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Tag: प्रीति शर्मा “असीम”

जीवन एक उत्सव
कविता

जीवन एक उत्सव

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जीवन एक उत्सव, इसे क्षण-क्षण, उत्सव कर जायें। जीवन के लक्ष्य को, अक्षय कर जायें।। युगों युगों से चल रही। अनन्त अमर जीवन धारा को, प्रेम से संचित कर। नित-नित उत्सव हम मनायें।। जीवन एक उत्सव, इसे क्षण-क्षण, उत्सव कर जायें।। जीवन का संचार उत्सव। मन का हर्षोल्लास उत्सव। चेहरों का निखार उत्सव। मेलजोल की बात उत्सव। खुशियों का विस्तार उत्सव। शुभता का संचार उत्सव। प्रेम का आलाप उत्सव। नव्यता का इंतजार उत्सव। सोचियें....! बिना उत्सव के.....? सब बेकार हो जायेंगा। आस कहा रहेंगी। जीवन निरसता से, निराश हो जायेंगा।। आईयें.....! एक उल्लास भर कर। जीवन को, हम उत्सव बनायें। जीवन की, जीवंत महिमा को, नये-नये उत्सवों से भर जायें। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी...
सुबह का भूला
कविता

सुबह का भूला

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** सुबह का भूला, अगर शाम तक अपनी, गलती मान जाता है। जिंदगी की अहमियत, वक्त की कद्र, अपनों का दर्द, दुआओं का असर, पहचान जाता है। उसकी भूल को, शाम तक, हर कोई, भूल जाता है। सुबह का भूला अगर शाम तक जिंदगी की कद्रों-कीमतों को, पहचान जाता है। प्यार की, कोई कीमत नही, यह जान जाता है। उसकी भूल को, शाम तक, हर कोई भूल जाता है। सुबह का भूला, अगर शाम तक भी...... नही समझ पाता है। अपने साथ, कई अपनों की, भावनाओं को ठेस जाता है। फिर वो जिंदगी भर, नहीं समझ पाता है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां...
सवालों से परे लिखो
कविता

सवालों से परे लिखो

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** क्या......? कब.......! क्यों.......... ? किस लिए......! के प्रश्नों में, क्यों हम उलझते है। लिखावटों से , पीढ़ी दर पीढ़ी के, सोपान जब बदलते है। क्या लिखूँ..... यह सोच कर, कलम रूक न जायें। वो लिखों ... सोच जहाँ थम न जायें। जिंदगी के सोपानों से होती हुई। क्षितिज तक लें जायें। जिंदगी के तमाम पहलू, लिखों। कुछ आम,कुछ खास, लिखों।। ईश्वर को, अभार व्यक्त करते हुयें। जीवन की कहानी लिखों। वेदों की जीवन में, बहती रवानी। लिखों।। लिखों........... मानवता सर्द क्यों हो गई है। ईश्वर की बनाई। स्वर्ग रूप धरती को, नरक में क्यों झोंक रही है। लिखों.......... दिलों में अब, प्रेम के बीज। अंकुरित क्यों होते नही अब। मानवता अपने हाल पर। क्यों..... यार-यार रो रही है। लिखों......... हम क्यों अपनी, सभ्यता भूला गये। हम तो..... अंधविश्वासों से , लड़न...
काम नही–वेतन नही
कविता

काम नही–वेतन नही

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** काम है.... तो वेतन है। अक्सर यही कहा जाता है। ईश्वर तो अपने काम का, कोई भी वेतन नही पाता है। बस सब बनाये जाता है। काम है... तो वेतन है। बस इंसानी कामों को, वेतन दिया जाता है। काम करा कर, धनाढ्य सेठों द्वारा, वेतनभोगी का, आधा हिस्सा मार लिया जाता है। वो जीवन की जरूरतें भी, बड़ी मुश्किल से जुटा पाता है। साहूकार बनता जाता है, दूसरे के मारें वेतन से, तनता जाता है। फिर अपने नीचें, काम करने वालों पर, अपशब्दों से चढ़ता जाता है। वेतन पाने वाला, मंहगाई से दबता जाता है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अप...
मैं गांधी ना बन पाऊंगा
कविता

मैं गांधी ना बन पाऊंगा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** सत्य के मार्ग पर... तो चलूंगा। लेकिन भ्रष्ट सोच को, अहिंसा से कैसे मिटाऊंगा। मैं गांधी ना बन पाऊंगा। क्या......... मैं गांधी बन। एक गाल पर चांटा खाकर, दूसरा गाल भी, सामने कर जाऊंगा। नहीं..........मैं मजलूमों पर उठने वाला, हाथ तोड़ कर आऊंगा। मैं गांधी ना बन पाऊंगा। जुल्मों के खिलाफ... क्या..? धरना देकर मांग पत्र दे जाऊंगा। मैं आजाद हिंद की, क्रांति को कैसे मूक कर जाऊंगा। मैं गांधी ना बन पाऊंगा। कमजोर बेसहारों के लिए, आवाज से लेकर हाथ तक उठाऊंगा। मैं अहिंसा की कदर करता हूं। लेकिन जो नहीं समझते, उन्हें हिंसा से ही समझाऊंगा। मैं देश के गद्दारों से, अहिंसा के संग कैसे लड़ पाऊंगा। इनको इनकी भाषा में ही, अहिंसा का सबक सिखाऊंगा। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
दिनकर
कविता

दिनकर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** साहित्य जगत के "अनल" कवि का, धैर्य जब चक्रवात पाता है। तब "दिनकर "भी "दिनकर" से, दीप्तिमान हो जाता है। "ओज" कवि "रश्मिरथी "पर, जब-जब हुंकार लगाता है। "आत्मा की आंखें " कैसे ना खुलेगी। पत्थर भी पानी हो जाता है। साहित्य जगत के "अनल "कवि का। "भारतीय संस्कृति के चार अध्याय" रच कर, भारत का विश्व में नाम किया। "कुरुक्षेत्र "रच कर। आधुनिक गीता का निर्माण किया। "शुद्ध कविता की खोज" में निकला। "उजली आग का स्वाद" चखा। रेणुका, उर्वशी, रसवंती, यशोधरा का द्वंद गीत लिखा। सपना देख के "सूरज के विवाह" का। "हारे को हरी नाम "भज कर। अंतिम इतिहास रचा। कैसे भूल सकता। साहित्य दिनकर को, उसने जो इतिहास रचा। "अर्धनारीश्वर "की सार्थकता को, साहित्य वन में छोड़ चला। साहित्य भूला नहीं सकता। ज्ञान, पदमभूषण, भूदेव के अधिकारी को। सिमरिया की माटी क...
मैं हिंद की बेटी हिंदी
कविता

मैं हिंद की बेटी हिंदी

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** भारत के, उज्जवल माथे की। मैं ओजस्वी ......बिंदी हूँ। मैं हिंद की बेटी .....हिंदी हूँ। संस्कृत, पाली,प्राकृत, अपभ्रंश की, पीढ़ी-दर -पीढ़ी ....सहेली हूँ। मैं जन-जन के, मन को छूने की। एक सुरीली .......सन्धि हूँ। मैं मातृभाषा ........हिंदी हूँ। मैं देवभाषा, संस्कृत का आवाहन। राष्ट्रमान ........हिंदी हूँ।। मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ। पहचान हूँ हर, हिन्दोस्तानी की.... मैं। आन हूँ हर, हिंदी साहित्य के अगवानों की........मैं।। मां, बोली का मान हूँ...मैं। भारत की, अनोखी शान हूँ......मैं।। मुझको लेकर चलने वाले, हिंदी लेखकों की जान हूँ ....मैं। मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ। मैं राष्ट्र भाषा .........हिंदी हूँ। विश्व तिरंगा फैलाऊँगी। मन-मन हिन्दी ले जाऊँगी।। मन को तंरगित कर। मधुर भाषा से। हिंदी को, विश्व मानचित्र पर, सजा कर आ...
मुद्दे उठाए जाते हैं
कविता

मुद्दे उठाए जाते हैं

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मेरे देश में, मुद्दे उठाए जाते हैं। जिंदगी के असल सच से, लोगों के ध्यान हटाए जाते हैं। घटना को, घटना होने के बाद, देकर दूसरा ही रुख। असल घटनाओं पर, पर्दे गिराए जाते हैं। मेरे देश में मुद्दे उठाए जाते हैं। जिंदगी किन, हालातों में बसर करती है। पंचवर्षीय सरकारों में, अमीर- गरीब के मापदंडों में, मध्यवर्ग को, बस वायदे ही थमाए जाते हैं। मेरे देश में, मुद्दे उठाए जाते हैं। जागे.....असल पहचानिए। जो कानों को, सुनाया जाता है। आंखों को दिखाया जाता है। दो रोटी कमाने के लिए, हम और आप कितनी लड़ाई लड़ते हैं। हमें मुद्दों में, कितना बहलाया जा रहा है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
कोरोना काल और शिक्षक
कविता

कोरोना काल और शिक्षक

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** कोरोना काल में घर में बंद होकर। सबको जिंदगी के अहम सबक याद आए।। कोरोना काल में घर में बंद होकर। सड़कों पर भटकते मजदूर, गरीब होने की सजा पा रहे थे। जिंदगी के अच्छे दिन आएंगे। यह स्लोगन भी याद आ रहे थे। कोरोना ने कर दिया..क्या हाल। टीवी देख कर आंख में, कुछ के आंसू भी आ रहे थे। विडंबना देखिए ..... हालात और शिक्षण नीतियों के मारे। शिक्षक किस हाल में है। ना किसी को प्राइवेट, और ना सरकारी शिक्षक याद आ रहे थे। जो इस महामारी में, समस्त विषमता से परे। दुनिया को कोरोना क्या शिक्षा दे रहा है। इस बात से अनभिज्ञ, ऑनलाइन पाठ पुस्तकों के चित्र घूमा रहे थे। बस ऑनलाइन सिस्टम की, कठपुतलियां बन के, बच्चों को नोट- पाठ्यक्रम पहुंचा रहे थे। जिंदगी की सच्चाई से ना खुद शिक्षित हुए। ना इसका मूल्य समझा पा रहे थे। कोरोना जिंदगी को, जिस हाशिए पर ख...
श्रद्धा ही श्राद्ध है
कविता

श्रद्धा ही श्राद्ध है

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** श्रद्धा ही श्राद्ध है। इसमें कहाँ अपवाद है। सत्य .....सनातन सत्य। जो वैज्ञानिकता का आधार है। इसमें कहा अपवाद है। श्रद्धा ही श्राद्ध है। सत्य-सनातन संस्कृति पर, जो उंगलियां उठाते है। इसे ढोंगी, ढपोरशंखी बताते है। वो भरम में ही रह जाते है। आधें सच से, सच्चाई तक, कहाँ पहुंच पाते है। श्राद्ध श्रद्धा और विश्वास है। यह निरीह प्राणियों की आस है। यह मानव कल्याण का सृजन है। यह पर्यावरण का संरक्षक है। यह ढ़ोग नही है। यह ढ़ाल है। यह मानव का आधार है। इसीसे निकलें, सभी धर्म और विचार है। सत्य सनातन को , कौन झुठला सकता है। लेकिन अफवाहें फैला कर। इस पर आक्षेप तो लगा ही सकता है। रीतियों को, कुरीतियां बता कर, कटघरे में खड़ा तो, कर दिया गया। क्या......? हमनें और आप ने, सच को समझने का, कभी हौंसला किया। हम समझें नही। लेकिन हमने, हां में हां तो ...
जय मंगलमूर्ति
भजन

जय मंगलमूर्ति

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जय मंगलमूर्ति ...श्री गणेशा। जय विघ्न विनाशक। हरो कष्ट कलेशा।। संपूर्ण विश्व का उद्धार हो। जीवन का आविर्भाव हो। विपदा में दुनिया है सारी। बस तुम पर आस बंधी भारी। अब कोरोना का संहार हो। जीवन का नवनिर्माण हो। जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा। जय विघ्न विनाशक हरो कष्ट कलेशा। सारी दुनिया थम -सी गई है। तेरी करुणा जम- सी गई है। संकट में शुभ और लाभ है। व्यवसायों से लक्ष्मी थम- सी गई है। जय मंगलमूर्ति श्री गणेशा। करो कृपा अब कल्याण हो। दरिद्रता का कुछ समाधान हो। रिद्धि-सिद्धि का विस्तार हो। कोरोना का पातक काल हो। जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा। जीवन का अब विकास हो। चिंता का कुछ ह्रास हो। शुभ काज का आविर्भाव हो। नित नव नवीन संसार है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
कलम का सिपाही : कथा सम्राट प्रेमचंद
कविता

कलम का सिपाही : कथा सम्राट प्रेमचंद

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** कलम सिपाही प्रेमचंद ने, मानव चरित्र का आख्यान लिखा। धनपत राय श्रीवास्तव से, प्रेमचंद हो, जीवन का संपूर्ण व्यवधान लिखा। कलम सिपाही प्रेमचंद ने, समाज में फैली बुराइयों को, दूर करने का संकल्प लिखा। मानसरोवर के आठ भागों में, देकर कहानियों के ३०१ मोती। उस युग का महा त्राण लिखा। कलम सिपाही प्रेमचंद ने, मानव चरित्र का आख्यान लिखा। कर्मभूमि की राहों में, रंगभूमि का नया आयाम लिखा। नारी की दुर्दशा सहेज कर, मंगलसूत्र का प्राण लिखा। विधवा विवाह की कर अगवाही, कायाकल्प का आगाज़ लिखा। कलम सिपाही प्रेमचंद ने, मानव चरित्र का आख्यान लिखा। देकर नवजीवन, नवल सोच साहित्य को, वह कथा सम्राट नौ कहानी संग्रह, नौ उपन्यास का, कर योग गया। प्रथम अनमोल रत्न साहित्य का, कर गोदान, कफन में, लिख जीवन सारांश का, अंत गया। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" नि...
शिव
कविता

शिव

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** शिव जीवन है। शिव मरण है। शिव सत्य है। शिव सनातन है। शिव ओ३म है। शिव वेद है। शिव विधान है। शिव गीत है। शिव नाद है। शिव धरा है। शिव व्योम है। शिव नदियां है। शिव महासागर है। शिव शिला है। शिव शिखर है। शिव रस है। शिव स्वाद है। शिव वन है। शिव मन है। शिव ज्ञान है। शिव विज्ञान है। शिव शक्ति है। शिव भाक्ति है। शिव प्रश्न है। शिव उत्तर है। शिव साकार है। शिव निराकार है।   परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के...
वक्त के साथ
कविता

वक्त के साथ

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** वो गलिया, वो दरवाज़े बदल जाते है। बचपन के चाव, जवानी आते-आते ठहर जाते है। कहाँ ढूँढे कोई, यादों के घरों को, यह तो चेहरे -दर-चेहरे वक्त के साथ बदल जाते है। हर एक का, हर एक से, निश्चित है समय। बीते वक्त में, अब जा के कही कोई मिलता है कहाँ वो दोस्त मेरे, वो भाई मेरा, वो छोटी बहनें एक छोटा -सा घर मेरा। एक सपना था मेरा। मां-बाप तक ही, यहाँ सारी, दुनिया सिमट जाती थी। मेरे घर से छोटी -सी सड़क शहर तक भी जाती थी। वक्त गुजरा, सब बदल गया। कोई मोल न था, जिन लम्हों का आज लगता है कि, सब वे-मोल गया। मैं बदला, सब बदल गया। मैं हूँ वही, पर अब वो सब। वो नहीं कहीं। वो गलिया, वो दरवाज़े, अब बुलाते नही। वक्त के साथ, उन से मैं, मुझसे वो अनजान सही। क्योंकि वो चेहरे पुराने अब कहीं नज़र आते नही। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन...
लाइब्रेरी
लघुकथा

लाइब्रेरी

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** (हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजिट अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित लघुकथा) शेफाली लाइब्रेरी में कुछ किताबें ढूंढ रही थी। उसने जो कल किताब पढ़ी थी वो इसी जगह रखी थी। लेकिन अब उसे उसी जगह पर वो किताब मिल नहीं रही थी। उसने उसी विषय की दूसरी किताब उठा ली।यह सोच कर कि हो सकता इसमें वो चैप्टर उसे मिल जाए वो किताब लेकर टेबल पर बैठ गई।  तभी .....उसने वही किताब सामने वाले टेबल पर देखी। वह पहचान गई कि यह वही किताब थी उसके कवर पर पीला रंग -सा लगा हुआ था। वह पहचान गई इससे पहले वे देखती कि किताब किसके पास है वह लड़का किताब उठाकर लाइब्रेरी से निकल गया। वह उसका चेहरा भी नहीं देख पाई। मन में यह सोच कर कि चलो, वह पढ़ के किताब रख देगा। लाइब्रेरी से वह आज नहीं तो कल किताब ले लेगी। अगले दिन वह फिर किताब ढूंढने गई क्योंकि जो किताब उसन...
ग्रहण…. मानते हैं
कविता

ग्रहण…. मानते हैं

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** प्रकृति के, प्राकृतिक चलन पर। कितने विरोधाभास उठाते हैं। ग्रह -नक्षत्रों को, पढ़ने की बात करते हैं। लेकिन ..........??? अपने से ही, अनजान रह जाते हैं। ग्रहण ....मानते हैं। कितने अनिष्ट ग्रहों की, सूची को गढ़ जाते हैं । लेकिन अपनी सोच पर, अंधविश्वास के लगे, ग्रहण का कोई हल नहीं पाते हैं। ग्रहण ......मानते हैं। भगवान..... मानते हैं। सब अच्छा ...करता है। यह .......भी मानते हैं। फिर .....बुरे पर, तिलमिलाते हैं। बुरा ..... क्या है। अपनी सहूलियत के लिए, क्यों .........हमारे, संवाद बदल जाते हैं। शायद...... हम, भगवान को भी, आधा ही मानते हैं। अजीब ढोंग ओढ लेते हैं। खुद प्रश्न देकर, खुद उत्तर गढ़ लेते हैं। जब सहूलियत का, प्रश्न आता है। हम बीच वाला, रास्ता पकड़ लेते हैं। जबकि .........हम सब, अपनी सहूलियत से ही, अपने फायदे के ल...
किसे चुनें
कविता

किसे चुनें

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जिंदगी अगर खुद को चुनती। फिर वो मौत का फंदा ना बुनती। जिंदगी अगर खुद को चुनती। दूसरों पर रखी , उम्मीद जब है थमती।। खुद को हार कर, जिंदगी की आस जब है जमती।। जिंदगी अगर खुद को चुनती। फिर वो मौत का फंदा ना बुनती।। जिंदगी अगर खुद को चुनती। कर खुद पर भरोसा, जब तक, सांसों की डोर है चलती।। साथ अपने हिम्मत से, हर बात है बनती। मुश्किलें दौर भी, आकर चला जाएगा। बदल अपनी सोच , सब कर है सकती।। खुद से जो फिर हार गया, अपने सामने ही, हथियार डाल गया। मौत उसे है चुगती।। जिंदगी जब खुद को चुनती। फिर वो, जिंदगी की कहानियां ही बुनती।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहान...
बाल-श्रम
कविता

बाल-श्रम

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मेहनत कर करता गुजारा। जीवन का कर्म एक सहारा। किस्मत ने किया जिसे वरण , बाल-श्रम की व्यथा मर्म-मर्म। हर कोई है दुत्कार जाता। कोई प्यार से कभी पास बुलाता। छोटे हाथों के बड़े कर्म, बाल-श्रम की व्यथा शर्म-शर्म। जीवन के संघर्ष से लड़ता। अपने फर्जो को पूरा करता। बचपन खेल के बस रहे भरम। बाल-श्रम उन्मूलन हो धर्म-धर्म। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अ...
पर्यावरण रक्षक कोरोना
कविता

पर्यावरण रक्षक कोरोना

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मानव पर्यावरण संरक्षण के नारे लगाता था । हर साल ५ जून को पर्यावरण दिवस मनाता था। जल प्रदूषण, गाड़ियों का, फैक्ट्रियों का धुआं कम करें। घटते वन्य जीवन और जैवीय दुष्प्रभावों का कुछ मनन करें। जनसंख्या विश्व की अगर इसी तरह बढ़ेगी । विश्व वृद्धि से पर्यावरण की गति घटेगी। मानव बस नाटकीय सोपान पर चिल्लाता रहा । पर्यावरण का गला घोट जीव-जंतुओं को खाता रहा। अधिनियम बनाता रहा। प्रदूषण के नाम पर पर्यावरण सरंक्षण को भक्षक बन खााता रहा। कोरोना रक्षक बनकर आया।पर्यावरण को दूषित मुक्त बनाया। सारे प्रदूषण साफ कर दिए।मानव को घर में कैद कराया। कोरोना तो सचमुच पर्यावरण का रक्षक बनकर आया। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रक...
तंबाकू से जिंदगी
कविता

तंबाकू से जिंदगी

तंबाकू से जिंदगी बचाएं जिंदगी तंबाकू की हवा में मत उड़ाएं। आज जिसे पी रहे .......??? एक नशे..... एक उन्माद में, ऐसा ना हो यह जिंदगी पी जाएं। जिंदगी तंबाकू की हवा में मत उड़ाएं। जिंदगी के एहसास को, लंबी-लंबी सांसो में जी जाएं। ऐसी सांस तंबाकू के साथ ना लें। जिससे जिंदगी काले धुएं में खो जाएं। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻...
जीवन और परिवार
कविता

जीवन और परिवार

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जीवन को समृद्ध करने के लिए, जब परिवारिक इकाई, समाज ने बनाई। फिर क्यों ........??? आज के परिवेश में, घर बना कर, परिवार बनाकर। जिंदगी बस, अपने-अपने, कमरे तक ही समाई।। जबकि जिंदगी को, समृद्ध करने के लिए, जब हम और आपने, परिवारिक इकाई, समाज के विकास के लिए बनाई। क्यों हमने ......सोचा नहीं। हर आने वाली, पीढ़ी पर ही, गलती-दर-गलती ठहराई। परिवार तो बना लिए, लेकिन एक-दूसरे के सम्मान पर, जब सवाल ही उठा दिए। कुछ ने अपने फायदा के लिए, परिवार में, राजनीतिक दल बना लिए। एक छत के नीचे, एक- दूसरे से मुंह-चिढ़ा रहे। शायद आज........ इसलिए वक्त ने सब के, मुंह पर मास्क चढ़ा दिए।। जिंदगी इतनी बिखरी, ना घर -घर के, न घाट के रहे। अब भी वक्त है ....…!!!!!!!! संभल जाएं। घर जीवन की इकाई है। खुशियों के साथ, मुस्करा कर, इसे अपनाएं। घर -परिवार नाम के नहीं। इ...
अजीब दुनिया
कविता

अजीब दुनिया

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** बड़ी अजीब दुनिया है....तेरी समझ नहीं पाता हूँ। बन के धर्मात्मा, गीता उपदेश सुनाती हैं। भीतर से, अपने मतलब को, पूरा करने के लिए, शकुनि की तरह, चालबाजियों की, विसात सजाती हैं। दूसरे ही पल, बुरा नहीं करना, लम्बा भाषण दे जाती है। फिर कानों में, कानों से, कितनी बातें कह जाती है। झूठ और सच को बड़ी, सफाई से तराश लाती है। सच सुन नही पाती। झूठ के पुलिंदे उठा लाती है। फिर अपने पापों को, छुपाने के लिए गंगा नहा आती है। कितने नाटकीय सोपानों को, एक साथ कर जाती है। बुरा जमाना आ गया। यह राग तो गाती हैं। अपने भीतर के जहर को, कहाँ निकाल पाती है। प्रेम की बातें तो करती है। प्रेम से खाली ही रह जाती है। कितनी सुंदर दुनियाँ बनाई तूने। क्या अहसास छीन लिए...... जब लोगों से दुनियां सजाई तूने।। यह दुनियां तेरी...... कितने चेहरे लिए जीयें जाती है। बदल जात...
मुझे अफसोस रहेगा
कविता

मुझे अफसोस रहेगा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मुझे .......अफसोस रहेगा। जिदंगीयों को, अंधविश्वासों से दूर ले जाता। प्यार से जिंदगी है। यह बात समझा पाता। विश्वास का, एक छोटा-सा ही सही। पर... एक घर बना पाता। समझ कर भी, न-समझी का खेद रहेगा। मुझे .......अफसोस रहेगा। अंधेरे दूर हो जायें, दिलदिमाग से भरमों के। अंधविश्वास की सोच से, निकाल कर, जो तर्क समझा पाता। चिराग तो बहुत जलायें। लेकिन........? चिरागों तले जो रहे अंधेरे, उन्हीं का भेद रहेगा। मुझे ......अफसोस रहेगा। जिदंगी ईश्वर की अमूल्य नेमत। नही दे सकता। किसी बाबा का....कोई धागा। हिम्मत से संवारो, अपने जीवन को। न खोना, बहमों में अपने , आज और कल को। भटकन को अपनी समेट कर। ईश्वर का सत्य-संवाद रहेगा। और तब तक वेद-विज्ञान रहेगा। फिर न कोई खेद और न भेद रहेगा। समझ जायें तो.... अच्छा है। फिर न कोई अफसोस रहेगा। . परिचय :- प्रीति ...
अग्नि परीक्षा
कविता

अग्नि परीक्षा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** सीता की अग्नि परीक्षा..... ..कब तक सीता की अग्नि परीक्षा ...कब तक नारी के आत्मसम्मान पर, उठते रहेगें। प्रश्न???? शायद जब तक। सीता की अग्नि परीक्षा ...तब तक। जब तक नारी तुम मूक रहकर, सब सहती जाओगी। भीख में कैसी...... इज्जत पाओगी। बस हां में हां मिलाओंगी तब तक तुम देवी रूप पूजी जाओगी। तुम्हारे विद्रोह का ......एक शब्द, विचलित ना कर दे, "पुरुष" अहम को जब तक सीता की अग्नि परीक्षा ....तब तक। नारी के आत्मसम्मान पर उठेंगे प्रश्न जब तक। खोखले आदर्शों की वेदी पर सती होगी तुम तब तक। आंखों में नमी पर होठों पर हंसी लेकर हंसोगी जब तक। अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ोगी जब तक। सीता की अग्नि परीक्षा होगी हर नारी रूप में तब तक। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी...
जय मां बगलामुखी
कविता

जय मां बगलामुखी

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** पीतांबरा है नाम तुम्हारा। दसमहाविद्या में आठवां स्थान तुम्हारा।। सिद्धिदात्री तुम कहलाती। वाक् सिद्धि को सिद्ध कर जाती।। वाद-विवाद में विजय दिलाती। शत्रु का स्तम्भन कर जाती।। पीतरूप मां को है प्यारा। जन-जन को लगे हैं न्यारा।। पाप पाखंड को दूर है करती। शत्रु की जीवा को हरती।। "वीर रात्रि" की जो साधना करता। छत्तीस अक्षर मन में धरता।। कमी कोई रहने ना पाएं। तंत्रिका-मंत्रिका सिद्ध कर जाएं। बगला सिद्ध विद्या वह पाएं। एकाक्षरी मंत्र जो सिद्ध करे जाएं। हर संकट से मां बचाएं। बुद्धि-सिद्धि जय मां से पाएं। वीरवार को ध्यान जो करता। मां से उसको ज्ञान है मिलता।। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते...