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Tag: रंजीत शर्मा “रंग”

तुम वादा करो
कविता

तुम वादा करो

रंजीत शर्मा "रंग" सिखरा, हाथरस (उत्तर प्रदेश) ******************** हम तुमको भुला देंगें गर तुम वादा करोगे बाद हमारे तुम किसी से दिल न लगाओगे में हूं पतझड़ वृक्ष तुम मुझको आवाज ना दो ना खिले कोई फूल ऐसी रस्मों रिवाज ना दो राजनीति के चक्रव्यूह में ना मुझको अब घेरो मैं दरवारों की शान बनूँ ऐसा समाज ना दो अब ये चांदनी रातें हम बिन कैसे बिताओगे बाद हमारे तुम किसी से दिल न लगाओगे जानता है ये फाग महीने का रंगीन मेला तुम्हारे बिन ये अबके निकला है अकेला कभी खाते थे जलेबी उस हलवाई की आज पूछता है गुड्डे गुड़ियों वाला ठेला बताओ अबके सावन कैसे तुम मनाओगे बाद हमारे तुम किसी से दिल न लगाओगे ये बैरी पवन क्यूँ मुझको तपन दे रही है ये चांदनी रात क्यूँ मुझको जतन दे रही है डूबती किरणें मेरे सूरज की देख ले "रंग" अब तारों की छांव सासों की घुटन दे रही है मेरी मईयत पर क्यूँ तुम आंसू ब...