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Tag: मीना भट्ट “सिद्धार्थ”

सागर की उत्ताल तरंगें
कविता

सागर की उत्ताल तरंगें

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** सागर की उत्ताल तरंगें हतभागी हैं तट सारे। निष्प्रभ व्यथित मनुज बौराता, अनुगामी हैं अँधियारे।। मनुज -रक्त से कूप भरे हैं, लुप्त भोर का है तारा। सम्मोहित हैं अरुण-रश्मियाँ, चादर ओढ़े उजियारा।। मधु गुंजन को उपवन तरसे, सन्नाटे से सब हारे । मौन हुईं अब साँसें-धड़कन, भंग शांति है मरघट की। दहक रहा है सूर्य आज तो, मृत्यु निकट है पनघट की।। छाई धुंध अनाचारों की खंडित हैं भोले तारे। क्रूर काल ने डाका डाला, पुष्प हीन होती डाली। जीवन की क्षण भंगुरता में, खोई ओंठों की लाली।। पीड़ित है मानवता सारी, मूक-बधिर भाई चारे। बहुत दूर है मोती घर का, छलती है ठगिनी माया। आडंबर की तूती बोले, भ्रम में मिट्टी की काया।। संकट में है मैना घर की। बने शिकारी रखवारे। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलप...
मधुवल्लरी छंद
छंद

मधुवल्लरी छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** विधान : मात्रिक छंद (मापनी युक्त) २१ मात्राएँ चार चरण : दो-दो चरण समतुकांत। मापनी : २२१२ २२१२ २२१२ आभास हो संसार हो मनमोहना। मस्तक मुकुट है रूप है प्रभु सोहना।। वंदन करूँ मैं साँवरे सुखधाम हो। कर जोड़ विनती मैं करूँ निष्काम हो।। सुमिरन रहे प्रभु प्रीति भी कल्याण हो। आशीष तेरी मिलती रहे उर प्राण हो। कान्हा हरो सब पीर सुख अविराम हो। आलोक फैले जग सुखद परिणाम हो।। लो थाम अब नैया भँवर है जान लो। पतवार हो कान्हा हमें पहचान लो।। आत्मा करो पावन किशन परमात्म हो। मीरा बनूँ जिह्वा सदा प्रभु नाम हो।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा,...
सार्धमनोरम छंद
छंद

सार्धमनोरम छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** सार्धमनोरम छंद विधान मात्रिक छंद, २१ मात्राएँ चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत मापनी : २१२२ २१२२ २१२२ श्याम प्यारे हम पुकारें नाथ दाता। है विपद भारी विधाता आप त्राता।। नित गिरें चरणों मुरारी बात मानो। दास चाकर है तिहारा श्याम जानो।। साधना करते सदा ही द्वार आते। ठौर कान्हा आपके ही पास पाते।। गोप गोपी साँवरे को नित्य ध्याते। पावनी इस प्रीति के गुण नित्य गाते।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन। प्रकाशित पुस्तक :...
प्रतिमा – वार्णिक
छंद

प्रतिमा – वार्णिक

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** प्रतिमा - (वार्णिक) १४ वर्ण : चतुर्दशाक्षरावृत्ति यति - ८, ६ गण संयोजन - सभतनगग सगण भगण तगण नगण गुरु गुरु (११२-२११-२२, १-१११-२२) चार चरण, दो -दो चरण समतुकांत। ममता मूरत न्यारी, सुमिरत माता। करुणा सागर अम्बे, गुण जग गाता ।। भव तारे अवतारी, नित शुभकारी। जगदम्बे जननी हो, अतिशय प्यारी।। चरणों शीश झुकाते, मनहर रूपा। प्रिय हो वैभव शाली, नमन अनूपा।। जयकारा करते हैं, हम दिन राता। अब आशीष हमें दो, निरख सुजाता।। पथ के कंटक सारे, विपद हटादो। वसुधा आकुल माता, तिमिर मिटादो।। बलिहारी हम जाते, सुन वरदानी। महिमा भी नित गाते, जगत भवानी।। तुम अम्बे तुम काली, कर रखवाली। नवदुर्गा घर आओ, परम निराली।। सजती थाल सुहानी, कुमकुम रोली। अब तारो तुम दासी, मनहर भोली।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : ...
सनयास छंद
छंद

सनयास छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** सनयास छंद विधान : वार्णिक छंद १२ वर्ण गण संयोजन : सगण नगण यगण सगण ११२ १११ १२२ ११२ चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत। जगपालक प्रभु स्वामी कहते। उर में रघुवर मेरे रहते।। मन मूरत बसती नाथ सुनो। नित राघव जप लो राम गुनो।। सुमिरो निशिदन तो मोक्ष मिले। मन के उपवन में पुष्प खिले।। रघुनाथ चरण में आज पड़ी। अब दो दरशन मैं द्वार खड़ी।। मनमोहक छवि प्यारी लगती। विनती सुन प्रभु रातों जगती।। तजदी अब सब माया सुन लो। हितकारक प्रभु दासी चुन लो।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायु...
श्वेता छंद
छंद

श्वेता छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** विधानः वार्णिक छंद दस वर्ण गण संयोजन : मगण रगण मगण गुरु २२२ २१२ २२२ २ चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत अंबा दुर्गा भवानी कामाक्षी। कुष्मांडा शारदा माता साक्षी।। जो जन्मान्तरों को है जोड़े। पाखंडी दंड दे माया तोड़े।। माता पूजा करें आ स्वीकारो। द्वारे तेरे खड़े हैं माँ तारो।। श्रद्धा से माँ बुलाते आ रानी। पूरी हो प्रार्थना मेरी दानी।। त्राता सौगात दें हैं कल्याणी। देती हैं शक्ति दें मीठी वाणी।। पीड़ा सारी हरें माता जानो। अन्तर्यामी भरें झोली मानो।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश ...
कान्हा स्वामी
छंद

कान्हा स्वामी

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** मन्दाक्रान्ता विधान : वार्णिक छंद गण संयोजन मगण भगण नगण तगण तगण गुरु गुरु २२२ २११ १११ २२१ २२१ २२ १७ वर्ण प्रति चरण ४, ६, ७ वर्णों पर यति ४ चरण, दो दो चरण समतुकांत कान्हा स्वामी, नमन करिए, भावना नित्य बोले। वंशी देखो, बजत प्रभु की, राधिका मुग्ध डोले।। संगी ग्वाला, सुमिरत सुनो, श्याम प्यारे उबारो। राधा ध्यावे, नटवर सदा, नाम कान्हा पुकारो। राधे रानी, नित किशन का, नाम जापें विधाता। झूमें गोपी, नटवर कहें, आप हो श्याम दाता।। मीरा प्यारे, मनहर प्रभो, नाथ प्यारे नमामी। साँसो में भी, गिरधर रहो, आज आभार स्वामी।। नैया मेरी, भँवर फँसती, पार हो हे खिवैया। आई हूँ मैं, चरनन पड़ी, द्वार तेरे कन्हैया।। तारो कान्हा, प्रतिपल कहें, हो कृपा भी सहारे। कृष्णा कृष्णा, निशदिन रटूँ, हो दया क्यों बिसारे।। नैनो में हो...