युवाओं का वंदन
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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अंधकार में युवा शौर्य के, दीप जलाते हैं।
देशभक्ति के मधुर तराने, नित वे गाते हैं।।
चंद्रगुप्त की धरती है यह, वीर शिवा की आन है।
राणाओं की शौर्य धरा यह, पोरस का सम्मान है।।
वतनपरस्ती के आभूषण को, युवा सजाते हैं।
देेशभक्ति के मधुर तराने, नित वे गाते हैं।।
शीश कटा,क़ुर्बानी देकर, जिनने वतन सजाया।
अपने हाथों से अपना ही, जिनने कफ़न सजाया।।
भारत माता की महिमा की, शपथ निभाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने, नित वे गाते हैं।।
ख़ून बहा,क़ुर्बानी देकर, जिनने फर्ज़ निभाया।
राष् का तो जज़्बा, जिनने भीतर पाया।।
हँस-हँसकर जो फाँसी झूले, वे नित भाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।।
सिसक रही थी माता जिस क्षण, तब जो आगे आए।
राजगुरू, सुखदेव, भगतसिंह, बिस्मिल जो कहलाए।।
ब्रिटिश हुक़ूमत से लोहा लेने, निज प्राण ...