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Tag: महेन्द्र साहू “खलारीवाला”

आओ धरती का श्रृंगार करें
कविता

आओ धरती का श्रृंगार करें

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** कब तक जंगल काटोगे? चंद सिक्कों के लालच में। कब तक जहर बाँटोगे? चंद रूपयों के लालच में।। काट रहे हो हरियाली, बना रहे हो बंजर धरती। अन्न कहाँ से पाओगे? बिन पानी खेती परती।। तुम्हारे घर भी जलेंगे, उस सूरज की तपिश में। तुम्हारे श्वांस भी रुकेंगे, जीवन की खलिश में।। क्या तेरे दर आँच न आएगी? तेरा मकां भी है इसी शहर में। ढह जाएगा तेरा भी घर, उस कुदरत के कहर में।। तप रही है सारी धरती, तप रहा सारा आकाश। समय रहते हों सचेत, वरना होगा महाविनाश।। जब तरु ही न रहेंगे भू पर, वर्षा कहाँ से आएगी ? बिन छाया, बिन पानी, धरती तब थर्रायेगी।। आओ धरती का श्रृंगार करें, मिलकर पेड़ लगाएँ हम। हरी-भरी हो धरा हमारी, जीवन सफल बनाएँ हम।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -...
कुछ कर गुजर
कविता

कुछ कर गुजर

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आसमाँ नापना हो गर, तो कुछ कर गुजर। रसातल चीरना हो गर, तो कुछ कर गुजर।। पर्वत लाँघना हो गर, तो कुछ कर गुजर। सागर पार उतरना हो गर, तो कुछ कर गुजर।। मुकाम पाना हो गर, तो कुछ कर गुजर। अनवरत बढ़ना हो गर, तो कुछ कर गुजर।। प्रेम-सद्भाव लाना हो गर, तो कुछ कर गुजर। दुश्मनी मिटाना हो गर, तो कुछ कर गुजर।। समता लाना हो गर, तो कुछ कर गुजर। एकमत होना हो गर, तो कुछ कर गुजर।। मंजिल की चाहत में, कुछ कर गुजर। निपटना हो आफ़त से, तो कुछ कर गुजर।। आपस में दूरियाँ मिटाकर, कुछ कर गुजर। कंधे से कंधा मिलाकर, कुछ कर गुजर।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचि...
नौजवानों उठो, जागो
कविता

नौजवानों उठो, जागो

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** हे नौजवानों उठो, जागो अपने शौर्य को जानो तुम। तुम ही देश के हो कर्णधार अपनी प्रतिभा पहचानो तुम।। तुमसे ही देश समृद्ध, गुलज़ार है तुमसे ही देश का बेड़ापार। तुम ही देश की ताकत हो हो तुम ही देश का आधार।। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हो तुम ही देश के पहरेदार। कच्छ से कामरूप तक हो तुम ही देश के चौकीदार।। तेरे हिम्मत से दुनिया टिकी है हो तुम ही देश के असल कर्मवीर। तुमसे ही देश की नींव सुदृढ़ है, निचोड़ सकते हो पत्थर से नीर।। तुम ही कृषक उत्साही हो तुम ही देश के सिपाही हो। हो तुम ही देश के पालनहार हो भाग्यविधाता, तारणहार।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरच...
कोशिश कर …
कविता

कोशिश कर …

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** फासले भी गुजर जाएंँगे, मंजिल भी मिल जाएगा। कोशिश कर जीवन में, हर समस्या का हल पाएगा। हार न मान ,उदास न बैठ, तुम्हारा भी जरूर नाम होगा। कोशिश कर, हर बाधा से, जूझना आसान काम होगा। आंँधियों का दौर चलता रहेगा, इस जीवन चक्र में। मरूभूमि की तपिश सहन कर, जीवन भी आसान होगा। राह भटकाने वाले भी, मिलते रहेंगे इस जगत में। अडिग रह लक्ष्य पर, जरुर तुम्हारा मुकाम होगा। कोशिश से ही जीवन में, हर काम आसान होगा। जीवन का फलसफा सीख, तेरा पथ आसान होगा। आसमां पर उड़ने वाले, परिंदे अपना हुनर जानते हैं। कोशिश कर, उन परिंदों की भांँति, गगन अवश्य तुम्हारा होगा। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाध...
तुझमें है काबिलियत
कविता

तुझमें है काबिलियत

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** नापना हो डगर तुझे, लांघ जाना हो पर्वत। मुश्किलों से ना घबराना, आ जाए कोई आफत।। राह में तेरे रोड़े अटकाए, बाधाएं अनगिन टकराए। साहस कभी ना खोना तुम, आ जाए कोई मुसीबत।। दोगले भी मिलेंगे राहों में, आदमी की परख कर लेना। पग नापना फूँक-फूँक कर, चाहे कोई दे तुम्हें नसीहत।। रौंदे जाते यहां ईमान-धरम, सत्य का पैर जमाए रखना। पहचान भीड़ में बना जाना, तुझमें ही है इंसानियत।। मुकाबला जरा डटकर करना, बन जाना अभिमन्यू तुम। तोड़ जाना चक्रव्यूह,कौरवों का, है तुझमें ही काबिलियत।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मेहनत और किस्मत
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मेहनत और किस्मत

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** मेहनत कर प्यारे, किस्मत के भरोसे ना बैठ, रुतबा अपने पास ही रख, यूँ ना ऐंठ, मेहनत हमेशा सबको उबारती है, मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।। परिश्रम कर, श्रमसीकर बहा, निठल्ला ना बैठ, तप कर कड़ी धूप में, यूँ चैन से ना बैठ, पेट की अगन सबको मारती है, मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।। परिश्रम से लिख दो अपने किस्मत की लकीर, श्रम के बूँद से चमकाओ अपनी तकदीर, तकदीर बदलने के लिए मेहनत पुकारती है, मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।। पथरीली राहों में चाहते हो पर्वतों को लाँघ जाना बादलों को चीरकर चाहते हो ऊँची मंजिल पाना स्याह रात में भी जलाते रहो चिरागों की आरती मेहनत से हमेशा किस्मत है हारती।। खींच दो लकीर आसमां की बुलंदियों पर बना लो आशियाना चमकते हुए चांँद पर परिंदा भी पापी पेट खातिर चों...
चाँद मेरा बेदाग है
कविता

चाँद मेरा बेदाग है

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** ए चाँद, जरा मेरे इस चांँद को देख। है तुझसे भी ज्यादा कमसिन हसीं।। तुझमें तो दूर से दाग नजर आता है, मेरा चाँद तो बिल्कुल बेदाग है।। ए दागदार चाँद, नजर मत डाल, मेरे इस मासूम से चाँद पर। सामने इसके तू कुछ भी नहीं, मुझे गुरुर है, मेरे इस चाँद पर।। भोली सी सूरत, लबों की लाली सुनहरे रंग लिए कानों की बाली रेशम से केश, हो जुल्फों की बदली, चाल इनकी बेहद मस्त मतवाली।। इनकी रंगत, इनकी संगत सुहाना सफ़र है, मेरा चाँद, मेरी जिंदगी का हमसफर है।। तू बस घूम रहा है, यूंँ बादलों में इर्द-गिर्द मेरा चाँद तो मेरे पास नजरें जमाए बैठी है।। मेरे इस चाँद को देख कर, फलक भी शरमा जाए।। फूलों सी नजाकत लिए हैं, चाँद मेरा देवबाला नजर आए।। नख-शिख-रुप, अखियांँ नूरानी, वो है मेरी सजनी, पगली, दीवानी।।...
वीर शहीदों को नमन
कविता

वीर शहीदों को नमन

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** खून से लथपथ भीगकर, सह गए गोरों के अत्याचार। जुबां पर फिर भी एक ही नाम,जय हिन्द की पुकार।। रानी लक्ष्मी, दुर्गावती, अवंतिका, झलकारी ने ललकारी। मां भारती की धरा पर ऐसी वीरांगना थी दमदार।। आजाद, बोस, भगत, गुरु, सुखदेव, अशफ़ाक थे तेज तलवार। दासता की बेड़ी तोड़ने, आज़ादी के दीवानों की थी भरमार।। तन-मन-धन सब वार दिए, झेल गए गोलियों की बौछार। नमन है उन वीर शहीदों को, कोटिशः नमन है बारम्बार।। फांसी पर झूल गए हँसकर, भारत माता के लाल। हँसकर शीश कटा गए, झुकने न दिए हिन्द के भाल।। वीर शहीदों के साहस से, मिली है हमें आज़ादी। ऐसे वीर शहीदों का है, हम सब पर उपकार।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित कर...
पर्यावरण के बनें हम पहरेदार
कविता

पर्यावरण के बनें हम पहरेदार

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** धरणी स्वच्छ हो, स्वच्छ हो अम्बर, हरियाली फैलाना है। पेड़-पौधों की करें सुरक्षा, हमें जागरूकता लाना है। पेड़-पौधों से हम सबकी, सांसें गतिमान है। आओ पेड़ लगाएं, इनसे ही हम सबका प्राण है। सांसों को सांसों से है जोड़ना, कुंठा की कड़ी को है तोड़ना। आओ मिलकर हम पेड़ लगाएं, धरा हरियाली कर जाएं। पड़ रही है सांसे कम, हो रहा है चहुंदिशी दंगल। हरा - भरा हो जंगल, तब हो पाएगा जीवन मंगल। यदि हर एक आदमी ख़ुद से एक-एक पेड़ लगा जाए। उनका जीवन हो सार्थक, जीवन सफल बना जावें। पर्यावरण के बनें हम पहरेदार, यही जीवन का आधार। इनसे मुंह ना मोड़े हम, नाता इनसे जोड़े हम। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ...
मुफ़लिसी में जीता रहा हूँ
कविता

मुफ़लिसी में जीता रहा हूँ

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** सपनों की दुनिया में, मैं पंख लगाए उड़ता हूँ। हकीकत से रूबरू होता हूँ मैं तिल-तिल घुटता मरता हूँ।। ये कैसी है कश्मकश ये कैसी है उलझनें। फुटपाथ पर गहरी नींद में आशियाने के सपने बुनता हूँ।। जीवन में चलता रहा हूँ मैं एक अकेले मुसाफिर की तरह। न ही किसी से दोस्ती और न ही किसी से बैर रखता हूँ।। दुनिया की दुत्कार,नफ़रतें मैं तो प्रतिदिन सहता हूँ। फिर भी पूरी कायनात के लिए दिवास्वप्न अमन, चैन ही चुनता हूँ।। मुफ़लिसी में जीता रहा हूँ मैं कभी ईमान नहीं डिगने दिया। ईमान खातिर सर्वस्व अर्पण मैं ऐसी हैसियत रखता हूँ।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक...
हिन्दी हमारा अभिमान है
कविता

हिन्दी हमारा अभिमान है

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दी में ही व्याकरण है हिन्दी से ही आचरण है। हिन्दी से ही सरल,सहज हर समस्या का निराकरण है।। हिन्दी भाषा हमारी शान है हिन्दी से ही हमारा सम्मान है। छंद,रस,अलंकार से सुसज्जित हिन्दी हमारा अभिमान है।। हिन्दी हमारी मातृभाषा है हिन्दी जीवन की आशा है। परचम लहराए हिन्दी का हम सबकी यही पिपासा है।। हिन्दी हम सबके लिए खास है इनसे बढ़ता आत्मविश्वास है। हिन्दी से सात सुरों का सरगम सुरीली नगमों का साजोसाज है।। बड़ी प्यारी भाषा है हिन्दी सबके मन भाती है हिन्दी। लगती सुरीली भाषा हिन्दी जैसे सजे माथे की बिन्दी।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
मेरा भारत साक्षर कहलाएगा
कविता

मेरा भारत साक्षर कहलाएगा

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आओ भारत को साक्षर बनाएँ लेकिन क्या चैतू बैशाखू,बिमला के, नाम मात्र लिख लेने से, मेरा भारत साक्षर कहलाएगा। नहीं, नहीं बिल्कुल भी नहीं, मेरा भारत तब साक्षर कहलाएगा, जब भारत का हर एक बच्चा पढ़ लिखकर अपना नाम कमाएगा।। झिल्ली बीनने वाली मुनिया भी जब बस्ता पकड़ स्कूल जाएगी। अच्छी शिक्षा प्राप्त कर नाम कमाएगी तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। कबाड़ खरीदने वाला बुधारू भी स्कूल से जुड़कर शिक्षा पाएगा। नित नई ऊँचाइयों को छू जाएगा तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। फुटपाथ पर पलने वाला हर एक बच्चा, भी जब शिक्षा पाएगा उनमें भी अनुशासन, संस्कार आएगा तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। खेतों के कामगार, रेस्तरां में हाथ बंटाने वाले झोपड़पट्टी के रहवासी, श्रम के बूँद बहाने वाले सब स्कूल से जुड़ जाएँगे, ...
शराब एक सामाजिक बुराई
कविता

शराब एक सामाजिक बुराई

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** शराब पीना है बहुत खराब, टूटे हैं इनसे बहुतों के ख़्वाब। शराब उन्हें पी जाते हैं, जो पीते हैं बहुत शराब।। शराब से जिन्दगियां हुई बर्बाद, घर परिवार में होती है रूसवाई। अनेक वारदातों का जड़ है शराब शराब है एक सामाजिक बुराई। गर शराब छूट जाए भाई, दाम्पत्य जीवन हो सुखदाई। जो नित शराब की लत लगाई, घर में नित कलह,आफ़त आई।। शराब नैतिकता का करता पतन है, शराबी तो अपने में रहता मगन है। दारा,वत्स का हो रहा जीवन स्याह, शराबी को नहीं किसी की परवाह।। बच्चों के क़िस्मत फूटे हैं, माताओं के सुहाग लूटे हैं। अपनों से अपने छूटे हैं, शराब से कितने घर टूटे हैं।। शराब कभी न पीना तुम, सादा जीवन जीना तुम। शराबियों से सदा रहना दूर, सुसंगत सर्वदा करना तुम।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" ...
वो खत कहाँ गए?
कविता

वो खत कहाँ गए?

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** सप्ताह, महीनों का होता था बड़े सिद्दत से मीठा इंतजार। दौड़ पड़ते, सुन डाकिया के, साइकिल की घण्टी की गुहार। प्रेयसी की जिसमें होती थी बेबसी, विरह वेदना। प्रियतम के वापसी का होता था हरपल इंतजार। सच में कोई तो बताओ वो खत कहाँ गए? प्रेयसी को लुभाने होती थी प्यार भरी वो बातें। यादों ही यादों में होती मिलन की वो सौगातें। एक दूजे संग जीने मरने के होते थे कसमें वादे। सात जन्मों तक साथ निभाने की होती थी बातें। सच में कोई तो बताओ वो खत कहाँ गए? छुपा होता था जिसमें अपनों से अपनों का प्यार। कागज़ के पन्नों पर होता था दर्द ए दिल बेशुमार। जिसमें हाल ए दिल लिखा होता था। हर शब्द में ही उनका चेहरा दिखता था। सच में कोई तो बताओ वो खत कहाँ गए? बहना ने भेजा है लिखकर खत, भैया को रक्षा सूत्र। भ्राता ने ल...
परिवार
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परिवार

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** इस जहाँ में भरापूरा है जिनका परिवार। स्वर्ग से भी सुंदर है उसका घर संसार।। परिवार से मिलता है सम्बल प्रेम आधार। मिलता है अपनों को अपनों का प्यार। दुःख में सुख में जो मिलकर हाथ बटाए। रूखी-सूखी जो मिले बाँटकर खाए।। औरों की खुशियों के लिए अपना गम छुपाये। छोटी-छोटी खुशियाँ अपनों को दे जाए।। वटवृक्ष के समान यहाँ होते हैं बड़े बुजुर्ग। जो रखते हैं अपनी टहनियों का पूरा ध्यान।। देते हैं अच्छी शिक्षा, संस्कार, मान, सम्मान। बड़े बुजुर्गों का कभी न करें अपमान।। इनसे ही हमारा भरा पूरा परिवार है। यही तो हमारे जीने का आधार है।। जिनके पास नहीं होता है परिवार। वे तरस जाते हैं पाने परिवार का प्यार।। परिवार से ही ईद, होली, दिवाली का मजा है। परिवार बिना जीवन, कालापानी की सजा है।। ...
जीने का अधिकार
कविता

जीने का अधिकार

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** उनके भी सीने में तो दिल धड़कता होगा। सपने सजाने उनका भी मन करता होगा। क्या ख़ता उस बेबस, लाचार, बेचारी की? क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? वह भी तो हमारी तरह इंसान है फिर इतना क्यूँ बेबस, बेजान है। क्या हुआ जो छीन गया सुहाग? पुनः एक चुटकी सिंदूर का तनिक उसे अधिकार नहीं? क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? जीवन-मृत्यु तो विधि का विधान है फिर आखिर हम तो एक इंसान हैं। एक दूजे का दर्द समझें हमदर्द बनें मानवता में अत्याचार स्वीकार नहीं। क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? समाज के ठेकेदारों ने कितने ज़ुल्मों सितम ढाये। अबला सहर्ष सीने में गरल उतार गईं पर, कर सकी उसका प्रतिकार नहीं,तो क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही ब...
आओ हम उन वीरों को याद करें
कविता

आओ हम उन वीरों को याद करें

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** स्वतंत्रता दिवस की स्वर्णिम बेला में आओ हम उन वीरों को याद करें। जिनके कुर्बानी के फलस्वरूप, आज हम दासता की बेड़ियों से मुक्त हुए।। भारत माता की आन-बान खातिर सितमगर फिरंगियों की यातनाएँ अरु अनगिन कष्ट जो सह गए आओ हम उन वीरों को याद करे।। शीश माँ भारती का झुकने न पाए जन्मभूमि के सम्मान में वीर,जो शीश कटाने प्रतिपल कटिबद्ध रहे आओ हम उन वीरों को याद करें।। वह वीर जो हँसते-हँसते, कनपटी अपने दाग गए गोली हँसकर फाँसी पर झूल गए "मेरा रंग दे बसंती" की टोली आओ हम उन वीरों को याद करें।। जंगे आजादी में वे कह चले "सरफरोशी की तमन्ना"... ऐसे माँ भारती के वीर सपूत, उन वीरों को हम याद करें।। मातृभमि की रक्षा करने, वीरांगना झाँसी की रानी पृष्ठभाग नवजात लिए, अंग्रेजों से लोहा लेने ठानी...