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Tag: मनोरमा जोशी

चंचल लहरें
कविता

चंचल लहरें

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मचल उठे चंचल, लहरों के साथ कगारे। माझी के अधरों ने, नूतन गान सँवारे। ज्वार उठा सागर में, अनगिन घन मँडरायें। लहर लहर सागर में, ताँडव नृत्य दिखाये। घिर घिर कर आता, अम्बर में घोर अंधेरा, ज्वार उठा सागर में, मांझी दूर सवेरा। भीषण लहरों पर, तिरती आशा की कश्ती। कर में मांझी ने ली, बाँध प्रलय की मस्ती। गर्जन तर्जन में माँझी, मंजिल रहा निहारें। माँझी के अधरों ने, नूतन गान सँवारे। बिन्दु बिन्दु ने आज, सिंन्धु में विष फैलाया, करना है विषपान, सोच माँझी मुस्काया। देख प्रलय ने अपनी, भाषा में कुछ बोला, सुन माँझी ने अपने, मन में साहस तोला। प्रलय तुम्हारी लहरें, तट धरती के सारे। माँझी के अधरों ने, नूतन गान संवारे। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्...
नौकर
कविता

नौकर

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मेरा पता पूछकर, मुझकों अपमानित, मत करना। छलक जायगा, दुखः का मनघट, दुखित न मन को करना। दिन अपने कट, जाते हंसकर, सो जाता रातों, को रोकर, मैं होटल का नौकर। दुखः के घूंट, निगलकर अपने, आंसू पी लेता हूँ, फटकारों से फटा, हुआ दिल हँसकर, मै सी लेता हूँ, साहस है मुझमें, जीने का झूठे, बर्तन धोकर, मै होटल का नौकर। तुम्हीं बताओं उम्र है, मेरी ललकारें सुनने की, मैले फटे पुराने कपडे़, पहनू मै नित धोकर, मै होटल का नौकर। किसी चमन का साथी, फूल बना हूँ, जीवन की बहती, धारा का फूल बना हूँ, धुतकारों या पुचकारो तुम तुमकों है अधिकार सभी, मुझको पता नहीं है, कब किसने छोड़, दिया है बोकर, मै होटल का नौकर। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्...
भाग्य
लघुकथा

भाग्य

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** निशा का जन्म होते ही खुशी की ठिकाना नहीं रहा बरसो बात अजय के आंगन मे किलकारी गूँजी आँखो का तारा दुलारी आयी। दुर्भाग्य वश चार दिनों के बाद अचानक माँ का दुखद निधन हो गया खुशी मातम मे छा गयी अब क्या होगा? गंभीर समस्या थी यह देख बहन ने कहा इसकी परवरिश मे करुगी उनके कोई बेटी नहीं थी दो बेटे थे वह खुशी-खुशी बच्ची को ले गये सोचा घर की घर में रहेगी और मुझे भी बेटी का सुख और साथ में पुण्य मिलेगा घर में रौनक होगी अपने ही भाई की संतान है आँखों पे रखूंगी मेरे दो नहीं तीन आंखों के तारे होगे। यह देख पिता की आंखों में थोडा साहस मिला बेटी को सौंपते हुऐ चल दिये विधाता को यहीं मंजूर था मासूम टिमटिमाते तारे को निहारते हुऐ बेसुध हो गये। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९...
मन की पीड़ा
कविता

मन की पीड़ा

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन की पीड़ा समझ, न पाये दुनियाँ सारी। सिमट गये है उज्वल रिशतें, भूल गये इमानदारी। रिशतों की छनकार मे, रहीं नहीं आवाज, ईष्या कपट द्धेश का, हो चुका आगाज। सच्चे अर्थों मे देखें, सबंधों मे प्यार नहीं, कार्यवाही के प्यार में कार्य से अब प्यार नहीं। सामाजिक प्राणी मनुज, सामाजिक सब जीव, उठ जाये यह भाव तो, हिले सृष्टि की नींव। यह प्रकृति का नियम हैं, यहीं जगत का रंग, जीवन मानव का कभी, होता नहीं निसंग। एक भ्रम कोरा प्रदर्शन, आस्थायें बची कहाँ, अब किसी के मध्य, निर्मल भावनाएँ है कहाँ। प्यार के दो बोल से, हो जाता जीवन सफल, इतना हर्दय विचार ले, सबंध होगे निकट मधुर। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। ...
नारी जीवन
कविता

नारी जीवन

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नारी है नारायणी, नारी नर की खान, नारी से ही उपजे ध्रुव प्रहलाद समान। नारी ने हर क्षेत्र में अपने , हौसलें की उडा़न भर परचम लहराया कीर्तिमान स्थापित किया है। बंधनो के निबद्ध भावनाओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति है नारी। कटीली नागफनी राहों में गुलाब है नारी। सोच का आंकडा बनाना, जटिलताएं, विवशताएँ, समाज की समस्याएं, रूढ़ीवादी परम्पराएं सबको निभानें का हौसला रखती है नारी। झरने की तरह मानिन्द शांत पीडा़ओं को सहती नारी। रिश्तों की परिधि में घिरकर सहती है नारी। दुर्गा, लक्ष्मी, अहिल्या, मीरा, सीता, सावित्री न जाने कितने रुप है नारी। फिर भी नारी को वह सम्मान नहीं मिला है। आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। नारी सामाजिक दायित्व के प्रति सजग, अधिकारों के प्रति आवाज उठाने का हौसला रखती है नारी। पथ, प्रदर्शिका, स्वरक्षिका हर श...
हम सजग प्रहरी
गीत

हम सजग प्रहरी

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** निज सर्वस्व चढा़येंगें, देश समृद्ध बनायेंगें। हम भारत के सजग प्रहरी हम सोना उपजायेंगे। अपना लहूँ बहाया तब, यह आजादी मुस्काई है। मेहनत और पसीने से, यह हरियाली लहराई है। दुशमन धूल मिलायेंगे, घरती हरी बनायेंगे। हम सोना उपजायेंगे। भारत मां ने याद किया, तब राणा शिवा हमीं तो थे घाव घाव पर मरहम पट्टी, सच्ची दवा हमीं तो थे। हम तलवार उठायेंगे, हल से महल सजायेंगे। हम भारत के सजग प्रहरी हम सोना उपजायेंगे। अपना देश बचायेगें। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में...
हिंदी की वैश्विक चमक
आलेख

हिंदी की वैश्विक चमक

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक भाषा के रूप में हिंदी हमारी पहचान है हमारे, जीवन मूल्यों संस्कृति संस्कार, का संप्रेषक परिचायक है हिंदी विश्व की सहज सरल वैज्ञानिक, भाषा है हिंदी अधिक बोले जाने वाली ज्ञान प्राचीन सभ्यता आधुनिक प्रगति के बीच सेतु है। वंदेमातरम की शान है। हिंदी, देश का मान है, हिंदी संविधान का गौरव हिंदी है भारत की आत्म-चेतना हिंदी है। राष्ट्रीय भाषा भारत की पहचान हिंदी, आदर्षों की मिसाल है हमारी हिंदी, सूर और मीरा की तान भी हिंदी है। हमारे वक्ताओं की शक्ति है। फूलों के खुशबुओं-सी महक है हमारी हिंदी और संपूर्ण देश में छाई है।हिंदी हमारे साहित्य पुराणों की आत्मा में बसी है। हिंदी देव नागरिक लिपि भी हिंदी है। मां की बोली से प्रथम संवेदना में हिंदी ही है परंन्तु अंग्रेजी पूरे देश में छाई है, हिंदी देश की राष्ट भाषा होने के पश्चात हर जगह अग्रेजी का वर...
जीवन हारी
कविता

जीवन हारी

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** स्पन्दित उर जग, कटु सत्यों से, विस्मित उर जग, के क्रन्दन से, मांग रहा है मुझसे, मैं जाऊं बलिहारी, जीवन क्या हारी? कोमल पग ध्वनि, मम उर अंकित, नयनों में करुणा, धन संचित, नेह प्यालियां भर भर, लुटवाऊँ में झारी। जीवन क्या हारी? सुख मम जन, पीड़ा हर लेवें, उर मंदिर तव प्रतिमा, मैं हूँ एक पुजारी। जीवन क्या हारी? परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंद...
बेटियां
कविता

बेटियां

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** उड़ती हुई चिडि़या सी, होती है बेटियां, इस डाल से उस डाल, पे रौशन है बेटियाँ। दो कुल की लाज निभाती है बेटियां, सुख दुःख में साथ निभाती है बेटियां। माँ की मददगार होती, है बेटियां, पापा का अभिमान होती है बेटियां। घर की शान होती है बेटियां, शुभ मंगल कार्य में आगे आती है बेटियां। घर को सजाती संवारती है बेटियां, ममता की खान चंद दिन की मेहमान होती है बेटियां। बेटी बहू के रुप पत्नी माँ होती है बेटियां। बेटे से ज्यादा प्यारी, होती है बेटियां। अब तो अग्नि संस्कार भी करती है बेटियां। कितनी महान होती है प्यारी बेटियां। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्...
वृक्ष
कविता

वृक्ष

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पेड़ केवल, पेड़ नहीं होता, जीवन और संस्कृति भी है। पेड़ में हवा छाँव उर्जा है, सूरज का मित्र, जंगल का आधार, सृष्टी का संवाहक है। पेड़ से प्रकृति, प्रकृति से जीवन और जीवन संस्कृति का प्राण है। पेड़ में जड़ मिट्टी, वायु मंड़ल जीवन रस, जीव अजीव सभी हैं। पेड़ जमीन में, पेड़ आकाश में, पेड़ भोतिक वस्तुओं में है पेड़ में बीज, बीज में जीव आत्मा और जीव आत्मा में स्वपन अनिवार्य है। पेड़ से प्यार, प्यार में मनुहार, और लालित्व में, सत्य शिव की, सुन्दर परिकल्पना है अतः विचारों में पेड़ और पेड़ पर विचार जरूरी है। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इ...
सत्य वचन
कविता

सत्य वचन

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दीप जलने से पतंगे का, अरमान छुपा होता है। भक्त की लग्न में भगवान, छिपा होता है। ऐ दुनियाँ के समझदारों, इतना तो समझ लो, हर इंसान के दिल में, कोई न कोई भगवान, छिपा होता है। रिमझिम बरसात में, मोती पिरोता है कोई। नरजन्म को पाकर, सफल बनाता है कोई। युं तो रोज आते हैं, चले जाते हैं लेकिन, धर्म के प्रति समर्पित, होते है कोई। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक ...
हिंदी हमारी
आलेख

हिंदी हमारी

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी हमारी संस्कृति की घरोहर है हमारे संस्कार की सहज भाषा हिंदी ही है इसे हर हाल मे श्रेष्ठता का दर्जा मिलना चाहिए हिंदी राष्ट्रीय भाषा होना चाहिए। हमारे आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंन्दु हरिश्चंद्र जी ने प्रथम दोहा लिखा था। निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, पै निज भाषा ज्ञान बिन, मिटे न हिय को शूल। हमारी मात्र भाषा हिंदी का मान होना चाहिए, हिंदी भाषा हमारी वंदेमातरम की शान है, देश का मान है अभिमान है और सब भाषा से सरल सहज है। हमारे संविधान का गौरव भी हिंदी है भारत की आत्मा चेतना हिंदी है फिर क्यु? न हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी होना चाहिए आदर्शों की मिसाल है सूर और मीरा बाई की तान भी हिंदी है हमारे वक्ताओं की शक्ति हिंदी है फूलों की खुशबूओं सी महकती हमारी हिंदी है। मां की बोली से प्रथम संवेदना मे बच्चा माँ कहता...
रक्षा बंधन
कविता

रक्षा बंधन

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राखी प्रीत के धागों, का त्योहार। अपनत्व भाव का प्यार, स्नेह से सना उमड़ रहा भाई बहन का प्यार। मस्तक पर तिलक, लगा कर बहना करती, प्यार की मनुहार कभी, न आये रिशतों में दरार। भाई फिर देता उपहार, न सोना न चाँदी माँगू, न महल अटरियां सदा खुशहाल रहें मेरा भैया। बस दिल में एक कोना मांगू यह मेरा गहना। समय समय पर आकर, द्धारे रखना मेरी शान, तुम मेरा अभियान। तुमसे रौशन गहरा है परिवार, सदा सुखी फूलें फलें, भैया भावज का परिवार। उमंग और उत्साह जगायें रक्षाबंधन का पावन त्योहार। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में ...
बुदीयां बरसे मोरे अंगनवा…
कविता

बुदीयां बरसे मोरे अंगनवा…

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सखी घिर घिर छाये बदलवा, छन-छन बरसे मोरे अंगनवा...। जित देखूं उत है हरियाली झूम रहीं है डाली डाली, महकें कलियां फूल चमनवा। छन-छन बरसे मोरे अंगनवा...। दमक रहीं चहुँ और दामिनी, छेडे़ कोयल संग रागनी, सनन सनन सन चले पवनवां। छन-छन बरसे मोरे अंगनवा...। कहती मस्त बहार दिवानी आई मिलन ऋतु मस्तानी तरसाओ न और सजनवा छन-छन बरसे बुंदिया मोरे अंगनवा...। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमण...
बदरा घिर आये
कविता

बदरा घिर आये

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** गगन घन घिरे, पवन फिर उड़े, घटा बन छायों रे, सावन आयो रे। उगेगीं अब नयी कोपलें, लहरायेगी बैले, अठखेली कर रही रशमियां, हरियाली खेले, घरती ने श्रृंगार किया है, रुप अनोखा पायो रे। सावन आयो रे। गुन-गुन कर रहीं चिरैयां, नया संदेशा लाये, भंवरें की गुंजन सुनके, कलियां भी मुस्काये, फूलों से सज गया बगीचा राग मल्हार सुनाये रे सावन आयो रे। चैती की गर्मी से उबरे, जीवन नया मिला है, दुखः के बौने पाँव हुऐ है, सूरज मुखी खिला है, धरती से अंबर तक किसने धानी रंग बगरायो रे, सावन आयो रे। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। ले...
युग नया आ रहा है
कविता

युग नया आ रहा है

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** प्रभाती कोई दूर पर, गा रहा है। बढ़ो सामने युग नया, आ रहा है। नयी रुपरेखा बनी, जिंन्दगी की, नयी चाँदनी अब, खिलेगा खुशी की। हर्दय मानवों का भरेगा, नमन शत धरा को, गगन अब करेगा। नया चंन्द्रमा शान्ति, बरसा रहा है। बढ़ो सामने... नया ज्ञान का सूर्य, मुस्का रहा है। पगों में सभी के, अतुल शक्ति होगी। मनों में सभी के, नवल भक्ति होगी। सुधा धार में वे, सा आ रहा है। बढ़ो सामने... तृषित सा मनुज शान्ति कुछ पा रहा है। जगेगी नवल चेतना, मानवों की, मिटेगी असद कल्पना, दानवों की। धरा पर नया स्वर्ग, बस कर रहेगा। तुम्हारी कथा विश्व, मानव कहेगा, कि इतिहास नूतन, रचा जा रहा है। बडो़ सामने युग नया आ रहा है। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दि...
खोज रही है पलकें
कविता

खोज रही है पलकें

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राहें नयी दिखा जाता जो, दुखः से भरे जहाँन को। ढूंढ रही है कब से दुनियां, ऐसे वीर जवान को। अंगारों पर चलने वाला दीपशिखा सा जलने वाला, जिसनें पिया जहर का प्याला पर बांटा जग को उजियारा। आंच नहीं आने दी जिसने संकट में भी आन को। ढूंढ रहीं है कब से दुनियां, ऐसे वीर जवान को। जिसने सुख की बात न जानी तूफानों से हार न मानी, अंगत सा निशछल अभिमानी, निर्धन किन्तु कर्ण सा दानी। तैरा कर जिसनें दिखलाया जल में भी पाषाण को। ढूंढ रही है कब से दुनियां ऐसे वीर जवान को। जीवन जो कर्मो में बीता, नहीं प्यार का पनघट रीता जिनका जीवन तप की गीता, लोभ मोह को जिसने जीता। कर साकार दिखाया जिसने तन में ही भगवान को। ढूंढ रही है कब से दुनियां ऐसे वीर जवान को। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्...
हार मत मान
कविता

हार मत मान

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आत्म समर्पण हार को, करो न है यह पाप। दृढ़ संकल्प लिये चलो, होगा जीत मिलाप। असफलता से हार कर, जो न कभी घबराय। आ जाता उस पुरुष के, पास सफलता धाय। भूतकाल की भूल से, ग्रहण करो उपदेश, आने वाली जीत का, समझो नव संकेत। घबराओं मत हार से, करो न हिम्मत पस्त, हार निकटतम जीत का करती मार्ग प्रशस्त। असफल हुऐ तो क्या हुआं? जब कि आत्म विश्वास, है तो निश्चय समझ लो, बदलोगे इतिहास। बाहर उजियारी नहीं, भीतर भरा प्रकाश, हार वहाँ पर है कहाँ? जहाँ आत्म विश्वास। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपक...
सृष्टि
कविता

सृष्टि

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जड़ चेतन दो वस्तु हैं, महाशक्ति भगवान। जड़ चेतन संयोग से, करता जग निर्माण। क्षिति जल पावक पवन, खम अहंकार मन बुद्धि, मिश्रित कर निज चेतना, रचता सृष्टि प्रबुद्ध। समझ न सकती बुद्धि नर ईश्वरीय व्यवधान, वैज्ञानिक उपलब्धियां, है परमाणु समान। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उप...
है धरती माँ
कविता

है धरती माँ

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** है धरती माँ तुझे प्रणाम, तू कितनी महान। तेरी गोद मे पले जग सारा, हर प्राणी की तू है जान, तू बड़ी महान। सम भाव से सबको हांके, अन्न जल जीवन, सब समस्या का समाधान, तू बड़ी महान। कभी बहाती चंचल धारा, कभी रूखा रेगिस्तान, हर कृषक की पालनहार, तु है बड़ी महान। तुझ पर अडिंग थमें हुऐ है, महल कचहरी और मकान। तू है बडी महान। तेरी महिमा अपरम्पार, अनंत बोझ सहन कर तुमनें, किया है जनजन पर उपकार तुझसे रोशन है सारा जहान। माँ तुझे शत-शत प्रणाम। वसुन्धरा दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं... परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती ह...
पंथी अभी चलना है
कविता

पंथी अभी चलना है

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पंथी तुझको पंथ पर चलना है, तुझको चलता देख दिवाकर, नभ से अनल झरेगा। तेरे पाँवों को टकराने, सांसे पवन भरेगा, पंथी ये बांधायें तुझे, कुचलना है। पंथी तुझे पंथ पर चलना है। तुझको पथ पर देख चँन्दमा, मेघों मे छुप जायेगा, पूनम की उजली रात दूधिया, काजल सी कर जायेगा। दीपक बन कर तुझे रात में चलना है। यदि राह पर चलें निरंन्तर आशा बगियां फूलेगी, सपनों की कोयल सच्चाई के सुघर हिडोलें झूलेगी। दिनकर बनकर तुझे, भोर में पलना है। तुझे पंथ पर चलना है। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखन...
मिलन की प्यास है
कविता

मिलन की प्यास है

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं सौ-सौ बार निहारूँ, फिर भी बढ़ती प्यास है। मेरे और तुम्हारे मन का, प्रियतम जाने क्या इतिहास है। मेघों ने अपनी प्यास बुझाई सागर से, धरती की बुझी प्यास व्योम के जलधर से। धरती से लेकर नीर चली सब सरिताएं, जाकर के प्यास बुझाई क्रम सत्वर से, मेरी आँखें युगों-युगों से प्यासी पर, अभी अधूरी आस है। मेरे और तुम्हारे मन का जाने क्या इतिहास है। मन का आशामृग ढू़ढ़ रहा कस्तूरी है, लक्ष्य पास है, फिर भी बहुत ही दूरी है। जाने कितनी गंध रूप की मुझे लुभाती, तुम बिन कुछ ना भाता मजबूरी है, मेरे मन चाहा सौरभ का तो, मेरे अन्तर ही में वास है, मेरे और तुम्हारे मन का, यह जाने क्या इतिहास है। मिलन की प्यास है। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। ...
एक अभिलाषा
कविता

एक अभिलाषा

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन का अंतिम पहर, चहुँ और बरस रहा कहर। क्षण भंगुर है जीवन, कब पंक्षी सा उड़ जाये, सोच मन अतीत, में खो जाता है। कभी वर्तमान, कभी भूतकाल, मैं खो जाता है। भरता हैं उडा़न, तोड़ बंधन, झरनों सा बहता। गंगा की लहरों, सा लहराता, हिलोर लेता, बन पतंगा उड़ता, कभी थमता नहीं। कुछ कर गुजरने, की प्रबल जिज्ञासा, कुछ आशा अभिलाषा। शब्दों से बुनता जाल, आता है ख्याल, अपनी यादें अमिट छाप, जिससें सार्थक हो जीवन यादों के झरोखें जहाँ हो, भूलीं बिसरी सुनहरी, यादें अपनी बातें अपनी बातें। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। ...
फागुन
कविता

फागुन

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** होली प्रीत का त्यौहार, हम सब मिलकर डा़ले, फागुन मे रंगो की बौछार। लाल गुलाबी रंग के छीटे, तनमन सब रंग मे भीजे, ऐसा रंग स्नेह का गहरा, जीवन मैं कभी न छूटे, दिल से दिल रंग जाये, कभी न छूटे। प्रेम और सौहार्द बढे़, द्वेष भाव की दीवार मिटादें। स्नेह संचित जोत जलायें, सकारात्मक सोच बढ़ायें। लेकर अबीर गुलाब रोली, खेलें हम हमजोली। तन मन मे तरंग मन, में उमंग, जीवन हो सतरंगी। रंगो से रंगीन हो दुनियाँ हमारी, होली की शुभकामना हमारी। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता...
टेसू के फूल
कविता

टेसू के फूल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** होले-होले फैल रहीं, जंगल की आग, खिल रहे पलाश, सुबह हो या शाम, बौराये आम, चुप है चमेली, मौन अमलतास, होले-होले फैल, रहीं है आग। फूल आफताब, सुर्ख सा गुलाब, कैद है खुशबू, जहान बदहवास, रूप कचनार, अकेली रतनार, प्रियतम के दिन, प्रियतम के पास, खिले टेसू मौन, चुप चमेली अमलतास। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प...