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Tag: प्रेम नारायण मेहरोत्रा

अकल्पित असीमित
भजन, स्तुति

अकल्पित असीमित

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु नाम महिमा अकल्पित असीमित, इसे तो जगत को बताना पड़ेगा। कवि इसको लिपिबद्ध करते रहेंगे, और गायक को फिर इसको गाना पड़ेगा। प्रभु नाम ... प्रभु नाम पावन है गंगा के जल सा, तू लग नाम जप में,और डुबकी लगा ले। तू जग कार्यो के संग सुमिरन में लग जा, और जग के नियंता की करुणा को पा ले। अगर जग की माया में चिपका रहा तो, तुझे भोग योनि में आना पड़ेगा। प्रभु नाम... तुझे श्रेष्ठतम योनि ईश्वर ने भेजा, तो तू श्रेष्ठ कर्मो से प्रभु को रिझा ले। प्रभु नाम सुमिरन है मुक्ति का साधन, तू रम राम सुमिरन में, मुक्ति को पा ले। अगर प्रभु कृपा को गँवायेगा तू तो, नहीं ज्ञात किस योनि जाना पड़ेगा। प्रभु नाम... अनैतिक तरीके से धन यदि कमाया, तो धन, गाड़ी, बंगला तो तेरा बनेगा। मगर तेरे बच्चे पले गलत धन से, तो कोई नहीं योग्य कर्मठ बनेगा। अभी...
ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा
भजन, स्तुति

ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** आज ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा। अगर सोते जगते है प्रभु याद आता, तो समझो कि भक्ति पनपने लगी है। तेरा मन भी यदि प्रभु में रमने लगा है, तो ईश्वर की करुणा बरसने लगी है। अगर सोते जगते....... तू प्रभु नाम सुमिरन की आदत बना ले, स्वयं होगा अनुभव,है ये मन को भाया। तू प्रभु दर को अपने कदम दो बढ़ा ले, तू देखेगा वो ,चार पग दौड़ आया। प्रभु से तेरी प्रीति बढ़ने लगी तो, जगत माया खुद ही सिमिटने लगी है। अगर सोते जगते..... तुझे प्रभु ने भेजा है,सृष्टि सृजन मिट, मगर मुख उद्देश्य है प्रभु का सुमिरन। जगत कार्य हाथों से करता रहे पर, तेरे मन मे होता रहे प्रभु समर्पण। तू पतवार को सौप दे यदि प्रभु को, तो नैय्या भँवर में भी चलने लगी है। अगर सोते जगते........ अगर भूल उद्देश्य माया में चिपका, तो ईश्वर की करुणा को तूने गँवाया। जब अं...
आज की हनुमत कृपा
भजन, स्तुति

आज की हनुमत कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** "राम" की पग धूल को, मस्तक लगा चंदन बनेगा। पायेगा हनुमत्कृपा और, शीघ्र ही कंचन बनेगा। राम की पग धूल... राम ने सृष्टि रची, और वो ही इसको पालता है। जिसमे हो आशक्ति जिसकी, उसमे उसको ढालता है। कर्म में है स्वतंत्र तू, प्रभु में रमा तो रतन बनेगा। राम की पग धूल... भक्त हनुमत सबको ही हैं, " राम नाम" का मंत्र देते। आस्था दृढ़ होती उनकी, जो है इसको मान लेते। डूब जा सुमिरन में तो तू, भक्ति पथ पर बढ़ चलेगा। राम की पग धूल... भूत को तू भूलकरके, नाम गंगा में नहा ले। वो तो है करुणा का सागर, तू भी उसकी कृपा पा ले। नाम सांसो में रमा पाया, तो मुक्ति रथ चढ़ेगा। "राम" की पग धूल... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप...
होली राम रंग संग खेलो
कविता

होली राम रंग संग खेलो

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** होली राम रंग संग खेलो, हनुमत झूम के नाचेंगे। लगेगा भक्तों का दरबार, नाम महिमा वे बांचेगे। होली ..... बहाओ र से रंग फुहार, म में है माँ सीता का प्यार, चढ़ेगा जिन पर हनुमत रंग, वो माँ के चरण पखारेंगे। होली....... नहीं हुड़दंग का ये त्योहार, लुटा दो सब पर अपना प्यार, बढ़ी कटुता जिनसे इस साल, मिटाकर गले लगालेंगे। होली....... न डूबो दारू में या भांग, यही है सात्विकता की मांग। आओ बैठो हनुमत दरबार, "नाम" का नशा चढ़ा देंगे।होली....... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी र...
राम नाम की मधुशाला (भाग- ५)
छंद, भजन

राम नाम की मधुशाला (भाग- ५)

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** अंगूरी मदिरा पीने, मदिरालय जाना पड़ता है। कठिन कमाई से अर्जित धन, व्यर्थ गवांना पड़ता है। राम नाम मदिरा अंतर में, खोल भरम का तू ताला। बिना मूल्य के जी भर पी ले, बन जायेगा मधुशाला। राम नाम मदिरा में डूबा, फिर कुछ नहीं लुभायेगा। पूर्ण तृप्त होगा हरपल तू, खुद में ही सुख पायेगा। बहुत नशीली है ये मदिरा, शीघ्र उठा ले तू प्याला। स्वास्थ नहीं करती खराब ये, पी जा पूरी मधुशाला। पी कबीर ने राम नाम को जब लेखनी उठाई है। ऐसी अमृतवाणी फूटी पढ़ दुनिया हरसाई है। राम नाम की मदिरा पीकर, हाथ लिए घूमा प्याला। दोनों हाथ पिलाई जग को, फिर भी भरी है मधुशाला। राम नाम की मदिरा पीनेवाला, उन्मत रहता है। जग आसक्ति छूट जाती है, सदा स्वस्थ तन रहता है। हाथ कार्य करते दिखते हैं, अंतर चले "नाम" माला। सुमिरन में रम जाता है मन...
राम नाम की मधुशाला (भाग- ४)
छंद, भजन

राम नाम की मधुशाला (भाग- ४)

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** इस पवित्र पावन गंगा में, जो भी नित्य नहाता है। उसके पाप नष्ट होते हैं, मुक्ति धाम को पाता है। मानव जीवन धन्य उसीका , जिसने पिया नाम प्याला। जिसमे छलके नाम की मदिरा, उसे कहेंगे मधुशाला। ये कल्याणदायिनी गंगा, मरुथल में बह सकती है। वो अमोघ शक्ति है इसमें, जो चाहे कर सकती है। नाम जाप ने रत्नाकर डाकू, को ऋषि बना डाला। रामायण की रचना करके, वो बन बैठा मधुशाला। भक्त विभीषण दैत्य हो जन्मा, पर फिर भी वो सात्विक था। रावण का मंत्री था फिर भी, सत्यनिष्ठ और धार्मिक था। राम नाम की प्रीत ने उसको, हनुमत से मिलवा डाला। कर सहयोग प्रभु सेवक का, वो बन बैठा मधुशाला। राम नाम की मदिरा का कुछ, स्वाद जिसे मिल जाता है। वो उसमे ही डूब राम रस, सबको खूब पिलाता है। जिसको ये मदिरा चढ़ जाती, हो जाता है मतवाला। स्वांस स्व...
राम नाम की मधुशाला (भाग- ३)
छंद

राम नाम की मधुशाला (भाग- ३)

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** नाम नशेमें डूबी शबरी, नित्य बाहरू करती थी। प्रभू राम आएंगे निश्चित, गुरु वचन पर मरती थी। इतना डूबी नाम नशे में, जूठे बेर खिला डाला। राम प्रेम मदिरा पीते थे, वो बन बैठी मधुशाला। जो करवाना चाहे ईश्वर, उसको तू अर्पित हो जा। उसकी कृपा मानकर अपने, अहम भाव को तू खा जा। तू तो केवल निमित मात्र है, ईश्वर बस करने वाला। हर पल जाम नाम के पीकर, तू भी बन जा मधुशाला। नारायण खुद राम रूप, धरकर पृथ्वी पर आए थे। मान बढ़ाने को हनुमत का, उनको काम बताये थे। राम नाम की मदिरा पीकर, लंका को था जला डाला। नहीं जली बस एक कुटी, जो राम नाम की मधुशाला। राम नाम इतना फलदायी, पूर्ण कवच बन जाता है। जो भी इस मदिरा में डूबा, मन वांछित फल पाता है। बाल्मीक ने नाम जपा तो, उन्हें सुपात्र बना डाला। नाम जाप में डूब गया जो, वो बन ...
राम नाम की मधुशाला (भाग- २)
छंद, भजन

राम नाम की मधुशाला (भाग- २)

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** तुम अनन्य सेवक हो राम के, स्वांस स्वांस तेरी माला। तुलसी से लिखवा कर महिमा, "तुलसीदास" बना डाला। पीनेवाला ही तो नाम की, महिमा बतला सकता है। तुम बतलाते जाओ महिमा, लिख दूँ अमृत मधुशाला। नाम नशे में रहते हो तुम, क्यों बस यही बखान करो। सबके अन्तर करो प्रेरणा, राम नाम का पान करो। हनुमत इस अमृत मदिरा का, पकड़ा दो हर कर प्याला। हर घर मे हो साकी प्रभु का, वसुंधरा हो मधुशाला। मदिरालय की मदिरा चढ़ती, तो विवेक हर लेती है। राम नाम की मदिरा सबको, भक्ति का फल देती है। लग जाता पूरी श्रद्धा से, जो होकर के मतवाला। उसकी दृष्टि झूमा देती है, वो बन जाता मधुशाला। उस मदिरा का नशा चढ़े तो, नष्ट सभी कुछ होता है। नाम नशा जितना चढ़ता, मन उतना पावन होता है। नाम नशे में डूबके मीरा ने, विष अमृत कर डाला। नाम नशा सबपर चढ़ ...
राम नाम की मधुशाला (भाग- १)
छंद, भजन

राम नाम की मधुशाला (भाग- १)

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** हनुमत तुमने ही पकड़ाई, राम नाम अमृत माला। अंतर में प्रेरणा जगाई, लिखूं नाम की मधुशाला। तुमसे बड़ा 'नाम' का साकी, नहीं कोई इस धरती पर । अमृत जाम बनाते जाना, पूरी हो ये मधुशाला। बहुत विघ्न आएंगे पथ में, तुम रक्षक बनकर रहना। विघ्नों पर तुम गदा चलाना, मेरे कर में दे माला। राम नाम हर स्वांस में तेरी, तुम हो सदा भरा प्याला। बतलाते जाना तुम महिमा, में तो बस लिखने वाला। हर घर मे अब राम नाम की, मदिरा को पहुंचाना है। हर जिव्हा को स्वाद चखाकर, मुक्ति मार्ग ले जाना है। जब हर कर में आजायेगा, राम नाम मधु का प्याला । तो हर आंगन बन जायेगा, राम नाम की मधुशाला। तुलसी ने बतलाया कलयुग में, बस नाम सहारा है। सभी संत बतलाते केवल, नाम ही तारण हारा है। इतना नाम पिलादो मुझको, हो जाऊं मैं मतवाला। मेरे रोम रोम से निक...
गणेश जी की वंदना
भजन, स्तुति

गणेश जी की वंदना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** गणेश जी की वंदना हे प्रथम पूज्य गजराज, तुम्हारी जै जै हो। है पार्वती के लाल, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य ... प्रभु तुम बुद्धि के दाता हो, और तुम ही भाग्य विधाता हो। मंगल करते सब काज, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य... रिद्धि सिद्धि के स्वामी हो तुम, जग के अंतरयामी हो तुम। तुम रखते सबका ध्यान, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य... विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा, हम भक्तो को तेरा सहारा। हैं चरण तेरे सब धाम, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
कान्हा से उलाहना
भजन

कान्हा से उलाहना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** कान्हा गोकुल में माखन खिलाया नही, कैसे मानूँ की माखन खिलाते हो तुम। किसी छीके पे माखन टंगा ही नहीं, कैसे मानूँ की माखन चुराते हो तुम। कान्हा गोकुल.... तेरी किरपा से आया हूँ ब्रजधाम में, वो ही आता है जिसको बुलाते हो तुम, आस्था तेरे चरणों मे जिसकी घटी, उससे तत्काल ही रुठ जाते हो तुम। कैसे मानूँ कि.... सब हैं राधा को तेरी नमन कर रहे, इसलिए सबमें ही नज़र आते हो तुम, जो भी तेरे लिए है तड़पता यहां, उसके अंतर में फौरन समाते हो तुम। कैसे मानूँ.... गायें गोकुल की तो कहीं जाती नहीं, दूध माखन कहाँ चला जाता है फिर। तुमको सब ज्ञात है, दृष्टि व्यापक तेरी, देखना है कि कब रोक पाते हो तुम। कैसे मानूँ की .... तेरे गोकुल का प्रसाद माखन नहीं, इसलिए तुमसे शिकवा किया "प्रेम" ने, तुमने ग्वालों को माखन खिलाया बहुत, दे...
हनुमान जी की महिमा…
स्तुति

हनुमान जी की महिमा…

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** भक्त हनुमान जी हैं दयालु बहुत, राम भक्तों की रक्षा वे करते सदा। दैत्य माने नहीं राम महिमा को जो, उनपे हनुमान जी ने चलाई गदा। भक्त हनुमान जी...... राम का नाम लेता विभीषण मिला, मित्र माना उसे,अपना परिचय दिया। हो गया धन्य वो,राम सेवक से मिल, माता सीता का उसने,पता था दिया। गये वो वाटिका माँ के दर्शन किये, उनकी सांसों में बस "राम" चलता सदा। भक्त हनुमान जी...... दम्भी रावण को सद्ज्ञान देने के मित, माँ से अनुमति ले विध्वंस की वाटिका। छोड़ा ब्रम्हास्त्र तो नमन कर बंध गए, छोड़ने की नहीं की कोई याचिका। दिया सद्ज्ञान रावण को दरबार में, वो अहंम में था डूबा न उसको जँचा। भक्त हनुमान जी........ दिया रावण ने आदेश मारो इसे, आ विभीषण ने नीति बताई उसे। शत्रु का दूत है,अन्य कुछ दंड दो, नीति सम्मत नहीं है न मारो इसे। पूँछ ...
हनुमान जी से विनती
भजन

हनुमान जी से विनती

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मिला दो राम से हनुमत .... मिला दो राम से हनुमत, तेरा गुणगान गाएंगे। बताओगे जो भी युक्ति, उसे करके दिखाएंगे। मिला दो राम से ... प्रभु आराध्य हैं तेरे, मेरे आराध्य तो तुम हो। कृपा जो राम की पाया, उसे क्या कार्य दुष्कर हो। तेरी भक्ति फलित होगी, तो प्रभु भक्ति को पाएंगे। मिला दो राम से... तुम्ही ने की कृपा सुग्रीव पर, तो राम को पाया। दिया सेवा का अवसर और, उसे भय मुक्त करवाया। तेरी करुणा कृपा से ही, तो दिल मे राम आएंगे। मिला दो राम से... तेरे स्वामी की सेवा का, जो अवसर मैंने पाया है, तुम्ही से शक्ति लेकर के, उसे मैंने निभाया है। हैं जबतक प्राण तन में, हम तो ये सेवा निभाएंगे। मिला दो राम... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह...
शिव स्तुति
भजन

शिव स्तुति

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** ॐ नमः शिवाय...... ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय, इसी मंत्र के नित्य जाप से सकल काम बन जाय। बोलो ॐ नमः .... प्रभू राम ने सागर तट पर शिव की करी थापना, किया शिवार्चन और भोले से मन की कही कामना। करी प्रेरणा 'राम' लिखो तो हर पत्थर तर जाय। बोलो ॐ नमः.... प्रथम पूज्य हैं पुत्र इन्ही के, देवों में ये महादेव हैं। बेलपत्र और भांग धतूरा, संग पुष्प चढ़ते अनेक हैं। तू सावन भर जल अर्पित कर, इनकी भक्ति पाय। बोलो ॐ नमः.... रहते जब समाधि में स्थित, शिव हैं राम नाम को ध्याते। प्रभु राम होते प्रसन्न तो, इससे अक्षय शक्ति पाते। कुछ ना रखते पास में अपने, सब कुछ देत लुटाय। ॐ नमः शिवाय..... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलि...
हनुमत्कृपा
भजन

हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** भक्त है हनुमान जी हैं दयालु बहुत, अपने भक्तों की चिंता वे करते सदा, उनके भक्तों को जग में सताते हैं जो, ऐसे दुष्टों पे चलती है उनकी गदा। भक्त... उनकी महिमा उन्ही को सुनाने के मित, उनके भक्तों ने कुछ सिद्ध मंदिर चुने, पूर्ण निर्विघ्न उनका ये संकल्प हो, इसलिए भक्तों ने ताने बाने बुने। आस्था जिनकी हो हनु के चरणों मे दृढ़, उनके मारग की कांटे वे चुनते सदा। भक्त... भक्तों को तीव्र गर्मी सता थी रही, हनु ने मेघों को आदेश था दे दिया। उनके आदेश को शीश धर मेघों ने, पाठ के दिनों मौसम सुहाना किया। झांक अंतर में सब कष्ट हरते है वो, ये ही हनुमान जी की निराली अदा। भक्त... राम सुमिरन करो, नित चालीसा पढ़ो, मन मे हनुमत की भक्त्ति पनप जायेगी। भक्ति में डूब पाया अगर तेरा मन, जग की कोई भी सुविधा नहीं भायेगी। कूप से निकलकर ...
कान्हा से उलाहना
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कान्हा से उलाहना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** कान्हा गोकुल में माखन खिलाया नही, कैसे मानूँ की माखन खिलाते हो तुम। किसी छीके पे माखन टंगा ही नहीं, कैसे मानूँ की माखन चुराते हो तुम। कान्हा गोकुल... तेरी किरपा से आया हूँ ब्रजधाम में, वो ही आता है जिसको बुलाते हो तुम, आस्था तेरे चरणों मे जिसकी घटी, उससे तत्काल ही रुठ जाते हो तुम। कैसे मानूँ कि... सब हैं राधा को तेरी नमन कर रहे, इसलिए सबमें ही नज़र आते हो तुम, जो भी तेरे लिए है तड़पता यहां, उसके अंतर में शीघ्र समाते हो तुम। कैसे मानूँ.... गायें गोकुल की तो कहीं जाती नहीं, दूध माखन कहाँ चला जाता है फिर। तुमको सब ज्ञात है, दृष्टि व्यापक तेरी, देखना है कि कब रोक पाते हो तुम। कैसे मानूँ की ... तेरे गोकुल का प्रसाद माखन नहीं, इसलिए तुमसे शिकवा किया "प्रेम" ने, तुमने ग्वालों को माखन खिलाया बहुत, देखना ...
राम नाम की महिमा
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राम नाम की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** नाम जपते चलो "राम" गाते चलो... नाम जपते चलो राम गाते चलो, मुक्ति के मार्ग पर पग बढ़ाते चलो। बोलो राम बोलो राम... नाम जप तेरे अंतर को पावन करे, नाम जप ही तेरे मन में भक्ति भरे। पकड़कर नाम जप की ही पतवार को, अपनी नैय्या किनारे लगाते चलो। बोलो राम बोलो राम... राम ही सत्य है मान पायेगा जो, डूबकर राम ही राम गायेगा वो। जग की आशक्ति से मुक्त होना है तो, राम रस में ही मन को डुबाते चलो। बोलो राम बोलो राम... नाम में डूब तुलसी मगन हो गए, लिखके मानस वो जैसे गगन हो गए। "प्रेम" तुम भी रहो "राम" में ही मगन, उनकी सेवा से सांसें बढ़ाते चलो। बोलो राम बोलो राम... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं,...
माँ सरस्वती की वंदना
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माँ सरस्वती की वंदना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** माँ तुम्हारी वंदना में क्या लिखूं, तुम ही बताओ। यदि मेरा है हृदय निर्मल, आके निज आसन लगाओ। माँ तुम्हारी वंदना..... तुम ही हो विद्या की देवी, सबको विद्या दान करती। कवि के अंतर भाव देकर, भक्ति रस का सृजन करती। गीत कवि लिखते रहें, स्वरबद्ध करके तुम गवाओ। माँ तुम्हारी वंदना..... तुम ही स्मृद्धिदात्री, भक्तों पे करुणा बहाती, जो हैं जग माया में उलझे, उनको हो तुम ही जगाती। लिख रहा है "प्रेम" महिमा, बैठ अंतर गुनगुनाओ। माँ तुम्हारी वंदना....... मेरा कुछ भी नहीं जग में, क्यों कि खाली हांथ आया। तुमने दे संस्कारी बच्चे सुख स्मृद्धि से सजाया। "प्रेम" के गीतों को माँ तुम, श्रेष्ठ भक्तों से गवाओ। माँ तुम्हारी वंदना.... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित ...
हनुमान जी की महिमा
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हनुमान जी की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** भक्त हनुमान जी हैं दयालु बहुत, राम भक्तों की रक्षा वे करते सदा। दैत्य माने नहीं राम महिमा को जो, उनपे हनुमान जी ने चलाई गदा। भक्त हनुमान जी...... राम का नाम लेता विभीषण मिला, मित्र माना उसे,अपना परिचय दिया। हो गया धन्य वो,राम सेवक से मिल, माता सीता का उसने,पता था दिया। गये वो वाटिका माँ के दर्शन किये, उनकी सांसों में बस "राम" चलता सदा। भक्त हनुमान जी...... दम्भी रावण को सद्ज्ञान देने के मित, माँ से अनुमति ले विध्वंस की वाटिका। छोड़ा ब्रम्हास्त्र तो नमन कर बंध गए, छोड़ने की नहीं की कोई याचिका। दिया सद्ज्ञान रावण को दरबार में, वो अहंम में था डूबा न उसको जँचा। भक्त हनुमान जी........ दिया रावण ने आदेश मारो इसे, आ विभीषण ने नीति बताई उसे। शत्रु का दूत है,अन्य कुछ दंड दो, नीति सम्मत नहीं है न मारो इसे। पूँछ मे...
प्रभु राम से विनती…
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प्रभु राम से विनती…

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु राम से विनती......... और कुछ भी नहीं प्रिय लगे राम जी, बस तेरे नाम सुमिरन में है डूबना। कैसे हो पायेगा, ये कठिन कार्य है, इसकी युक्ति भी तुमसे ही है पूछना। और कुछ भी........ मैँ वही बस करूँ जो तुम्हे प्रिय लगे, जो नहीं प्रिय तुम्हे उसको है त्यागना। भूल से कुमारग पे पग में धरूँ, मेरे अंतर से तत्काल तुम टोकना। और कुछ भी....... प्रभु कृपा से है श्रेष्ठ योनि मिली प्रभु के सुमिरन में ही इसे है लगाना, वे दयालु हैं करुणा लुटाते सदा, डूब प्रभु में ही करुणा को है लूटना। और कुछ भी....... सारी सृष्टि प्रभु की वही पालते, बनके बच्चे प्रभु बाहों में झूलना, नाम सेवा में हर साँस मेरी लगे, ह्रे दयानिध है तुमसे यही याचना। और कुछ भी......... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मै...
हनुमान महिमा…
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हनुमान महिमा…

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** हनुमान जी के पकड़ ले चरण जो, प्रभु राम उसपे हैं करुणा बहाते। हनुमान जी तुझसे संकल्प लेते, फिर दे शक्ति,युक्ति हैं पूरा कराते। हनुमान जी के ... हनुमान प्रतिपल रमे राम जप में, वो श्रीराम कह, सागर लांघ जाते। मिली लंकिनी मार्ग रोका जो उनका, तो एक मुष्टिका मार, परिचय बताते। हनुमान जी के... मिले माँ के दर्शन, हुआ कार्य पूरा, तो ले माँ से अनुमति, मधुर फल वो खाते। खबर पाके रावण ने अक्षय को भेजा, उसे मार रावण को शक्ति दिखाते। हनुमान जी के... जब ब्रम्हास्त्र उन पर चलाया गया तो, उसे कर नमन वे स्वयं बंध हैं जाते, जब रावण ने पट बांध घी तेल डाला, जली पूंछ तो स्वर्ण लंका जलाते। हनुमान जी के... बुझा पूँछ सागर में ले माँ से चीन्हा, प्रभू राम के पास वे लौट जाते। सिया की दशा का सुना करुण वर्णन, वो प्रभु राम के शौर...
कोरोना विनाश की हनुमान जी से विनती
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कोरोना विनाश की हनुमान जी से विनती

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** करो कुछ करिश्मा हनुमान जी अब, तेरे भक्त मंगल को दर तेरे आएं। हैं दो बरस से जो दरस के पियासे, वे पा तेरे दर्शन नयन सुख को पाएं। करो कुछ... हमे अपने दोषों का ही फल मिला है, जो बोया था काटा न कोई गिला है। मगर तुम तो आशीष देते सभी को, जो हैं भूल से भी तेरे दर पे आएं। करो कुछ ... कॅरोना से सम्पूर्ण मानव तृषित हैं, युवा, व्रद्ध सब तेरे बच्चे ग्रषित हैं। जगो अपनी शक्ति में, हुंकार भर दो, जो मंगल को जग से कॅरोना मिटाये। करो कुछ... हैं इस वर्ष ज्येष्ठ माह में पांच मंगल, कॅरोना का वध कर करो सबका मंगल। करो "योगी" को इतना आस्वतः भगवन, कि वो भक्तों को तेरा दर्शन कराएं। करो कुछ ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक ...
बाबा केदारनाथ
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बाबा केदारनाथ

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** कुछ न कुछ तो कमी है तड़प में, जिससे बाबा ने दर न बुलाया। आके बाबा ने कानों में बोला, तू तो दस रूप धरके है आया। कुछ न कुछ... रूप तेरे अनेकों हैं बाबा, जिनमे १२ हैं ज्योति से प्रकटे। ११ के हो चुके मुझको दर्शन, प्राण तेरे दरश को है अटके। कई वर्षों से पंक्ति में हूँ मैं, क्यों दयालु न मुझको बुलाया। कुछ न कुछ... हम हैं संसारी माया में उलझे, फिर भी तेरे दरस की है इक्षा। पास होकर दिखाएंगे बाबा, चाहें जितने कठिन लो परीक्षा। तेरे ही अंश से हैं जो प्रकटे, उनने सेवक है हमको बनाया। कुछ न कुछ... जिनके सुमिरन में प्रतिपल रमे तुम, उनकी थोड़ी कृपा मैंने पाई, मेरे आराध्य हनुमान जी ने, नाम महिमा है मुझसे लिखाई। गीत हनुमत ने ऐसे लिखाये, श्रेष्ट भक्तों ने है झूम गाया। कुछ न कुछ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा ...
धन कमाने के …
कविता

धन कमाने के …

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** https://www.youtube.com/watch?v=TuERJHasVx0 धन कमाने के मित..... धन कमाने के मित बेचता आत्मा, सब यहीं छोड़कर तू चला जायेगा। नाम जप में लगा अपने मन को मनुज, नाम जप का ही धन,साथ में जायेगा। धन कमाने के.......... बच्चों को सींच संस्कारों के जल से तू, तो ही कर्मठ और उद्द्योगी बन पाएंगे। दूषित धन से अगर उनका पालन हुआ, धर्म क्या है नहीं वे समझ पाएंगे। देगा सतपुत्र यदि राष्ट्र को एक तू, तो तेरा नाम रोशन वो कर जाएगा। धन कमाने के........ सात्विक भाव मन मे जगेंगे तभी, जब उचित भोज उनके उदर जाएगा। तामसी खाद्य है नहीं मानव के मित, जो भी खायेगा वो अंत पछतायेगा। आचरण अपना यदि तू सुधारेगा तो , तेरे बच्चों को सदमार्ग दिख जाएगा। धन कमाने के....... चाहे जिस पद पे है,जन का सेवक है तू, कार्य मित इक उचित राशि पाता है तू। अपना कर्तव्य पूरा करें यदि सभ...
माँ सम्बोधन
कविता

माँ सम्बोधन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** माँ सम्बोधन में मिठास है, इसीलिए प्यारी लगती है। माँ तो है ममता की मूरत, बच्चों के सब दुःख हरती है। माँ सम्बोधन... प्रतिपल बस बच्चों की चिंता, इसमें ही माँ को सुख मिलता। बच्चा खा ले, बच्चा पढ़ ले, माँ इसमें खपती रहती है। माँ सम्बोधन... माँ बच्चों की प्रथम गुरु है, जन्म साथ सब काम शुरू है। बच्चों के भविष्य के खातिर, निज सुख त्याग किया करती है। माँ संबोधन... मेरी माँ मुझको प्यारी है, गुस्से में लगती न्यारी है। घर की खुशहाली के मित ही, वो हर कार्य किया करती है। माँ सम्बोधन... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...