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Tag: नीलेश व्यास

चाय
कविता

चाय

नीलेश व्यास इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** कोरे पन्नो के केनवास पर शब्दों के चित्र बनाता हूँ, जी हाँ मै भी चाय बनाता हूँ, लिखने से पहिले, सोचने से पहिले, साहित्य सिद्धि के शब्द मंत्रों को गढ़ने से पहिले, जी हाँ मै भी चाय बनाता हूँ, सुबह-सुबह मजदूरी पर निकलने से पहिले, स्कूल लगने की घंटी से पहिले, फेक्ट्री जाने से पहिले, व्यापार के मुहूर्त से पहिले, संसद जाने से पहिले, भक्ति में डूब जाने से पहिले, जी हाँ मै भी चाय बनाता हूँ, मेहमानों के जाने से पहिले, आश्रमों में आशीर्वाद के पहिले, शुभ काम करने से पहिले, जी हाँ मै भी चाय बनाता हूँ, तीर्थ यात्रा में, शवयात्रा में, जीवन यात्रा में, राष्ट्र सेवा में, कभी-कभी भूख मिटाने को, जी हाँ मै भी चाय बनाता हूँ, यह चाय केवल चाय नही, यह धर्मों से ऊपर, भावनाओं से ऊपर, कभी-कभी मानव को मानव से...
क्यूँकि मैं नारी हूॅ
कविता

क्यूँकि मैं नारी हूॅ

नीलेश व्यास इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** इन्दौर मे महिला प्रोफेसर के प्रति किये गए जघन्य अपराध, से उपजी मेरी कविता ”क्यूँकि मैं नारी हूॅ, क्या मेरे दर्द बस मेरे ही है, क्या समाज, क्या नेता, क्या संविधान का चैथा स्तंभ, सब चुप है, सब मौन खड़े है, आँखे भी सब मोड़ लिये है, मुझे सताया मुझे रुलाया और मुझे यूँ जला दिया, नारी उत्थान के कानुन, राष्ट्रपति सिंहासन तक दिये, मेरे नाम के सम्मान झेलते और आश्रम भी खोलते, क्या तुमको लज्जा आती नही, क्यूँ गली, चैराहे से नशा करते, यूँ सरेराह मुझे छेड़ते, यूँ तेज चलाते वाहनों से कभी हाॅर्न मारकर कभी कट मारकर वो नालायकी कर जाते है, कभी विरोध किया तो कार से घसीटी ओर जला दी जाती हूँ, मेरे प्रति घृणा लिये, क्यूँ ये लोग तुम्हे दिखते नही, कितना सहूँ, ओर किससे कहूँ, भेदभाव का, जातिवाद का दंश झेलती, लगता है मैं सबला नही, ...
इंसान
लघुकथा

इंसान

नीलेश व्यास इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** ”यहाँ कोई इंसान नही है ? .....यहाँ कोई मेरा अपना नही है ?” यह दारुण शब्द उन माताजी के थे, जो कोरोना का ईलाज सफलता पुर्वक होने पर आज ही जब अपने घर पहुँची थी, तब एक ओर उनके तीन पुत्रों मेे से बड़े दो की पत्नियों ओर बच्चों के द्वारा माताजी को अपने साथ रखना तो दूर, उनके पास जाने तक के लिये स्पष्ट रुप से इंकार कर दिये जाने के आदेश के कारण दोनो पुत्र गरदन झुकाये खड़े थे, वहीं दूसरी ओर माताजी की ममता ओर क्रोध दोनों बरस रहे थे किन्तु बेबस माताजी अब कर भी क्या सकती थी, उसी समय माताजी के सबसे छोटे ओर उस ”नालायक” पुत्र का, जिसने अन्य जाति की लड़की से प्रेम-विवाह किया था ओर इस विवाह के कारण माताजी एवं उनके दोनो बड़े पुत्रों ने उसे घर से बाहर कर दिया था, का अपनी पत्नी के साथ माताजी को देखने के लिये आगमन हुआ ओर उन द...
आवश्यक कार्य
लघुकथा

आवश्यक कार्य

नीलेश व्यास इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** ”रुको भैया”..... ! यह आवाज सुनकर मुक्तिधाम के कर्मचारी उस समय ठिठक गये जब वह कोराना की वजह से मरने वाली एक महिला का अन्तिम संस्कार करने जा ही रहे थे, चारों व्यक्तियों ने पास आकर बताया कि यह उनकी माँ है। ”हम समय पर आ गये” चारों के मुख से बोल फुटे। फिर उन्होंने यह कहकर कि हमें अति आवश्यक कार्य करना है मृतक के पास जाने की अनुमति प्राप्त कर ली, उन्हें अत्यन्त दुखी देख, कर्मचारी भी भावुक हो गये ओर यह विचार कर की कोरोना पीड़ित को छुना तो दुर कोई देखना भी पसंद नहीं करते, यह माँ कितनी भाग्यशाली कि चारों पुत्र श्रद्धाजंली देने, मुख में जल डालने के लिये अपनी जान पर खेल कर आये है, पर यह क्या उन चारों ने फटाफट शव का कव्हर खोलकर शव के पहने गहने उतार लिये, फिर कर्मचारीयों से कहा कि ”भैया हमारा काम तो हो गया, अब आप...