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ऐ ! चौथ के चांद
कविता

ऐ ! चौथ के चांद

निरूपमा त्रिवेदी "नीर" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ऐ ! चौथ के चांद तुम आना हर साल लाना आशीष साथ करूं मैं पूजन उपवास दमके बिंदिया मेरे भाल लगाके मेहंदी अपने हाथ सजा के टीका भी माथ पहन के नथ सुहाग ओढ़कर चुनरिया लाल खनकाऊं चूड़ियां हाथ पहनूं पायल बिछिया पांव मंगलसूत्र रहे सदा साथ नैनन लगा कजरा केश सजाऊं गजरा पिया का पाऊं संग प्रीत का घुले रंग गले में बाहों का हार मिले सजना का प्यार रहे मेरा सुहाग अमर सजाऊं मांग सदा सिंदूर परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी "नीर" निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्र...