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Tag: बिपिन कुमार चौधरी

गांधीगिरी
कविता

गांधीगिरी

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** सत्य अहिंसा का देकर नारा, जीवन भर वह अटल रहे, देश परदेश में सहा सितम, कब कहां वो विकल रहे, दुर्बल तन और निर्मल मन, संघर्षपथ पर सदा अविरल रहे, यातनाएं सही, पीड़ाएं झेला, चरखा चला, मचाते हलचल रहे, फिरंगियों के नाक में करके दम, देश आजाद कराने में सफल रहे, किया नहीं कभी पद की चाह, जीवनभर वह सरल रहे, सत्ता के हवसी लेकर उनका नाम, दुर्भाग्य, हर पल जनता को छल रहे, पूछता है, यह दुःसाहसी बिपिन, सही में गांधीगिरी पर कौन चल रहे... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ...
गरीब
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गरीब

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** साहब, बेशक गरीब हूं, ऐसा वैसा थोड़ी हूं, सबको पसंद आ जाऊं, पैसा थोड़ी हूं, लालच में इंसानियत भुला दूं, इतना लाचार थोड़ी हूं, मेरे दोस्त जरूरत में करना कभी याद, दिल का अमीर हूं... लाख सितम सहता हूं, क्योंकि गरीब हूं, दाने दाने को रहता हूं मोहताज, ऐसा बदनसीब हूं, ईमानदारी की रोटी ही रास आता है, आदमी अजीब हूं, मेहनत से दो रोटी पाकर संतुष्ट रहता हूं, ऐसा खुशनसीब हूं... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आ...
सिसकियां
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सिसकियां

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** हर तरफ अंतहीन तबाहियों का दौर है, लेकिन यहां चारों ओर अजीब शोर है, परमात्मा को टुकड़ों-टुकड़ों में बांट कर, धर्म के ठेकेदार एक दूसरे को बताते चोर हैं, इंसानियत से जिनका कोई नहीं वास्ता, ऐसे ही सिरफिरों का हर जगह जोर है, मजहब की दीवारें खड़ी कर दी जिन लोगों ने, वही बताते रहे, कौन चौकीदार और कौन चोर है... तुम्हारी ताकत से हमें कोई शिकवा नहीं, हमारी मोहब्बत में फिर जहर क्यों घोलते हो, कुर्सी की लड़ाई में तुम सिरफिरे बनकर, खतरे में हमारा धर्म, क्या खूब बोलते हो, फिरंगियों की दास्तां से ज्यादा दर्द अब होता है, राजा रहते महलों में, आम इंसान भूखा सोता है, तकलीफ हमारी दूर करने का वादा खूब होता है, बाबा पर उठती अंगुली, बापू नोटों में छप रोता है, परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार...
घड़ियाली आंसू
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घड़ियाली आंसू

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** चारों तरफ मौत कर रहा तांडव, संकट में जिंदगी, संकट में मानव, दिल व्यथित, विलाप कर रहा है, ना जाने किस गलती का पश्चाताप कर रहा है, अपने अपनों से मिल नहीं पा रहे, अपनों का शव घर भी नहीं ला रहे, सारी उन्नति हमें मुंह चिढ़ा रहा है, प्रकृति हमें हमारी हैसियत बता रहा है, कितने हुए तबाह, कितने आंसू बहा रहे, फिर भी कुछ लोग सियासती अहम दिखा रहे, इंसानिय मौन, नैतिकता शरमा रहा है, मौत अपना विभत्स रूप दिखा रहा है, यह सबक कठोर, सीख है बड़ी, हम मौत से लड़ रहे, उन्हें कुर्सी की पड़ी, इंसान अपनी मूर्खतापूर्ण तरक्की की सजा पा रहा है, इन लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आंसू बहा रहा है परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक ह...
आत्मदाह
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आत्मदाह

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** जिंदगी आसान नहीं, लेकिन मर कर, क्या हासिल होगा, मरने के बाद भी जलना है, फिर जिंदा जल कर, क्या हासिल होगा, अगर जलना है, तो ऐसे जलो, परेशानियां जल कर, भस्म हो जाय, कर्म पथ पर नित्य यूं आगे बढ़ो, सारे विघ्न हल हो जाय, कौन रखेगा याद तुम्हें, इस मेले में रोज की यही कहानी है, अंतिम सांस तक, जिसने किया यहां संघर्ष, दुनियां उसी की दिवानी है, मूर्खता में उठा कर, यह मूर्खतापूर्ण कदम, करके तूने अपना अंग भंग, जीवन खुद का नरक बनाया है, क्षणिक आक्रोश में सब कुछ गंवा कर, बता तूने क्या पाया है... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित कर...
आओ करें, नूतन वर्ष का अभिनंदन
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आओ करें, नूतन वर्ष का अभिनंदन

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** आओ करें, नूतन वर्ष का अभिनंदन, कष्टों का हरण हो, सुशोभित हो जीवन, अभिलाषाएं हो पूर्ण, पुलकित रहे मन, विघ्नों का हो नाश, प्रसन्न रहे तन मन, समृद्धि में हो वृद्धि, जन कल्याण का हो चिंतन, निर्बल का बने सहारा, तोड़ दें दुर्जनों का घमंड, बाधाओं से करें आलिंगन, बन कर सज्जन, दुष्टों से द्वंद रहे जारी, मित्रों से समर्पण, स्वाभिमान से हो समझौता, नहीं हो ऐसा बंधन, भुजंग से लिपट कर भी रहे सुरक्षित, जैसे चंदन, पराजय में रहे हौंसला कायम, विजय में संयम, विचारधारा रहे पवित्र, खुशियों से भर जाए जीवन... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के स...
साहित्य साधना…
कविता

साहित्य साधना…

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** साहित्य है एक साधना, लोकहित की यह कामना, नीजहित में मानव पतित, साहित्य जनहित की आराधना, साहित्य संगम रहा ढूंढ़, साहित्यकारों का महाकुंभ, शपथ बेहतर भविष्य बनाना, आओ करें साहित्य साधना, सृजन का यह अद्भुत जुनून, बोल सकता यही अंधा कानून, इसका साधक कब कहां डरा, इससे भयभीत कितना बेमौत मरा, फिर भी एक सवाल कठिन, पूछता सबसे कलमकार बिपिन, अंधकार घना और क्यों भयभीत धरा, परिवर्तन की दरकार, कैसे बदले विचारधारा... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
समाधान…
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समाधान…

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** वक्त है, यह कभी रुकता नहीं है, सच है, यह कभी झुकता नहीं है, साहस है, यह कभी टूटता नहीं है, जिगर जिनके पास है, किस्मत उनका कभी रूठता नहीं है... ईमान है, यह बिकती नहीं है, नीयत खराब, दिखती नहीं है, आशा की किरण, कभी बुझती नहीं है, इज्जत की रोटी, इससे बड़ी संतुष्टि नहीं है... फिर भी कुछ सवाल बड़े हैं, चुनौतियां सामने मुंह बाए खड़े हैं, अच्छे लोगों के साथ, अक्सर बुरा क्यों होता है, बुरे लोगों का साम्राज्य, इतना बड़ा क्यों होता है, जवाब इसका बहुत कठिन नहीं है, बदलाव अगर खुद से शुरू हो, कौन सी ऐसी समस्या है, जिसका समाधान मुमकिन नहीं है... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्र...
आओ सब मिलकर बनाएं- “राष्ट्रवादी सरकार”
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आओ सब मिलकर बनाएं- “राष्ट्रवादी सरकार”

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** जब जब होता, झूठ स्वीकार, तब तब होता, सच का शिकार, आम आदमी आज भी लाचार, आम आदमी था कल भी लाचार, मुद्दे से भटकना इनका संस्कार, मुद्दे से भटकाना उनका कारोबार, एक खैरात पाने को बेइंतहा बेकरार, दूजा इसे बांट करता सत्ता पर अधिकार, समस्या जटिल लेकिन सरल उपचार, सबसे पहले आओ बदलें अपना विचार, देश हमारा, हमें किसका इंतजार, जाति धर्म की बेड़ियों पर करना होगा वार, नफरत फैलाने वालों का करना होगा बंटाधार, सबको शिक्षा, हर हाथ में रोजगार, कानून का राज, फले फूले व्यापार, सीमा सुरक्षित, राष्ट्रीय अखंडता रहे बरकरार, तुष्टिकरण का नहीं हो घृणित संस्कार, रिश्वतखोरी पर हो अंकुश, बन्द करे कालाबाजार, सेवा की आड़ में नहीं करे भ्रष्टाचार, आओ सब मिलकर बनाएं, ऐसा राष्ट्रवादी सरकार... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : ...
शांत… सुशांत
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शांत… सुशांत

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** छोटे शहर से आया था एक बड़ा सितारा, कुकर्मों की काली छाया ने जिसे मार डाला, मर कर भी तूं लाखों दिलों पर राज करता रहेगा, पूछे सारा देश तेरे कातिलों को सजा कब मिलेगा, जांच के नाम पर साक्ष्यों पर आंच आती रही, आख़िर क्यों, मुंबई पुलिस सच छिपाती रही, कुछ सफ़ेदपोशों के इशारों पर सब काम हुआ है, मायानगरी की रंगीन दुनिया फ़िर बदनाम हुआ है, खूबसूरत किरदारों से दुनियां को छलने वालों, अंदर कुछ, बाहर से कुछ और दिखने वालों, एक कमिनी ने अपनी सारी हदों को पार कर दिया, झुठे प्यार का तिलिस्म, धोखे से वार कर दिया, मोहब्ब्त की खूबसूरती ही तेरा वजूद, इसी से चमकता है यह पर्दे की दुनियां, बना कर चार यार, प्यार को हथियार, पावन प्रेम को तूने कलंकित कर दिया, सीबीआई जांच का पूरा देश करता इस्तकबाल, न्याय पर हमें भरोसा, गुनहगारों जुर्म करो इकबाल, संघर्ष हमा...
राम मंदिर निर्माण
कविता

राम मंदिर निर्माण

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** बड़े दिनों बाद हो रहा, राम मंदिर का निर्माण, बड़े दिनों बाद हो रहा, बहुसंख्यक भावनाओं का सम्मान, बड़े दिनों बाद हो रहा, एक जटिल समस्या का निदान, हैरान हूं देखकर, देश में क्यों मचा है, एक अजीब घमासान, किसी का जबरन धर्म नहीं बदला है, कर्म नहीं बदला है, हमारे राम हैं बहुत दयालु, उनके भक्त नहीं इतने हैवान, फिर भी चारों ओर शोर बहुत है, आख़िर कैसा यह तूफान, ग़रीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और महामारी, किसानों की लाचारी, परेशान है कारोबारी, राम मंदिर नहीं बने तो क्या ख़त्म हो जायेगी सारी बीमारी, समस्याएं बहुत है, कुछ नई कुछ पुरानी, काश्मीरी पंडितो के आंखो का आंसू और दर्दनाक कहानी, तुष्टिकरण की राजनीति और सत्ता की मनमानी, राम मंदिर का विरोध और हरकतें बचकानी, दिल में दबा गुस्सा और मानो खून बना था पानी, सत्ता के सिरमौर बने, कुछ लोग थे खानदानी, वक...
उन्मुक्त रहे हमारी स्वतंत्रता
कविता

उन्मुक्त रहे हमारी स्वतंत्रता

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** महत्वाकांक्षा की धूमिल काली बदरी, खोज रहे लाल, नीयत जिनकी गुदड़ी, चतुराई की बिसात ओढ़े सरलता की चुनड़ी, दिखाए चंडी का रूप, जिनका अंतर्मन घमंडी, उन्मुक्तता जिनका राग, उन्मुक्त जिसकी जिंदगी, आंख बन्द करते जिनपर विश्वास साथी-संगी, शिकंजे में बांधने की कोशिश, देखना स्वप्न सतरंगी, कैसे बने काफ़िला, आदमी जब खुद हो मतलबी, त्याग की बंशी, सहयोग का सुर ताल, निज स्वार्थ की ओट में नहीं करना बबाल, चालाकियों के कोष से रहे बिल्कुल कंगाल, नतमस्तक होते वहीं, हम जैसे कई कंगाल, शान शौकत, ऐशन फ़ैशन से नहीं हमारा वास्ता, हमें भाये सर्वजन हित, चाहे दुर्गम हो रास्ता, दौलत शोहरत के बुंलदियों की ख्वाहिश नहीं, उमनुक्तता हमारी पहचान, उन्मुक्त रहे हमारी स्वतंत्रता... परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्र...
कलमकार की ख्वाहिश
कविता

कलमकार की ख्वाहिश

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** कलमकार की ख्वाहिश नहीं आह की कोई चिंता, नहीं वाह की है ख्वाहिश, निष्पाप मां करूं तेरी साधना, मेरे मस्तिष्क को रखना पवित्र... विवेक रखना मेरा शुद्ध, साहस से करना नहीं वंचित, मानवीय पीड़ाओं का मैं, वर्णन कर सकूं बेबाक सचित्र... शब्द मेरे हो इतने अनमोल, छलियों को करे अचंभित, वेदनाओं का करूं ऐसा वर्णन, पल में पत्थर हो जाये द्रवित, माया की तराजू तोले नहीं, बदले कभी नहीं मेरा चरित्र, कलम बंधन में बंधे सके, मुझे बनाना नहीं इतना दरिद्र, निश्चिंत रहूं मैं इतना, निर्बल का कर सकूं जिक्र, हक की लड़ाई का हो मामला, किसी तीस मार खां का ना करूं फिक्र, मजबूर कर सके कोई नहीं, लालसाएं हो इतना सीमित, गलतियां ख़ुद की स्वीकार करूं, मेरे दिल को रखना पवित्र... कपटियों का भय कम नहीं हो, विचारधारा हो नहीं मेरा दूषित, मेहरबानी तेरी मुझपर इतनी रहे, नई ...
जीवनधारा
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जीवनधारा

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** कोई नहीं चाहे गम यहां पर, खुशियां ही सबको है प्यारा, चलता नहीं किसी का वश, यही है धुवसत्य जीवनधारा, माया जाल में गोता लगाएं, ज्ञान, धन या रुतबा जुटाएं, कितना भी कर लें हमारा तुम्हारा, मृत्यु द्वार तक ले जाये जीवनधारा, बेचा ईमान, चाहे किया महादान, करती यह है, सबका कल्याण, सेठ, साहूकार या हो निर्धन-बेसहारा, सबकी नाव खेबे यही जीवनधारा, जन्म मृत्यु का जीवन चक्र, खुशी और गम इसका किनारा, करे चाहे हम लाख जतन, निर्बाध, उन्मुक्त यह है बंजारा, रहो चिंतामुक्त, करो सत्कर्म, रहेगा अमर, कृति और जीवन, जब तलक रहेगा चांद सितारा, यही पावन संदेश देता जीवनधारा.. . .परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक...
इंकलाब जिंदाबाद…
कविता

इंकलाब जिंदाबाद…

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** संप्रभुता का आया गंभीर संकट, उचित नहीं राजनीतिक नाटक, मां भारती कर रही पुकार, विश्वासघाती चीनियों का हो संहार, नेपाल सिर्फ एक मोहरा है, षड्यंत्र बहुत ही गहरा है, बेशक सीमा पर वीर जवानों का पहरा है, देश के अंदर कुछ चेहरों पर कई चेहरा है, बासठ का ज़ख्म हमें भूलना नहीं चाहिए, वाजपेईजी के जिम्मेदार विपक्ष का अनुकरण करना चाहिए, राजनीतिक प्रतिद्वंदिता चलती रहेगी, हमारी एकता और राष्ट्र की अखंडता अक्षुण्ण रहना चाहिए, देश के कोने कोने से आ रही एक आवाज, बता दो दुश्मनों को उसकी औकाद, हर धर्म से ऊपर हमारा राष्ट्रवाद, आओ सब मिलकर बोलें, इंकलाब जिंदाबाद... . परिचय :- बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्ष...
प्रवीण
कविता

प्रवीण

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** हम करते रहे वफ़ा, वो मन ही मन रहे खफा, दर्द का हम ढूंढते रहे दवा, उनका बढ़ता गया जफा, हमारे त्याग की हुई तौहीन, समस्या आती रही नवीन, होती रही परीक्षा कठिन, धीरे-धीरे होता रहा मैं प्रवीण... परिचय :- बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये औ...
राजपूत सुशांत
कविता

राजपूत सुशांत

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** राजपूत सुशांत, तेरे चाहने वाले आज बहुत अशांत, पवित्र रिश्ता से बनाया अपनी पहचान, पर्दे पर किया तूने जीवंत, द ग्रेट धोनी महान, जिंदादिली थी तेरी पहचान, सोसल मीडिया पर तेरे लाखों फॉलोअर्स, सभी बिहारियों का तूं था अभिमान, फिर किस बात ने किया तुझे यूं परेशान, किंकर्तव्यमुढ़ कर गया तेरा देहांत... परिचय :- बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें ...