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सहलाया नहीं गया
कविता

सहलाया नहीं गया

मदनलाल गर्ग  फरीदाबाद ******************** तुमसे दस्ते कर्म बढाया नहीं गया। हमसे जख्म अपना सहलाया नहीं गया। जाहिर होने ना दी दिल की कभी तुमने, और राज़ कोई हमसे छुपाया नहीं गया। खोई रहीं तू तो गोरों में ही बस, हमसे दिल और कहीं लगाया नहीं गया। जाहिर तो थी जफ़ा सब तेरी ही बातों से, पर दिल दीवाने समझाया नहीं गया। हम ढूढते ही रहे अपनत्व तेरी बातों में, तुमसे अपनत्व ही दिखलाया नहीं गया। एक इशारे की चाह में बीती जिन्दगी, पर तुमसे दुपट्टा लहराया नहीं गया। हारा उल्फत की गर्मी दे दे बहुत में, पर दिल तेरा कभी पिघलाया नहीं गया। दर्द मेरे जख्मों का बढता ही रहा बहुत, अश्क एक भी तुमसे बहाया नही गया। उलझाया जीवन तुमने है ऐसा मेरा, ता उमर ही मुझसे सुलझाया नहीं गया। . परिचय :- मदनलाल गर्ग निवासी : फरीदाबाद शिक्षा : मैकेनिकल इंजीनियर निर्देशक : आभा मचिनेस प्राइवेट लि. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ले...