती पाती उसमें सब सपने लिखती। जितने ख्वाब संजोए मैंने उनको तुम अपने लिखती। लिखती प्रियतम मुझको अपना मुझपर सब अर्पण होता। याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता। लोग नगर के सभी पूछते तुमसे मेरा हाल पता। अधर तुम्हारे चुप ही रहते सबकुछ देते नयन बता। दूर भले ही हम तुम रहते जन्मों का बंधन होता। याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता। तुम्हें चिढ़ाती सखियां सारी नाम हमारा ले लेकर। झुंझलाती चिल्लाती सबपर खुश होती तुम छिप-छिप कर। मेरी छवि तुमको दिखलाता इक ऐसा दर्पण होता। याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता। परिचय :-  रमाकान्त चौधरी शिक्षा : परास्नातक व्य...
आती है जब याद तुम्हारी
गीत

आती है जब याद तुम्हारी

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** आती है जब याद तुम्हारी, नयन सजल हो जाते हैं। धीरे धीरे बारिश वाले, फिर बादल हो जाते है। प्रेम प्रदर्शित हो न जाये, पूरी कोशिश करता हूँ, इसीलिए तो दिल पर अपने, पूरी बंदिश करता हूँ। नयन समझ लेते जब दिल को तब मरुथल हो जाते हैं। आती है जब याद तुम्हारी, नयन सजल हो जाते हैं। अपनी उँगली की पोरों से, जब भी तुम छू लेते हो मुझे लगा कर सीने से और बस मेरे हो लेते हो। मेरी आँखों के आँसू, तब गंगाजल हो जाते हैं। आती है जब याद तुम्हारी, नयन सजल हो जाते हैं। हँसी तुम्हारी अपनी कविता और गीतों में लिखता हूँ। तुम संग हमने जितने बिताए वे सारे पल लिखता हूँ। सिर्फ तुम्हारे पढ़ लेने से सब शब्द गजल हो जाते हैं। आती है जब याद तुम्हारी, नयन सजल हो जाते हैं। प्यार निभाने का मसअला है थोड़ी बात कठिन तो है। दिल...
एक प्रेम कहानी
कविता

एक प्रेम कहानी

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** एक प्रेम कहानी तुम्हें सुनाऊँ। सच्ची घटना तुम्हें बताऊँ।। जिससे मेरी आँख लड़ी। वो लड़की मुझसे खूब लड़ी।। बेमतलब बोला करती है वो। जहर उड़ेला करती है वो।। सुन सुन कर थक जाता हूँ मैं। हार के चुप हो जाता हूँ मैं।। चुप देख मुझे चुप हो जाती है। मेरी हार देख खुश हो जाती है।। वो नखरे खूब दिखाती है। मुझे देख के मुँह बिजकाती है।। उसे देख के गुस्सा आता है। फिर उससे मन चिढ़ जाता है।। वो मुझको खूब चिढ़ाती है। हँस के गैरों से बतियाती है।। जब थक जाती खूब चिढ़ाने से। तब बोले किसी बहाने से।। जब उसको लगता क्रोधित हूँ मैं। उसकी बातों से आहत हूँ मैं।। झट से वह रो देती है। गुस्से को मेरे धो देती है।। मैं माफ उसे कर देता हूँ। उसको बाहों में भर लेता हूँ।। सब कहते लड़की भोली है। बस कड़वी थोड़ी बोली है।।...
वो लड़का
कविता

वो लड़का

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** सरकार चलाने वालों क्या, तुमने ये सोचा है कभी? वो लड़का कैसे जीता होगा, जिसके सपने मर जाते हैं। गाँव से आकर शहर बीच, इक छोटे कमरे में रहता है। सपनों को पूरा करने को, वह रात - रात भर पढ़ता है। फीस वो कोचिंग कालेज की, जब भी भरने को जाता है। मजदूरी से लौटे पापा का, उसे चेहरा याद आ जाता है। टीचर क्लास से बाहर करते, जब पापा फीस नही भर पाते हैं। वो लड़का कैसे जीता होगा, जिसके सपने मर जाते हैं। आते समय गाँव से मम्मी, रख देती रोटी संग सपने। पढ़ जायेगा जिसदिन बेटा , आयेंगे अच्छे दिन अपने। जब बनकर अफसर आयेगा, तब नई खरीदूंगी साड़ी। मुखिया के जैसी ही मैं भी, ले लूंगी एक मोटर गाड़ी। सब सपने पूरे करने को, दिन रात एक कर जाते हैं। वो लड़का कैसे जीता होगा, जिसके सपने मर जाते हैं। पापा की लाठी बन पाए, ...
एक लड़की गुड़िया सी
कविता

एक लड़की गुड़िया सी

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** एक गुड़िया सी लड़की घर में, बातें बहुत बनाती है। है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। घर भर को है खूब रिझाती, अपनी मीठी बोली से। कॉपी सारी रँगती रहती, बना बना रंगोली से। बात बात पर धमकी देकर, सबपर हुकुम चलाती है। है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। इस कमरे से उस कमरे में, दिन भर चलती रहती है जरा डाट पर रो देती, पर बिलकुल नही सुधरती है। मम्मी पापा भाई बहन, वह सब पर प्यार लुटाती है। है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। कभी डॉक्टर, कभी वो टीचर, फौजी भी बन जाती है। क्या क्या मुझको करना है, वह अच्छे से समझाती है। देख देख कर दर्पण बिटिया, खुद को खूब सजाती है। है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। परिचय :-  रमाकान्त चौधरी शिक्षा : परास्नातक व्यवसाय : वकालत नि...
मैंने  प्रेम  नही माँगा है
कविता

मैंने प्रेम नही माँगा है

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** मैंने प्रेम नही माँगा है केवल पीड़ा माँगी है। देखो न करके तुम मुझसे मेरा ये अधिकार न छीनो। चाहे जिसको खुशियाँ दे दो चाहे जिस पर प्रेम लुटा दो। चाहे जिसकी राहों में तुम अपने सुंदर नयन बिछा दो। मेरी आँखें शुष्क हो गई इनमें कोई क्या ठहरेगा, चाहे जिसकी आँखों में तुम अपने सारे स्वप्न सजा दो। मै केवल पीड़ा का आदी मेरा ये संसार न छीनो। देखो न करके तुम मुझसे मेरा ये अधिकार न छीनो। जिनका हृदय कोमल होता उनको कब अनुरक्ति मिली है। दर्द मिला है घाव मिले हैं उनको सिर्फ विरक्ति मिली है। मौन साधना नित्य कर्म है चाहे जितनी पीड़ा हो, अधर खोल कर कहने की उनको कब अभिव्यक्ति मिली है। प्रेम के बदले पीड़ा लेना मेरा ये व्यापार न छीनो। देखो न करके तुम मुझसे मेरा ये अधिकार न छीनो। क्षणभंगुर न प्रीति मिल...
चढ़ती उम्र
कविता

चढ़ती उम्र

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** बचपन पीछे छूट रहा हो, तन पर तरुणाई आने लगे। चंदा को मामा कहने में, जिभ्या खुद ही सकुचाने लगे। दर्पण में खुद को देख-देख, जब अंतर्मन हर्षाने लगे। जब अपना मुखड़ा अपने मन को, मन ही मन में भाने लगे। जब लोरी सुनने वाला बचपन, गीत प्यार के गाने लगे। जब प्रीति की बातें सुन कर कोई, अपने बाल बनाने लगे। तब दादा - दादी कहते हैं, कि पढ़ने में ध्यान लगाना है। चढ़ती उम्र यही होती है, इसको बहुत बचाना है। जब आँखों में चंचलता आए, होंठो पर मुस्कान सजे। पढ़ने से ज्यादा सजने पर, जब खुद का सारा ध्यान लगे। खींच - खींच कर सेल्फी कोई, जब देखा करे तन्हाई में। खुद की फोटो देख-देखकर, घूमे घर अंगनाई में। अपने कॉलेज दोस्तों से जब, देर तलक बतियाने लगे। कभी प्यार मनुहार करे, और कभी उन्हें धमकाने लगे। तब समझो उसका प्यारा ...
सुनो बेटियों
कविता

सुनो बेटियों

रमाकान्त चौधरी लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** सुनो बेटियों ! स्वाभिमान हित अब हथियार उठाना होगा। बने दुशासन घूम रहे जो, उनको सबक सिखाना होगा। आखिर कब तक जुर्म सहोगी, कब तक मुँह न खोलोगी। इन बहशी हत्यारों पर, कब तुम दंगा बोलोगी। भरी सभा में चीर खिंच गया, तब भी तुम खामोश रही। धोखा दे फिर छली गई, तब भी तुम बेहोश रही। बहुत बन लिया द्रोपदी अहिल्या, अब फूलन बन जाना होगा। सुनो बेटियों ! स्वाभिमान हित अब हथियार उठाना होगा। तुमसे ही जो जन्मा वह तुम पर अधिकार जमाता है। और तुम्हारे चुप रहने से वह पौरूष दिखलाता है। कभी जलाता चौराहों पर कभी कोख में मार रहा। कभी लूटता वही तुम्हे, जिससे तुमको प्यार रहा। इस बिगड़ी हुई ब्यवस्था को फिर सिस्टम पर लाना होगा। सुनो बेटियों ! स्वाभिमान हित अब हथियार उठाना होगा। मत कोई उम्मीद लगाना, बिके हुए अखबारों से।...