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मां
कविता

मां

महक देवलिया सागर मध्य प्रदेश ******************** कैसे बताऊं थाह मैं उस त्याग मई व्यक्तित्व की, जिसने सर्वस्व त्याग दिया, है समर्पण ही छवि जिसकी। है रागिनी वह चांद की, और ताप है वह सूर्य का, कैसे बताऊं शौर्य में, संसार के अस्तित्व का। सार है जो श्वास का, परिभाषा है जो प्रेम की, कैसे बताऊं भावना, ममता के उस जल धाम की। संसार है संतति की जो, जो प्राण है परिवार की, कैसे बताऊं अनिवार्यता, परमात्मा के रूप की। नीरब है जग, बिन ममता के, कैसे बताऊं मां तुझे, अमृत है बिष बिन आपके। . लेखक परिचय :-  सागर मध्य प्रदेश की निवासी महक देवलिया कक्षा 11वीं में पढ़ती हैं, हिंदीसहित्य पढ़ने व कविताएं लिखने में आपकी रूचि हैं ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपन...