Wednesday, December 18राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: मालती खलतकर

मेरी आस
कविता

मेरी आस

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** रवि रश्मि से लेकर शिक्षा बढ़ते रहो घने तम में तिमिर दूर होगा एक दिन तो शांति मिलेगी जीवन में। शीतल, श्वेत, स्वच्छ, अंतर मन तू जैसे चंद्र का शीतल प्रकाश जीवन रण में उज्जवल हो तुम यही एक मेरी आस। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं ...
झुटी मुस्कान
कविता

झुटी मुस्कान

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन रोता है कहीं किसी कोने में कहीं तनहाई मुंह चिढ़ाती है कब तक पैबंद लगाएं झूठी मुस्कान के जिंदगी रीति-रीति बीती जाती है। कहने को बहुत कुछ है, लब खुलते नहीं देखी अपनों की जिंदगी गिरेे हुए फ़ूल उठाता नहीं कोई। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, ...
सहनशक्ति का पर्याय लहर
कविता

सहनशक्ति का पर्याय लहर

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** क्यों टकराती हो कूल से जानती हो ना तुम्हें लौटना होगा पुनः पवन के थपेड़े खाने के लिए तुम लहर हो, नारी हो सहन शक्ति का पर्याय बनो। तड़ाग के स्थिर जल में तुम्हें बहना नहीं टकराकर पुनः लौटना है प्रत्यागमन कर पवन के साथ अटखेलिया करते समय बीतता है बीच-तड़ाग के बीच में ही तड़ाग तुम्हें छोड़ देगा कूल के लिए। तुम जानती नहीं, ना समझ पाती हो पवन, पानी का वार्तालाप जो स्वयं के सुख के लिए तड़ाग के सौंदर्य के लिए तुम्हें टकराने के लिएं कूल तक भेजते हैं। दूर बहुत दूर से तुम्हें छटपटाता देख उल्लासित हो पवन, पानी मिलकर तुम्हें धकेलते है अपनी सुंदरता के लिए प्रकृति प्रेमी को उल्लसितकरने के लिए उसे गुनगुनाने, कलम चलाने को बाध्य करते हैं ताकि साहित्य नया रचा जा सके जो जन् मानस में स्फुरण भर सके।। ...
यादें
कविता

यादें

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ज़ख्म हरे होने में देर नहीं लगती यादों को कूरेदोगे तों अश्क निकल आएंगे यादों का सैलाब पीछा नहीं छोड़ता है तुम से कारवां कारवां से सैलाब बन जाओ, यादों को जश्न सा मनाओ यारों बीत गया सो रित गया आगे बढ़ो नये आयाम थामो। जेहनं में जिंदगी के फलसफे लिखे हैं l इन फलसफो का इतिहास बनाओं यारों।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी...
पुरानी यादें
कविता

पुरानी यादें

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पुरानी यादों में कहां खो गई तुम अतीत के अनुभव रोमांचित व सुखद है देखो कहीं डूब उतरना नहीं उन परछाइयों के साथ नहीं तो वृत की छाया दामन छुड़ाकर भाग जावेगी। चक्र में घूम जाओगी। जड़ चेतन के साथ समय को रीता मत छोड़ो यही अतीत का रक्षक बन तुम्हें डरा देगा और तुम वृत पकड़ने के लिए फिर तुम नहीं सुबह या रात की शीतल चांदनी में झिझकतीं चली जावोगी, घुटजाओगी और पुनः वृतमें आने के लिए तुम्हें इस समय को पकड़ना ही पड़ेगा दौड़कर, गिरकर। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले...
अभिवादन धरा का
कविता

अभिवादन धरा का

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** रवि का स्वागत करने हेतु, ओस लाऐ रजत हार तरु हंसते मन्द हास्य छोड़कर मधुर राग। खिलती कलियां महकते फ़ूल बढ़ाते उपवन का सौन्दर्य। मद मस्त पवन के झोंकों का उपवन में खिलते फूलों का मानव मन करता रसास्वादन। करता झुक कर धरा का अभिवादन। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्ष...
परायापन
कविता

परायापन

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक एक शब्द तुम्हारा भेद़ गया। मन की कोमल दीवारों को मां के भाव शूलसे चुभ गए क्षण भर में स्तब्ध रह गई मस्तिष्क अवरुद्ध हो गया। एकाएक मन ने जागृत किया झकझोरा मुझे कहा उसने सच है, सही तो कहा उसने तुम, तुम पराए हो तू मुढ हो इस जग में। भावुक, विक्षिप्त होते हैं वह लोग जिन्हें वेअपना कहते हें। और जगहमें पराया कहता है शायद यही अति, श्रुति, रीति है जगती की।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं...
आंखें
कविता

आंखें

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** किसी के लिए नहीं रोता है दिल शरारत है सिर्फ इन आंखों की कहीं दिल है रोता, कहीं यह है हंसता शिकायत है सिर्फ इन आंखों से। दर्दो जिगर को संभाले तो कोई शिरकत है सिर्फ इन आंखों की जज्बातों पर काबू करे ना करे कोई मजबूरी है इन आंखों की आंखों के समंदर में डूबे न कोई साहिल का यहां ठिकाना नहीं है। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से ज...
सावन की घटा
कविता

सावन की घटा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पहले सावन की संध्या आंचल प्रसार रही रजनीगंधा वृक्षों के झुरमुट में खगवृद बोलत पी पुकारते मधुर स्वर में गाते। दामिनी दमक रही चम्पई शाम है पहले सावन के घीर आऐ मेघा है लहर रही मंद पवन जैसे कुछ गाती नीलकण की बौछारें सहम-सहम जाती। कन्दुभी वर्ण सजा मेघ के भाल पर नाच रहे गा रहे मयूर मधुरताल पर तरु, तड़ाग पल्लवित है चंपई शाम आ रही पहले सावन की घटा बार-बार छा रही।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इं...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शब्दों को पूर्ण वीराम ना लगाओ शब्द, तार है मन सरगम का छंद अलंकारों से श्रृंगारित शब्द अवलंबन है जिव्हा का। कर, लेखनी, काली स्याही व्यंजन, परिमार्जन शब्दों का शब्द चमत्कृत, शब्द झंकृत शब्द-शब्द से कहानी है। स्वर व्यंजन से रचा गढ है परकोटा है अलंकारों का अंदर बाहर गिरि गव्हर है नव रसों की फुलवारी। व्यंग, राग का परी तोषण करते हास्य करें मनुहारी, क्रोध, शांत रस दर्शाते मानव मन के भाव को तू अकेला नहीं, कहता कोई अभिन्न मित्र बना लो शब्दों को। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से नि...
शब्द
कविता

शब्द

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शब्दों को पूर्ण वीराम ना लगाओ शब्द, तार है मन सरगम का छंद अलंकारों से श्रृंगारित शब्द अवलंबन है जिव्हा का। कर, लेखनी, काली स्याही व्यंजन, परिमार्जन शब्दों का शब्द चमत्कृत, शब्द झंकृत शब्द-शब्द से कहानी है। स्वर व्यंजन से रचा गढ है परकोटा है अलंकारों का अंदर बाहर गिरि गव्हर है नव रसों की फुलवारी। व्यंग, राग का परी तोषण करते हास्य करें मनुहारी, क्रोध, शांत रस दर्शाते मानव मन के भाव को तू अकेला नहीं, कहता कोई अभिन्न मित्र बना लो शब्दों को। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृ...
मंथन
कविता

मंथन

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सागर अंबर, अंबर सागर सागर में अंबर प्रतिबिंबित कहीं कुछ जाना नहीं शून्य सा रीता अंबर सागर में उत्साह अथाह।। अंबर के गहरे में मंथन मंथन को मन का संबंल संबंल पाने दौड़े तन मन। मन चंचल है पर दीवारें अथाह अंबर है शून्य हर पल गेहूं कहां खोजे पग तल। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्व...
चंचल मन
कविता

चंचल मन

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन की रीति गागर में आ गया समंदर का आ गया समन्दर का घेरा इन अलको में इन पलकों में भटक गया चंचल मन मेरा। कंपित लहरों सी अलके है द्रग के प्याले मधु भरे तिरछी चितवन ने देखो कर दिए दिल के कतरे कतरे। द्वार खुल गए मन के मेरे मनभावन ने खोल दिए बैठ किनारे द्वारे चौखट दृग पथ में है बिछा दिए्। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से...
कवि हृदय
कविता

कवि हृदय

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कौन कहता है हम कुछ नहीं कौन कहता है हम कहीं नहीं जिंदगी की उदास राहों में जिंदगी की गम भरी रातों में। कोई खोजे हमें भूखे लोगों की बस्ती में हम कहां नहीं हैं, हम वहां नहीं है जहां रसरंग बरसता हो जहां मोह उत्पन्न हो क्योंकि वहां कवि हृदय का स्थान नहीं है।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाण...
सपनों का महल
कविता

सपनों का महल

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैंने कभी संजोए सपने सपनों में खो, खो कर कई महल ढहाये मैंने सपनों में बना-बना कर। आया कोई दूर गगन से तारांगणो का व्युह करो आंगन को दीप्त मेरे समा गया पुनः सपनों में। भर-भर पूंज उलिचा मैने सपनों के दोनों से गति प्रकाश की देखी मैंने कोसो, मिलो थी जो दूर मन बावरा उड़-उड़ जाता गवर्नर क्षितिज से दूर। यह पर्वतों की हरियाली वृक्षों की ऐ छाया शाख-शाख पर क्यों पुकारे पी-पी पपीहा गान। सपनों में जो मंजर देखा देखा स्वयं को चहकते हुए आंखें खुली तो न था पर्वत न हीं उलिचा गया कोई पुंज। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के ले...
निर्बल संगम
कविता

निर्बल संगम

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** व्यक्ति व्यक्ति का निर्बल संगम कर रहा मानवता को कायर बोल रही आज अमानवता कर रहे मानवता में दानवता। सत्य, स्फुरति, स्पंदन उड़ गया मानवता से जागे आज अनेक रावण करवाते नित नए क्रंदन एक पुरुष का पौरूष जागे करें क्या एक अकेला। इस नर्तन में। रक्त देख रक्त खोलता था शिराएं थी तन जाती। वर्तमनु, मनुष्य नहीं है मांगना केवल अपनी ख्याति में। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती है...
मसीहा
कविता

मसीहा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वीरान बस्ती का मसीहा भटकता हुआ गाता जाता है गीत तन्हाइयों के देखता है, दिखाता है रूप उन महल खंडहरों के जो बदल चुके हैं खो गए हैं कहीं वीराने में। वीरान बस्ती का मसीहा सुनाता है सुनाता जाता है दर्दो गम अपने और गैरों के यह नहीं सुनते हैं सिर्फ, और सिर्फ खड़े दरख़्त, सुनसान सड़कें और वीराने में भय का आभास। वीरान बस्ती का मसीहा सुनता है सुनाता जाता है। देखता है दिखाता जाता है पर इसके सृजक, ध्यान मग्न है उस बगुले से जो अपने स्वार्थ के लिए गंदे पानी में एक पैर पर खड़ा बात हो रही है किसी सफेद पोते चेहरे की उसे फुर्सत कहां वीरान बस्ती के मसीहा की। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभि...
पगडंडी मत चलो
कविता

पगडंडी मत चलो

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राह छोड़ पगडंडी मत चलो पगडंडी आगे सकरी हो जावेगी जिंदगी में डरो ना किसी से जिंदगी शर्मसार हो जावेगी। समय समर में समीर कड़वाहट भरी होगी कटु घूंट पीकर तुम फिर मिठास घोलोगी करो प्रतिज्ञा मन में कोई सुने ना सुने कोई रुलाए चाहे जितना तुम्हें हंसी हंसना होगी। है हर कदम पर चोट, हर कदम पर कसोटी रत को चलना, रत हो गाना। जीवन की यह बानी होगी होगा कोई अपने में ही उलाहना देने वाला कदम दर कदम कचोटेगा मन कुछ गलत करने वाला।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से ...
मिलने के बाद
मुक्तक

मिलने के बाद

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मिलने के बाद सब बेगाने हो जाते हैं आने के बाद सावन के, सब झूलों में खो जाते हैं सुनहरी धूप का आंचल हर कोई ओढ़ लेता है कठिन कंटक में कोई चलना नहीं चाहता हर कोई फूलों की महक के दीवाने हो जाते हैं। हालत की उलझनों में उलझे हुए कौन तसल्ली देता है किसे सब अपनों में अपने है बेगानो का सिर्फ खुला आसमा होता है परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखि...
ठौर कहां
कविता

ठौर कहां

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** समंदर के सैलाब का है साहिल यादों के सैलाब का साहिल कहां आसमां ठौर मेहताब आफताब का चमकते सितारों का ठौर कहां। नदियों के कल-कल में स्वर हैं जल में पडती किरणों के प्रतिबिंब का ठौर कहां शून्य आकाश में उड़ते पक्षी की फुनगी है ठौर वृक्ष से गिरे पत्ते का ठौर है कहां। सूरज की किरणों का ठौर है धरती आकाश, धरती के क्षितिज का ठौर कहां। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तम...
संबोधन बदले
मुक्तक

संबोधन बदले

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ना कोई संबोधन बदले ना बदली मेरी भाषा। बदल गई चेंजिंग कर तेरे मन में मेरी परिभाषा। बदल गए संदर्भ जगत के बादली बरखा की बहली बही बयार बन झंझावात पर मेरे मन की झंकार ना बदली। पीर जगत की ओढली मैंने किसी शुन्य तरुवर के नीचे भावों के उद्योग वही है सोपानोपरचढ़ते चढ़ते। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्...
बसंती बयार
कविता

बसंती बयार

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बसंती बयार बह रही घर आंगन चौखट द्वारे रवि किरण लजा रही छुप, चुप कर गगन में।। पेड़ों के झुरमुट से झांकती कलियां भौरो का गुंजन होता पुष्प पराग से पेड़ों के पत्ते हिल-हिल कर लेते बलैय्या मां सरस्वती को बसंत देता बधाइयां कहीं कोयल कुकती स्वागत में कहीं झरनों की फुहारें भरें स्फुरण। कहीं झरना नहलाता बसंत को तो पलाश टेसु टीका लगाता रक्तिम भरमाए भागते बादल बसंत से धूप-छांव का खेल खेलते। नदी, तडाग की लहरें देती बसंत को झूले मीन मिलकर नृत्य करती बसंत की अगवानी में। आओ देखे हम भी मिलकर नर्तन बसंत आगमन में। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं ...
खुला आसमां
मुक्तक

खुला आसमां

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मिलने के बाद सब बेगाने हो जाते हैं आने के बाद सावन के, सब झूलों में खो जाते हैं सुनहरी धूप का आंचल हर कोई ओढ़ लेता है कठिन कंटक में कोई चलना नहीं चाहता हर कोई फूलों की महक के दीवाने हो जाते हैं। हालत की उलझनों में उलझे हुए कौन तसल्ली देता है किसे सब अपनों में अपने है बेगानो का सिर्फ खुला आसमां होता है परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका...
मरना किसलिए
कविता

मरना किसलिए

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मरना किसलिए जीने के लिए सिमट गया मानव अपने आप में ताशो के पत्तों सी फेटी जा रही है ज़िंदगी सिर्फ स्वयं के लिए, स्वयं के लिए पर सुनो तुम्हें बिखरना ही होगा बिखरना ही होगा चाहे छुपकर क्यों नहो बिखरना होगा वृक्ष के पत्तों की तरह पिलासपन लिए कहीं दूर बहुत दूर जा गिरना है अपनों से तू भूल गया की वृक्ष फल फूल लेते हैं दूसरों के लिए फिर तू क्यों सिमट रहा है अपनों में समाज देश में कुछ बाटता हुआ निकल जा ताश के पत्तों सा बादशाह बन निकल जा बेताज बादशाह। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय...
सैलाब
कविता

सैलाब

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** यादों के सैलाब में घूम गया कोई हवा के झोंकों सा छू गया कोई आया कोई तनहाई सा छा गया मंत्र सुमन सौरभ सा मन बहला गया कोई। सोचा यथार्थ है या स्वप्न कुछ समझ नहीं पाई कभी आभास होता बहुत करीब है कोई बहुत होता कभी आभास दूर बहुत दुर। चला गया कोई, चला गया कोई। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित क...