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Tag: मुकेश गाडरी

अन्तर्द्वन्द
कविता

अन्तर्द्वन्द

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** उसका संघर्ष दु:ख मय हुआ होगा, जब उसकी कड़ी मेहनत रंग लाई प्रतिस्पर्धियों मे से आगे निकला तब सबको जो पीछे छोड़ कर वो मे नई -नई कल्पना करता हूँ.... क्योंकि मे अन्तर्द्वन्द मे रहता हूँ.... देश से प्यार करने वाले भगत सिंह है जो कभी ना मोत से डरते हो बात आए जब मातृभूमि पर तब सामने कोंन ये कोई ना बतलाता हो मे नई -नई कल्पना करता हूँ.... क्योंकि मे अन्तर्द्वन्द मे रहता हूँ.... कनक को आग में पीटते हैं बना आकार अच्छा तो बिकता जो ना तो पुनः पिट जाता हैं हमे भी इसकी तरह बन जाना है मे नई -नई कल्पना करता हूँ.... क्योंकि मे अन्तर्द्वन्द मे रहता हूँ.. परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
मोबाइल
कविता

मोबाइल

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम से, कोने- कोने से बातें हो जाती है। रिश्तों में दुरियाँ बढती चलीं जाती हैं, अब इसे जीवन कहे या मृत्यु कहे..... वाह! मोबाइल क्या नाम दिया है..... दुनिया भर की खबर देख लेते हैं, मानव सोच को सकारात्मक करते। अपना उधोग इससे कर सकते हैं, पर मानव इसका दूरउपयोग क्यों करते..... अब मोबाइल अपनी हर आवश्यकता पूरी करते..... ना दिन का पता ना रात का, बस मोबाइल पर समय गुजर जाता। पास होने पर अजनबी लगते, मोबाइल पर बातचित हो जाती हैं...... यह सुंदर दुनिया मोबाइल में खो जाती हैं........ परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी र...
बेरोजगार
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बेरोजगार

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** देश विदेश में शिक्षा की, ना बन पाया कुछ काम। युवाओं का हाल हुआ बेहाल, एक के साथ एक हो रहे बेरोजगार...... बेरोजगार की है अनेक परिभाषा, पर ना कर पाया कोई उसे परिभाषित। एक काम पर अनेक करते काम, कभी प्रच्छन्न तो कभी घर्षित हो जाते बेरोजगार...... मशीनीकरण की क्रांति एसी आई, हजारों का कार्य मशीनों ने लिया। हस्तशिल्प उद्योग पर है बढ़ावा, पर आगे चलकर ना आता कोई बेरोजगार...... परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाश...
देश मेरा
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देश मेरा

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** सीमा पर तैनात है जवान जो, सर्दी, गर्मी व बरसात सहन कर लेते हैं। ऐच्छिक सेना बनकर पीछे कभी ना हटते, दुश्मनों को कभी ना भीतर आने देते हैं। सबसे प्यारे जवान हमारे सबसे प्यारा देश मेरा... दुनिया के पवन रूपी में सुप्रसिद्ध हुआ भारत जो, तरह-तरह की संस्कृति, तरह तरह का वेश। भाषा है जो अनेक, तीर्थ स्थल है यहां अनेक, जगतगुरु व स्वर्ण चिड़िया कहलाया भारत देश। कितना सुंदर कितना निराला भारत देश मेरा..... हर क्षेत्र में ना कभी पीछे हटता भारत, खेल में सबसे आगे रहता है जो। प्रथम प्रयास पर मंगल पर पहुंचता है भारत, संकट में जात पात धर्म भूल जाता है। हर मुसीबत में साथ निभाता है भारत, चार धाम है जहां पर वो भारत देश मेरा.... परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प...
कैसे गाएँ गीत मल्हार
कविता

कैसे गाएँ गीत मल्हार

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** ना देखीं इस वर्ष ये बारिश की बूंदे, क्या होगा पता नहीं जगाई जो उम्मीदें। देख रहा किसान जो आसमान में, बादल छाए बारिश हो जाए। सावन में झूला झूलने का है इंतजार, की कैसे गाए गीत मल्हार -२ देश में बढ़ रहा आतंकवाद, रोकना हमको पापियों का पाप। ईमान का नष्ट होना भ्रष्टाचार का है पनपना, समाज में बढ़ती जा रही बुराइयां। बहन, बेटी, बहू ना जा सकती बाहर, की कैसे गाए गीत मल्हार -२ मानव जो करता खिलवाड़ प्रकृति से, भू-श्रृंगार जो मिटने आया। जीव-जंतु की ना तु दया करता, इसलिए यह कोरोना का प्रकोप आया। अब ठहर जा मानव नहीं तो काल्पनिक होगी पृथ्वी, ईश्वर को ही लेना होगा अब अवतार वरना कैसे गाएं गीत मल्हार-२ परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि...
माँ
कविता

माँ

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** माँ तु फूल की डाल है वो, जो कभी ना मुजराने दिया मुझे। सर्वप्रथम मुख देखा है मैंने तेरा, तूने ही जन्म दिया है जो मुझे। गिर ना जाओ माँ कहीं में, चलना सिखाया है तूने मुझे। तू ही गुरु तू ही अन्नपूर्णा है माँ........ तूने खुशियां दी मुझे वो माँ, कभी तेरे आंचल से दूर गया नहीं मैं। जब रोता में माँ हँसाने का प्रयास करती तू, आज बारी मेरी तो कैसे दूर छोड़ जाऊं मैं। आशीर्वाद दे माँ तू मुझे अब, सपने सच करने चलता हूं मैं। तू ही लक्ष्मी तू ही वंदना हे माँ....... परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के ...
तब गाँव हमें अपनाता है
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तब गाँव हमें अपनाता है

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** आई विडम्बना ऐसी की दूर गया में गाँव से, कुछ धन कमाने को में चल पड़ा शहर की ओर। प्रदूषण से जब होने लगे घुटन शहर में, गाँव जाना तब मन मेरा करता है ....... तब गाँव हमें जो अपनाता है। शिक्षा ग्रहण के लिए विदेश जो जाते, ना मिले जब संस्कार परिवार के तब जीवन है अधूरा। चौपाटी पर बैठ गप्पे जो मारना मन को बढ़ा भाता, गाँव ना जाकर मन विचलित मेरा हो जाता है ......... तब भी गाँव हमें जो अपनाता है। खेत पर जाकर भूमि पुत्र बन जाना, बीज को मिट्टी में मिला कर सोना उगवाते। चारों तरफ हरियाली देखने को मिल जाती, तकनीक का मंत्र ऐसा आया सब उसमें डूब गए। जन लोग शहर की ओर पलायन कर जाते हैं....... तब भी गाँव हमें जो अपनाता है। परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित...
युवा शक्ति
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युवा शक्ति

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** करना हमको काम ऐसा सबको आगे बढ़ाना, सोते हुए युवा शक्ति को है अब जगाना। १) पहुंचाना है उस मार्ग पर, क्योंकि मंजिल है उनकी दूर। देना ऐसा ज्ञान युवा को, बन जाए पुनः गुरू संसार। भू-श्रृंगार ना मिटने देना, करना तुम युवा शक्ति उपकार। करना हमको काम ऐसा सब को आगे बढ़ाना, सोते हुए युवा शक्ति को है अब जगाना। २) बेईमानी को तुम मार दो, ईमानदारी को अब है जगाना। आदर्श तुम्हारा वो हो जो जगत छवि बनाई, जय तुम्हारी हो जाए तो परचम अपना फहराना। बनकर रक्षक अखंड भारत का करना अब निर्माण, युवा शक्ति को है अब जगाना। करना हमको काम ऐसा सब को आगे बढ़ाना, सोते हुए युवा शक्ति को है अब जगाना। ३) देश को आगे बढ़ाना तो आत्मनिर्भर तुम बन जाओ, टक्कर सबको देना व्यापार ऐसा करना। लाभ चाहे कम मिले गद्दारी ना कर जाओ, गरीबी को है मिटाना सबको शिक्षित...
बचपन
कविता

बचपन

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** सबसे अनोखी ये अवस्था ना कुछ करना ना कुछ पड़ना गलियोंमें गुमते ग्याला बनते खेल -खेल में जो लेते मजा कभी ना हम दिल में चुभाते दोस्ती में ना भेदभाव का चलन........ ऐसा था हम सब का बचपन... माँ -पिता के साथ जो रहते बारिश का हमको खुभ लुभाना, मिट्टी से जो घर बनाना दादी से कहानियां सुनते ननिहाल के लिए हम तो रोते, छोटी सी मुस्कान से आंगन मेरा भर जाता गलती जब हम करते, माँ के आँचल मे जा छिपते माँ की ममता का तब होता मिलन..... ऐसा था हम सब का बचपन... पता नहीं ये कोनसा युग है छुपा है बचपन को लेकर आई एक तकनीक एसी सपनों में होते जेसे घूम, हो गयें उस तकनीक में बूम चलो कुछ एसा करते, जिसका कभी ना आदि-अन्त करना हमको ऐसा प्रचलन.... ऐसा था हम सब का बचपन.. परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी( राजसमंद)...
मेरा बचपन
कविता

मेरा बचपन

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** किया दिन थे जब न कुछ करना। ना ही कुछ पड़ना।। ऐसा ही था मेरा बचपना! माँ के हाथ का भोजन खाना। पीता के हाथ पकड़कर चलना।। ऐसा ही था मेरा बचपना! गांव की गलियों में गुमना। दोस्तो के साथ में खेलना।। ऐसा ही था मेरा बचपना! माता पिता की डाट में प्यार का होना। कभी ना चाहा दिल में चुभाना।। ऐसा ही था मेरा बचपना! मोह था हमे प्रसाद का खाना। हम को भी दिखता था भक्ति का आना-जाना।। ऐसा ही था मेरा बचपना! . परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी( राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...