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Tag: प्रेम प्रकाश चौबे “प्रेम”

तुमईं न्यारे हो गए
ग़ज़ल

तुमईं न्यारे हो गए

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** बेटा, तुमईं न्यारे हो गए। कैसे भाग, हमारे हो गए। भई सुसरार प्यारी तुम खों, हम तो, बिना सहारे हो गए। हम जानत्ते, सूरज बनहौ, तुम तो, बदरा कारे हो गए। चीर कलेजो मां को डारौ, बेटा, तुम तो आरे हो गए। पाल-पोस कै, बड्डे कर दये, मोड़ा-मोडिन वारे हो गए। पिता तुम्हारे, हते सहारे, बे ई "राम खों प्यारे" हो गए। "प्रेम" खौं बंद, गैर खौं खुल रये, ऐसे कैंसे द्वारे हो गए? परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना,...
मानव माँस
लघुकथा

मानव माँस

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** गिद्ध के बच्चे जिद कर रहे थे कि उन्हें मानव माँस ही खाना है । वे बच्चे मानव माँस का स्वाद चख चुके थे। गिद्ध परेशान! कहां से लाऊँ? संयोगवश गिद्ध को मानव माँस मिल गया, एक आदमी को फांसी की सज़ा दी गई थी। गिद्ध खुश था कि अब उसके बच्चे मानव मांस खाकर, प्रसन्न हो जाएंगे। यह क्या? बच्चों ने पहला निवाला खाते ही...थू.. कहते हुए बुरा सा मुंह बना लिया। यह मानव मांस नहीं, यह तो किसी कुत्ते का मांस है। गिद्ध अवाक! उन मुंह देखता रह गया। वह उन्हें कैसे बताता वह सामूहिक बलात्कार के अपराध में सज़ा पाए मानव का माँस था। परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशि...
चराग़ घी के
ग़ज़ल

चराग़ घी के

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** रौशन चराग़ घी के। हों घर में हम सभी के हाथों का बढ़ना, अच्छा ! लेकिन हों, दोस्ती के। हैं मोतियों से मंहगे, हों अश्क गर खुशी के। जीना करेंगे मुश्किल, कुछ काम आदमी के। उन का भी कोई होगा, जब "प्रेम" हैं, सभी के। . परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लो...
पकरे कान आज से
कविता

पकरे कान आज से

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** भइया, पकरे कान आज से। दूरई अच्छे जा समाज से। जीबो नइं मरबोई तै है, "बिस पानी" और "जहर नाज" से। सत्तर बरस गए, पै अब भी, दूरी बई की बई, सुराज से। बड़े सेठ जे सांची मानो, पल रए "हमरे खून" ब्याज से। "प्रेम" रोज की चें चें, किल किल, भले अकेले जा लिहाज से। . परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिका...
सई मानौ
ग़ज़ल

सई मानौ

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** सई मानौ भौतई तंगी है। बड़ी मुसीबत आन पड़ी है। दादा की बरसी करने है, दादी सोइ बीमार डरी है। मुन्ना बे-रुजगार फिरइ रये, मोड़ी भी हो गई बड़ी है। घरवारी भी परेसान है, गुस्से में कुछ भी बकती है। दुश्मन पै भी न गुजरै बा, जौन दसा, हम पै गुजरी है। "प्रेम" बड़े मुश्किल दिन देखे, ऐसी बिपदा नही सही है। . परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आद...
समीकरण
लघुकथा

समीकरण

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय विजेता रही लघुकथा "मां, मैं भी कॉलेज जाऊंगी, मैं आगे पढ़ना चाहती हूं" बेटी ने अपना निर्णय सुना दिया। "नहीं, जितना पढ़ना था, पढ़ चुकीं" मां ने कहा। "इसे कौन सा डॉक्टर या इंजीनियर बनना है, शादी के बाद, चूल्हा ही तो फूंकना है, उस के लिए १२ वीं तक कि पढ़ाई काफी है", भैया ने अपनी समझदारी झाड़ी, जो सोफे पर मां के पास ही बैठा था। "क्यों, मैं इंजीनयर क्यों नहीं बन सकती? मैं ने गणित विषय लिया है। मुझे पढ़ने-लिखने का बहुत शौक है" बेटी ने रुआंसे से स्वर में कहा। "और आप लोग हैं कि मुझे पढ़ने देना ही नहीं चाहते। मां तो पुरानी पीढ़ी की हैं, उन का ऐसा सोचना स्वभाविक है, भैया, पर तू तो नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है, फिर भी तू उन्हीं के पक्ष का समर्थन करता ह...
राजा बेटा
ग़ज़ल

राजा बेटा

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** राजा बेटा, खूब कमा रये। पइसा कुजने कितै बिला रये। "मिडिल क्लास" की है जा रीती, एक कमा रऔ, सब घर खा रये। प्राइवेट में, पढ़ रये बच्चे, रही कसर, सो कोचिंग जा रये। गाड़ी, "मोबाइल", पोसाकें, नये-नये खर्चा, रोज सता रये। "प्रेम" रोत हैं, भीतर-भीतर, हम जानत कैसें, मुस्का रये? कुजने कितै=पता क्या ? बिला रये=समा जाना . परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समा...
मत रोने की आदत रखिये
ग़ज़ल

मत रोने की आदत रखिये

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** मत रोने की आदत रखिये। जीवन की कुछ, कीमत रखिये। हो सकता है, हाथ तंग हो ? दिल में मगर, मुहब्बत रखिये। उठी जीभ और चली लट्ठ सी, थोड़ी बहुत, शराफत  रखिये। बाद मौत के, ज़न्नत कैसी ? दुनिया को ही, ज़न्नत रखिये। "प्रेम" से पूछा, कब आओगे? बोले, जिस दिन दावत रखिये। . परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्र...
बासी रोटी
ग़ज़ल

बासी रोटी

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** बासी रोटी, प्याज नौन से। उतरत नइं है, कहें कौन से? बहुएं सुनें न मोड़ी-मोड़ा, को सुन रओ है? रोएं जौन से। गईया खों अब, चरबन नइयां, पौवा पे, आ गई पौन से। हम ने खाये दूध निपनिया, हम पुसात जा, निरे धौंन से? घर-घर में मटयारे चूल्हे, कहो "प्रेम" का भलौ मौन से? . परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत...
भलो-बुरौ अब देखत को है
कविता

भलो-बुरौ अब देखत को है

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. भलो-बुरौ अब देखत को है ? गलत काम खों रोकत को है ? जो कर रये, वो भरने पर है, ऐसी बातें घोकत को है । भोजन-पानी की बर्बादी, हो रई बा खों रोकत को है ? कास्तकार पे नजरें सब की, ऊन भेड़ पे छोड़त को है ? "प्रेम" सबे पइसा प्यारो है, जा दुनिया की सोचत को है ? घोकत=चिंतन करना कास्तकार-किसान . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  प...
नेता की आंखों में
ग़ज़ल

नेता की आंखों में

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" नेता की आंखों में कम है । पर किसान की आंखें नम हैं । . देश "युवाओं का" है अपना, रोजगार का नाम खतम है । . तुम को ये अहसास नहीं है, कितने अब हालात विषम है । . जंगल का कानून यही है, वही जिएगा, जिस में दम है । . "प्रेम" बता ? ये अच्छे दिन हैं ? कातिल जैसा हर मौसम है । . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में क...
एक ग़ज़ल यूँ भी
ग़ज़ल

एक ग़ज़ल यूँ भी

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" रोज़गार की कमी नहीं है । हम में ही लायक़ी नहीं है ? . सरकारी कुर्सी, व वेतन, परिभाषा बस, यही नहीं है । . तकनीकी, यांत्रिकी योग्यता, ऐसी भी, बेबसी नहीं है । . माना नीति-नियंता क़ाबिल, क्यों विकास-दर बढ़ी नहीं है ? . अब, सब कुछ, सरकार-भरोसे, "प्रेम" राह यह सही नहीं है । . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता...
अच्छे दिन
ग़ज़ल

अच्छे दिन

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" अच्छे दिन आबे फिर रए हैं। अहलकार खाबे फिर रए हैं। जौन गीत पे, हूटिंग भई थी, बो ई फिर गाबे फिर रए हैं। हम कै रये के दुनिया देखो, प्रान मनों जाबे फिर रए हैं। बसकारो आबे बारो है, सब छप्पर छाबेे फिर रए हैं। जिन से बचत रहे जीवन भर, बे ई हमें पाबे फिर रए हैं। कैबे सब से बात "प्रेम" की, हम जी में दाबे फिर रए हैं। . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  प...
दिल में अगर बगावत रखिये
ग़ज़ल

दिल में अगर बगावत रखिये

********** रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" दिल में अगर बगावत रखिये । लड़ने की भी, ताकत रखिये । . बे-ईमानों की बस्ती में, खुद ईमान सलामत रखिये । . इन नदियों में थोड़ा पानी, अपने कल की बाबत रखिये । . दुनिया को ही स्वर्ग बना लें, दिल में ऐसी चाहत रखिये । . "प्रेम" जगत में सब से पावन, थोड़ी इस की आदत रखिये । . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कवि...
बखत बड़ो जादूगर भओ
ग़ज़ल

बखत बड़ो जादूगर भओ

********** रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" बुंदेली ग़ज़ल बखत बड़ो जादूगर भओ। खेल दिखावे रोजई नओ। . का-का हुइये, की ने जानी? बो सब होनें, जो नईं भओ। . फिर नइं लौट, हाथ में आने, निकर हाथ से, गओ सो गओ। . बोई फरस से, चढ़ो अरस पे, जी खों तनक सहारो दओ। . "प्रेम" जान गए, जा से कै रये, भैया, जा से डर के रओ। . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कह...
सई कै रये कछु बदलो ना है
ग़ज़ल

सई कै रये कछु बदलो ना है

*********** रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" बुंदेली ग़ज़ल सई कै रये कछु बदलो ना है। खूब गात रओ, बा से का है? कीच भरे गाँवन के रस्ता, घूँटन खच रए, हालत जा है। फसल खेत में, गैया ग्याबन, जब सच्ची, जब मौं में आ है। अते-पते नइं है, बिजली के कल की गई है, कब नों आ है? "प्रेम" दूर के ढोल सुहाने, भुगतो, जबइं समझ में आ है। लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिका...
अब मेहनत को फल तौ निकरैे ?
ग़ज़ल

अब मेहनत को फल तौ निकरैे ?

=============== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" अब मेहनत को फल तौ निकरैे ? दो नइं, एक फसल तौ निकरैे ? ट्यूबवेल तौ, सौ खुदवा लो, जा जमीन में जल तौ निकरैे ? जस के तस हैं, प्रश्न जुगन सें, इन प्रश्नों कौ, हल तौ निकरै ? सन्नाटे से खिंचे गांव में, थोड़ी चहल-पहल तौ निकरै ? "प्रेम" मुनाफ़ा गओ चूल्हे में, लग्गत लगी, असल तौ  निकरै ? लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासि...
क्या लाए ? क्या ले जाओगे ?
ग़ज़ल

क्या लाए ? क्या ले जाओगे ?

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" क्या लाए ? क्या ले जाओगे ? क्या खोया है, जो पाओगे ? जिस दिन मौत तुम्हें घेरेगी, जाग रहे हो, सो जाओगे ? ठहरो, एक सांस तो ले लूं, इतनी भी मोहलत पाओगे ? अभी पड़ा है पूरा जीवन, कब तक ख़ुद को बहलाओगे ? बोझ बढ़ाते ही जाते हो, इतना बोझा ? ढो पाओगे ? "प्रेम" बता दो, कुछ बदलोगे ? या सब जैसा दुहराओगे ? लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  ...
संरक्षण का मतलब क्या है
ग़ज़ल

संरक्षण का मतलब क्या है

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" "संरक्षण" का मतलब क्या है ? संघर्षण का मतलब क्या है ? कदम कदम पर कोचिंग क्लासें, फिर शिक्षण का मतलब क्या है ? जब समान हैं सब प्रतियोगी, "आरक्षण" का मतलब क्या है ? रेत, घूस, पशुओं का चारा, इस भक्षण का मतलब क्या है ? "प्रेम" कुपोषण अब भी कायम, फिर पोषण का मतलब क्या है ? लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक...
तुम पर मरा हूं
मुक्तक

तुम पर मरा हूं

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" डराया किसी को न खुद मैं डरा हूं । मौसम गरम है, मैं फिर भी हरा हूं । मुझ को समझते रहे लोग जिंदा, तुम्हें तो पता है कि तुम पर मरा हूं । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लों का प्रकाशन। प्रसारण - आकाशवाणी व दूरदर्शन भोपाल से कविताओं व बुंदेली ग़ज़लों का प्रसारण। ...
हिस्सा बांटे हो गये
ग़ज़ल

हिस्सा बांटे हो गये

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" बुंदेली ग़ज़ल घर के हिस्सा बांटे हो गये । मिटी लड़ाई, सांते हो गए । पुरा-पड़ौसी, मीठे लग रये, हम में जैसे कांटे हो गये । हम खों रत खर्चा की तंगी, कत खेती में घाटे हो गये । मुरहा मुरही सब लावारिस से जैसे चोर-चपाटे हो गए । "प्रेम" आत मिलबे बे ऐसे, जैसे सैर-सपाटे हो गये । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिका...
बुंदेली ग़ज़ल
ग़ज़ल

बुंदेली ग़ज़ल

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" को है जी खों मरने नइयां। मनों मौत से डरने नइयां। झाड़ फूंक - गण्डा ताबीजें, ई चक्कर मे परने नइयां। तजत झूठ और भजत सत्त खों उन खों कछु बिगरने नइयां। बे-ईमानी रेत पेरबो, बा में तेल निकरने नइयां। "प्रेम" एक से मोड़ी-मोड़ा, फरक तनक भी करने नइयां। लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य...
उन को हुई मुहब्बत जब से
ग़ज़ल

उन को हुई मुहब्बत जब से

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" उन को हुई मुहब्बत जब से । गले पड़ी है आफत तब से । करते हैं आगाह सभी को, बच कर रहना इसी गजब से । उन को हुई, किसी को न हो केवल यही मांगते, रब से । दिन में तारे, ख्वाब रात भर, दिखें नज़ारे, अजब-अजब से "प्रेम" बता कैसे  छूटकारा ? यही पूछते हैं वे सब से । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, ...
बुंदेली ग़ज़ल
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बुंदेली ग़ज़ल

================================= रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" आज स्याने जुते बैल से, बोझ तरें मर रए हैं, युवा देस के लै-लै डिग्री, ना-कारा फिर रए हैं । सावन-भादों के जे बदरा फिर-फिर घिर रये है । भुंसारे से भईया-भौजी भींजे ही फिर रये हैं । दद्दा ने जो कर्जा लओ थो, अबै तलक बाकी है, देनदारिएं, कर्जा निकरे, अपने ही सिर  रये हैं । बसकारे ने हमरो जीवन, नरक बना के धर दओ, धरती सें बम्मा फूटत है, झिरना से झिर रये हैं । मोड़ा मोड़ी मानत नईं हैं, गद-बद देत फिरत हैं, जी को तन्नक पांव रिपट गओ, धम्म धम्म गिर रये हैं । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर ...
बालगीत
बाल कविताएं

बालगीत

================================= रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" चन्दा मामा अच्छे हैं  । दिल के कितने सच्चे हैं । सूरज मामा बहुत बुरा । सारा पानी लिये चुरा । बादल ताऊ आएंगे, उस को डांट लगाएंगे । और चुराया जितना पानी, धरती को लौटाएंगे । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लों का प्रकाशन। प्रसारण - आकाशवाणी व दूरदर्शन भोपाल से ...