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Tag: परमानंद सिवना “परमा”

होली अइसे खेलहु
आंचलिक बोली, कविता

होली अइसे खेलहु

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी बोली होली अइसे खेलहु कि सब ला खुशी होये, अइसे झन खेलहु कि मां बाप के नाम बदनामी होये.! हरियर, पिवरी, लाल, गुलाबी लगाहु सबला रंग जी, भाई-चारा के रिश्ता निभाहु सबला रखहु संग जी.! मया-पिरित के गोठ गोठियाहु बबा-दाई ला रंग लगाहु, उत्साह-उमंग के साथ मनाहु होली तिहार जी.! ऐकता अउ खुशहाली के तिहार ये, येला भगवान भी मनाये बर करथे इंतिजार ये.! बबा के गीत जोरदार हे.. होली खेले रघुवीरा अवध में,, इही हमर संस्कृति अउ परम्परा जोरदार हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
नवा साल के अगोरा
आंचलिक बोली, कविता

नवा साल के अगोरा

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता सगा बरोबर सब रददा देखत हे, नवा जिनगी शुरु करें बर अगोरा करत हे, जम्मो जन नवा साल के आगोरा करत हे.! नोनी बाबु नवा साल बर पिकनिक मनाये के तैयारी करत हे, नवा जोड़ी शादी के बंधन में बंधे के अगोरा करत हे.! नवा साल सबके जीवन में मंगल हो, हर गांव में नचई-गुदई अउ सत्संग के तैयारी चलत हे.! नवा साल मा प्रेमी-प्रेमिका अपन प्रेम के इजहार करें बर अगोरा करत हे, नवा साल मा सब अपन जीवन मा परिवर्तन करें के अगोरा करत हे.! जम्मो जन नवा साल अगोरा करत हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कह...
नदावत हे
आंचलिक बोली

नदावत हे

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता खेत-खेत भारा राखे, कोठार बनाई नदावत हे, थ्रेसर के जमाना आगे, गाडा-बइला के मिजाई नदावत हे.! पहली लइका मन सीला बिने ला जाये, सीला बिने अउ बेचे मुर्रा अउ लाडु लाके खाये, अबके लइका स्कुल ले आये मोबाइल मा बीजी हो जाये.! पाठ चुड़ी बोईर काटा घलो नदावत हे, कोठार मा झाला बनाई सब्बो माजा बुलावत हे.! अब खेते मा मिन्जे अउनचे ले धान ला सोसाइटी ले जावत हे, हमर संस्कृति परम्परा नदावत हे, सुर कलारी नेग जोग सब मजाक बनावत हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
टुरी खोजाई
आंचलिक बोली, कविता

टुरी खोजाई

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता ऐ गाँव ले वो गाँव चलत हाबे घुमाई, जेला कथे छत्तीसगढ़ मा टुरी खोजाई.! एक सियान हे ता दो नवजवान हे, गाडी मा बइठे नशा करे बिगडे जुबान हे.! कोनो सच बतात हे खेती किसानी इही मोर अभिमान हे, ता कोनो जुट गाडी बंगला कई ऐकड खेत कही कही के बतात हे.! जुठ लबारी तोर काम नई आये, काम अही तोर व्यवहार हा, टुरी (लडकी) मत खोजो, खोजना हे ता घर बर बेटी खोजो.! पइसा वाले जन देख-देख ले वोकर घर परिवार व्यवहार ला, पइसा वाले मारही पीटही झगडा करही व्यवहारवान बेटी ला सम्मान दीही.! ! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
पित्तर
आंचलिक बोली, कविता

पित्तर

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** जियत ले दाई ददा ला पानी बर तरसाये, मरे मा पित्तर मनावत हस, बरा सुहारी खुरमी बनाके, काउआ ला तै खिलावत हस ! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस ! जनमदिस परवरिश करिस तेला ते बुल जावत हस, जइसे करबे वइसे पाबे यही कहानी बनावत हस ! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस ! जियत ले ते रोज लडे, काली अइस ते बाई के चक्कर मा आये, दाई ददा के खाना पीना ला बंद कराय पापी में तुहु अब गिन्ती आये ! जियत ले खाये बर तरसाय मरे मा गांव गांव ला नेवता देवत हस, वोकरे धन संपत्ति ला रख के होशियारी देखावत हस.! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस.! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
नादिया बइला के तिहार
आंचलिक बोली

नादिया बइला के तिहार

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता खेती-किसानी किसनहा के तिहार ये, छत्तीसगढ़ मा नादिया बइला के तिहार हे ! जम्मो ढीह डेवहारिन मा नादिया बइला चघाये, हुम धुम ले जम्मो देवता धामी ला प्रसन्न कराये ! पोरा जाता नादिया बइला के पुजा करथे जम्मो किसान हा, बरा सुहारी के भोग लगाथे, अउ गांव-गांव आनी बानी के खेल कराथे ! पोरा जाता नोनी खेले, बाबु टुरा नादिया बइला सन खेले, बुढ़वा जवान गेड़ी जागे, दाई वोला मुच मुच मुसकाये ! पोरा तिहार के बिहानदिन तेल हरदी रोटी गांव भर के सकलाये, नार बोर कहिके जम्मो गेड़ी ला गांव के निइकलती मा छोड़ आये !! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
हड़ताल
कविता

हड़ताल

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता रही-रही के हड़ताल करें, लइका के भविष्य ला खराब करे, अब तो हड़ताल कराईय खेलवना होगे, लइका के जिनगी नदिया बइला होगेहे.! अपन लइका ला प्रावेट स्कूल मा पढ़ाथे, नौकरी सरकारी मा लगाते, गरीब के लइका सरकारी स्कूल मा पढ़ें जिहा शिक्षक हड़ताल करें.! हड़ताल करना कोई गुनाह नो हरे अपन हक बर लडे के एक तरीका हरे, लेकिन जरुरत ले ज्यादा हड़ताल लइका के जीवन ला बेकार करें.! जतना तुहर एक महीना के वेतन हे, उतका तो किसान के कमाई नई हे.! तिहा ले किसान उतना मा ही जीवन यापन करे.! वहीं हड़ताल सैनिक करही ता दुश्मन देश मा घुस जही, विघार्थी ला सही राह देखातेव तुमन तो हड़ताल ले फुर्सत नई मिलत हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : म...
भाई-बहनी के त्यौहार
आंचलिक बोली

भाई-बहनी के त्यौहार

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी भाई-बहनी के त्यौहार हे, छाये खुशियों के बौछार हे, बड़े-छोटे के आशिस पाइस, इही हमर संस्कृति अउ संस्कार ये.! छोटे से धागा जेमा बहनी के मया भराय हे, वहीं धागा के मान रखे भाई, बहनी के रक्षा जीवन भर करें.! भाई के मया बहनी बर जीवन भर रथे, रक्षाबंधन, तीजा-पोरा, बहनी भाई बर उपवास रथे.! रक्षाबंधन परिवारीक त्यौहार ये, नन्हे हो या बड़े सब्बो बर एक समान ये, बहनी बर भाई अउ परिवार के मया ही ओकर बर उपहार ये.! जतका अपन बहनी ला इज्जत सम्मान देथो, उतका दुसर के बहनी ला भी इज्जत करबे ते, होही समाज राष्ट्र के उत्थान हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं म...
पुरखा के सुरता
आंचलिक बोली

पुरखा के सुरता

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी नवा-नवा जिंदगानी हे, पुरखा के अब बस पहचानी हे, नवा-नवा आभुषण होंगे, अइठी, बिछवा चिन्हारी होंगे.! चिमनी, कन्डील कहानी होंगे, कुमडा बघवा कहानी पुरानी होगे, दाई के गोधना, अउ अइठी देखें जिन्दगी होंगे.! बबा के पागा, अउ धोती पहने हाथ लाठी, संस्कृति परम्परा मा बबा दाई रहाय अब लइका मन मेछरावत हे.! पहली के मन अनपढ़ रहाय फिर भी परिवार एकता मा रहाय, अबके मन पढ़े-लिखे परिवार दुरियां रहाय.! हम दो हमारे दो कहीके जीवन चलाय, जे जनम दिस तेला छोड़ के ते खुशी मनाये.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, ...
आषाढ़
आंचलिक बोली

आषाढ़

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी करीया-करीया बादर ते रोज बरसात हस, आषाढ़ के महिना मा रोज चमकत-गरजावत हस.! खेत-खार ला भर देहस, टैक्टर नई चले नागर के पाग कर देहस, अब तो नागर बइला नदा गेहे, जेकर कर हाबे पइसा ला बढ़ा देहे.! लोग-लइका जुरमिल के टोक (खेत के कोना) खने बर जावत हे, बबा नागर चलावत हे ता दाई देख के मुसुर-मुसुर मुसकावत हे.! ज्यादा पानी बरसे बिजली चमके ता लोगन घर मा खुसर जावत हे, चना-मसुर खावत हे मया के गोठ गोठियावत हे, आषाढ़ के महिना रिमझिम रिमझिम पानी बरसात हे सुन्दर नजारा दिखात हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी क...
येसो के गरमी बिक्कट हे
आंचलिक बोली

येसो के गरमी बिक्कट हे

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी बबा दाई हलाकान हे, येसो के गरमी मा परेशान हे, दिन अउ रात पटका (गमछा) मा दुखत बइठे, गांव मा बर-पीपर के सुघ्घर छांव हे.! गरमी अउ महंगाई सन्गरा आगे लोगन के मुठी पीरा गे, गरमी कर देहे बुरा हाल हे सर्दी बुखार आहु काल हे.! गरमी के महीना मा भोजन ले ज्यादा जल ही जीवन ये, बेजुबान जानवर अउ चिरई-चुरगुन राहगीर ला पानी ही सहारा ये.! शहर ले अच्छा मोर गांव हे, ऐसी-कुलर ले बढीया रुक छईया के सुघ्घर छांव हे, गांव के ढीहडेवाहिरन ला परमा के प्रमाण हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
महंगाई
आंचलिक बोली

महंगाई

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी सुबह-शाम लोगन हलाकान हे, महंगाई ले परेशान हे, अच्छे दिन अही कही के सबला भरमात हे.! गर्मी ले ज्यादा तो महंगाई पसीना निकाल दीस, गरीबी के रददा देखावद हे, अच्छा दिन ला लुकावत हे, दु:ख ला बलावत हे.! जीवन जीये मा परेशानी कर दीस ये महंगाई हा, कर्जा ऊपर कर्जा करा दीस ये महंगाई हा.! अकेले नहीं पुरा देश के कहानी हे, गरीब के कोनो नई हे सहारा, छोड दिस बेसहारा, कर्जा बोडी के चक्कर मा होगे हे परेशान, ये महंगाई सब ला कर दे हे हलाकान.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्...
नौ दिन के त्यौहार नवरात्रि
आंचलिक बोली

नौ दिन के त्यौहार नवरात्रि

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी नौ दिन के त्यौहार हे माता के लगे दरबार हे, संकट के हराईया, सुख सम्रध्दी के देवईया माता के त्यौहार हे.! मंदिर देवालय सब दो साल ले बंद रिहिस भक्तों के मन मे दुख रिहिस, इही साल कृपा ला बनादे संकट ला हटा दे, सबके जीवन मा खुशियां बना दे.! लगे हे दरबार माता के सब भक्तन खडे हे झोली फयलाये, माता के कृपा आपार हे जइसे करबे वइसे फल मिलही तभी मानव जीवन के उध्दार हे.! नव दिन ले नव रुप धरतस दुष्टो के संघार करतस, आती बेरा खुशी लाथस विदा के बरे आसु आ दे जातस..!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं...
ज्ञानी सन मिलो तो
आंचलिक बोली

ज्ञानी सन मिलो तो

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी ज्ञानी सन मिलो तो ज्ञान मिलही सच्चाई के रास्ता मिलही, अज्ञान से मिलो तो गलत व्यवहार सिखे ला मिलही.! संसार मे दो तरह के इंसान अच्छा बुरा तोला इही मे चुने ला पढही, अच्छा बुरा के संगत ला परखे ला पढही.! अच्छाई के बात बताही जो जन्म दिये मां बाप और गुरु, ये दुनिया मे इज्ज़त बनाही तोर व्यवहार.! संगत ला जान ले सुख दुख के रददा ला पहिचान ले, सब के इज्ज़त करले दुनिया मे इज्ज़त सम्मान कमा ले..!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाया...
होली – हैवानियत
कविता

होली – हैवानियत

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** रंगों कि पीछे छिपे होते है हैवानियत, नशा पान करके भांग पीकर मांस खाकर उर्ग होते है परेशानीयां.! रंगों कि होड मे गलत करते कलयुग के रावण, समझो जानो अपनो कि इज्ज़त सम्मान को पहचनो ! सभी के साथ खुशियों से रंग लगावो, बुरे इंसान उनके हरकतो को पहचानो उनसे दुर है जाओ.! बुरा न मानो होली है लेकिन किसी के साथ बुरा करना होली नहीं, गांव को गोकुल, मथुरा, काशी, बनाओ, रंगो कि बौछार से अपनो से खुशियां बनाओ.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के...
होली आई
कविता

होली आई

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** होली आई, रंगों कि बौछार है छाई, लइका-सियान, बुडवा-जवान, सब मिलकर होली खेले, चारो मुडा़ खुशियां है छाई.! दाई-बबा ला रंग लगावत हे, नोनी-बाबु पिचकारी चलावत हे, भइया-भाभी, दीदी-बहनी, होली गीत गावत हे.! ममा दाई सन मेछरावत हे, हरियर, पीवर, रंग लगावत हे, कृष्ण कन्हैया के जय बुलावत हे.! गांव-गली मा नागारा बजावत हे, बबा के नचई देख के दाई मुसुर-मुसुर मुसकावत हे, सब मग्न होगे भाईचारा, प्रेम, उत्साह से होली तिहार मनावत हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अप...
पतझड़ के मौसम
कविता

पतझड़ के मौसम

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** पतझड़ के मौसम हे, वातावरण मे खुशीया छा हे, पेड-पौधा के परिवर्तन के बेरा हे नवा पत्ता के अगोरा हे.! सुख-शांति निर्मल हवा मिले जहां हरियर पेड-पौधा खिले, मनमोहन वातावरण दिखे, सुंदर दृश्य दिखे.! प्रकृति के सिंगार होये, ऋतु के राजा बसंत ऋतु के आगमन ले, आमा अमली मौउरावत हे, लइका मन चहरे मे मुस्कान आवत हे.! होली तिहार आवत हे, फागुन गीत गावत हे, प्रकृति के नवा रुप देख के सब खुशियां मानावत हे, पतझड़ के मौसम हे, वातावरण मे खुशीयां छा हे, पेड-पौधा के परिवर्तन के बेरा हे नवा पत्ता के अगोरा हे.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अ...
आया बसंत ऋतु का मौसम
कविता

आया बसंत ऋतु का मौसम

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** आया बसंत ऋतु का मौसम, ठंडी हवाये शीतल वातावरण लेकर, कोयली कुकुहावत हे, मयुर पंख फैलावत हे.! रूख-राई मन हरियावत हे, सुन्दर नजारा दिखावत हे, घाव-छाव दोनो सुहावत हे, गोरसी अगेठा के दिन हा जावत हे.! बबा-दाई गोठियावत हे, फागुन के दिन आवत हे, लइका मन खेलत-कुदत दिन ला पहावत हे बसंत ऋतु सबके मन ला लुभावत हे.! मनमोहक, उत्साह, बसंत ऋतु प्रकृति के सिन्गार हे, आया शांति अउ खुशीयो का बौझार है, ऋतुओ के राजा बसंत ऋतु का उपकार है.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने प...
बचपन कि वो यादे
कविता

बचपन कि वो यादे

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** बचपन कि वो यादे, याद बहुत आती है, हंसना रोना मिलकर रहना वो पल बहुत सताती है.! बचपन के वो खेल खिलौने गिल्ली-डन्डा, भौरा-बाटी, दादा-दादी, नाना-नानी कि गोद मे बैठ कर कहानी सुनना .! उम्र बढ़ी बचपना घटी सपने पुरे करने कि दिन है आई, बिताये पल वो याद आते है, आंखों मे मे आंसू दे जाते है.! बचपन मे झगडना फिर दोस्तों से मिल है जाना, अब तो दुरीया इतनी बढी बस दोस्तों कि यादो मे दिन है पहाना.! काश को बचपन फिर से लौट आये फिर से खुशीयो कि बौझार है छाय, चंदा मामा, कि कहानी दादी-नानी फिर से सुनाये.! बचपन कि वो यादे, याद बहुत आती है, हंसना रोना मिलकर रहना वो पल बहुत सताती है.!! परिचय :-परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ ...
कलयुग के पाप
कविता

कलयुग के पाप

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** नशा पान करके-करते घर को बदनाम, घर कि बहु बेटी इज्ज़त को करते निलाम.! घर कि लक्ष्मी बना कर लाते बइमान, पैसो कि चाह मे गलत करते बलवान.! कब तक सहन करोगे गलत व्यवहार, दुर्गा काली बन कर करो संघार.! गलत आचरण गलत व्यवहार है मनुष्य के कलयुग के पाप, बेटी बहु कि इज्ज़त सम्मान करो असहाय दिनहिन कि मदद करो बन लो अच्छा इंसान..!! परिचय :-परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
दया प्रेम करुणा
कविता

दया प्रेम करुणा

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** हर मानव मे हर जीव के प्रति दया की भावना होता है अच्छे मानव कि पहचान है, सुख दुख मा हर पल साथ दे दयावान व्यक्ति महान हे.! प्रेम कि बोली से हर व्यक्ति की मन को करते है आकर्षण, सच्चा प्रेम और सही शिक्षा लोगो को सही राह दिखाता है भूले को रास्ता, दिलो मे प्रेम बस जाता है.! बिना वजह के साथ दो दीनहिन असहाय सेवा सम्मान करो, नारी कि इज्ज़त, असहाय लोगो पर करुणा का प्रसार करो.! छोटी सी जिन्दगी दिलो मे हर किसी के लिए इज्ज़त सम्मान प्यार रखो, बेसहारा, दीनहिन, कमजोर की हमेशा मदद करो अच्छा व्यवहार बना लो.!! परिचय :-परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...