प्रेम-संचार
भारती कुमारी
मोतिहारी (बिहार)
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प्रेम भरी रात में
प्रिये पी लेती हूँ मधुमास
बंसी की धुन से
मन को टटोल लेती हूँ
प्रेम में अनुराग-मय अर्थ को पा लेती हूँ
जब हृदय से प्रेम पर जीत जाती हूँ
तब मन को नयी धुन से सजाती हूँ
हृदय को समझा कर
एकान्त मन में प्रेम जगाती हूँ
बहते नीर को पीकर
उस प्रेम अर्थ को ढूंढती हूँ, जो
प्रिये के प्राण को संचार कर सके
मेरे प्रिये उस दिशा की ओर जा रहे है
जहाँ मेरे लिये फूलों की बरसात होगी
कान्हा का प्रेम कष्ट हरने वाली
हर दिशा को कल्याण करने वाली है
सूने मन में
जीवन भर के लिए
नई तरंग भरने वाली है
होगा प्रभात नये उमंग से
प्रभु के संग से
निष्ठा के प्रेम अंग से
अनंत प्याले मधुमय बनेंगे
आँसू रुपहले
सुनहली मुस्कान में बदलेंगे
बंसी की धुन जब
नुपूर-झंकार में बदलेंगे।।
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परिचय :- भारती कुमारी
निवासी - मोतिहारी , बिहार
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