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औरत
कविता

औरत

पूनम धीरज राजसमंद, (राजस्थान) ******************** एक औरत की कोख से जन्मी है एक औरत। एक औरत जननी बनी, लाडो है एक औरत।। एक औरत संस्कार भर रही, नखराली-इठलाती एक औरत। एक औरत ममता की प्याली, भोली सी मतवाली एक औरत।। एक औरत है बनी सुहागन, खुशी से छलक उठी एक औरत। एक औरत पिया के घर चली, घर में अकेली रही एक औरत।। एक औरत ने सजाए स्वप्न नए, पूरे कर्तव्य करें एक औरत। एक औरत चली लक्ष्मी बन, चिड़िया को विदा करें एक औरत।। एक औरत गृह प्रवेश करें, आरती का थाल लिए एक औरत। एक औरत नई नवेली सी, घर की बुनियाद बनी एक औरत।। एक औरत की मुंह दिखाई पर, वारी जाए एक औरत। एक औरत वंश बढ़ाने वाली, दायित्वों से विश्राम पाए एक औरत।। एक औरत सीमा की रक्षक, ज्ञान प्रदान करे एक औरत। एक औरत ने थामी कमान, कमाने वाली भी एक औरत।। एक औरत पर्वत को लांघ रही, सागर पार करे एक औरत। एक औरत रंगोली सजा रही, देश भी सजा रही एक औरत।। ...
मानव श्रृंगार की बात करो
कविता

मानव श्रृंगार की बात करो

पूनम धीरज राजसमंद, (राजस्थान) ******************** ना सम्मान की बात करो ना अपमान की बात करो ना किसी अस्तित्व की छेड़ो धुन बस तुम प्यार की बात करो सम्मान मिले ना अपनों से सम्मान मिले ना सपनों से सम्मान मिले स्व कर्मों से अपने कर्तव्य की बात करो अपमान से दिल पर चोट लगे अपमान से तन पर खोट लगे अपमान से अविचलित रह कर अपने स्वाभिमान की बात करो अस्तित्व तुम्हारा खोकर भी तुम मैं खुद को पा जाएगा आदर्श बनो अपने ही लिए अपने आत्माभिराम की बात करो चाहो तो स्नेह सदा चाहो पालो तुम प्यार का पूरा ज्ञान हो सर्व समर्पित प्रेम प्रति मानव श्रृंगार की बात करो परिचय : पूनम धीरज जन्म : १८ जून १९८३ निवासी : राजसमंद, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय ए...