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Tag: प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे

दर्द का गीत
गीत

दर्द का गीत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** रोदन करती आज दिशाएं, मौसम पर पहरे हैं । अपनों ने जो सौंपे हैं वो, घाव बहुत गहरे हैं ।। बढ़ता जाता दर्द नित्य ही, संतापों का मेला कहने को है भीड़,हक़ीक़त, में हर एक अकेला रौनक तो अब शेष रही ना, बादल भी ठहरे हैं । अपनों ने जो सौंपे वो, घाव बहुत गहरे हैं ।। मायूसी है, बढ़ी हताशा, शुष्क हुआ हर मुखड़ा जिसका भी खींचा नक़ाब, वह क्रोधित होकर उखड़ा ग़म, पीड़ा सँग व्यथा-वेदना के ध्वज नित फहरे हैं । अपनों ने जो सौंपे हैं वो घाव बहुत गहरे हैं ।। नए तंत्र ने हमको लूटा, कौन सुने फरियादें रोज़ाना हो रही खोखली, ईमां की बुनियादें कौन सुनेगा,किसे सुनाएं, यहां सभी बहरे हैं । अपनों ने जो सौंपे है वो घाव बहुत गहरे हैं ।। बदल रहीं नित परिभाषाएं, सबका नव चिंतन है हर इक की है पृथक मान्यता, पोषित हु...
गुरु-महिमा
दोहा

गुरु-महिमा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गुरु सूरज है, चाँद है, गुरु तो है संवेग। अपने शिष्यों को सदा, देता जो शुभ नेग।। ज्ञान, मान, नव शान दे, दिखलाए जो राह। शिष्यों का निर्माण कर, पाता है गुरु वाह।। गुरु देता है शिष्य को, सत्य संग आलोक। बने शिष्य उल्लासमय, तजकर सारा शोक।। गुरु करके नित त्याग को, बनता सदा महान। गुरु से सदा समाज को, मिलती चोखी शान।। गुरु के प्रखर प्रताप से, रोशन होता देश। गुरु-वंदन नित ही करो, ले साधक का वेश।। गुुरु तो नित उजियार है, मारे जो अँधियार। गुरुकृपा से दिव्य हो, शिष्यों का संसार।। गुरु जीवन का सार है, गुरु जीवन का गीत। गुरु से तो हर शिष्य को, मिलती है नित जीत।। गुरु आशा, विश्वास है, गुरु है नव उत्साह। हर युग में गुरु को मिली, वाह-वाह अरु वाह।। गुरु ईश्वर का रूप है, गुरु विस्तृत आकाश। जो बिन गुरु रहता...
भारत माँ का वंदन
कविता

भारत माँ का वंदन

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, म.प्र. ******************** अंधकार में हम साहस के, दीप जलाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। चंद्रगुप्त की धरती है यह, वीर शिवा की आन है राणाओं की शौर्यभूमि यह, पोरस का सम्मान है संविधान है मान हमारा, जन-जन का अरमान है भारत माँ का वंदन है यह, जन-गण-मन का गान है वतनपरस्ती तो गहना है, हृदय सजाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। शीश कटा,क़ुर्बानी देकर, जिनने फर्ज़ निभाया अपने हाथों से अपना ही, जिनने कफ़न सजाया अंग्रेज़ों से लोहा लेने, जिनने त्याग दिखाया अधरों पर माता की जय थी, नित जयगान सुनाया हँस-हँसकर जो फाँसी झूले, वे नित भाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। सिसक रही थी माता जिस क्षण, तब जो आगे आए राजगुरू, सुखदेव, भगतसिंह, बिस्मिल जो कहलाए जिनका वंदन, अभिनंदन है, जो अवतारी थे सच में थे जो आग...
हरिभक्ति
गीतिका, छंद

हरिभक्ति

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, म.प्र. ******************** अँधियार चारों ओर बिखरा, सूझता कुछ भी नहीं। उजियार तरसा राह को अब, बूझता कुछ भी नहीं।। उत्थान लगता है पतन सा, काल कैसा आ गया। जीवन लगे अब बोझ हे प्रभु, यह अमंगल खा गया।। हे नाथ, दीनानाथ भगवन, पार अब कर दीजिए। जीवन बने सुंदर, मधुरतम, शान से नव कीजिए ।। भटकी बहुत ये ज़िन्दगी तो, नेह से वंचित रहा। प्रभुआप बिन मैं था अभागा, रोज़ कुछ तो कुछ सहा।। प्रभुनाम की माया अनोखी, शान लगती है भली सियराम की गाथा सुपावन, भा रही मंदिर-गली जीवन बने अभिराम सबका, आज हम सब खुश रहें। उत्साह से पूजन-भजनकर, भाव भरकर सब सहें। हरिगान में मंगल भरा है, बात यह सच जानिए। गुरुदेव ने हमसे कहा जो, आचरण में ठानिए।। आलोक जीवन में मिलेगा, सत्य को जो थाम लो। परमात्मा सबसे प्रबल है, आज उसका नाम लो।। भगवान का वंदन करूँ मैं, है यही बस कामना। प्र...
आँखों के दोहे
दोहा

आँखों के दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, म.प्र. ******************** आँखों से जग देखते, हैं आँखें वरदान। आँखों में संवेदना, आँखों में अभिमान।। आँखें करुणामय दिखें, जबआँखों में नीर। आँखों में अभिव्यक्त हो, औरों के हित पीर।। आँखों में गंभीरता, और कुटिलता ख़ूब। आँखों में उगती सतत, पावन-नेहिल दूब।। आँखें आँखों से करें, चुपके से संवाद। उर हो जाते उस घड़ी, सचमुच में आबाद।। आँखें नित सच बोलतीं, दिखता नहीं असत्य। आँखों के आवेग में, छिपा एक आदित्य।। आँखों में रिश्ता दिखे, आँखों में अहसास। आँखों में ही आस हो, आँखों में विश्वास।। आँखों में संवेदना, आँखों में अनुबंध। आँखों-आँखों से बनें, नित नूतन संबंध।। आँखों से ही क्रूरता, आँखों से अनुराग। आँखों से अपनत्व के, गुंजित होते राग।। आँखें पीड़ा,दर्द के, गाती हैं जब गीत। अश्रु झलकते, तब रचे शोक भरा संगीत।। आँखें गढ़तीं मान को,...